1830 की (जुलाई) फ्रांसीसी क्रांति के कारण, महत्व और प्रभाव

 1830 (जुलाई) की क्रांति

फ्रांस में लुई 18वें ने सन् 1814 से सन् 1824 तक शासन किया। और इसकी पश्चात उसका भाई चार्ल्स दशम के नाम से गद्दी पर बैठा जो कट्टर सत्तावादी दल का नेता था तथा घोर प्रतिक्रिया वादी था। उसने सन् 1789 में क्रांति का दमन करने का प्रयास किया था जिसमें उसको सफलता नहीं मिल पाई। अतः वह फ्रांस छोड़कर विदेश चला गया था। लुई 18 के गद्दी पर बैठने पर वह फ्रांस वापस आया था। वह चर्च और राज्य को एक कर देना चाहता था। वह नेपोलियन का घोर शत्रु था और दैवी शक्ति सिद्धांत में विश्वास करता था। वह कहां करता था कि इंग्लैंड के राजा की तरह शासन करने से तो वह लकड़ी हारना पसंद करूंगा। वह 64 वर्ष की आयु में फ्रांस की गद्दी पर बैठा था। वह फ्रांस में पुरातन व्यवस्था को स्थापित करना चाहता था और चर्च की महानता का प्रबल समर्थक था। 

1830 की (जुलाई) फ्रांसीसी क्रांति के कारण, महत्व और प्रभाव

1830 की क्रांति के कारण एवं परिणाम

1830 (जुलाई) की क्रांति के कारण

(1) चार्ल्स दशम की प्रतिक्रियावादी नीति 

चार्ल्स दशम प्रतिक्रियावादी, पुरातन व्यवस्था का पुजारी तथा दैवी शक्ति सिद्धांत में विश्वास करने वाले व्यक्ति था। वह प्रजा को कोई अधिकार देने के पक्ष में नहीं था। लिप्सन ने यह लिखा है कि, “नेपोलियन बोनापार्ट ने अपने उत्तराधिकारियों के लिए दो विरोधी समस्याओं का समन्वयी छोड़ा था। एक ऐसे राज्य की स्थापना जो फ्रांस को पसंद हो तथा ऐसी नीति का अनुसरण करना जो यूरोप को पसंद हो।” चार्ल्स दशम की नीति से संतुष्ट होकर फ्रांस की जनता ने विद्रोह का ध्वज लहरा दिया। 

(2) सामंतों को मुआवजा देना

सन् 1825 में कानून बनाकर चार्ल्स दशम ने उन सामंतो को मुआवजा दिया जिनकी संपत्ति सन् 1789 की राज्य क्रांति में जप्त कर ली गई थी। यह राशि एक अरब फ्रैंक बताई गई थी। इसको देने के लिए जनता से ऋण लिया गया था। उसे ब्याज की दर 5% घटकर 2% कर दी। इससे माध्यम तथा पूंजीपति वर्ग चार्ल्स दशम से संतुष्ट हो गए और क्रांति का बिगुल इन्होंने भी बजा दिया।

(3) क्रांतिकारी तथा नेपोलियन के समर्थकों का विरोध करना

क्रांतिकारी तथा नेपोलियन के अनुयायियों का जनता पर प्रभाव अधिक था और चार्ल्स दशम का इन लोगों ने विरोध किया, इसलिए चार्ल्स दशम को सफलता नहीं मिली और उसका पतन हो गया। 

(4) कैथोलिक धर्म को पुनः स्थापित करना

क्रांति काल में फ्रांस में धर्म तथा राजनीति को अलग कर दिया गया था, पादरियों के प्रभाव को समाप्त कर दिया था परंतु चार्ल्स दशम ने उसको पुनः स्थापित करने का प्रयत्न किया। उसने पाप की जयंती मनाई तथा वह पेरिस की सड़कों पर पादरी का निवास पहनकर घूमने लगा। उसने शिक्षा का कार्य चर्च को सौंप दिया, विश्वविद्यालय का अध्यक्ष पादरी को बनाया गया, कैथोलिक धर्म विरोधी अध्यापकों को पदों से हटा दिया गया तथा मतों की पुनर्स्थापना की गई। उसने अपने उत्तराधिकारियों की शिक्षा कट्टर कैथोलिक के हाथों में दे दी। इस प्रकार पुजारी की सरकार बन गई। उसकी इन कार्यों से जनता में और अधिक असंतोष उत्पन्न हो गया।

