लोक कल्याणकारी राज्य का अर्थ, परिभाषा तथा कार्य - letest education

लोक कल्याणकारी राज्य

लोक कल्याणकारी राज्य का अर्थ

लोक कल्याणकारी का अर्थ ; ‘कल्याण’ से तात्पर्य आर्थिक तथा सामाजिक हितों का संवर्द्धन करना है। वर्तमान समय में लोक कल्याणकारी राज्य तथा लोकतंत्रात्मक राज्य एक दूसरे के समानार्थी हैं। लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा राज्य के कार्य क्षेत्र को सुनिश्चित करने का एक आधुनिक सिद्धांत है। इस शब्द का प्रयोग सामान्यतः उसे राज्य के संबंध में किया जाता है जो मात्र नागरिकों के न्याय, सुरक्षा, बाह्य एवं आंतरिक व्यवस्था के प्रश्नों से संबंधित न होकर नागरिकों के बहुआयामी विकास एवं कल्याण पर अपना ध्यान केंद्रित करता है। लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा बहुत विस्तृत है। लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा एक ऐसी शासन व्यवस्था को स्थापित करना चाहती है, जिसका उद्देश्य समस्त नागरिकों का अधिकतम कल्याण हो सके।

लोक कल्याणकारी राज्य की परिभाषा 

पंडित जवाहरलाल नेहरू की शब्दों में, “समस्त जनता के लिए समान अवसर प्रदान करना, धनी तथा निर्धनों के बीच के अंतर को समाप्त करना तथा व्यक्ति के जीवन स्तर को ऊपर उठाना लोक-कल्याणकारी राज्य के मूलभूत तत्व हैं।” 

डा० अब्राहम के शब्दों में, “लोक-कल्याणकारी राज्य वह समुदाय है जो अपनी आर्थिक व्यवस्था का संचालन आय‌ के अधिकाधिक समान वितरण के उद्देश्य से करता है।” 

हैरयू कैण्ट के शब्दों में, “लोक-कल्याणकारी राज्य वह राज्य है जो अपने नागरिकों को के लिए व्यापक सेवाओं की व्यवस्था करता है।” 

परिभाषाओं का सार 

लोक कल्याणकारी राज्य की इन सभी परिभाषाओं के तथ्य किस बात पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं कि लोक कल्याणकारी राज्य के द्वारा व्यापक क्षेत्र में व्यक्तियों के सामान्य कल्याण के लिए अधिक से अधिक कार्य करना चाहिए, जिससे समाज से आर्थिक विषमता को समाप्त करके सामाजिक न्याय की व्यवस्था को लागू किया जा सके। 

लोक कल्याणकारी राज्य के कार्य

(1) कृषि, उद्योग एवं व्यापार का नियम एवं संचालन 

राज्य कृषि, उद्योग-धंधों तथा व्यापार का नियमन एवं नियंत्रण करता है जिस शोक्णष रहित समाज की स्थापना हो सके। भारी उद्योगों को सार्वजनिक क्षेत्र में स्थापित करके राज्य के द्वारा नियंत्रित किया जाता है। कृषि के विकास के लिए अच्छे बीजों, सिंचाई, कृषि यंत्रों आदि की राज्य सुविधा प्रदान करता है। इतने कार्यों को राज्य बिना उचित नियोजन के पूर्ण नहीं कर सकता है। लोक कल्याणकारी राज्य का आदर्श लोकतंत्र है, अतः लोकतांत्रिक तरीकों से विभिन्न क्षेत्रों में किए जाने वाले कार्यों का नियोजन करना आवश्यक है। 

