भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 की विशेषताएं या प्रावधान एवं महत्व - UPSC

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 से संबंधित आपके कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करेंगे जिससे आपके कुछ संदेह दूर होंगे जैसे —

1. भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 क्या है?

2. भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 की प्रमुख विशेषताएं

3. भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के प्रावधान

4. वर्ष 1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम का महत्व 

अथवा भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए।


भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947
Indian Independence Act 1947

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 ; वर्ष 1947 का भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत में प्रबल राष्ट्रीय आंदोलन जारी था। इस युद्ध में जापान के सम्मिलित होने वह एशिया के पूर्वी भागों पर आक्रमण करने के कारण अंग्रेजों की स्थिति बिगड़ती जा रही थी। भारत में क्रिप्स योजना की असफल हो जाने के कारण वर्ष 1942 में गांधी ने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ प्रारंभ कर दिया। अंग्रेजों ने समझौते की अनेक योजनाएं प्रस्तुत की। लॉर्ड वेवेल ने भी योजना प्रस्तुत की। इसके पश्चात मंत्रिमंडल योजना प्रस्तुत की गई और संविधान सभा के निर्माण के लिए चुनाव हुए।

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 की प्रमुख विशेषताएं या प्रावधान 

वर्ष 1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम की मुख्य विशेषताएं या भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के प्रावधान कुछ प्रकार हैं — 

(1) दो औपनिवेशिक राज्यों की स्थापना

वर्ष 1947 की स्वतंत्रता अधिनियम के द्वारा भारत का विभाजन कर पाकिस्तान की स्थापना कर दी गई। 15 अगस्त, 1947 को भारत और पाकिस्तान दो अधिराज्य बना दिए जाएंगे तथा ब्रिटिश सरकार इन्हें सत्ता सौंप देगी। दोनों राज्यों को अपना-अपना संविधान निर्माण का अधिकार दे दिया जाएगा।

(2) महाराज्यपालों की ब्रिटिश सम्राट द्वारा नियुक्ति 

ब्रिटिश सम्राट द्वारा नियुक्ति दोनों राज्यों में महा राज्यपाल राज्य के प्रमुख होते थे। इस अधिनियम में यह व्यवस्था भी की गई कि यदि दोनों राज्य चाहे तो एक साझा राज्यपाल भी रख सकते हैं।

(3) ब्रिटिश सरकार का अधिकार समाप्त 

15 अगस्त, 1947 के पश्चात ब्रिटिश सरकार को उपनिवेशों, इनके किसी भगत हुआ प्रति के किसी भी प्रकार के मामलों में नियंत्रण या हस्तक्षेप का अधिकार समाप्त कर दिया गया। 

(4) वर्ष 1935 के अधिनियम में अधिराज्यों को संशोधन का अधिकार 

जब तक भारत और पाकिस्तान अपना नवीन संविधान नहीं बनाते, तब तक प्रत्येक अधिराज्य वह उसके प्रति को वर्ष 1935 के अधिनियम पर चलाया जाएगा। अधिक राज्यों को यह अधिकार दिया गया कि वह प्रशासन वर्ष 1935 के अधिनियम पर ही चलाएं या उसमें अपनी इच्छा अनुसार परिवर्तन भी कर सकते हैं।

(5) संविधान सभाओं के नवीन संविधान निर्माण का अधिकार

 दोनों राज्यों की संविधान सभाओं को यह अधिकार दिया गया कि वह अपनी इच्छा अनुसार अपने अधिराज्यों के लिए नया संविधान बना सके तथा ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से अलग हो सके। 

(6) ब्रिटिश सम्राट के अधिकारों की समाप्ति 

भारतीय रियासतों पर सम्राट के प्रभुत्व को समाप्त कर दिया गया तथा भारतीय रियासतों वह उनके शासको के बीच हुई सब संधियां, समझौते आदि को 15 अगस्त, 1947 तक समाप्त हो जाने तथा सम्राट का वह अधिकार, जिसके द्वारा वह किसी कानून को अपने अनुसार वीटो कर सकता था, गवर्नर जनरल को दे दिया गया। 

