भारतीय संविधान की विशेषताएं
संविधान एक ऐसा महत्वपूर्ण पर लेख है जिसमें ऐसे नियमों का संग्रह होता है जिनके आधार पर किसी देश का शासन संचालित होता है। अतः संविधान अपने देश में दीप शिखा का काम करता है, जिसके प्रकाश में देश का शासन बड़े सुचारू रूप से संचालित होता है। वस्तुत: संविधान जीवन का वह मार्ग है, जो उन लक्ष्यों तथा उद्देश्यों की पूर्ति करता है, जिन्हें समाज के आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था तथा उसके विकास के लिए उपयुक्त समझा जाता है। इसी तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए हमारे देश के संविधान-निर्माताओं ने अनेक विकसित देशों के संविधानों का अध्ययन करके और उनके अच्छे गुना को ग्रहण करके भारत की भौतिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक स्थिति के अनुसार एक उपयोगी संविधान का निर्माण किया।
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं
(1) भारतीय संविधान की प्रस्तावना
प्रत्येक देश के संविधान के प्रारंभ में सामान्यतया एक प्रस्तावना होती है, जिसमें संविधान के मूल उद्देश्यों एवं लक्ष्यों को स्पष्ट किया जाता है। भारतीय संविधान की प्रारंभ में भी प्रस्तावना अथवा उद्देशिका (Preamble) लिखी गई है। यह प्रस्तावना भारत की प्रजातांत्रिक गणतंत्र आत्मक राज्य का एक संक्षिप्त सारपूर्ण घोषणा पत्र है। इस प्रस्तावना में संविधान के उद्देश्यों— न्याय, स्वतंत्रता और समानता, भ्रातृत्व तथा राष्ट्रीय एकता का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। वस्तुत: इस प्रस्तावना में भारतीय संविधान का मूल दर्शन निहित है। संविधान के 42 वें संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा प्रस्तावना में समाजवाद तथा धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़कर इसकी गरिमा और भी अधिक बढ़ा दी गई है।
(2) भारत का लिखित, निर्मित और विशाल संविधान
भारतीय संविधान अनेक प्रगतिशील देशों — कनाडा, फ्रांस, अमेरिका आदि की भांति एक लिखित संविधान है। इसका निर्माण एक संविधान सभा द्वारा किया गया था। यह विश्व का सबसे बड़ा संविधान है क्योंकि इसमें विश्व के सभी देशों के संविधानों के आदर्श गुना को सम्मिलित किया गया है तथा सभी बातों को विस्तार से स्पष्ट कर दिया गया है। इसी संविधान में संघीय शासन के अतिरिक्त राज्यों के शासन व्यवस्था का भी उल्लेख किया गया है। इसे 22 खंडों में विभक्त किया गया है। मूल संविधान में 395 धाराएं तथा 8 अनुसूचियां थी, परंतु वर्तमान समय में इसमें 443 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियां हो गई हैं, जबकि अमेरिका के संविधान में केवल सा अनुच्छेद, ऑस्ट्रेलिया की संविधान में 128 अनुच्छेद तथा कनाडा के संविधान में 147 अनुच्छेद हैं। इस प्रकार हमारे संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है। यह संविधान इसलिए भी बड़ा है क्योंकि इसमें शासन से संबंधित एवं नागरिकों के मूल अधिकार संबंधी प्रत्येक बात बहुत सूक्ष्मता से वर्णित की हुई है।
(3) भारतीय संविधान जन्म प्रभुत्व पर आधारित
इसका अर्थ यह है कि भारतीय संविधान का निर्माण भारतीय जनता ने किया है और संप्रभुता जनता में ही निहित है। संविधान की प्रस्तावना में यह कहा गया है कि, “हम भारत के लोग दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवंबर, 1949 को एतद्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित तथा आत्मार्पित करते हैं।”
(4) धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना
संविधान की प्रस्तावना में 42वें संविधानिक संशोधन के द्वारा धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ा गया है। धर्मनिरपेक्ष का तात्पर्य है कि राज्य द्वारा ना तो किसी धर्म विशेष के लोगों को विशेष अधिकार दिए जाएंगे और न किसी धर्मावलंबियों को संविधान द्वारा प्रदत प्रत्येक व्यक्ति या नागरिक के अधिकारों से वंचित किया जाएगा। अतः अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु संविधान में इस संदर्भ से संबंधित अनेक उपबंध किए गए हैं।
