सनातन धर्म (हिंदू धर्म)
राधे राधे, मित्रों आज बात करते हैं सनातन धर्म के बारे में कि सनातन धर्म का अर्थ क्या है? क्या सनातन धर्म ही हिंदू धर्म है, सनातन धर्म के संस्थापक कौन थे? इस प्रकार की आपके सारे सवालों का उत्तर नीचे देने की कोशिश की है और साथ ही सनातन धर्म के कुछ मुख्य नियम नीचे दिए गए हैं अगर आप भी सनातनी हो तो आपको भी जरूर इन नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए।
सनातन धर्म का अर्थ
सनातन धर्म का अर्थ है “शाश्वत” या ‘सदा बना रहने वाला’ अर्थात जिसका कोई न अंत है ना आदि है। सनातन धर्म का तात्पर्य नैतिकता, धार्मिक, शुस्कता और नियमों का पालन करना है। सनातन धर्म विश्वास करता है कि जो यहां जीवन है इसका उद्देश्य मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त करना है, जिसे आत्मा और ब्रह्मा के एकत्व को प्राप्ति के रूप में समझा जाता है। यह धर्म अनंत समय और अपूर्ण है और जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए विभिन्न दर्शनशास्त्र और ग्रंथों का आधार बनता है।
सनातन धर्म के संस्थापक
वैसे तो सनातन धर्म का कोई एक व्यक्तिगत संस्थापक नहीं है, और आप कहीं ढूंढेंगे तो, सनातन धर्म के संस्थापक तो आपको भिन्न-भिन्न जानकारी मिलेगी कहीं बताया होगा की सनातन धर्म के संस्थापक ‘स्वायंभुव मनु’ को कहा जाता है तो कहीं यह जानकारी मिलेगी की सनातन धर्म की स्थापना ‘महर्षि वेदव्यास’ ने की और आपको यह जानकारी भी मिलेगी की सनातन धर्म के संस्थापक ’श्री कृष्ण भगवान’ को कहा जाता है। इसलिए यह धर्म भारतीय उपमहाद्वीप की विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक परंपराओं का समूह है, जिसमें हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और अन्य धार्मिक संप्रदाय शामिल है। इन संप्रदायों की अलग-अलग धार्मिक और दार्शनिक परंपराएं हैं जो विभिन्न गुरु, ऋषि, आचार्य और धार्मिक आध्यात्मिक व्यक्तियों के उपदेशों और दर्शनों पर आधारित है।
सनातन धर्म एक अभिन्न और जीवंत धार्मिक परंपरा है जिसमें न केवल धार्मिक उपदेश बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं के लिए नैतिक और आदर्श दिए जाते हैं। इसलिए इसका संस्थान ना किसी एक व्यक्ति या गुरु के द्वारा किया गया है, बल्कि यह हो विभिन्न संप्रदायों आचार्य गुरुओं और आध्यात्मिक विचार को के संगठन और उनके उपदेशों का एक विकास और अध्ययन है।
क्या सनातन धर्म ही हिंदू धर्म है
जी हां, सनातन धर्म और हिंदू धर्म दोनों ही वास्तविकता में एक ही चीज है। सनातन धर्म और हिंदू धर्म दो भिन्न नाम है लेकिन यह दोनों एक ही धार्मिक परंपरा और विचारधारा को सूचित करते हैं।
सनातन धर्म शब्द संस्कृत में ‘शाश्वत’ या अनंत का अर्थ है, जिसका तात्पर्य एक अनंत, अविकारी, नित्य और अबदध वास्तविकता से है। इसका अर्थ एक अविनाशी और अचल सत्य का आदान-प्रदान है।
हिंदू धर्म शब्द का उपयोग विश्व भर में भारतीय उपमहाद्वीप के धर्म के लिए किया जाता है, जिसमें सनातन धर्म शामिल है। इसका उद्योग बहुत ही व्यापक हो गया है और यह विश्व भर में भारतीय धर्म का एक सामान्य परिचय देने के लिए किया जाता है।
इसलिए सनातन धर्म और हिंदू धर्म दोनों एक ही विचारधारा को दर्शाते हैं जिसमें विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक अवलोकन शामिल है। और सनातन धर्म हिंदू धर्म का ही एक संप्रदाय है जिसका उपयोग आम तौर पर हिंदू धर्म के साथ-साथ संस्कृति और अन्य भारतीय भाषाओं में किया जाता है।
सनातन धर्म के नियम
स्थान सनातन धर्म के नियम विभिन्न अचार संहिताओं और धार्मिक ग्रंथो के आधार पर उनके अनुयायियों को दिखाए जाते हैं। इसलिए यहां आपको कुछ सनातन धर्म के नियम बताने की कोशिश कर रहे हैं —
