औद्योगिक क्रांति के कारण एवं परिणाम या प्रभाव

औद्योगिक क्रांति के कारण एवं परिणाम या प्रभाव

औद्योगिक क्रांति के कारण एवं परिणाम 

औद्योगिक क्रांति के कारण

 (1) वैज्ञानिक प्रगति

यूरोप में पुनर्जागरण के फलस्वरूप वैज्ञानिक क्षेत्र में बहुत प्रगति हुई। नई मशीनों, वैज्ञानिक विधियों तथा सुधरी हुई तकनीक ने औद्योगिक क्रांति को प्रोत्साहन दिया। वस्त्र उद्योग के लिए नई मशीनों का विकास होने से इसमें एक क्रांति आई। मशीनों ने कृषि, परिवहन तथा व्यापार के क्षेत्र में भी क्रांति उत्पादन कर दी।

(2) उपनिवेशों की स्थापना

यूरोप के अनेक देशों ने साम्राज्य- विस्तार के उद्देश्य से अपने उपनिवेशों की स्थापना की। इनसे उन्हें कच्चा माल मिल जाता था तथा तैयार माल बिक जाता था ।अधिक धन कमाने के उद्देश्य से इन देशों में उद्योग- धंधों की बाढ़ आ गई। इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, जापान आदि देशों ने एशिया, अफ्रीका तथा दक्षिणी अमेरिका के अनेक देशों में अपने उपनिवेश स्थापित किए। दोहरा लाभ कमाने की अभिलाषा ने औद्योगिक क्रांति को सुदृढ़ आधार प्रदान किया।

(3) परिवहन एवं शक्ति के साधनों का विकास

यूरोप में जल एवं स्थल परिवहन के साधन विकसित किए गए, जिनसे व्यापार के क्षेत्र में सफलता मिली। इस कार्य ने नए देशों की खोज में सहायता की। भाप के इंजन की खोज से रेलों और जलयानों का विकास हुआ । परिवहन के साधनों के विकास से कच्चा माल और तैयार माल एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाना व ले जाना सुगम हो गया। परिवहन के साधनों के साथ संदेशवाहन के साधनों का विकास हो जाने से व्यापार में क्रांतिकारी परिवर्तन आ गए।

(4) बाजारों की अधिकता

विश्व के सभी देशों में मशीनों से बनी उत्तम और सस्ती वस्तुओं की मांग बहुत बढ़ गई थी । उत्पादित माल का बाजार सुलभ होने से उनके उत्पादन को प्रोत्साहन मिला , जिससे औद्योगीकरण तेजी से बढ़ा। विभिन्न देशों के उपनिवेश उनके कारखाने में बने माल के लिए सुलभ बाजार बन गए। उपनिवेशों में आधिकारिक माल बेचने के उद्देश्य से उत्पादन में वृद्धि कर दी गई।

(5) अनुकूल परिस्थितियाँ

यूरोप के अनेक देशों में सस्ते श्रमिक, बाजार तथा कच्चे माल की उपलब्धि जैसी सुविधाएं प्राप्त थी । इन अनुकूल परिस्थितियों में औद्योगीकरण को प्रोत्साहन दिया।

(6) चालक शक्ति तथा श्रमिक

इस समय कारखाने चलाने के लिए शक्ति के साधन खोज निकाले गए। श्रमिक गांव से कृषि कार्य छोड़कर नगरों में आकर बस गए। जिससे कारखानों को सस्ते और कुशल श्रमिक पर्याप्त संख्या में सुलभ हो गए । कारखानों में दिन-रात बड़े पैमाने पर उत्पादन होने लगा। परिणाम स्वरुप औद्योगिक क्रांति को बहुत बल मिला।