(5) राष्ट्रीय रक्षा सेवा का भंग होना

राष्ट्रीय रक्षा संघ का भंग होना भी फ्रांस की क्रांति का एक प्रमुख कारण बना। फ्रांस की राज्य क्रांति काल में लिफायते के नेतृत्व में राष्ट्रीय रक्षा सेवा का निर्माण किया गया था। जिसने पूरे क्रांति काल में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। चार्ल्स दशम ने राष्ट्रीय सेना भंग करके जनता को संतुष्ट कर दिया।

(6) विजय अभियान

लिप्सन ने यह लिखा है कि, “नेपोलियन ने इस बात को स्वीकार किया था कि स्वदेश में असंतोष को दबाने का एकमात्र उपाय यह है कि विदेशों में विजय प्राप्त की जाए तथा युद्धों का एक उद्देश्य हो भी है कि लोग इस बात को भूले रहे की स्वदेश में उसका शासन निरंकुश है।” यह उपाय चार्ल्स दशम ने अपनाया। उसने स्पेन में पुनः निरंकुश शासन स्थापित करने के लिए सेना भेजी। चार्ल्स ने अल्जीयर्स के उपनिवेश जीतने के लिए तथा समुद्री डाकुओं का दमन करने के लिए सेना भेजी पर वह असफलता को प्राप्त हुए। जिसके कारण जनता में फिर से असंतोष उत्पन्न हो गया।

(7) गिरजाघर दूषण अधिनियम

एक कानून के अनुसार गिरजाघर को दूषित करने वालों को मृत्युदंड की व्यवस्था की गई तथा चर्च की पूजा के पवित्र बर्तनों को चुराने पर हाथ काटने के दंड की व्यवस्था की गई। इससे भी जनता क्रोधित हुई।

(8) समाचार पत्रों पर प्रतिबंध

चार्ल्स दशम ने प्रेस की स्वतंत्रता को समाप्त कर दिया, बिना आज्ञा के कुछ भी प्रकाशित नहीं किया जा सकता। जनता में संतोष उत्पन्न करने के लिए यह काफी था।

(9) चार्ल्स दशम का प्रतिनिधि सभा में भाषण 

चार्ल्स दशम ने एक बार कहा था “क्राउन के अधिकार पवित्र हैं तथा उनकी रक्षा करना मेरा कर्तव्य है।” उसने फिर कहा “फ्रांस की स्वतंत्रताएँ सम्राट के अधिकारों के अधीन हैं। यदि मेरे काम में बाधा पहुँचाई गई तो उसको दूर करने के लिए मुझे कठोर साधन अपनाने पड़ेंगे।” जनता ने इसे चार्ल्स दशम की धमकी तथा चुनौती माना और उनको स्वीकार कर लिया।

10— तत्कालीन कारण

(सन 1830 के चार अध्यादेश) जुलाई , 1830 में चार्ल्स ने चार अध्यादेश को जारी किया—

१- निर्वाचित प्रतिनिधि सभा अवधि से पूर्व भंग कर दी गई।

२- प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाना ।

३- मताधिकार अहर्ताओं द्वारा वोट देने को सीमित करना ।४- ऊपरी सदन में प्रतिक्रियावादी सदस्यों की संख्या में वृद्धि करना।


1830 (जुलाई) की क्रांति का महत्व / प्रभाव 

(1) दैवीय अधिकार का स्थान जनता की प्रभुसत्ता द्वारा लेना

दैवी अधिकार के सिद्धांत ने राजाओं को निरंकुश बना दिया था परंतु इस क्रांति ने इस सिद्धांत को समाप्त करके जनता की प्रभुसत्ता स्थापित की।

(2) राजवंश का परिवर्तन

चार्ल्स दशम बूर्बों वंश का था उसके फ्रांस से भाग जाने के बाद ओरलियन्स वंश का राजा लुई फिलिप गद्दी पर बैठा।

