अमेरिकी सीनेट (US Senate)
अमेरिकी सीनेट संयुक्त राज्य अमेरिका की संसद का एक भाग है। यह वह उच्चतम निर्णय निर्धारण करने के लिए संसद का तीसरा (या दूसरा खंड निर्वाचन का) खंड है। सीनेट का प्रमुख उद्देश्य विभिन्न निर्णय को सोचने और मान्य करने का है, जो की देश के व्यापारी और सामाजिक विकास को प्रभावित कर सकते हैं। सीनेट कहां राज्य का एक प्रतिनिधि होता है जिसे सीनेटर कहते हैं। साथ ही केवल व्यक्तिगत योगदान करने के लिए राष्ट्रपति भी सीनेट का हिस्सा हो सकते हैं।
अमेरिकी सीनेट के कार्य शक्तियां एवं कार्य
(1) विधायी शक्तियां
सीनेट अमेरिकी कांग्रेस का द्वितीय सदन है। सामान्यतया लोकतंत्रात्मक देश में द्वितीय सदन को कानून निर्माण में गौण स्थिति प्राप्त होती है, परंतु विधायी क्षेत्र में अमेरिकी सीनेट को प्रतिनिधि सभा के समान शक्तियां प्राप्त हैं। मुनरो के शब्दों में कहे तो, “यह कांग्रेस की एक समान-पादी शाखा है, अधीन नहीं है और निम्न सदन के साथ राष्ट्रीय कानून निर्माण के कार्य में साझेदार है।” इसकी कानून निर्माण की शक्तियां इस प्रकार हैं—
(१) साधारण विधेयकों के संबंध में सीनेट को प्रतिनिधि सभा की समान शक्तियां प्राप्त हैं। साधारण विधेयक दोनों में से किसी भी सदन में प्रस्तावित किया जा सकते हैं तथा सीनेट की स्वीकृति प्राप्त होने पर ही कोई विधेयक कानून का रूप धारण कर सकता है।
(२) वित्त विधेयक को पहले प्रतिनिधि सभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है, परंतु सीनेट को अपनी इच्छा के अनुसार वित्त विधेयक को परिवर्तित या संशोधित करने का पूर्ण अधिकार है।
(३) संवैधानिक संशोधनों के विषय में भी दोनों सदनों की स्थिति पूर्ण रूप से समान है। संवैधानिक संशोधन विधेयक कांग्रेस के किसी भी सदन में प्रस्तावित किए जा सकते हैं, परंतु ऐसे विधायक दोनों सदनों द्वारा पृथक पृथक दो-तिहाई बहुमत से पारित होने आवश्यक है।
विधेयक संबंधी इन अधिकारों की अतिरिक्त कुछ ऐसे गैर संवैधानिक उपाय हैं जिनके द्वारा विधि निर्माण के क्षेत्र में सीनेट का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है। निहित शक्तियों का सिद्धांत, कल्याणकारी उपबंध, संघीय पुलिस शक्ति आदि नियमों के विकास ने सीनेट की शक्ति में अप्रत्यक्षित रूप से वृद्धि की है।
इन उपयुक्त तीनों प्रकार की विधेयकों के संबंध में प्रतिनिधि सदन तथा सीनेट के मध्य मतभेद होने पर विधेयक ’सम्मेलन समिति’ को भेज दिया जाता है, जिसमें दोनों सदनों के तीन-तीन सदस्य होते हैं। यह सम्मेलन समिति गतिरोध को दूर कर दोनों सदनों में समझौता करने का प्रयत्न करती है। सामान्यतः सीनेट के सदस्य अपनी प्रभाव एवं अनुभव के कारण अपनी इच्छा के अनुसार समझौता करने में सफल हो जाते हैं।
(2) कार्यपालिका संबंधी अधिकार (सीनेट)
राष्ट्रपति की कार्यपालिका संबंधी शक्तियों को नियंत्रित करने के लिए सीनेट को निम्नलिखित शक्तियां प्राप्त होती हैं—
(१) राष्ट्रपति द्वारा की गई नियुक्तियों के संबंध में सीनेट के 2/3 बहुमत के आधार पर अनुसमर्थन भी आवश्यक है। नियुक्तियों के संबंध में सीनेट की शिष्टता (Senatorial Courtesy) नामक एक प्रथा का विकास हुआ है। जिसके अनुसार जिस राज्य में संघीय नियुक्तियां की जाती है, उसे राज्य के सेनेटरों से राष्ट्रपति अनौपचारिक रूप से पहले ही विचार-विमर्श कर लेता है।
