वियना कांग्रेस (1815) - सिद्धांत तथा कार्य प्रणाली | Vienna Congress

 वियना कांग्रेस 1815 (Vienna Congress)

वियना सम्मेलन 1815 ; वाटरलू के युद्ध में नेपोलियन की भीषण पराजय हुई। इस पर राजा के पश्चात मित्र राष्ट्रों ने छोटे से पर्वतीय द्वीप सेंण्ट हेलेना में उसे बंदी बनाकर रख दिया और फ्रांस के शासन पर लुई 18 को पुनः बिठा दिया। इसकी पश्चात मित्र राष्ट्रों के सम्मुख सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न था नेपोलियन के विशाल साम्राज्य की पुनर्व्यवस्था किस प्रकार की जाए तथा राजतंत्र विरोधी क्रांतिकारी तत्वों का किस प्रकार विनाश किया जाए। इन प्रश्नों का हल खोजने के लिए ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। सितंबर 1814‌ई० से प्रारंभ तथा स्थगन के बाद पुनः नवंबर 1814 ई० से प्रारंभ इस सम्मेलन में यूरोप के विभिन्न राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिनमें 10 बड़े राष्ट्र तथा 53 छोटे राष्ट्रों की प्रतिनिधि थे— रूस का जार, प्रसिया का राज फ्रेडरिक विलियम तृतीय, ऑस्ट्रिया का राजा फ्रांसीसी द्वितीय, ऑस्ट्रिया का प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मेटरनिख, इंग्लैंड का प्रतिनिधि कैसर रे लार्ड वेलेजली तथा फ्रांस का प्रतिनिधि टोलेरा। पोप ने कार्डीनता सालवी को अपने प्रतिनिधि बनाकर भेजो। केवल टर्की का प्रतिनिधि इसमें सम्मिलित नहीं हुआ। 

इसी सम्मेलन को वियना कांग्रेस कहा जाता है।

वियना अधिवेशन होने के कारण ऑस्ट्रिया के प्रधानमंत्री मेटरनिख को इस सम्मेलन का प्रधानमंत्री बनाया गया। 

वियना कांग्रेस (1815) - सिद्धांत तथा कार्य प्रणाली | Vienna Congress
वियना कांग्रेस (1815) 

वियना कांग्रेस के प्रमुख सिद्धांत 

वियना कांग्रेस के सिद्धांत ; वियना कांग्रेस की कोई निश्चित कार्य पद्धति ना होने के कारण ऐसा प्रतीत होने लगा था कि सम्मेलन सफल हो जाएगा और यूरोपीय आकाश में पुनः युद्ध के बादल छा जाएंगे। ऐसी स्थिति की संभावना दिखाई देने पर, अंत में सभी राज्यों ने विचारणीय सिद्धांतों पर निर्णय किया। अपने स्वार्थो को नियंत्रित करते हुए सभी के मौलिक सिद्धांतों की एकता स्वीकार कर ली। विएना कांग्रेस में इस प्रकार तीन मार्गदर्शक सिद्धांत बने। (1) वैधता अधिकार सिद्धांत, (2) दंड तथा पुरस्कार का सिद्धांत, (3) शक्ति संतुलन का सिद्धांत।

(1) वैधता अधिकार सिद्धांत 

कांग्रेस की सभी सदस्य यूरोप को यथासंभव 1789 ई० की स्थिति में देखना चाहते थे, जिससे उनके पद, प्रतिष्ठा और राज्य की रक्षा हो सके। आधार सम्मेलन में वैधता के अधिकार के सिद्धांत की आवश्यकता स्वीकार की गई। ऑस्ट्रिया के प्रधानमंत्री मेटरनिख ने इस प्रस्ताव को बहुत महत्व दिया। यह सिद्धांत फ्रांस के तेलेरां के विचारों के अनुकूल नहीं था, क्योंकि उसे डर था कि फ्रांस की सीमाओं को कम कम ना कर दिया जाए। सम्मेलन में सभी प्रतिनिधियों ने न्यायतता का सिद्धांत स्वीकार किया। इसके अनुसार ही हो निश्चित हुआ की प्राचीन राजवंश जिनमें बुर्बो, आंरेंज तथा सेवाँय मुख्य थे, पुनः स्थापित किये जाए। इसलिए स्पिन और दो सिलसिला में बुर्बो वंश का शासन स्वीकार किया गया। हॉलैंड पर ऑरेंज वंश का सेक्सनी पर अधिकांश राज्य वहां के पुराने राजा आगस्टस तथा अन्य प्राचीन राज्यों पर भी वहां के पुराने राजाओं का अधिकार पुनः स्थापित हुआ।

(2) दंड तथा पुरस्कार का सिद्धांत  

इस सिद्धांत के अनुसार यह निर्धारित किया गया कि जिन राज्यों ने नेपोलियन के विरुद्ध मित्र राष्ट्रों की महान सेवा की थी, उन्हें पुरस्कृत किया जाए और जिन राज्यों ने नेपोलियन का साथ दिया था, उन्हें दंडित किया जाए। फ्रांस और अन्य राज्यों की सीमा का पुनः निर्धारण होने से किसी राज्य को हानि और किसी को लाभ पहुंचा था। अतः राज्यों के क्षेत्र में संतुलन स्थापित किया गया। डेनमार्क नार्वे से छीनकर स्वीडन को दे दिया गया।

