मौर्य साम्राज्य के इतिहास जानने के 10 मुख्य स्रोत

मौर्य वंश के इतिहास के स्रोत

मौर्य वंश भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण राजवंश था, जिसने भारत के इतिहास में महान योगदान दिया। यह वंश मुख्य रूप से चंद्रगुप्त मौर्य और उनके पुत्र और पोते अशोक और सम्राट दशरथ के आसपास विकसित हुआ। चंद्रगुप्त मौर्य ने चंद्र शासको को उत्कृष्ट करके विजई बनाया। अशोक महान ने विशाल साम्राज्य बनाया और बौद्ध धर्म को और अधिक फैलाया। शुंग वंश ने मौर्य को प्रथम ब्राह्मण शासक के रूप में हराया।

मौर्य कालीन इतिहास जानने के स्रोत

(1) मेगस्थनीज की इण्डिका 

मौर्यकालीन इतिहास जानने का प्रमुख स्रोत मेगास्थनीज द्वारा लिखित ‘इंडिका’ है। यद्यपि ‘इंडिका’ अपने मूल रूप में उपलब्ध नहीं है परंतु उसके अनेक उद्धरण अन्य यूनानी लेखकों के ग्रंथों से प्राप्त होते हैं। इस पुस्तक में मजिस्ट्रेट ने भारत की जलवायु, तत्कालीन राजनीति स्थिति, चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार का वर्णन, पाटलिपुत्र का विवरण, शासन प्रणाली तथा तत्कालीन सामाजिक और आर्थिक स्थिति का वर्णन किया है।

(2) कौटिल्य का अर्थशास्त्र 

कौटिल्य का अर्थशास्त्र मौर्य काल में इतिहास को जानने का एक अन्य महत्वपूर्ण स्रोत है। कौटिल्य चंद्रगुप्त मौर्य का प्रधानमंत्री था। उसने राजनीति शास्त्र से संबंधित अर्थशास्त्र नामक ग्रंथ की रचना की। इस ग्रंथ से राजा के कर्तव्यों, युद्ध करने के ढंग, मंत्री परिषद्, गुप्तचर विभाग का संगठन, अर्थव्यवस्था, दंड विधान, सेना के संगठन, केंद्रीय विभागों का संगठन आदि के बारे में जानकारी मिलती है। 

(3) विशाखा दत्त का ‘मुद्राराक्षस’ 

विशाखा दत्त कृत ‘मुद्राराक्षस’ नामक नाटक से पता चलता है कि कौटिल्य तथा चंद्रगुप्त मौर्य ने पौरवों के शासक प्रवर्तक की सहायता से नंद वंश का नाश किया था। तथा इस ग्रंथ से तत्कालीन, सामाजिक राजनीतिक, धार्मिक दिशा का पता चलता है। मुद्राराक्षस पुस्तक में चंद्रगुप्त एवं कौटिल्य के द्वारा नंद वंश के विनाश का पूर्ण वर्णन प्राप्त होता है। इसके साथ-साथ चंद्रगुप्त के चरित्र, तत्कालीन सभ्यता एवं संस्कृति का भी पूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है।

(4) बौद्ध तथा जैन साहित्य 

बौद्ध एवं जैन साहित्य में भी मौर्य कालीन इतिहास पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है। दीप वंश तथा महा वंश नामक ग्रंथों से अशोक के बौद्ध धर्मावलंबी होने की जानकारी होती है। ‘महाबोधि वंश’ तथा ‘माह्यावंशी टीका’ से चंद्रगुप्त के वंश, उसके प्रारंभिक जीवन पर प्रकाश पड़ता है। ‘दिव्यावदान’ से अशोक के बारे में पर्याप्त जानकारी मिलती है। 

(5) पुराण 

 पुराणों से भी मौर्य वंशी के विषय में पर्याप्त जानकारी मिलती है। पुराणों में राजाओं की वंशावली दी है जिससे मौर्य का कालक्रम निर्धारित करने में सहायता मिलती है। विष्णु पुराण भागवत पुराण आदि से पता चलता है कि कौटिल्य ने नंद वंश का नाश करके चंद्रगुप्त मौर्य को गद्दी पर बिठाया था।

