इतिहास लेखन (history writing)
इतिहास लेखन का अर्थ ; इतिहास अथवा इतिहास लेखन अतीत के महत्वपूर्ण घटनाओं का अभिलेख है। चिरकाल तक इतिहास का अर्थ तथ्यों का वृत्तान्त (Narration of Facts) समझ गया। तथ्य स्वयं तो बोल नहीं सकते, अतः इन तथ्यों को वाणी देने का कार्य इतिहास कार्य करते हैं। इतिहासकार व्यक्ति होता है तथा वह पूर्वाग्रह से मुक्त और युक्त भी हो सकता है। अतएव तथ्यों के वृत्तान्त दोषपूर्ण भी हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में इतिहास, इतिहास न होकर गल्प मिथक या आख्यान बन जाता है। 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक इतिहासकारों का मुख्य संबंध तथ्यों से रहा है तथा वह इतिहास-दर्शन या इतिहास-लेखन के प्रति उदासीन रहे। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में इतिहास में तथ्यों की प्रमुखता को चुनौती दी गई तथा कुछ जर्मन दार्शनिकों ने इतिहास-दर्शन या इतिहास-लेखन का समर्थन किया। इनमें डिल्थे का प्रमुख हाथ था। इतालवी इतिहासकार क्रोच ने भी इनका समर्थन किया। उसके शब्दों में, “इतिहास मूलतः आधुनिक समस्याओं की पृष्ठभूमि में अतीत की घटनाओं को देखा है और इतिहासकार का मुख्य काम घटनाओं का अभिलेख करने की अपेक्षा उनका मूल्यांकन करना है।”
इतिहास लेखन क्या है? अर्थ तथा परीभाषा
स्पष्ट है कि इतिहास तथ्यों का मूल्यांकन है। डिल्थे और क्रोच निकल अंतर में फ्रेंच तथा अंग्रेज इतिहासकारों को भी प्रभावित किया। अब दुनिया के इतिहासकार इस बात पर जोर देने लगे हैं कि इतिहास लेखन तथ्यों का वृत्तान्त नहीं बल्कि तथ्यों का मूल्यांकन है। वस्तुत: इतिहास लेखन को शक्ति के निकट लाने का प्रयास शुरू हुआ।
इतिहास लेखन तथ्यों का वृत्तान्त एवं मूल्यांकन के अतिरिक्त तथ्यों का सामान्यीकरण भी है। इतिहास लेखन को आधिकारिक विज्ञान बनाने की दिशा में यह सार्थक कदम है। इसके अंतर्गत हम विशेष से सामान्य की ओर बढ़ते हैं तथा तर्कशास्त्र के निगमनात्क और आगमनात्मक पद्धति का सहारा लेते हैं। उदाहरण के तौर पर हम राम, श्याम और रहीम को मारते देखकर ही हो निष्कर्ष निकालते हैं कि सभी मनुष्य मरणशील हैं। इतिहास लेखन में भी हम इस तरह का सामान्यीकरण करते हैं। उदाहरण स्वरुप, 1789 ई० की फ्रांसीसी क्रांति, 1911 ई० की चीनी क्रांति एवं 1917 की रूसी क्रांति के अध्ययन से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि असंतोष और आक्रोश क्रांति को जन्म देते हैं। इसे ही तथ्यों का सामान्यीकरण कहते हैं। यह ऐतिहासिक तथ्य आधिकारिक वस्तुनिष्ठ एवं वैज्ञानिक होते हैं। इसमें इतिहासकार का पूर्वाग्रह नहीं चलता। वह अपने ढंग से इतिहास की व्याख्या नहीं कर सकता।
इतिहास लेखन तथ्यों का वृत्तान्त, तथ्यो का मूल्यांकन, तथ्यों का सामान्यीकरण के अतिरिक्त अपने आप में एक दर्शन भी है। आधुनिक काल में सर्वप्रथम फ्रांसीसी विद्वान वाल्टेयर ने इतिहास दर्शन शब्द का प्रयोग किया। इससे उसका तात्पर्य एक आलोचनात्मक एवं वैज्ञानिक इतिहास से था। यह इतिहास धर्मशास्त्रीय इतिहास की व्याख्या से बिल्कुल भिन्न था। बाद में हिगेल तथा प्रत्यक्षवादियों ने इतिहास दर्शन शब्द का प्रयोग किया।
(1) जी०एम० ट्रेवेलियन के अनुसार, "इतिहासकार का आवश्यक कर्तव्य कहानी कहना है और इस प्रकार इतिहास अपने अपरिवर्तनीय मूल तत्व में एक कहानी है।"
(2) हेनरी पायरेने के अनुसार, "इतिहास समाजों में रहने वाले मनुष्यों के कार्यों एवं उपलब्धियां की कहानी है।"
(3) रेनियर के अनुसार, "यदि इतिहास एक कहानी से कम है तो यह अपने सामाजिक कार्य को संपन्न नहीं कर सकता और यदि एक कहानी से अधिक है तो अन्य अनुशासन के साथ अनावश्यक रूप से यह प्रतिस्पर्धा करेगा, अनिश्चित आवाज में बोलेगा और मार्गदर्शन की अपेक्षा भ्रम अधिक पैदा करेगा।"
(4) आर०जी० कॉलिंगवुड के अनुसार, "मनुष्य क्या कर सकता है यह जानने का एक साधन उसे जानना है जो उसने किया है।"
(5) इतालवी इतिहासकार क्रोचे के अनुसार, "इतिहास मूलतः आधुनिक समस्याओं की पृष्ठभूमि में अतीत की घटनाओं को देखता है और इतिहासकार का मुख्य काम घटनाओं का अभिलेख करने की अपेक्षा उनका मूल्यांकन करना है।"