(2) सामाजिक कुरीतियों का उन्मूलन 

राज्य सामाजिक समानता को लागू करने के लिए सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन का प्रयास करता है। राज्य के द्वारा सामाजिक व्यवस्था में निहित दोषों का निवारण करने के उद्देश्य से सुधारात्मक कार्यक्रमों एवं नीतियों का क्रियान्वयन किया जाता है। कल्याणकारी राज्य मद्ध-निषेध, बाल-विवाहों की रोकथाम, छुआछूत, जाति-प्रथा, रंगभेद, सती-प्रथा जैसे आदि सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन (उन्मूलन का अर्थ- जड़ से समाप्त करना) का प्रयास करता है। राज्य को सामाजिक कुप्रथाओं के निवारण हेतु प्रबुद्ध जनमत का निर्माण करके सामाजिक व्यवस्थापन द्वारा इन देशों को दूर करने के कदम उठाने चाहिए। इस प्रकार लोक -कल्याणकारी राज्य को सामाजिक व्यवस्था तथा सुरक्षा संबंधी अनेक कार्य भी करने पड़ते हैं।

(3) श्रमिकों के जीवन स्तर का उन्नयन करना

लोक कल्याणकारी राज्य श्रमिकों, कर्मचारियों तथा आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों, निर्धनों तथा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए कल्याणकारी नीतियों का निर्माण एवं क्रियान्वयन करता है। राज्य उचित पारिश्रमिक एवं वेतन दरों का निर्धारण, पेंशन, स्वास्थ्य, बीमा, शिक्षा व असहाय अवस्था में श्रमिकों की सहायता आदि अनेक लोक कल्याणकारी कार्यों का संपादन करता है।

(4) शिक्षा की समुचित व्यवस्था करना

राज्य के द्वारा समुचित रूप से शिक्षा की व्यवस्था की जाती है। प्रारंभिक शिक्षा का सबके लिए सुलभ कराने का प्रयास किया जाता है। प्राथमिक शिक्षा को निःशुल्क एवं अनिवार्य बनाने का प्रावधान किया जाता है। प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक समस्त प्रबंध राज्य के द्वारा ही किया जाता है। राज्य सार्वजनिक पुस्तकालयों तथा वाचनालियों की भी व्यवस्था करता है।

(5) जन-लोक स्वास्थ्य की समुचित व्यवस्था

लोक कल्याणकारी राज्य सफाई एवं स्वास्थ्य संबंधी विविध हा गतिविधियों का भी संचालन करता है। राज्य महामारियों, प्राकृतिक प्रकोपों से बचाव के साथ-साथ स्वच्छता एवं रोगों के नियंत्रण के लिए प्रयत्न करता रहता है। लोक कल्याणकारी जन-स्वास्थ्य के लिए चिकित्सालय एवं चिकित्सा अनुसंधान केंद्र की स्थापना करता है। बच्चों के टीकाकरण कार्यक्रमों, महिला एवं बाल विकास संबंधित कार्यक्रमों तथा परिवार नियोजन के उपाय के व्यापक प्रचार एवं प्रसार का कार्य भी राज्य के द्वारा ही संपन्न किया जाता है। 

(6) पीड़ित व्यक्तियों की सहायता करना

लोक कल्याणकारी राज्य ऐसी नीतियों का निर्माण करता है, जिससे समाज के असहाय तथा पीड़ित व्यक्तियों का उत्थान एवं कल्याण हो सके। राज्य इसी उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए आर्थिक सहायता के साथ-साथ आवास गृहों, आजीविका, अनाथालयों तथा रैन-बसीरों की व्यवस्था करता है।

(7) आर्थिक सुरक्षा की व्यवस्था करना

लोक कल्याणकारी राज्य अपनी आर्थिक नीतियों तथा कार्यक्रमों के द्वारा इस प्रकार की आर्थिक व्यवस्था लागू करना चाहते हैं, जहां संपत्ति का अधिक से अधिक न्याय संगत तरीके से सामान वितरण हो सके तथा सभी नागरिकों को जीवन यापन के लिए कम से कम न्यूनतम साधन को तो उपलब्ध हो सके या करा सके। राज्य के द्वारा युवाओं के लिए रोजगार के साधन उपलब्ध कराए जाते हैं तथा जिनका रोजगार प्राप्त नहीं होता है उनके लिए बेरोजगारी भत्ते की व्यवस्था की जाती है।

