इतिहास की उपयोगिता या उपादेयता
इतिहास में भूतकाल की घटनाओं से सीखने का अवसर प्रदान करता है। तथा यह विभिन्न समाजों और संरचनाओं की विकास की कहानी सुनाता है और उनके अध्ययन से हम भविष्य को बेहतर बनाने के लिए सीख सकते हैं। इतिहास से गलतियों के परिणामों से निपटने के उपाय का अध्ययन करके हम समझ में एक सुधार कर सकते हैं। और इसके अलावा यह हमें अपने समाज के सुधारो और विकास के मार्ग पर मार्गदर्शन करता है। इतिहास हमारे भविष्य के निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इतिहास की उपयोगिता
(1) शिक्षाप्रद की उपयोगिता
भारतीय विद्वानों ने वेद को ज्ञान कहा है अर्थात यह भारतीय ज्ञान के शाश्वत स्वरूप है। वेदों की अतिरिक्त ज्ञान की अनेक शाखाएं कही गई है। इतिहास भी उन्हीं में से एक है। इसकी उपयोगिता के कारण ही कालांतर में इसे पंचम वेद मान लिया गया। इतिहास, पुराण एवं वेद भारतीय परंपराओं को पीढ़ी दर पीढ़ी कण्ठ एवं श्रुत परंपरा द्वारा हस्तांतरित होते रहे। आधुनिक काल में शिक्षा को व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र के लिए उपयोगी माना गया। क्योंकि इतिहास दर्पण की भांति मानवी मूल्यों को प्रतिबिंबित करता रहता है। सिसरों के शब्दों में, “इतिहास एक अधिकार संपन्न अधिकारी है, जो सत्य एवं तर्क के आधार पर न्याय प्रदान करता है।”
ध्यान दें— कुछ आलोचकों का तर्क है कि, “विज्ञान मानव समाज के लिए इसलिए उपयोगी है, क्योंकि उसकी पुनरावृत्ति होती है। क्योंकि इतिहास में पुनरावृत्ति की संभावना नहीं होती, इसलिए इतिहास शिक्षाप्रद नहीं हो सकता।” इसमें संदेह नहीं है कि समय स्थान और व्यक्ति की पुनरावृत्ति इतिहास में संभव नहीं है, उदाहरण के लिए — 1789 ई० की फ्रांस की राज्य क्रांति लुई 16वें की नीतिगत सफलता के कारण हुई थी। अतः इतिहास में लुई 16 वां तथा 1989 ई० की पुनरावृत्ति नहीं हो सकती, परंतु यह अवधारणा तर्कसंगत नहीं है, क्योंकि परिस्थितिजन्य घटनाओं की पुनरावृत्ति होती है।
फ्रांस में 1830 ई० और 1839 ई० की क्रांतिया तथा रूस में 1905 ई० और 1917 ई० की क्रांतिया परिस्थितियों की पुनरावृत्ति का ही परिणाम थी।
(2) व्यावसायिक उपयोगिता
व्यावसायिक दृष्टि से भी इतिहास एक उपयोगी विषय है। इतिहास का उच्च ज्ञान प्राप्त करके संग्रहालय्यों तथा अनेक संस्थानों में सरलता से नौकरी प्राप्त की जा सकती है। पत्रकारिता के लिए तो इतिहास का ज्ञान होना अपरिहार्य है। अपने इतिहास के ज्ञान के कारण ही विश्व की प्रसिद्ध पत्रकारों जैसे — वॉल्टर, लिपमैन, डी० डब्ल्यू० ब्रोगन, सर आर्थर ब्रियां आदि ने अमर ख्याति अर्जित की थी। प्रशासनिक सेवाओं में भी इतिहास का ज्ञान आवश्यक होता है, क्योंकि इतिहास के ज्ञान से ही प्रशंसक सामाजिक और मानवीय समस्याओं को समझने और उन्हें हल करने में समर्थ हो पाता है।
(3) मानवी समाज का ज्ञान होता
इतिहास हमें मानवीय समाज का ज्ञान प्रदान करता है। समाज के स्वरूप, कर्मिक विकास, विचारधाराओं का पारस्परिक संघर्ष, मानवीय स्वभाव तथा मानव प्रगति का विवरण इतिहास में मिलता है। राउज के अनुसार, “समाज को उच्चतर शिक्षा प्रदान करने के लिए इतिहास का ज्ञान अनिवार्य होता है।”