(२) राष्ट्रपति के द्वारा विदेशों से की गई संधियों के संबंध में भी सीनेट का बहुमत के आधार पर अनुसमर्थन आवश्यक है। सीनेट की इस शक्ति के संबंध में प्रोफेसर लॉस्की की का कथन है कि, “अंतरराष्ट्रीय मामलों में प्रभाव रखने के कारण विश्व की कोई भी विधानसभा, सीनेट का मुकाबला नहीं कर सकती।” इस शक्ति का प्रयोग करते हुए सीनेट ने राष्ट्रपति द्वारा की गई अनेक प्रकार की संधियों को रद्द कर दिया। 1919 में सीनेट ने वर्साय की संधि को अस्वीकृत कर दिया था, जिसके द्वारा राष्ट्र संघ (League of Nations) की स्थापना हुई थी। राष्ट्रीय संघ की स्थापना में अमेरिका के राष्ट्रपति विल्सन की महत्वपूर्ण भूमिका थी। 1934 ई तक सीनियर ने 6820 संधिया को और स्वीकार, 73 को संशोधित तथा 75 को अस्वीकार कर दिया।
(३) युद्ध संबंधी मामलों में भी प्रतिनिधि सदन के साथ-साथ सीनेट की भी अनुमति लेना आवश्यक है। इस प्रकार यह हो कहा जा सकता है कि सीनेट विश्व की अद्वितीय एवं सर्वाधिक शक्तिशाली संस्था बनी हुई है।
(3) न्यायिक शक्तियां
अमेरिका में सीनेट को न्यायिक शक्तियां भी प्राप्त हैं। न्यायिक शक्तियों के अंतर्गत उसे महाभियोग की जांच का अधिकार है। अमेरिका में न्यायालय के रूप में कार्य करते समय सीनेट न्यायाधिकरण के रूप में कार्य करता है। सीनेट के दो-तिहाई बहुमत से महाभियोग पारित हो जाता है, जिसको कोई भी अस्वीकार नहीं कर सकता है। महाभियोग का प्रस्ताव प्रतिनिधि सभा द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। प्रतिनिधि सभा में महाभियोग का प्रस्ताव राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सैन्य अधिकारियों एवं न्यायाधीशों पर लगाया जा सकता है। महाभियोग की सुनवाई की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश सीनेट की अध्यक्षता करता है, उपराष्ट्रपति नहीं। अभी तक सीनियर के द्वारा कुल 12 बार महाभियोग प्रस्तावों की जांच की गई है तथा इनमें से चार बार महाभियोग का प्रस्ताव पारित किया गया। ब्राइस ने महाभियोग को ‘कांग्रेस के के शस्त्रागार का सबसे भारी या सबसे बड़ा शस्त्र’ कहा है।
(4) सीनेट के अन्वेषण संबंधी कार्य
सीनेट ने अन्वेषण संस्था के रूप में भी बहुत महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। इस संबंध में एक विद्वान का मत है, “कि वे शक्ति पृथक्करण के महत्वपूर्ण संशोधन और अमेरिकी पद्धति की अपरिहार्य प्रेरणा-तत्व है।” राष्ट्रपति के प्रशासन के अंतर्गत सीनेट बेईमानी वह कौशल हीनता का निवारण करती है। सीनेट की अन्वेषण शक्तियों के महत्व के संबंध में प्रोफेसर लॉस्की की का कथन है, “अमेरिकी अन्वेषण समिति की व्यवस्था में ब्रिटिश रॉयल कमीशन तथा लोक सदन में प्रश्नकाल दोनों गुण समन्वित है।” इस प्रकार से नेट व्यक्तियों के साथ अन्वेषण संस्था के रूप में महत्वपूर्ण कार्य करती है।
(5) सीनेट की अन्य शक्तियों
सीनेट को प्राप्त अन्य शक्तियों कुछ इस प्रकार हैं जैसे—
(१) राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचकों में सीनेट मतगणना करती है एवं परिणामों की घोषणा करती है।
(२) उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में स्पष्ट बहुमत न आने पर सर्वाधिक मत पाने वाले दो प्रमुख उम्मीदवारों में से एक को सीनेट उपराष्ट्रपति चुनती है।
(३) सीनेट अपनी सदस्यों के निर्वाचन एवं योग्यता संबंधी मामलों का निर्णय करती है।
(४) सीनेट संघ में नए राज्य के प्रवेश को स्वीकृति भी प्रदान करती है।
इन सभी उपर्युक्त विवेचन इस हो स्पष्ट है कि सीनेट की शक्तियां अत्यधिक विस्तृत एवं महत्वपूर्ण है।
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