(5) राज्य के नीति निर्देशक तत्व
राज्य के नीति निर्देशक तत्वों की भी भारतीय संविधान में विधिवत व्यवस्था है। यह भारतीय संविधान की एक अद्भुत विशेषता है। यह तत्व अथवा सिद्धांत संघ सरकार तथा राज्यों की सरकारों के लिए पवित्र आदेश उपदेश के रूप में है। डा० एम० पी० शर्मा के अनुसार, “यह सिद्धांत उन लक्ष्यों को निर्देशित करते हैं, जिनकी प्राप्ति के लिए विधायिका तथा कार्यपालिका को अपनी नीतियों का संचालन करना चाहिए।” इन सिद्धांतों का मुख्य उद्देश्य भारत में एक ऐसी कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है, जिसमें नागरिकों का जीवन सुखी तथा समृद्ध हो सके।
(6) मूल कर्तव्यों का पूर्ण वर्णन
संविधान के 42 वें संशोधन द्वारा नागरिकों के लिए 10 कर्तव्यों का पालन करना अनिवार्य कर दिया गया है। यह मूल कर्तव्य संविधान के भाग 4 (5) में जोड़े गए हैं। मूल कर्तव्य की धारणा भारत के संविधान में तत्कालीन सोवियत संघ के संविधान से ली गई है। इनमें नागरिकों से अपील की गई है कि वह संविधान का पालन करें, देश की रक्षा करें, राष्ट्रीय सेवा करें, हिंसा से दूर रहे तथा सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें जैसे इत्यादि।
(7) संसदात्मक शासन प्रणाली
यह वह शासन प्रणाली है, जिसमें कार्यपालिका, व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदाई होती है। सांसदात्मक शासन प्रणाली की मुख्य बातें इस प्रकार हैं— राज्य के प्रधान का नाम मात्र का होना, मंत्रिमंडल का सामूहिक रूप से व्यवस्थापिका के निम्न सदन के प्रति उत्तरदाई होना, वास्तविक कार्यपालिका शक्ति बहुमत प्राप्त दल के नेता (प्रधानमंत्री) द्वारा निर्मित मंत्रिमंडल के हाथ में होना, मंत्रिमंडल की पदा अवधि का अनिश्चित होना, प्रधानमंत्री को व्यवस्थापिका भंग करने की शक्ति प्राप्त होना जैसे इत्यादि। यह सभी बातें भारतीय संविधान में भी परिलक्षित होती हैं, उदाहरण के तौर पर— भारत का राष्ट्रपति नाम मात्र का प्रधान है। इसलिए भारतीय संविधान संसदात्मक है।
(8) बहुदलीय संसदीय व्यवस्था
भारत में द्वि-दलीय पद्धति अथवा एकल- पद्धति को न अपनाकर बहुदलीय पद्धति पर आधारित संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है। बहुदलीय व्यवस्था होने के कारण जहां संसद में अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व की संभावनाएं बढ़ जाती हैं वहीं दूसरी ओर जनता के प्रतिनिधि चुन ने समय अधिक विकल्पों का अवसर मिलता है।
निष्कर्ष
भारतीय संविधान की इन उपयुक्त विशेषताओं से हो स्पष्ट होता है कि भारतीय संविधान एक विशिष्ट गुना वाला संविधान है तथा यह संसदीय लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली की विशेषताओं से युक्त है। अतः इसे संसदात्मक कोटी में रखा जा सकता है, अध्यक्षात्मक में नहीं। इसी संविधान में वे सभी विशेषताएं पाई जाती हैं जो विश्व की अन्य आधुनिक संविधान में विद्वमान है।
महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
भारतीय संविधान कब लागू हुआ?
भारतीय संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ।
भारत का संविधान किसने लिखा है?
भारत का संविधान प्रेम बिहारी नारायण रायजादा जी ने लिखा।
भारत का संविधान कितने पेज का है?
भारत का संविधान 251 पेज का है।
भारत का संविधान कितने देशों से लिया गया है?
भारत का संविधान लगभग 60 देशों से लिया गया है।
भारतीय संविधान की विशेषताएं बताइए?
भारतीय संविधान की विशेषताएं - (1) भारतीय संविधान की प्रस्तावना (2) भारत का लिखित, निर्मित और विशाल संविधान (3) भारतीय संविधान जन्म प्रभुत्व पर आधारित (4) धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना (5) राज्य के नीति निर्देशक तत्व (6) मूल कर्तव्यों का पूर्ण वर्णन (7) संसदात्मक शासन प्रणाली (8) बहुदलीय संसदीय व्यवस्था।
भारत का संविधान कितने दिन में बना था?
भारत का संविधान 2 वर्ष 11 माह 18 दिन, दिन में बना था।
1928 में भारत का संविधान किसने बनाया?
1928 में भारत का संविधान मोतीलाल नेहरू जी ने बनाया।
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