जनमत (लोकमत) - अर्थ, परिभाषा तथा जनमत निर्माण साधन | public opinion

जनमत या लोकमत से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को स्पष्ट करेंगे जैसे-

1. जनमत का अर्थ एवं परिभाषा 

2. जनमत से क्या अभिप्राय है

3. जनमत का निर्माण कैसे होता है 

4. जनमत के अभिव्यक्ति के साधन

जनमत (लोकमत) - अर्थ, परिभाषा तथा जनमत निर्माण साधन | public opinion

जनमत (लोकमत) 
जनमत (लोकमत) का अर्थ एवं परिभाषाएं

जनमत का अर्थ क्या है? साधारणतया जनमत से तात्पर्य जनता का मत है किंतु वास्तविक रूप में जनमत का अर्थ जनता के उस मत से होता है, जो समाज के हित या समाज को प्रभावित करने वाले विषयों के संबंध में होती है। जनपद केवल कल्याणकारी कार्यों के संबंध में बहुमत द्वारा व्यक्त किया गया मत होता है। संक्षेप में, जनमत जनता के बहुसंख्यक भाग का ऐसा मत है, जो संपूर्ण समाज के हितों के अनुकूल होता है। अप्रत्यक्ष रूप से जनमत द्वारा संपूर्ण समाज के हित की अवधारणा रूसो की सामान्य इच्छा के सिद्धांत के काफी निकट है। जनमत जनता की वह संगठित शक्ति है जिसमें सरकार को भी परिवर्तित करने की क्षमता होती है।

जनमत की परिभाषा

जनमत की कुछ उल्लेखनीय परिभाषाएं निम्न प्रकार है—

(1) लॉर्ड ब्राइस के अनुसार— "समाज पर प्रभाव डालने वाले अथवा उसके हितों से संबंधित प्रश्नों के विषय में जनता की जो धारणाएं होती हैं, उन्हीं के योग के लिए साधारणतया इस शब्द (जनमत) का प्रयोग किया जाता है। इस दृष्टि से जनमत अनेक प्रकार की धारणाओं, विश्वासों, नामों, विचारों तथा आकांक्षाओं का सम्मिश्रण है।"

(2) विलोबी एवं रोजर्स के अनुसार—"जनमत उन व्यक्तियों के विचारों का परिणाम होता है, जो की सामान्य हित से संबंधित समस्याओं पर निर्णय देते हैं।"

(3) डॉ० बेनी प्रसाद के अनुसार—"जो मत लोक कल्याण की भावना से प्रेरित होता है, उसे लोक मत कहते हैं।"

(4) डूब के अनुसार—"एक ही सामाजिक समूह के रूप में जनता का किसी प्रश्न या समस्या के प्रति रुख या विचार ही जनमत हैं।"

जनमत का निर्माण
(janmat nirman ke sadhan)

जनमत का निर्माण या अभिव्यक्ति की दिशा में अनेक साधन सहायक होते हैं जैसे कुछ प्रकार इस प्रकार है — 

(1) समाचार पत्र एवं पत्र पत्रिकाएं 

समाचार पत्र एवं पत्र पत्रिकाएं जनमत को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण सहयोग देते हैं। इनमें देश-विदेश की नीतियों, घटनाओं, शासन व्यवस्थाओं का वर्णन होता है, जिन्हें पढ़ कर जनता अपना मत निर्धारित करती है। इस प्रकार समाचार पत्र साधारण जनता के लिए प्रकाश स्तंभ का कार्य करते हैं। जैसा कि नेपोलियन ने कहा था, “1 लाख तलवारों की अपेक्षा मुझे तीन समाचार पत्रों से अधिक भय है।” 