इतिहास लेखन तथ्यों का वृत्तान्त एवं मूल्यांकन के अतिरिक्त तथ्यों का सामान्यीकरण भी है। इतिहास लेखन को आधिकारिक विज्ञान बनाने की दिशा में यह सार्थक कदम है। इसके अंतर्गत हम विशेष से सामान्य की ओर बढ़ते हैं तथा तर्कशास्त्र के निगमनात्क और आगमनात्मक पद्धति का सहारा लेते हैं। उदाहरण के तौर पर हम राम, श्याम और रहीम को मारते देखकर ही हो निष्कर्ष निकालते हैं कि सभी मनुष्य मरणशील हैं। इतिहास लेखन में भी हम इस तरह का सामान्यीकरण करते हैं। उदाहरण स्वरुप, 1789 ई० की फ्रांसीसी क्रांति, 1911 ई० की चीनी क्रांति एवं 1917 की रूसी क्रांति के अध्ययन से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि असंतोष और आक्रोश क्रांति को जन्म देते हैं। इसे ही तथ्यों का सामान्यीकरण कहते हैं। यह ऐतिहासिक तथ्य आधिकारिक वस्तुनिष्ठ एवं वैज्ञानिक होते हैं। इसमें इतिहासकार का पूर्वाग्रह नहीं चलता। वह अपने ढंग से इतिहास की व्याख्या नहीं कर सकता।
इतिहास लेखन तथ्यों का वृत्तान्त, तथ्यो का मूल्यांकन, तथ्यों का सामान्यीकरण के अतिरिक्त अपने आप में एक दर्शन भी है। आधुनिक काल में सर्वप्रथम फ्रांसीसी विद्वान वाल्टेयर ने इतिहास दर्शन शब्द का प्रयोग किया। इससे उसका तात्पर्य एक आलोचनात्मक एवं वैज्ञानिक इतिहास से था। यह इतिहास धर्मशास्त्रीय इतिहास की व्याख्या से बिल्कुल भिन्न था। बाद में हिगेल तथा प्रत्यक्षवादियों ने इतिहास दर्शन शब्द का प्रयोग किया।
इतिहास की परिभाषा
(1) जी०एम० ट्रेवेलियन के अनुसार, "इतिहासकार का आवश्यक कर्तव्य कहानी कहना है और इस प्रकार इतिहास अपने अपरिवर्तनीय मूल तत्व में एक कहानी है।"
(2) हेनरी पायरेने के अनुसार, "इतिहास समाजों में रहने वाले मनुष्यों के कार्यों एवं उपलब्धियां की कहानी है।"
(3) रेनियर के अनुसार, "यदि इतिहास एक कहानी से कम है तो यह अपने सामाजिक कार्य को संपन्न नहीं कर सकता और यदि एक कहानी से अधिक है तो अन्य अनुशासन के साथ अनावश्यक रूप से यह प्रतिस्पर्धा करेगा, अनिश्चित आवाज में बोलेगा और मार्गदर्शन की अपेक्षा भ्रम अधिक पैदा करेगा।"
(4) आर०जी० कॉलिंगवुड के अनुसार, "मनुष्य क्या कर सकता है यह जानने का एक साधन उसे जानना है जो उसने किया है।"
(5) इतालवी इतिहासकार क्रोचे के अनुसार, "इतिहास मूलतः आधुनिक समस्याओं की पृष्ठभूमि में अतीत की घटनाओं को देखता है और इतिहासकार का मुख्य काम घटनाओं का अभिलेख करने की अपेक्षा उनका मूल्यांकन करना है।"
सार
इतिहास मनुष्य के अनुभव की कहानी है। यह अनुभव सक्रिय और निष्क्रिय दो प्रकार के होते हैं। जीवन में एक मनुष्य के साथ जो कुछ घटित होता है और स्थिति आने पर वह स्वयं उसका सामना करता है तो उसकी समझ और ज्ञान में वृद्धि होती है। इतिहास का संबंध समाज में रहने वाले व्यक्ति से ही नहीं वरन् उस समाज से भी है जिसमें व्यक्ति अपना जीवन व्यतीत करता है। व्यक्ति का प्रत्येक कार्य समाज के अन्य लोगों से भी संबंध रखता है।impo-Short questions and answers
वैज्ञानिक इतिहास लेखन की शुरुआत किसने की?
वैज्ञानिक इतिहास लेखन की शुरुआत प्रसिद्ध यूनानी लेखक हेरोडोट्स की।
इतिहास लेखन की शुरुआत कब हुई?
इतिहास लेखन की शुरुआत 3400 ईसा पूर्व के आस-पास हुई।
इतिहास की रचना सर्वप्रथम कब की गई?
इतिहास की रचना सर्वप्रथम 5वीं सदी के आसपास की गई।
इतिहास लेखन क्या है?
इतिहास लेखन तथ्यों का वृत्तान्त एवं मूल्यांकन के अतिरिक्त तथ्यों का सामान्यीकरण भी है। इतिहास लेखन को आधिकारिक विज्ञान बनाने की दिशा में यह सार्थक कदम है। इसके अंतर्गत हम विशेष से सामान्य की ओर बढ़ते हैं तथा तर्कशास्त्र के निगमनात्क और आगमनात्मक पद्धति का सहारा लेते हैं।
इतिहास लेखन का अर्थ?
इतिहास अथवा इतिहास लेखन अतीत के महत्वपूर्ण घटनाओं का अभिलेख है। चिरकाल तक इतिहास का अर्थ तथ्यों का वृत्तान्त (Narration of Facts) समझ गया। तथ्य स्वयं तो बोल नहीं सकते।
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