सोवियत संघ के विघटन के 10 मुख्य कारण - dissolution of the soviet union

सोवियत संघ का विघटन

इस लेख में बात करेंगे सोवियत संघ के विघटन के बारे में जिन लोगों को यह पता नहीं है कि सोवियत संघ का विघटन कैसे हुआ, वह लोग जानेंगे कि सोवियत संघ का विघटन कैसे हुआ। इसमें कुछ नए शब्द आएंगे जिन लोगों ने सोवियत संघ के बारे में पढ़ा है पहले से वे लोग अच्छे से समझ पाएंगे। “राष्ट्रपति गोर्बाचोव की पुनर्संरचना तथा खुलेपन की नीति के कारण 26 दिसंबर, 1991 को सोवियत संघ का औपचारिक रूप से विघटन कर दिया गया तथा उसके गणराज्य स्वतंत्र हो गए।”

सोवियत संघ के विघटन के 10 मुख्य कारण - dissolution of the soviet union

सोवियत संघ के विघटन के कारण

(1) मिखाइल गोर्बाचोव की खुलेपन की अवधारणा 

मिखाइल गोर्बाचोव की ‘ग्लासनोस्त' तथा ‘पेरेस्त्रोइका’ (खुलापन तथा पुनर्निर्माण) की विचारधारा ने सोवियत संघ के विघटन की नींव रख दी। उनकी इस नीति के परिणाम स्वरूप सोवियत संघ की केंद्रीय सत्ता में विरोध स्वर मुखरित होने प्रारंभ हो गए। अतः सोवियत संघ ने केंद्र के विरुद्ध संघर्ष करने वाले राज्यों ने अपने प्रयास तीव्र कर दिए। अब बाल्टिन गणराज्य ने प्रचार करना प्रारंभ किया कि हम सोवियत संघ से पृथक अपना अस्तित्व चाहते हैं। अन्य गणराज्य ने भी उनका अनुसरण किया। मिखाइल गोर्बाचोव की लोकतांत्रिक नीतियों ने गणराज्यों को सोवियत संघ से पृथक होने के निर्णय को मान्यता प्रदान कर दी। इसका परिणाम यह हुआ कि एक-एक करके सो गए संघ के गणराज्य स्वतंत्र होते चले गए। इस प्रकार सोवियत संघ का विघटन हो गया।

(2) सोवियत संघ की एकता का खोखलापन

मिखाइल गोर्बाचोव मैं सो गए संघ में इस प्रकार की खुली नीतियों का समर्थन किया की साम्यवादी दल की शक्ति निरंतर पतन की ओर बढ़ती गई तथा उसकी संगठन शक्ति में बिखराव आना प्रारंभ हो गया। इसके परिणाम स्वरुप साम्यवाद विरोधी शक्तियों ने सिर उठाना प्रारंभ कर दिया। गोर्बाचोव नहीं सोवियत संघ की एकता के लिए ठोस प्रयास नहीं किया बल्कि ऐसी ढुलमुल नीतियों को अपनाना प्रारंभ किया जिन्होंने वर्षों पुरानी सोवियत संघ की एकता तथा दृढ़ता पर प्रहार किया। अमेरिका तथा पाश्चात्य देशों की शक्तियों ने भी छोटे संघ की शक्ति को खोखला करने में अपनी संपूर्ण शक्ति अथवा पर लगा दिया। पूर्वी यूरोप में साम्यवाद के किले अपने अस्तित्व की सुरक्षा करने में असमर्थ सिद्ध हो रहे थे। गोर्बाचोव ने पुर्वी यूरोप के देशों की सहायता करने में कोई रुचि प्रदर्शित नहीं की। पूर्वी यूरोप के साम्यवादी राष्ट्रों की नीतियों के कारण यूरोप की साम्यवाद में विरोधी नीतियां शक्तिशाली होती गई। पूर्वी यूरोप में साम्यवाद के पतन ने सोवियत संघ की महाशक्ति की भूमिका पर विपरीत प्रभाव डाला।