(2) राजनीतिक साहित्य

जनमत का निर्माण एवं जनमत को व्यक्त करने की दृष्टि से राजनीतिक साहित्य भी एक अच्छा साधन है। अनेक राजनीतिक दल अपने मत, नीतियों तथा देश की सामाजिक समस्याओं को व्यक्त करने हेतु राजनीतिक साहित्य का प्रकाशन करते हैं। ऐसे साहित्य में निर्वाचन से पहले प्रकाशित होने वाले घोषणा पत्रों का विशेष महत्व होता है क्योंकि जनता उनके माध्यम से दलों की नीतियों एवं योजनाओं से परिचित होकर अपना मत दृढ़ करने में सफल होती है। यह मत अंततोगत्वा जनादेश या जनमत का निर्माण करता है।

(3) भाषण व सार्वजनिक सेभाएँ 

कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें प्रेस या पूर्व वर्णित सदनों में से किसी की भी सुविधा नहीं मिलती है, ऐसे व्यक्ति सार्वजनिक स्थलों पर शीर्षस्थ नेताओं के भाषण सुनकर सार्वजनिक विषय पर स्वयं विचार विमर्श कर सकमें में समर्थ होते हैं और स्वस्थ अर्थात उचित जनमत तैयार करने में भी सफल होते हैं। 

(4) शिक्षण संस्थाएं 

जनमत के निर्माण में शिक्षण संस्थाएं महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करती हैं। शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति लोकहित का महत्व समझ चुका होता है तथा स्वस्थ एवं प्रबुद्ध जनमत का निर्माण करने योग्य हो जाता है। शिक्षण संस्थाओं में अनेक प्रकार के समाचार पत्र व पत्रिकाएं आती हैं जिनको विद्यार्थी पढ़ते हैं तथा विभिन्न घटनाओं के संबंध में विचार विमर्श करते हैं एवं अनेक प्रकार की नवीन जानकारी प्राप्त करते हैं। शिक्षण संस्थानों में प्रमुख राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर सेमिनार, सिंपोजियम तथा प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है। 

(5) निर्वाचन 

निर्वाचन के अवसर पर सभी राजनीतिक दल प्रसार के समस्त साधनों द्वारा जनमत को अपने-अपने पक्ष में करने का प्रयत्न करते हैं। वस्तुत निर्वाचन के अवसर पर जनमत का निर्माण अपेक्षाकृत अधिक तीव्र गति से होता है।

(6) धार्मिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक समुदाय 

सांस्कृतिक समुदाय भी लोगों को बहुत प्रभावित करते हैं। यह समुदाय अनेक प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। कार्यक्रम प्रस्तुत करने की पृष्ठभूमि में उनका मुख्य उद्देश्य जनता पर ऐसा प्रभाव छोड़न होता है, जिससे जनता दृढ़ एवं बुद्धिमता पूर्ण जनमत तैयार करने में सफल हो सके। 

(7) राजनीतिक दल 

राजनीतिक दल भी एक प्रगतिशील जनमत के निर्माण में सहायक होते हैं। इसी दिशा में लार्ड ब्राइस के अनुसार, “जनमत को प्रशिक्षित करने, उसके निर्माण और अभिव्यक्ति में राजनीतिक दलों द्वारा अत्यधिक महत्वपूर्ण कार्य किया जाता है।” राजनीतिक दल जनमत के निर्माण एवं अपने दल के उद्देश्यों, नीतियों, कार्यक्रमों आदि के प्रचारकों प्रसार के लिए अनेक कार्य संपादित करते। 

निष्कर्ष 

उपर्युक्त साधनों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि लोकतंत्रात्मक शासन व्यवस्था में ही जनमत की अभिव्यक्ति होती है तथा विभिन्न प्रभावशाली साधनों द्वारा स्वस्थ एवं जागरूक जनमत का निर्माण होता है। जनमत के निर्माण का सबसे प्रभावशाली साधन जनसंचार के साधन है। इनकी पहुंच साधारण जनता तक होती है। यह जनता तथा राजनीतिक व्यवस्था के मध्य सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं। जनमत की प्रतिक्रियाओं के आधार पर ही सरकार राजनीतिक निर्णय लेती है।

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