वियना कांग्रेस के प्रमुख निर्णय
(1) फ्रांस के लिए निर्णय
नेपोलियन काल में फ्रांस ने जितने प्रदेश अपने राज्य में सम्मिलित कर लिए थे, वह सब छीन लिए गए। फ्रांस की सीमाएं पुरानी ही निश्चित की गई। इसे अनेक भागों में विभाजित कर दिया गया, जिससे इटालियन राज्यों में पुनः एकता स्थापित न हो सके। फ्रांस की नई सीमा के चारों ओर शक्तिशाली एवं दृढ़ राज्य स्थापित किए गए, जिससे फ्रांस फिर कभी यूरोप को परेशान ना कर सके। फ्रांस में बुर्बो राजवंश को प्रभाव स्थापित किया गया। नेपोलियन के बाद लुई 18वां फ्रांस का राजा बना। ऑस्ट्रिया और प्रसा फ्रांस के कुछ मूल प्रदेश भी छीन लेना चाहते। पर इंग्लैंड और रूस के कारण वे ऐसा नहीं कर सके।
(2) हॉलैंड के लिए निर्णय
लक्जेमबर्ग और बेल्जियम (जो पूर्व में ऑस्ट्रिया का एक प्रदेश था) को हॉलैंड में सम्मिलित किया गया। जिससे उत्तरी फ्रांस पर अंकुश लगाया जा सके।
(3) स्वीडन और डेनमार्क के लिए निर्णय
फिनलैंड का प्रदेश स्वीडन से छीनकर रस को दे दिया गया। इसी प्रकार पोमेरेनिया का प्रदेश प्रशा को सौंप दिया गया। इनके बदले नार्वे का राज्य स्वीडन को प्रदान किया गया। नार्वे पहले से ही अधीन था, किंतु नेपोलियन की सहायता करने के दंड के फल स्वरुप उससे नार्वे छीन लिया गया था।
(4) जर्मनी के लिए निर्णय
नेपोलियन ने जर्मनी के कई राज्यों को समाप्त कर दिया था और कुछ अधिक महत्वपूर्ण राज्यों को राइन संघ में सम्मिलित कर लिया गया था। अब यह लगभग असंभव था कि पहले के राज्यों को पुनः स्थापित किया जाए। इस कारण वियना सम्मेलन ने प्रशा के अतिरिक्त कुल मिलाकर 38 राज्य बनाए रखें, जिन्हें नवीन जर्मन राज्य संघ में संगठित किया गया। इसे ‘जर्मनी परिसंघ’ नाम दिया गया। इस नवीन संघ की एक केंद्रीय राज्यसभा गठित की गई, जिसका अध्यक्ष ऑस्ट्रिया को मनोनीत किया गया था। इसके अंतर्गत दो साधारण सभावो का भी प्रावधान रखा। सभी राज्यों ने एक दूसरे की सीमाओं के सम्मान का तथा संपूर्ण जर्मनी और पारस्परिक रक्षा का वचन दिया।
(5) प्रशा के लिए निर्णय
अब प्रशा को अनेक नए प्रदेश प्रदान किया। राइन नदी का पश्चिम प्रदेश, जिसे फ्रांस ने जीत लिया था उसे प्रशा को दे दिया गया। सेक्सनी के राज्य ने नेपोलियन की सहायता की थी, आता हो उसे दंड के स्वरूप में उसका 40% प्रदेश प्रशा को दे दिया गया। पोलैंड और पोमेरेनियन का भी कुछ प्रदेश प्रशा को दे दिया गया। प्रशा को यह पुरस्कार इसलिए मिला कि नेपोलियन को परेशान और पराजित करने में उसकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका थी।
(6) इटली के लिए निर्णय
इटली के विविध राज्यों को पुनः स्थापित किया गया। निपल्स की राजगद्दी बुर्बो राजवंश के फर्डिनेंड सप्तम के अधीन की गई। पोप के प्रदेश पुनः पोप के अधीन कर दिए गए। पीडमोण्ट का राज्य पुनः सार्डिनिया के राजा को प्रदान किया गया। इस प्रकार सार्डिनिया को एक मजबूत राज्य का स्वरूप प्रदान किया गया था कि वह दक्षिण पूर्व में फ्रांस की आक्रमण को रोकने में अधिक सामर्थ्यशाली हो सके। तस्कनी और माडेना में फिर से उनके पुराने राजवंशों की स्थापना की गई। परम का राज्य नेपोलियन की पत्नी मेरिया लुईसा को जो ऑस्ट्रिया की राजकुमारी थी को दे दिया।
(7) पोलैंड के लिए निर्णय
पोलैंड को तीन भागों में बांटकर उसे रूस प्रशा और ऑस्ट्रिया ने हड़प लिया। इससे पहले भी इन राज्यों ने पोलैंड को अनेक बार आपस में बांटा था वियना कांग्रेस ने पोलैंड का मुख्य भाग रुस को प्रदान किया। वारसा का जो राज्य नेपोलियन के समक्ष बन गया था, वह भी रस को उपहार स्वरूप दिया गया। पोसेन, थोर्न तथा डोन्टिस्ग के प्रदेश प्राश के हिस्से में आए तथा दक्षिण गैलिसिया ऑस्ट्रिया को प्राप्त हुआ।
(8) रुस के लिए निर्णय
रूस को वारसा का संपूर्ण प्रदेश मिल गया। इसके अतिरिक्त फिनलैंड और बेसारविया पर भी रूस का अधिकार रहने दिया गया। रूस ने फिनलैंड को स्वीडन से और बेसारविया को तुर्की से पिछले युद्ध में जीत लिया था।
(9) आस्ट्रिया के लिए निर्णय
ऑस्ट्रिया से बेल्जियम का प्रदेश वापस लिया गया और बदले में लेम्बार्टी, वेनेसिया तथा इलिरियन के प्रदेश उसे दिए गए। रस से पूर्वी मलेशिया और बवेरिया से टिरोल का प्रदेश लेकर भी ऑस्ट्रिया को दे दिया गया। दूर स्थित और काम आए वाले प्रदेश के बदले में ऑस्ट्रिया को निकट के अधिक आय वाले प्रदेश में जाने से यूरोप में उसकी शक्ति में वृद्धि हो गई।
(10) स्विट्जरलैंड के लिए निर्णय
स्विट्जरलैंड को फ्रांस के तीन प्रदेश प्रदान किए गए। इस प्रकार स्विट्जरलैंड का राज्य विस्तृत हुआ और उसकी शक्ति में वृद्धि हो गई। उसको तटस्थ देश घोषित किया गया। उसकी तटस्थता और स्वतंत्रता की जिम्मेदारी यूरोप के देशों ने ग्रहण कर ली।
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