राजनीति विज्ञान की परिभाषा, प्रकृति | क्या राजनीति विज्ञान विज्ञान एक है?

 राजनीति विज्ञान की परिभाषा, प्रकृति

राजनीति विज्ञान के संदर्भ में विभिन्न राजनीतिक शास्त्रियों की परिभाषाएं इस प्रकार हैं 

1. सील के अनुसार— “राजनीति विज्ञान इस प्रकार सरकार के तत्वों का भी अनुसंधान करता है, जैसे संपत्ति शास्त्र संपत्ति का, जीवन शास्त्र जीवन का, बीजगणित अंकों का तथा ज्यामिति शास्त्र स्थान एवं लंबाई चौड़ाई का करता है।” 

2. डा० गार्नर के अनुसार - “राजनीति विज्ञान के अध्ययन का प्रारंभ और अंत राज्य के साथ होता है।” 

3. लास्की के अनुसार - राजनीति विज्ञान का संबंध संगठित राज्यों से संबंधित मनुष्य के जीवन से है। 

संपूर्ण परिभाषाओं के उपरांत हम इस समीक्षा पर पहुंचते हैं कि राज्य और राजनीति एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। जिसको अनेक विद्वानों ने अपने-अपने विचारों में स्पष्ट किया है। 

राजनीति विज्ञान की परिभाषा, प्रकृति | क्या राजनीति विज्ञान विज्ञान एक है?
राजनीति विज्ञान की परिभाषा, प्रकृति

क्या राजनीति विज्ञान विज्ञान एक है?

राजनीति विज्ञान के विचारकों ने राजनीतिक विज्ञान को विज्ञान में परिभाषित करने का पूरा पूरा प्रयास किया है। जिसके अंतर्गत कुछ विद्वानों ने विज्ञान को वास्तविकता के मूल रूप से स्पष्ट किया है। जैसे — अरस्तु, बोदाँ, हांब्स,माण्टेस्क्यू, कार्नबल, लेविस, सिजविक, ब्राइस, ब्लंटशाली, बर्गेस, विलैबी जेलीनेक, गार्नर आदि सभी विद्वान राजनीति विज्ञान को विज्ञान मानते हैं।

अर्थ — “जटिल समस्याओं की वह प्रक्रिया जिसका हल मंत्र वैज्ञानिक परीक्षण करने से प्राप्त होता है” वही विज्ञान कहलाता है। 

चैम्बर्स डिक्शनरी के अनुसार— “विज्ञान वह ज्ञान है जो पर्यवेक्षक और प्रयोग पर आधारित हो और भली-भांति परीक्षित तथा कम बंद हो और सामान्य सिद्धांतों में समाहित हो।” 

बैटले के शब्दों में, “राजनीति विज्ञान मर गया है अब तो इसमें मात्र संख्याओं का औपचारिक अध्ययन होता है।” 

पक्ष में तर्क (राजनीति विज्ञान, विज्ञान है) 

(1) सुव्यवस्थित और क्रमबद्ध अध्ययन 

राजनीति विज्ञान में ज्ञान की क्रमबद्धता हर रूप में पाई जाती है। जो सरकार, राज्य, समुदाय संस्थाओं के आधार पर ज्ञान क्रमबद्धता प्रकट करते हैं। 


गार्नर के अनुसार - “विज्ञान एक क्रमबद्ध अध्ययन है” इस प्रकार इसको राजनीति विज्ञान की श्रेणी में रखा जाता है।


(2) वैज्ञानिक पद्धति

राजनीति विज्ञान में शासन पद्धति का अध्ययन करते हुए परिणाम निकल जा सकते हैं। इसलिए इस पद्धति को वैज्ञानिक पद्धति के आधार पर प्रयोग किया गया है। इस संदर्भ में गार्नर ने बताया है कि-  “प्रत्येक ने कानून का प्रारंभ अपने आप में एक प्रयोग होता है।” जैसे भारत में लोक-अदालतो का निर्माण, नई संस्थाओं की स्थापना या नई नीति आदि इसकी पुष्टि करते हैं।


(3) स्थायित्व व एकरूपता

राजनीति विज्ञान में स्थायित्व व एकरूपता का पाया जाना एक सीमा तक होता है। क्योंकि मानव आचरण में एकरूपता देखने को मिलती है। फिर भी हम यह कह सकते हैं कि मानव व्यवहार में एकरूपता और स्थिरता का पाया जाना स्वाभाविक है। जैसे प्राकृतिक विज्ञान की बातों एवं और स्थिरता का पाया जाना, फिर भी इसको विज्ञान मानते हैं।