(8) राजनीतिक कार्य

राजनीतिक कार्यों से तात्पर्य है कि राज्य को नागरिकों के अधिकारों को पूर्ण संरक्षण प्रदान करने की दिशा में भी कदम उठाना चाहिए। राज्य को लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया को सुनिश्चित करना चाहिए जिससे जनता में आत्मविश्वास, लोकतंत्र में विश्वास तथा आत्मनिर्भरता के साथ राज्य के कार्यकलापों में भाग लेने की भावना बढ़ती है।

(9) नागरिक स्वतंत्रता की व्यवस्था करना

राज्य अपनी समस्त नागरिकों को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित अनेक प्रकार के अधिकार तथा स्वतंत्रताएं प्रदान करता है। राज्य के द्वारा सभी नागरिकों को विचार विभक्ति, सम्मेलन करने, संगठन का निर्माण करने आदि अनेक प्रकार की स्वतंत्रताएं प्रदान की जाती हैं।

(10) अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में कार्य

कोई भी राज्य आंतरिक क्षेत्र में लोक कल्याणकारी कार्यों को तभी संपन्न कर सकता है जब अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में वह अन्य राष्ट्रों का सहयोग तथा सद्भावना प्राप्त करता रहे। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए राज्य को अंतरराष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्र में शांति तथा सद्भावना की नीति अपनानी पड़ती है। उसे अपनी विकास संबंधी योजनाओं के कार्य उन्हें हेतु अन्य राष्ट्रों से सहयोग तथा सहायता प्राप्त करने के सतत पर्यटन करने पड़ते हैं।


महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर 

लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना कब हुई?

लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना भारत किस संविधान के अनुसार 1950 से इसकी शुरुआत हो गई थी।

कल्याणकारी राज्य संविधान के कौन से अनुच्छेद से है?

कल्याणकारी राज्य भारतीय संविधान के भाग 4 में अनुच्छेद 36 से 51 तक है।

लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा किसमें निहित है?

लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा भारत के संविधान के भाग 3, अनुच्छेद 14, 15 व 16 में लोकल कल्याणकारी राज्य के बारे में चर्चा की है।

लोक कल्याणकारी राज्य का अर्थ क्या है?

लोक कल्याणकारी का अर्थ ; ‘कल्याण’ से तात्पर्य आर्थिक तथा सामाजिक हितों का संवर्द्धन करना है। वर्तमान समय में लोक कल्याणकारी राज्य तथा लोकतंत्रात्मक राज्य एक दूसरे के समानार्थी हैं। लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा राज्य के कार्य क्षेत्र को सुनिश्चित करने का एक आधुनिक सिद्धांत है।

लोक कल्याणकारी राज्य की परिभाषा?

लोक-कल्याणकारी राज्य वह समुदाय है जो अपनी आर्थिक व्यवस्था का संचालन आय‌ के अधिकाधिक समान वितरण के उद्देश्य से करता है।

लोक कल्याणकारी राज्य के कार्य क्या है?

लोक कल्याणकारी राज्य के कार्य - (1) कृषि, उद्योग एवं व्यापार का नियम एवं संचालन (2) सामाजिक कुरीतियों का उन्मूलन (3) श्रमिकों के जीवन स्तर का उन्नयन करना (4) शिक्षा की समुचित व्यवस्था करना (5) जन-लोक स्वास्थ्य की समुचित व्यवस्था (6) पीड़ित व्यक्तियों की सहायता करना (7) आर्थिक सुरक्षा की व्यवस्था करना (8) राजनीतिक कार्य (9) नागरिक स्वतंत्रता की व्यवस्था करना (10) अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में कार्य।

समाजवादी राज्य का मुख्य कार्य क्या है?

समाजवादी राज्य का मुख्य कार्य- राज्य कृषि, उद्योग-धंधों तथा व्यापार का नियमन एवं नियंत्रण करता है जिस शोक्णष रहित समाज की स्थापना हो सके। भारी उद्योगों को सार्वजनिक क्षेत्र में स्थापित करके राज्य के द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

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