(3) धर्म का राजनीति पर प्रभाव का समाप्त होना

चार्ल्स दशम ने पादरियों के प्रभाव को पुनः स्थापित किया था, और पादरियों को वह सभी सुविधाएं प्राप्त हो गई थी जो राज्य क्रांति के मध्य समाप्त कर दी गई थीं। जुलाई क्रांति ने धर्म को राजनीति से पृथक करके धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना करने का प्रयास किया।

(4) निरंकुशवाद के लिए खतरे की घंटी

जिन देशों में निरंकुश शासन था, उनके लिए जुलाई क्रांति खतरे की घंटी सिद्ध हुई। इस क्रांति के परिणाम स्वरुप अन्य देशों में सुधारो की मांग होने लगी। यूरोप के आठ देशों की जनता ने क्रांति का बिल्कुल बजाया था।

(5) सन् 1789 की क्रांति की पूरक

सन् 1789 की फ्रांस की क्रांति में जो कंपनियां रह गई थी, उनको जुलाई क्रांति ने पूरा कर दिया। इस प्रकार सन् 1830 की क्रांति सन् 1889 की क्रांति की पूरक थी। लिप्सन ने यह लिखा है कि, “सन् 1789 क्रांति में जो कमी रह गई थी वह सन् 1830 की क्रांति में पूरी हो गई। सन् 1830 की क्रांति के फल स्वरुप स्वतंत्रता समानता, वैधानिक शासन, धर्मनिरपेक्ष आदि क्रांतिकारी भावनाओं की नींव और अधिक सुदृढ़ हो गई।” 

(6) राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड की पुनः स्थापना 

इस जुलाई क्रांति के परिणाम स्वरूप, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड को क्रांति के प्रारंभिक दौर में स्थापित किया गया था, परन्तु चार्ल्स दशम ने इसे समाप्त कर दिया था। इसको जुलाई क्रांति के पश्चात पुनः स्थापित किया गया।


महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर 

1830 की क्रांति किस देश में हुई थी?

1830 की क्रांति यूरोप के फ्रांस देश में हुई थी।

1830 (जुलाई) की क्रांति किस-किस के बीच हुई?

1830 (जुलाई) की क्रांति चार्ल्स दशम (और नेपोलियन) के बीच आपसी मतभेद के कारण हुई।

चार्ल्स दशम कहां का शासक था?

चार्ल्स दशम फ्रांस का शासक था।

यूरोप में 1830 की क्रांति क्यों हुई?

नेपोलियन बोनापार्ट ने अपने उत्तराधिकारियों के लिए दो विरोधी समस्याओं का समन्वयी छोड़ा था। एक ऐसे राज्य की स्थापना जो फ्रांस को पसंद हो तथा ऐसी नीति का अनुसरण करना जो यूरोप को पसंद हो।” चार्ल्स दशम की नीति से संतुष्ट होकर फ्रांस की जनता ने विद्रोह का ध्वज लहरा दिया।

1830 की फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण थे?

1830 की फ्रांसीसी क्रांति के कारण - (1) चार्ल्स दशम की प्रतिक्रियावादी नीति (2) सामंतों को मुआवजा देना (3) क्रांतिकारी तथा नेपोलियन के समर्थकों का विरोध करना (4) कैथोलिक धर्म को पुनः स्थापित करना (5) राष्ट्रीय रक्षा सेवा का भंग होना (6) विजय अभियान (7) गिरजाघर दूषण अधिनियम (8) चार्ल्स दशम का प्रतिनिधि सभा में भाषण

1830 की फ्रांसीसी क्रांति के परिणाम / प्रभाव क्या थे?

1830 (जुलाई) की क्रांति का महत्व / प्रभाव - (1) दैवीय अधिकार का स्थान जनता की प्रभुसत्ता द्वारा लेना (2) राजवंश का परिवर्तन (3) धर्म का राजनीति पर प्रभाव का समाप्त होना (4) निरंकुशवाद के लिए खतरे की घंटी (5) सन् 1789 की क्रांति की पूरक (6) राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड की पुनः स्थापना।

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