(3) परमाणु अस्त्रो के विकास में धन की बर्बादी 

सोवियत संघ ने अपनी परंपरागत हथियारों तथा परमाणु वेस्टन के निर्माण हेतु अपार धनराशि बर्बाद की। इससे सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। सोवियत संघ की जनता को आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ा। जनता में भारी असंतोष भी आप तो होने लगा। गोर्बाचोव शिवपुरी शासक जनता में व्याप्त असंतोष को दबाने में असफल रहे क्योंकि उन्होंने निरंकुश्ता का सहारा लिया था। परंतु जैसे ही गोर्बाचोव नए लोकतांत्रिक व्यवस्था के दरवाजे खोल शासन के विरुद्ध विरोधी स्वर उभरने लगे। गोर्बाचोव असंतोष के विरोधी स्वरों को दबाने में समर्थ रहे। 

(4) गोर्बाचोव द्वारा सैन्य शक्ति में कमी  

मिखाइल गोर्बाचोव सोवियत संघ की ‘ग्लासनोस्त’ नीति के द्वारा अपनी छवि सुधारना चाहते थे। इसलिए वह सैनिक शक्ति को कम करने में अपना हित समझने लगे। उन्होंने अमेरिका के साथ परमाणु स्थानों को कम करने के लिए अनेक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इससे गोर्बाचोव को अंतरराष्ट्रीय राजनीति में ‘शांति का मसीहा’ समझना जाने लगा। उन्हें शांति के लिए नोबेल पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था। परंतु सोवियत संघ की महाशक्ति के रूप में प्रतिष्ठा समाप्त हो गई।

(5) खाद्यान्नों का संकट 

सोवियत संघ में कुछ वर्षों से अन्य का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में घट गया था। अतः खाद्यानों की कमी उत्पन्न हो गई थी। विद्रोह को दबाने में अपार राशि व्यय हो गई थी। अतः देसी विदेशी दोनों प्रकार की मुद्राएं राजपूत से समाप्त होने लगी। इस समय सोवियत संघ को अमेरिका तथा पश्चिमी देशों से सहायता मिल रही थी, जिसके कारण वह जीवित था। इस प्रकार आर्थिक संकट की परिस्थितियों ने भी सोवियत संघ के विघटन में योगदान दिया।

(6) बाल्टिक गणराज्यों का विलय

सोवियत संघ ने बाल्टिक गणराज्यों का रुस के अंतर्गत विलय उनकी इच्छा की विरुद्ध किया था। अत: वहां की जनता गुप्त रूप से विद्रोह की तैयारी कर रही थी। अतः खुली नीति की राजनीति में बाल्टिक गणराज्य ने भी सोवियत संघ के विघटन में सहयोग दिया। जैसे-जैसे उनका विद्रोह अधिक बलशाली होता गया तभी तभी अन्य गणराज्य भी सोवियत संघ से पृथक होने की तैयारी करने लगे। 

(7) गणराज्यों का पारस्परिक वैमनस्य 

सोवियत संघ में जितने गणराज्य सम्मिलित थे, सब परस्पर ईष्र्या द्वेष तथा संघर्ष में लिप्त रहते थे। उनका नेतृत्व सत्ता प्राप्त करने के लिए प्रत्येक प्रकार की नैतिक अनैतिक कार्य करने के लिए तत्पर रहता था। ऐसी स्थिति में उन्होंने सोवियत संघ के विघटन का समय असंतुष्टों का पूर्ण समर्थन किया।