(4) सार्वजनिक एवं शाश्वत नियम व सिद्धांत

राजनीति विज्ञान में भौतिक व प्राकृतिक विज्ञानों की भांति अपने सिद्धांतों में शाश्वत पाई जाती है क्योंकि इसमें सामान्य नियमों के अतिरिक्त सार्वजनिक नियम भी पाए जाते हैं।

(5) कार्यकारण संबंध स्थापित किया जा सकता है

राजनीति विज्ञान में भी पदार्थ विज्ञान की भांति कार्यकरण में संबंध स्थापित किया जा सकते हैं। जैसे शासन का क्रूर शासन और क्रांतियों को जन्म देना, जिसके ज्वलंत उदाहरण बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान आदि हैं।


(6) पर्यवेक्षण पद्धति

राजनीति विज्ञान में पर्यवेक्षण पद्धति संभव है क्योंकि इस विषय के अंतर्गत इनका रूप पदार्थ विज्ञानों से भिन्न होता है। अतः पर्यवेक्षण पद्धति के आधार पर लोकतंत्रवाद तथा शासन पद्धति का अध्ययन करते हुए सामान्य परिणाम निकाले जा सकते हैं। आजादी के पूर्व राष्ट्रीय आंदोलन, 1956 में राजस्थान की लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की योजना आदि राजनीति प्रयोग के ही उदाहरण है।


(7) भविष्यवाणी की कसौटी

राजनीति विज्ञानों में प्राकृतिक विज्ञानों की भांति भविष्यवाणी नहीं की जाती है। ये भविष्यवाणी की कसौटी पर कुछ मायने में नकारात्मक ही होते हैं।


राजनीति विज्ञान की प्रकृति क्या है?

राजनीति विज्ञान की प्रकृति ; यद्यपि बहुत समय पहले से यह उतार के चला आ रहा है कि राजनीति विज्ञान की प्रकृति क्या है? विज्ञान या कल कुछ विचारकों ने इसको कलम आना है और कुछ ने विज्ञान माना है। परंतु दोनों ही पक्ष सही रूप नहीं दे पाए। परंतु हम इन विचारों की महत्ता को नहीं भूल सकते हैं। राजनीति विज्ञान के महान दार्शनिक अरस्तू ने राजनीति विज्ञान को 'सर्वश्रेष्ठ विज्ञान' माना है। साथ ही बर्नार्ड शॉ ने इसको मानवीय सभ्यता को सुरक्षित रख सकने वाला विज्ञान कहा है। इन विचारों के अतिरिक्त बोदाँ, हॉब्स, माण्टेस्क्यू, ब्राइस, ब्लंटशली , जैलीनेक , फाइनर , लास्की आदि ने राजनीति विज्ञान को विज्ञान माना है अर्थात खाने का तात्पर्य यह है कि यह एक ऐसा विज्ञान है जहां कोई शोधकर्ता प्रयोगशाला में अपने पदार्थ द्वारा विभिन्न प्रकार की रासायनिक गैसों का विश्लेषण करता है। इसका इससे कोई संबंध नहीं है फिर भी इसकी क्रियात्मक शैली को विज्ञान के उत्तम श्रेणी में रखा गया है वहीं दूसरे बिंदु पर राजनीति विज्ञान एक कला है। जो कुछ विचारकों के मतभेदों में विचारणीय रहा है। उन विद्वानों ने राजनीति विज्ञान को कला की श्रेणी में रखा है। जैसे अनेक विचारों का मत “ज्ञान भंडार में हुई महान वृद्धि ही कला है।” कला वह ज्ञान है जो कार्य को उत्तम ढंग से कलात्मक तरीके से करना सीखता है। जिसका मुख्य लक्ष्य राज्य की अव्यवस्थित स्थिति को नए तरीके से सुंदर बनाकर व्यवस्थित करना है। जिसमें प्रमुख विद्वान बक्ल, काम्टे, मेटलैण्ड, एमाम मोस्का, ब्रोगन आदि ने कला के मापदंडो के द्वारा राजनीति विज्ञान को कला माना है। अतः हम यह कह सकते हैं की राजनीति विज्ञान की प्रकृति विज्ञान व कला का मिश्रण है जिनका व्यवहारिक रूप कला तथा क्रमबद्ध अध्ययन विज्ञान है।

निष्कर्ष (conclusion)

  संपूर्ण अध्ययन के उपरांत हम इस लक्ष्य पर पहुंचते हैं कि राजनीति विज्ञान वास्तव में विज्ञान है क्योंकि यहां इसकी सुव्यवस्था में क्रमबद्धता पाई जाती है। जो विज्ञान की उत्तमता को दर्शाता है। वहीं इसके तर्कों ने यह सिद्ध कर दिया है की राजनीति विज्ञान को विज्ञान के स्तर से अलग नहीं किया जा सकता। यह मूल रूप से कला+विज्ञान का मिश्रित (राजनीति विज्ञान) रूप है।

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