(3) शक्ति संतुलन का सिद्धांत 

वियना कांग्रेस में यह मान लिया गया कि यूरोप राजतंत्र की स्थापना की जाए और शक्ति संतुलन को बनाए रखा जाए अर्थात यूरोप के समस्त राज्यों में शक्ति में यथासंभव समानता लाने का प्रयास किया जाए, ताकि कोई भी राज्य इतना शक्तिशाली ना हो जाए कि वह आगे चलकर अन्य देशों के लिए खतरा बन सके। इस सिद्धांत में सुरक्षा की भावना विद्वान थी। इसलिए फ्रांस की सीमा को इस प्रकार निर्धारित करने का निश्चय किया गया था कि यह पुनः भावी हीरो के लिए खतरा न बन सके। इसलिए फ्रांस के चारों ओर शक्तिशाली राज्यों का गठन किया गया। इटली में पाप तथा बूर्बो वंश की प्रभुसत्ता पुनः स्थापित हो गई जिससे वहां राष्ट्रीय विचारों को प्रोत्साहन प्राप्त न हो। इस तरह यूरोप में शक्ति संतुलन स्थापित करने का पूर्ण प्रयास किया गया। 

वियना कांग्रेस के कार्य प्रणाली

यद्यपि वियना कांग्रेस एक महान अधिवेशन था, जिसमें यूरोप के भाग्य का फैसला होना था, लेकिन इसकी कोई निश्चित कार्य प्रणाली नहीं थी। अनेक बातें नाचघरों, तमासों और संगीत सम्मेलनों में ही निश्चित हो जाती थीं। मानों क्रांति कभी हुई ही नहीं थी। वियेना कांग्रेस का कोई निश्चित सभापति नहीं था। मेैटरनिख ही प्रधान और मंत्री दोनों का कार्य करता था। वह जिस प्रकार चाहता था, उसी प्रकार कार्य चलता था। ऑस्ट्रिया, प्रशा , रूस और ब्रिटेन—इन चार प्रमुख राज्यों ने आपस में गुप्त फैसला कर लिया था कि समस्त प्रकरणों पर वे आपस में निश्चय कर लेंगे और तब कांग्रेस के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। केवल फ्रांस का प्रतिनिधि तेलराँ की एक ऐसा व्यक्ति था, जिसे निर्बल राष्ट्र की चिंता थी।

  वह एक राज्य देश का प्रतिनिधि था, इसलिए उसके ऐसे विचार होना स्वाभाविक भी था। उसका आगरा था कि कांग्रेस का कार्य अंतर्राष्ट्रीय कानून के आधार पर होना चाहिए, किंतु प्रशा का फानहुमबोल्ड्स उससे कहता था — “जिसकी लाठी उसकी भैंस।” बस तुम्हें विजय राज्यों की प्रतिनिधि अपनी ताकत के बल पर मनमानी करना चाहते थे। यह बात अलग थी कि उनके स्वार्थों में टकराहट थी। वियेना कांग्रेस की इस दशा के कारण ही यह कहा गया कि‌ “वियेना कांग्रेस कोई सम्मेलन नहीं था, उसके सिद्धांत असंगत थे और उसकी व्यवस्था परिस्थिति को अस्त्र-शास्त्र बनाने वाली थी।” कांग्रेस का न विधिवत उद्घाटन समारोह हुआ था, न हीं प्रतिनिधियों का विधिवत स्वागत। एक साथ सभी प्रतिनिधि कभी मिले भी नहीं थे। उनके बीच अनेक संध्याि हुई थी और बाद में उन सबको मिलकर 1815 ई० की अंतिम संधि हो गई थी ।यही कांग्रेस के कार्य का सारांश था।


impo-Short questions and answers 

वियना कांग्रेस सम्मेलन कब और कहां हुआ?

वियना कांग्रेस सम्मेलन 1814 व 1815 में और बॉलहौसप्लात्ज़ (जर्मनी) हुआ।

वियना सम्मेलन की मेजबानी किसने की?

वियना सम्मेलन की मेजबानी मेटरनिख ने की।

वियना कांग्रेस में कौन सा राष्ट्र शामिल नहीं था?

केवल टर्की का प्रतिनिधि इसमें सम्मिलित नहीं हुआ।

वियना कांग्रेस सम्मेलन में कितने राष्ट्र सामिल हुए थे?

सितंबर 1814‌ई० से प्रारंभ तथा स्थगन के बाद पुनः नवंबर 1814 ई० से प्रारंभ इस सम्मेलन में यूरोप के विभिन्न राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिनमें 10 बड़े राष्ट्र तथा 53 छोटे राष्ट्रों की प्रतिनिधि थे।

वियना कांग्रेस के कार्य प्रणाली?

वियना कांग्रेस एक महान अधिवेशन था, जिसमें यूरोप के भाग्य का फैसला होना था, लेकिन इसकी कोई निश्चित कार्य प्रणाली नहीं थी। अनेक बातें नाचघरों, तमासों और संगीत सम्मेलनों में ही निश्चित हो जाती थीं। मानों क्रांति कभी हुई ही नहीं थी। वियेना कांग्रेस का कोई निश्चित सभापति नहीं था। मेैटरनिख ही प्रधान और मंत्री दोनों का कार्य करता था।

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