(7) उदारवादी सरकारी नीति

इंग्लैंड में 17वीं शताब्दी से ही और फ्रांस में 18वीं शताब्दी से व्यापार पर आधारित एक नए कुलीन वर्ग का उदय हो चुका था। इस कुलीन वर्ग के पास धन तो था , परंतु पुराने सामंती वर्ग की तरह प्रतिष्ठा नहीं थी । वह सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील थे। इसके अतिरिक्त एक ऐसा नया पेशेवर वर्ग भी था जो किसी पेशे में कुशल था और समाज के लिए उपयोगी कार्यों का संपादन भी कर रहा था। ऐसे पेशेवर वर्ग में शिक्षक , वकील डॉक्टर आदि थे। नव धनिक व्यापारी वर्ग और इस पेशेवर वर्ग में बौद्धिक रूप से प्राचीन सामंतवादी राजव्यवस्था के प्रति रोष था। वह जनसाधारण के लिए एक नया राजनीतिक दर्शन प्रस्तुत कर रहे थे । ऐसे लोगों ने इंग्लैंड में संसदीय शासन प्रणाली के लिए और फ्रांस में गणतंत्र के लिए क्रांति में अग्रणी भूमिका निभाई । ऐसे लोगों के प्रभाव से ऐसी सरकारें स्थापित होती गई जिन्होंने व्यापार व उद्योग के हित में अनेक नीतियाँ बनाई ।1750ई के पश्चात पश्चिमी यूरोप में प्रायः ऐसी सरकारें थी जो व्यापार व उद्योग को प्रोत्साहन देना चाहती थी। ऐसी उदारवादी सरकारी नीतियां औद्योगिक क्रांति के लिए मार्ग प्रशस्त कर रही थी।

औद्योगिक क्रांति के प्रभाव/ परिणाम

औद्योगिक क्रांति ने समस्त यूरोप में जीवन को परिवर्तित कर दिया। इसके अग्र प्रभाव पड़े—

सामाजिक प्रभाव

औद्योगिक क्रांति की सामाजिक जीवन पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े—

(1) नगरीकरण का विकास 

औद्योगीकरण के परिणाम स्वरूप नगरों का विकास तीव्र गति से हुआ । लोगों ने गाँव में कृषि कार्य छोड़कर शहरों में रहना प्रारंभ कर दिया। नगरों में तेजी से जनसंख्या बढ़ाने के कारण वहाँ अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई । नगरों में जन सुविधाओं का अभाव हो गया तथा प्रदूषण बढ़ने लगा। जनसंख्या की अत्यधिक वृद्धि के कारण समाज में जुआ , शराब, हिंसा तथा शोषण का प्रभाव बढ़ गया । तथा नैतिक व सामाजिक मूल्यों का व्हास हो गया।

(2) नए वर्गों की उत्पत्ति एवं संघर्ष

औद्योगिक क्रांति के फलस्वरुप समाज श्रमिक एवं पूँजीपति दो वर्गों में बँट गया । इन दोनों वर्गों में संघर्ष प्रारंभ हो गया । हड़ताल और तालाबंदी इसी वर्ग संघर्ष का परिणाम है। पूँजीपतियों के शोषण के कारण श्रमिकों की दशा अत्यंत शोचनीय हो गई। अतः पूंजीपतियों और श्रमिकों में टकराव आवश्यक हो गया।

(3) श्रमिकों की दयनीय दशा

पूंजीवाद के उदय के साथ ही श्रमिकों का शोषण प्रारंभ हो गया। श्रमिकों से कम मजदूरी पर 18 घंटे तक काम लिया जाने लगा। श्रमिकों के आवास, शिक्षा और मनोरंजन की समुचित व्यवस्था नहीं की गई। इस प्रकार औद्योगिक क्रांति ने सामाजिक वर्ग- भेद की खाई को और भी गहरा कर दिया।

(4) स्त्रियों और बच्चों का शोषण

 अधिक उत्पादन करके लाभ अर्जित करने की धुन में उद्योगपतियों ने स्त्री और बच्चों को भी कम पर लगा दिया। स्त्रियों और बच्चों से अधिक घंटे काम लेकर उन्हें पुरुषों की अपेक्षा कम वेतन दिया जाता था। स्त्री और बच्चों का शोषण देखकर अनेक देशों की सरकारों ने उद्योगों में स्त्रियों और बच्चों के काम पर रोक लगा दी।

(5) नैतिक मूल्य का पतन

औद्योगीकरण के कारण धन का बोलबाला हो गया। जिससे लोगों के नैतिक मूल्यों में कमी आ गयी ।‌ शराब, जुआ,व्यभिचार आदि नागरिकों की दिनचर्या का अंग बन गए।

आर्थिक प्रभाव

औद्योगिक क्रांति के आर्थिक जीवन पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े—