(8) पृथकवादी शक्तियों का संकट 

संयुक्त राज्य अमेरिका तथा पाश्चात्य देश लंबे समय से यह प्रयत्न कर रहे थे कि सोवियत संघ में साम्यवादी शासन का अंत हो। इसी समय उनको गोर्बाचोव की उधर तथा निर्बल नीति ने इस दिशा में तीव्र गति से कदम बढ़ाने का अवसर प्रदान कर दिया। इन राष्ट्रों में सोवियत संघ की प्रथकता वादी शक्तियों को स्वतंत्र रूप से सब प्रकार की आर्थिक सहायता देना प्रारंभ कर दिया। और इसका परिणाम यह हुआ कि सोवियत संघ विघटन की ओर बढ़ते गया।

(9) नेतृत्व-सून्यता की स्थिति का उत्पन्न होना

सोवियत संघ की शक्तिशाली नेता लियोनित इलिच ब्रेझनेव थे। उनकी मृत्यु के पश्चात सोवियत संघ नेतृत्व विहीन हो गया। उनके पक्ष ऐसा कोई प्रभावशाली तथा उच्च व्यक्तित्व का धनी नेता सट्टा रोड नहीं हुआ जो सोवियत संघ को गति, शक्ति तथा राष्ट्र नीति प्रदान कर सके। बाद में जब सोवियत संघ को दुर्बल नेतृत्व, गोर्बाचोव के रूप में मिला तो उसे सोवियत संघ की बिखराव वाली शक्तियां मजबूत होती चली गई। इसका परिणाम सोवियत संघ के विघटन के रूप में हमें देखने को मिला।

(10) अफगानिस्तान में सोवियत हस्तक्षेप 

कुछ विद्वान सोवियत संघ के विघटन के लिए सोवियत संघ की विदेश नीति को भी उत्तरदाई मानते हैं। सोवियत संघ ने अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में सैनिक हस्तक्षेप किया। वर्ष में तो सोवियत संघ की सेनाएं अफगानिस्तान में रही। सोवियत संघ ने इस संकट में उलझ कर अपनी पूर्ण क्षमता का विनाश कर दिया तथा अनेक प्रकार के संकटों में फसता चला गया। अर्थव्यवस्था की बिखराव होने का यह मूल कारण अनेक प्रकार के तत्वों से संयुक्त होकर साम्यवादी इतिहास को ही एक झटके में तोड़कर रुस को लंबे संकट में फंसा गया।


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सोवियत संघ का विघटन कब हुआ?

सोवियत संघ का विघटन 26 दिसंबर, 1991 को हुआ।

सोवियत संघ का विघटन कैसे हुआ?

राष्ट्रपति गोर्बाचोव की पुनर्संरचना तथा खुलेपन की नीति के कारण 26 दिसंबर, 1991 को सोवियत संघ का औपचारिक रूप से विघटन कर दिया गया तथा उसके गणराज्य स्वतंत्र हो गए।

सोवियत संघ का विघटन के क्या कारण है?

सोवियत संघ विघटन के कारण - (1) मिखाइल गोर्बाचोव की खुलेपन की अवधारणा (2) सोवियत संघ की एकता का खोखलापन (3) परमाणु अस्त्रो के विकास में धन की बर्बादी (4) गोर्बाचोव द्वारा सैन्य शक्ति में कमी (5) खाद्यान्नों का संकट (6) बाल्टिक गणराज्यों का विलय (7) गणराज्यों का पारस्परिक वैमनस्य (8) पृथकवादी शक्तियों का संकट।

सोवियत संघ का विघटन कब और कितने गणराज्य में हुआ ?

सोवियत संघ का विघटन 26 दिसंबर, 1991 और लगभग 15 गणराज्य में हुआ।

सोवियत संघ का विघटन के दौरान वहां का राष्ट्रपति कौन थे?

सोवियत संघ का विघटन के दौरान वहां के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोव थे।

सोवियत संघ के विघटन के दो कारण?

(1) अफगानिस्तान में सोवियत हस्तक्षेप मिखाइल गोर्बाचोव की खुलेपन की अवधारणा।

सोवियत संघ के विघटन के बाद कितने देश बने?

सोवियत संघ के विघटन के बाद 15 देश बने।

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