(1) धर्माचरण (धार्मिक आचरण)
सनातन धर्म में व्यक्ति को धार्मिक नियमों और आचरण की पालन करने की सलाह दी जाती है। यह नियम नैतिक और आध्यात्मिक जीवन के अनुसरण को सुझाते हैं।
(2) कर्मकांड भक्ति योग
सनातन धर्म में कर्मकांड (जैसे कि यज्ञ पूजा-पाठ हवन आदि) और भक्ति योग (अर्थात भगवान भक्ति और समर्पण) दो मुख्य उपाय हैं जिनके माध्यम से व्यक्ति ईश्वर के पास पहुंच सकता है।
(3) धार्मिक शास्त्रों का अध्ययन
सनातन धर्म की अनुयाई अपने धार्मिक शास्त्रों का अध्ययन और समझान यानी दूसरों को समझना करते हैं जैसे गीता, उपनिषद, वेद, स्मृतियां आदि।
(4) ध्यान और योग
ध्यान और योग का अभ्यास करना सनातन धर्म में अहिंसा, शांति और आध्यात्मिक साक्षात्कार की दिशा में मदद करता है।
(5) प्राणी और पर्यावरण का सम्मान
सनातन धर्म में प्राणी की रक्षा पर्यावरण का सम्मान और सहायता करने का निर्देश दिया जाता है कि अगर आप कहीं भी हो तो किसी जरूरतमंद की मदद करें और भगवत मार्ग की ओर अग्रसर हों।
(6) काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और अहंकार का त्याग
सनातन धर्म में यह 6 अवगुण को त्यागने की सलाह देते हैं और सात्विक गुण का अनुसरण करने की सलाह देते हैं।
(7) संसार और मोक्ष
सनातन धर्म में जीवन का उद्देश्य मोक्ष है, जिसे आत्मा का ब्रह्मा के साथ एकत्व प्राप्ति के रूप में समझा जाता है।
सार— यह उपर्युक्त नियम है और सनातन धर्म के विभिन्न संस्थाओं संप्रदायों और आचार्य के अनुसार भिन्नता दिखा सकते हैं। और सनातन धर्म में जीवन का एकमात्र उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति है, इसलिए हर व्यक्ति को भगवत मार्ग में चलना चाहिए जिससे हर व्यक्ति को भगवत प्राप्ति हो।
उद्देश्य या अनुरोध
आशा करता हूं कि दी गई जानकारी से आप कुछ हद तक संतुष्ट होंगे, और अंत में मैं आपको यह कहना चाहता हूं कि अगर आप भी सनातनी हैं तो अपने सनातनी भाई बहनों को शेयर जरूर करें। जिस कारण से हर कोई सनातन का अर्थ समझ सके और सनातन धर्म का पालन कर सके।
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यहां नीचे आपको कुछ मुख्य जानकारी दी जा रही है जिससे आपके कुछ और प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे।
महत्वपूर्ण प्रश्न
सनातन धर्म का मूल मंत्र क्या है?
सनातन धर्म के मूल मंत्र अनेक है लेकिन हम आपको एक मूल मंत्र बता रहा हूं- 'ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्’
सनातन संस्कृति क्या है?
सनातन ही संस्कृति है। जिसका ना कोई प्रारंभ है ना ही अंत है।
सनातन धर्म के संस्थापक कौन थे?
सनातन धर्म का कोई एक व्यक्तिगत संस्थापक नहीं है। इनमें कुछ प्रमुख हैं - भगवान श्री कृष्णा, स्वायंभुव मनु, महर्षि वेदव्यास।
सनातन धर्म के नियम?
सनातन धर्म के मुख्य नियम - (1) धर्माचरण (धार्मिक आचरण) (2) कर्मकांड भक्ति योग (3) धार्मिक शास्त्रों का अध्ययन (4) ध्यान और योग (5) प्राणी और पर्यावरण का सम्मान (6) काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और अहंकार का त्याग (7) संसार और मोक्ष
सनातन धर्म का अर्थ?
सनातन धर्म का अर्थ है “शाश्वत” या ‘सदा बना रहने वाला’ अर्थात जिसका कोई न अंत है ना आदि है।
सनातन धर्म कितना पुराना है?
सनातन धर्म सबसे पुराने धर्म है। हिन्दू धर्म लगभग 90 हजार वर्ष पुराना है, और सनातन धर्म उसे कई हजारों वर्ष गुना पुराना है।
सनातन धर्म की उत्पत्ति कब हुई?
ऋग्वेद सबसे पुराना ग्रंथ या वेद है जिसमें सनातन धर्म के बारे में बताया है। वैदिक या सनातन धर्म को हिंदू धर्म के नाम से जाना जाता है।
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