(1) पूँजीवाद का उदय

औद्योगिक क्रांति के फलस्वरुप उत्पादन में वृद्धि हुई। उत्पादन बढ़ने से उद्योगपतियों की आय में वृद्धि हुई । एक ही स्थान पर पूँजी का केंद्रीकरण होने से पूँजीपति वर्ग का प्रादुर्भाव हुआ। जिससे पूंजीवाद को जन्म दिया । पूंजीपति श्रमिकों का शोषण करने लगे, जिससे उनमें भारी असंतोष उत्पन्न हो गया।

(2) परिवहन के साधनों का विकास

औद्योगिक क्रांति ने रेल सड़क आदि परिवहन के साधनों का विकास किया ।परिवहन के साधनों से व्यापार तथा उद्योगों का बहुत विस्तार हुआ।

(3) कृषि का विकास

औद्योगिक क्रांति के फलस्वरुप नवीन कृषि यंत्र का आविष्कार हुआ। तथा कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक पद्धतियों का प्रयोग किया जाने लगा। कृषि की नयी तकनीकी तथा उत्पादन विधियों यो की खोज होने से कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए।

(4) उत्पादन में वृद्धि

औद्योगिक क्रांति ने बड़े पैमाने के उद्योगों को बढ़ावा दिया जिससे उत्पादन में आशातीत वृद्धि हुई।

(5) जीवन स्तर में सुधार

उत्पादन बढ़ने से श्रमिकों को आजीविका के नए स्रोत मिले। जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई। आय बढ़ने से श्रमिकों के जीवन स्तर में सुधार हुआ।

3—धार्मिक एवं नैतिक प्रभाव

औद्योगिक क्रांति ने धार्मिक एवं नैतिक जीवन को निम्न प्रकार से प्रभावित किया

1-औद्योगिक क्रांति ने धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया।

2-औद्योगिक क्रांति से अनैतिकता में वृद्धि हुई तथा लोगों का चारित्रिक पतन प्रारंभ हो गया।

3-धन बढ़ने से लोगों में जुआ खेलने, शराब पीने आदि दोष उत्पन्न हो गए जिससे उनका नैतिक पतन हो गया।

4-उत्पादन कार्य में मशीनों का प्रयोग होने के कारण बेरोजगारी में वृद्धि हुई । समाज में संतोष बढ़ने लगा, जिसने अनेक दोषों को जन्म दिया।

5-औद्योगीकरण का एक प्रमुख परिणाम जनसंख्या वृद्धि भी था । बढ़ी हुई जनसंख्या ने अनेक समस्याओं को जन्म दिया।


महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर

औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम कब और कहाँ प्रारंभ हुई?

औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम 18 वीं सदी और इंग्लैंड में प्रारंभ हुई।

औद्योगिक क्रांति किसकी देन थी?

औद्योगिक क्रांति ब्रिटेन (इंग्लैंड) की देन थी।

यूरोप में औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम किस देश में हुई थी?

यूरोप में औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैंड देश में हुई थी।

औद्योगिक क्रांति के कारण क्या थे?

औद्योगिक क्रांति के कारण - (1) वैज्ञानिक प्रगति (2) उपनिवेशों की स्थापना (3) परिवहन एवं शक्ति के साधनों का विकास (4) बाजारों की अधिकता (5) अनुकूल परिस्थितियाँ (6) चालक शक्ति तथा श्रमिक (7) उदारवादी सरकारी नीति।

औद्योगिक क्रांति के परिणाम बताइए?

औद्योगिक क्रांति के परिणाम अथवा प्रभाव - (1) नगरीकरण का विकास (2) नए वर्गों की उत्पत्ति एवं संघर्ष (3) श्रमिकों की दयनीय दशा (4) स्त्रियों और बच्चों का शोषण (5) नैतिक मूल्य का पतन।

औद्योगिक क्रांति के धार्मिक एवं नैतिक प्रभाव क्या थे?

धार्मिक एवं नैतिक प्रभाव औद्योगिक क्रांति ने धार्मिक एवं नैतिक जीवन को निम्न प्रकार से प्रभावित किया 1-औद्योगिक क्रांति ने धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया। 2-औद्योगिक क्रांति से अनैतिकता में वृद्धि हुई तथा लोगों का चारित्रिक पतन प्रारंभ हो गया।

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