(7) विधानसभाओं को कानून बनाने का अधिकार 

भारत व पाकिस्तान की विधानसभाओं को शासन के लिए कानून बनाने का अधिकार दिया गया। विधानसभाओं द्वारा बनाया हुआ कोई भी कानून इस आधार पर रद्द नहीं किया जाए कि वह इंग्लैंड के किसी कानूनी या स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के किसी उपबंध से टकराता है।

(8) भारत सम्राट शब्द हटाना 

 इंग्लैंड की शासन की उपाधियां में से भारत सम्राट शब्द हटाने का निर्णय किया गया।

(9) भारत सचिव पद की समाप्ति 

स्वतंत्रता अधिनियम के अनुसार भारत सचिव पद का अंत कर दिया गया और उसके कार्य राष्ट्रमंडल के सचिव को दे दिए गए। वह भारत और पाकिस्तान से राष्ट्रमंडलीय मामलों को चलाएगा।

(10) ब्रिटिश सरकार का कबीलो पर कोई अधिकार नहीं होगा

भविष्य में ब्रिटिश सरकार कबीलो क्षेत्रों पर किसी प्रकार के अधिकार का प्रयोग नहीं करेगी और जो भी संध्या समझौता भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम को पारित करते समय कबीलो के साथ था, वह सब समाप्त हो जाएगा। उत्तर पश्चिमी सीमा प्रांत के कबीलों के साथ समझौता के संबंध में उत्तराधिकारी उपनिवेश को चर्चा करने का अधिकार दिया गया।

वर्ष 1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम का महत्व

  वर्ष 1947 का भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम ब्रिटिश भारतीय संबंधों की दृष्टि से एक ऐतिहासिक घटना है। इस कानून के तहत भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की समाप्ति हुई। यह भारतीयों के उस अधिकार की स्वीकृति थी कि वे स्वतंत्र हो सकते हैं, किंतु इसके कारण भारत का विभाजन भी हुआ। यह तो केवल भविष्य ही बता सकता है कि भारत का यह विभाजन इसके हित में था या अहित में। 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। संविधान सभा ने अपना कार्य करते हुए फरवरी, 1948 में नवीन संविधान निर्माण का मसौदा तैयार किया। विधानसभा ने संविधान को 26 जनवरी, 1949 के दिन अंतिम रूप दिया। यह संविधान 26 जनवरी, 1950 के दिन संपूर्ण भारतवर्ष में लागू कर दिया गया।

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भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम कब पारित हुआ?

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 18 जुलाई 1947 में पारित हुआ।

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 में कितनी धाराएं थी?

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 में 14 धाराएं थी।

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें?

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 की प्रमुख विशेषताएं या प्रावधान- (1) दो औपनिवेशिक राज्यों की स्थापना (2) महाराज्यपालों की ब्रिटिश सम्राट द्वारा नियुक्ति (3) ब्रिटिश सरकार का अधिकार समाप्त (4) वर्ष 1935 के अधिनियम में अधिराज्यों को संशोधन का अधिकार (5) संविधान सभाओं के नवीन संविधान निर्माण का अधिकार (6) ब्रिटिश सम्राट के अधिकारों की समाप्ति (7) विधानसभाओं को कानून बनाने का अधिकार (8) भारत सम्राट शब्द हटाना (9) भारत सचिव पद की समाप्ति (10) ब्रिटिश सरकार का कबीलो पर कोई अधिकार नहीं होगा

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 में का महत्व बताइए?

वर्ष 1947 का भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम ब्रिटिश भारतीय संबंधों की दृष्टि से एक ऐतिहासिक घटना है। इस कानून के तहत भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की समाप्ति हुई।

भारत आजाद कब हुआ था?

भारत आजाद 15 अगस्त, 1947 को हुआ था।

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