सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization)
सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। सिंधु नदी की घाटी में खुदाई से प्राप्त अवशेषों के आधार पर यह विधि होता है कि आज से हजारों वर्ष पूर्व हमारे देश में एक ऐसी सभ्यता विकसित हो चुकी थी, जिसके सामने मेसोपोटामिया, मिश्र यूनान तथा रोम आदि की सभ्यताएं नगण्य थीं। डा० मार्शल के अनुसार, “यह सिंधु घाटी सभ्यता मिश्र, मेसोपोटामिया आदि के समान विकसित एवं प्राचीन थी तथा कुछ क्षेत्रों में तो उनसे भी अधिक विशिष्ट थी।”
भारत का नाम, विश्व के प्राचीन सभ्यता केन्द्रों में, की सभ्यता के कारण गिना जाता है, इस हड़प्पा संस्कृति की सभ्यता कहते हैं। इस आदित्य सभ्यता की खोज से पूर्व भारतीय अपने इतिहास का श्री गणेश आर्यों की भारत आगमन से करते थे। 1922 में इस अनुपम सभ्यता का पता लगा जब श्री राखेल दास बनर्जी ने सिंध प्रांत के लरकाना जिले में स्थित मोहनजोदड़ो नामक नगर की खोज की और दयाराम साहनी ने पंजाब के मिन्टगुमरी जिले में हड़प्पा नामक नगर की खोज की।
सिंधु सभ्यता के केन्द्र
सिंधु सभ्यता के केन्द्र ; सन् 1956 ई० में सिंधु घाटी से उसे समय की एक सभ्यता के चिन्ह प्राप्त होने लगे, जब अंग्रेज सरकार ने कराची से लाहौर के बीच रेलवे लाइन बिछाने के लिए वहां पर उत्खनन कार्य शुरू करवाया था, परंतु उसे समय मजदूरों ने खंडहरों की खुदाई से मिलने वाली विचित्र वस्तुओं को देखकर भाई वह आतंक के कारण काम करना बंद कर दिया। लेकिन कुछ समय के बाद ही पुरातत्व विभाग ने अनेक स्थानों पर खुदाई कराकर सिंधु सभ्यता के असंख्य अवशेषों को प्राप्त। जिन स्थानों पर यह अवशेष प्राप्त हुए उन स्थानों का संक्षिप्त विवरण नीचे दे रहे हैं—
(1) हड़प्पा (Harappa)
यह स्थान माण्टगोमरी जिले (वर्तमान में पाकिस्तान) में लाहौर तथा मुल्तान के बीच स्थित है। इसकी खुदाई 1921 में दयाराम साहनी तथा माधव स्वरूप वत्स ने कराई थी। इस स्थान से सिंधु सभ्यता से संबंधित नरक संबंध प्रस्तर मूर्ति, प्रसाधन, मंजूषा तथा कब्रिस्तान आदि वस्तु प्राप्त हुई थी।
(2) मोहनजोदड़ो Mohenjodaro
यह स्थान वर्तमान पाकिस्तान के लरकाना जिले में कराची से लगभग 500 किलोमीटर उत्तर की ओर स्थित है। मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ है— “मुर्दों का टीला”। पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष सर जॉन मार्शल की अध्यक्षता में राखल दास बनर्जी ने 1922 में इस स्थान पर खुदाई करवाई, जिसमें इस नगर की सात तहें प्राप्त हुई। इससे यह अनुमान लगाया गया है कि इस नगर की सबसे ऊपरी सतह लगभग 2750 ई० पू० में और सबसे निचली सतह 3250 ई० पू० में बनी होगी। यहां से कांस्य नर्तकी की मूर्ति, पुजारी का सिर, पशुपति, विशाल स्नान गृह आदि वस्तुएं प्राप्त हुई।
(3) अन्य स्थान (लोथर, चन्हूदड़ों, कोटदीजी)
अन्य स्थानों में हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की अतिरिक्त 1931 ई० में चन्हूदड़ों (सिन्धु, पाकिस्तान) में एन० जी० मजूमदार ने खुदाई कराई और यहां से मनके बनाने का एक विशाल कारखाना मिला। सन् 1935 ई० में अमलानंद घोष के नेतृत्व में कालीबंगा (हनुमानगढ़ राजस्थान) से हवन कुंड तथा जूते हुए खेतों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। सन् 1955 ई० में फजल अहमद खां ने कोटदीजी (सिन्धु, पाकिस्तान) में खुदाई करवा कर संस्कृति की 16 तहो के अवशेष खोज निकाले। एम० आर० राव ने लोथल (अहमदाबाद, गुजरात) में उत्खनन से एक गोदीबाड़ा तथा चावल के अवशेष खोज निकाले। सन 1962 ईस्वी में जॉर्ज डीटेल्स ने सुतकांगेडारे (बलूचिस्तान, दशक नदी) से बंदरगाहों के अवशेष प्राप्त किया। सन् 1964 ई० में जगपति जोशी को सुरकोटडा (बलूचिस्तान, दशक नदी) से एक घोड़े के अवशेष मिले। सन 1973 ईस्वी में रविंद्र नाथ बिष्ट ने बनवाली (हिसार, हरियाणा) सेजो और चावल के अवशेष प्राप्त किए। इसकी अतिरिक्त रोपण रंगपुर, आलमगीरपुर, कौशांबी आदि स्थान से भी सिंधु सभ्यता के अवशेष मिले हैं। आज भी इस सभ्यता का उत्खनन कार्य जारी है। खंभात की खाड़ी से मिले अवशेषों का संबंध भी सिंधु घाटी की सभ्यता से जोड़ा जा रहा है।
सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार सिंधु सभ्यता का काल
सिंधु सभ्यता की कल और विस्तार की विषय में विद्वानों में पर्याप्त मतभेद है। कुछ विद्वानों का मत है कि सिंधु सभ्यता भारत की ही नहीं, बल्कि विश्व की प्राचीनतम सभ्यता है। डॉ० मार्शल के अनुसार, सिंधु सभ्यता 3250 ईसा पूर्व से 2750 संपूर्ण से भी प्राचीन सभ्यता है। अर्नेस्ट मैके इसे 2800 ईसा पूर्व से 2500 पूर्व तक मानते हैं, माधव स्वरूप वत्स 3500 पूर्व से 2700 ईसा पूर्व तक मानते हैं, फेयर सर्विस 2000 ईसा पूर्व से 1500 ईसा पूर्व तक मानता है, राजबली पांडे 4000 ईसा पूर्व तथा अल्ब्राइड 2300 पूर्व से 1740 ईसा पूर्व तक, धर्मपाल अग्रवाल इस सभ्यता को 2300 ईसा पूर्व से 1740 ईसा पूर्व तक मानते हैं तथा आल्विन इस सभ्यता को 2150 ईसा पूर्व से 1785 ईसा पूर्व पुराने सभ्यता बताते हैं। इन सभी मतों का विश्लेषण करके ही्लर ने सिंधु सभ्यता का काल 2500 पूर्व से 1500 ईसा पूर्व तक निर्धारित किया। डा० संकालिया मैं भी हीलर के मत की पुष्टि की है। सिंधु सभ्यता के कल पर विवाद न करते हुए डॉ० आर० के० मुखर्जी ने लिखा है कि “सिंधु घाटी की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यता है।”
सिंधु सभ्यता के विस्तार के विषय में डॉ० काशीराम दीक्षित ने लिखा है कि “यह सभ्यता केवल एक-दो नगरों तक ही सीमित नहीं थी बल्कि यह राजपूताना, काठियावाड़, पंजाब तथा उत्तर पश्चिमी सीमांत तक विस्तृत था।” गार्डन चाइल्ड के अनुसार, “सिंधु सभ्यता का विस्तार प्राचीन मेसोपोटामिया, मिश्र एवं फारस की सभ्यताओं के क्षेत्र से बहुत अधिक विस्तृत था।” उत्तर में माणा (जम्मू कश्मीर) सेलेखा दक्षिण में दाइमाबाद (उत्तरी महाराष्ट्र) तथा पश्चिम में बलूचिस्तान से लेकर पूर्व में मेरठ (उत्तर प्रदेश) के आलमगीरपुर तक इस सभ्यता का विस्तार था। विश्व की कोई भी प्राचीन सभ्यता इतनी विस्तृत क्षेत्र में फैली हुई नहीं थी।
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सिंधु घाटी सभ्यता की खोज किसने की?
सिंधु घाटी सभ्यता की खोज 1921- 22 में ब्रिटिश वैज्ञानिक और उपन्यासकार सर जॉन मार्शल द्वारा की। भारत में इसका श्रेय दयाराम साहनी को जाता है।
सिंधु घाटी सभ्यता की खोज कब हुई?
सिंधु घाटी सभ्यता की खोज 1921 ई० में हुई।
सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि क्या थी?
सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि सिन्धु लिपि (सिंधु-सरस्वती लिपि) थी।
सिंधु घाटी सभ्यता क्या है?
सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। सिंधु नदी की घाटी में खुदाई से प्राप्त अवशेषों के आधार पर यह विधि होता है कि आज से हजारों वर्ष पूर्व हमारे देश में एक ऐसी सभ्यता विकसित हो चुकी थी, जिसके सामने मेसोपोटामिया, मिश्र यूनान तथा रोम आदि की सभ्यताएं नगण्य थीं।
सिंधु घाटी सभ्यता के केंद्र कहां है?
सिंधु घाटी सभ्यता के केंद्र या स्थल - (1) हड़प्पा (2) मोहनजोदड़ो (3) कालीबंगा (4) चन्हूदड़ों (5) लोथल
सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार?
सिंधु सभ्यता की कल और विस्तार की विषय में विद्वानों में पर्याप्त मतभेद है। कुछ विद्वानों का मत है कि सिंधु सभ्यता भारत की ही नहीं, बल्कि विश्व की प्राचीनतम सभ्यता है। अनुमानित 2500 पूर्व से 1500 ईसा पूर्व तक।
सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष कहां मिलते हैं?
सन् 1956 ई० में सिंधु घाटी से उसे समय की एक सभ्यता के चिन्ह प्राप्त होने लगे, सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष सिंन्ध में मोहनजोदड़ो तथा पंजाब में हड़प्पा मिलते हैं।
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