फिशर ने लिखा है, कि “इतिहास के पृष्ठों पर मानव की प्रगति अंकित है। मनुष्य इतिहास के माध्यम से अपने दुर्बलताओं को समझ कर उसमें सुधार करने का प्रयास करता है। राजनीति में वही व्यक्ति सफल हो सकता है जिसे फ्रेडरिक महान, चर्चिल तथा पंडित जवाहरलाल नेहरू के इतिहास का ज्ञान हो। इतिहास समाज में नैतिक मूल्यों को भी सुरक्षित रखता है। इतिहास में वीरों, नेपोलियन बोनापार्ट, कैंसर विलियम, हिटलर तथा मुसोलिनी की क्रूरता बर्बरता स्थाई नहीं रही, लेकिन महात्मा बुद्ध, महावीर स्वामी, ईसा मसीह, मोहम्मद साहब तथा महात्मा गांधी की शिक्षाएं और उपदेश आज भी स्मरणीय हैं।
इतिहास ज्ञान का अभिप्राय यह है कि मनुष्य अपने को सृष्टि के आरंभ से जीवित समझता है, क्योंकि मानव की प्रत्येक उपलब्धि की पृष्ठभूमि इतिहास में मिलती है। इतिहास के अभाव में समाज की कल्पना का आशय स्मृति विहीन मनुष्य के जीवन के समान है। अतः इतिहास की शैक्षिक उपयोगिता स्वयं सिद्ध है।
(4) वैदेशिक सेवा में उपयोगिता
वैदेशिक सेवाओं में इतिहास का ज्ञान अत्यंत आवश्यक और उपयोगी है। विदेशी मंत्रालय्यों के सचिव, राजदूत, विदेश मंत्री आदि को इतिहास को शिक्षा अनिवार्य रूप से ग्रहण करनी होती है। सर नेबल हैडरसन जर्मनी में ब्रिटिश राजदूत थे। उन्हें जर्मनी के इतिहास का ज्ञान नहीं था, आता हो उन्होंने जर्मनी के इतिहास की जानकारी इंग्लिश चैनल पर करके हिटलर की आत्मकथा ‘मीन कैंप’ से की, लेकिन यह उसकी महान भूल थी।
फ्रेडिक महान और बिस्मार्क कार्यों की जानकारी के अभाव में ही हिटलर के चरित्र, जर्मनी में सैनिक वाद के उदय और जर्मन जनता की युद्ध प्रियता को समझने में असमर्थ रहे। हैण्डरसन कवि फलता का प्रधान कारण ऐतिहासिक ज्ञान का अभाव ही था। चर्चिल इसलिए सफल हुआ क्योंकि इस इतिहास का विशद ज्ञान था।
(5) मानव प्रकृति का वैशिष्ट्य
मानव प्रकृति वह मूल्य है जो हमारे स्वयं के सुसमायोजन के लिए अत्यंत आवश्यक है। मानव प्रकृति के विभिन्न पक्षों व आयामों, विभिन्न देशों में मानव चरित्र का पता भी केवल इतिहास द्वारा ही लगता है। विभिन्न चरित्रों से परिचय का अवसर मिलता है, उनके अभी प्रेरकों के विश्लेषण हेतु पर्याप्त सामग्री मिलती है तथा इससे चरित्र में संयम का विकास होता है ताकि हम इतिहास से सुंदर चित्रों की सराहना कर सकें और बुरों के लिए दया भावना रख सकें। इतिहास द्वारा ही अपनी संस्कृति तथा अपने समाज से विभिन्न सभ्यता एवं समाज के प्रति पूर्वाग्रह को खत्म करने में सहायता मिलती है। इसी के द्वारा सभ्यता के विभिन्न सोपानों को जानकर हम वर्तमान समाज को समझ सकते हैं।
(6) सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्य
इस भौतिक युग में पुराने मूल्यों का विघटन हो रहा है और नए मूल्यों का निर्माण हो रहा है, अतः ऐसी स्थिति में अपनी सांस्कृतिक विरासत के प्रति ममत्व-भावना तथा सनातन मूल्य के प्रति आस्था को इतिहास द्वारा ही उत्पन्न किया जा सकता है। भारतीय संस्कृति की समन्वयात्मक की प्रक्रिया का ज्ञान इतिहास के पृष्ठों में ही मिल सकता है।
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