(6) मौर्यकालीन शिलालेख 

अशोक के शिलालेखों से उसकी नीतियों, उसके साम्राज्य विस्तार, उसके शासन प्रबंध, धर्म के नियमों तथा लोकहित के कार्यों के बारे में संपूर्ण महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। इसका अतिरिक्त यह तत्कालीन कल की उत्कृष्टता पर भी प्रकाश डालते हैं।

(6) मेगस्थनीज का वृत्तान्त 

मेगस्थनीज ने चंद्रगुप्त के शासनकाल में भारत की यात्रा की तथा वह भारत में 4 वर्ष तक रहा। उसने अपनी पुस्तक 'इंडिका' में तत्कालीन भारतीय जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किए। इस पुस्तक में चंद्रगुप्त मौर्य का राज्य- प्रबंध, सैनिक प्रशासन, स्थानीय शासन आदि का सुंदर वर्णन किया गया है। वास्तव में मौर्य वंश के इतिहास जानने में यह पुस्तक अपना विशिष्ट स्थान रखती है।

(7) अशोक के अभिलेख 

अशोक के अभिलेख भी मौर्य कालीन इतिहास जानने के लिए महत्वपूर्ण साधन है। इन अभिलेखों की सहायता से मौर्य सम्राटों के साम्राज्य विस्तार, धार्मिक नीति, शासन प्रणाली एवं चरित्र का स्पष्ट ज्ञान हमें प्राप्त होता है।

(8) चाणक्य का ‘अर्थशास्त्र’

चाणक्य का अर्थशास्त्र भी मौर्य कालीन इतिहास जानने का महत्वपूर्ण साधन है। चाणक्य को हम केवल चंद्रगुप्त का मंत्री ही नहीं बल्कि मौर्यकालीन साम्राज्य का निर्माता भी मान सकते हैं। उसने अपने अर्थशास्त्र में राजा के कर्तव्यों, उसकी विदेश नीति तथा गुप्तचरों के संगठन का विस्तृत वर्णन किया है। इस पुस्तक में तत्कालीन सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक दशा का ज्ञान भी प्राप्त होता है इस पुस्तक का इस दृष्टिकोण से विशेष महत्व है क्योंकि इस पुस्तक का लेखक कौटिल्य चाणक्य स्वयं साम्राज्य की दिन प्रतिदिन की घटनाओं का प्रत्यक्षदर्शी था।

(9) धार्मिक ग्रंथ

बौद्ध एवं जैन ग्रंथों के माध्यम से भी मौर्यकालीन शासन व्यवस्था को संस्कृत का पता चलता है।

(10) अन्य स्रोत 

'महावंश', ‘दीपवंश', दिव्यावदान', आदि बौद्ध ग्रन्थों, तिब्बती एवं नेपाली ग्रन्थों की सहायता से भी मौर्य वंश के इतिहास का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।


impo-Short questions and answers 

मौर्य वंश का गोत्र क्या है?

मौर्य वंश का गोत्र ‘गौतम’ है।

मौर्य वंश के बाद कौन सा वंश आया?

मौर्य वंश के बाद पुष्यमित्र शुंग वंश आया।

मौर्य वंश का अंत किसने किया?

मौर्य वंश का अंत पुष्यमित्र शुंग ने किया।

मौर्य साम्राज्य के इतिहास जानने के स्रोत?

मौर्य साम्राज्य के इतिहास जानने के स्रोत - (1) मेगस्थनीज की इण्डिका (2) कौटिल्य का अर्थशास्त्र (3) विशाखा दत्त का ‘मुद्राराक्षस’ (4) बौद्ध तथा जैन साहित्य (5) पुराण (6) मौर्यकालीन शिलालेख (7) अशोक के अभिलेख (8) चाणक्य का ‘अर्थशास्त्र’

मौर्य वंश का प्रथम शासक कौन था?

मौर्य वंश का प्रथम शासक चंद्रगुप्त मौर्य था।

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