राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र के मध्य संबंध
आज हम राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र के मध्य संबंध के बारे में चर्चा करेंगे। राजनीति विज्ञान वास्तव में राज्य तथा सरकार का विज्ञान है। राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र दो अलग-अलग शाखाएँ हैं, लेकिन वे समाज, सरकार और आर्थिक प्रक्रियाओं के बीच गहरे संबंध रखते हैं। इसी प्रकार अर्थशास्त्र संपत्ति का विज्ञान है जिसका संबंध उत्पादन, वितरण, उपभोग व विनिमय से है।
राजनीति विज्ञान तथा अर्थशास्त्र का संबंध निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है —
(1) राजस्व
राज्य की अनेक समस्याओं में से एक प्रमुख समस्या आर्थिक है। इसी प्रकार अर्थशास्त्र में एक पृथक खंड राजस्व है जिसमें राज्य की सभी आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन होता है। राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र के बीच राजस्व (revenue) के महत्वपूर्ण संबंध होते हैं। राजस्व से संबंधित नीतियाँ और प्रक्रियाएँ सरकारों के आर्थिक प्रबंधन में महत्वपूर्ण होती हैं और ये राजनीति विज्ञान द्वारा अध्ययन की जाती हैं। बजट एक सरकार की आर्थिक योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह संसाधनों का वितरण, आर्थिक प्राथमिकताएँ, विभिन्न योजनाओं के लिए धन का आवंटन आदि का निर्धारण करता है।
(2) नियम निर्धारण में आर्थिक कारण
राजनीति के नियम निर्धारण में भी आर्थिक कारकों का पर्याप्त योगदान होता है। इस दृष्टि से अर्थशास्त्र के कुछ विषय जैसे कर और मुद्रा प्रणाली, राजनीतिक व व्यापारिक संस्थाएं और बैंकिंग आदि राजनीति से घनिष्ठ रूप से संबंधित है।
(3) राज्य की आर्थिक क्रियाएं
राजनीति विज्ञान राज्य की प्रकृति और उसके स्वरूप का निर्धारण करता है। अर्थशास्त्र राज्य की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन भी अपनी विषयवस्तु में समाविष्ट करता है। राज्यों में आर्थिक नीतियाँ और योजनाएं बनाने की प्रक्रिया राजनीति विज्ञान की मदद से होती है। आर्थशास्त्र के सिद्धांतों का अध्ययन करके राज्य सरकारें आर्थिक समस्याओं का समाधान करने के लिए नीतियाँ तैयार करती हैं। आर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के माध्यम से राज्य सरकारें आर्थिक विकास की दिशा में नीतियाँ तैयार करती हैं।
(4) आर्थिक विकास तथा राजनीति
अर्थशास्त्र से आर्थिक प्रक्रियाओं, वित्तीय संरचना और वित्तीय नीतियों का अध्ययन किया जाता है। ये नीतियाँ सरकारों द्वारा निर्धारित की जाती हैं और समाज के आर्थिक स्थिति पर प्रभाव डालती हैं। राजनीति विज्ञान उन संरचनाओं, प्रक्रियाओं और निर्णयों का अध्ययन करता है जिनके माध्यम से सरकार सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक नीतियों को लागू करती है।
(5) राज्य की आर्थिक परिस्थितियों का प्रभाव
राज्य के आर्थिक परिस्थितियां राज्य के संपूर्ण संगठन को प्रभावित करती है। सेलिगमैन (Saligman) का विचार है कि शासन के स्वरूप और उसकी क्रियाओं पर उत्पत्ति और वितरण की अवस्थाओं का समान रूप से गहन प्रभाव पड़ता है। राजनीतिक घटनाओं की पृष्ठभूमि में आर्थिक सत्य ही कारण रूप से वर्तमान रहते हैं।
(6) समाज के आर्थिक तथा राजनीतिक रूप में परिवर्तन
हम समाज के आर्थिक रूप के साथ ही राजनीतिक रूप को भी बदलता देखते हैं। आरती क्रांतिया शीघ्र ही राजनीतिक क्रांतियों में परिवर्तित हो जाती है। मार्क्स का चिंतन इस बात का प्रमाण है कि आर्थिक क्रियाएं राजनीति क्रियाओं को प्रभावित करती है।
(7) सामान्य विषय
नई सरकार की स्थापना के साथ-साथ राजनीति द्वारा देश का आर्थिक ढांचा आंशिक या पूर्ण रूप से बदल जाता है। कर प्रणाली, मुद्रा प्रणाली, बैंकिंग आदि कुछ विशेष दोनों में समान रूप से विद्यमान है। अतः राजनीतिक प्रभाव ऐसे विषयों को प्रभावित करते हुए अर्थव्यवस्था में भी परिवर्तन करते हैं। इसी प्रकार अर्थव्यवस्था के प्रभाव कुछ अन्य कारणों के साथ-साथ उपर्युक्त तत्वों के द्वारा ही राजनीतिक व्यवस्था में भी परिवर्तन कर देते हैं।
(8) परस्पर प्रभाव
बीसवीं शताब्दी में लोक कल्याणकारी राज्य के उदय ने दोनों शास्त्रों की परस्पर निर्भरता को स्पष्ट कर दिया है। फ्रांस की क्रांति का मुख्य कारण आर्थिक विषमता थी। उसने वहां पर सरकार के स्वरूप को विशेष रूप से प्रभावित किया। व्यक्तिवाद, समाजवाद तथा साम्यवाद मुख्यतया आर्थिक सिद्धांत है परंतु उन्होंने सरकारी नीति में क्रांतिकारी परिवर्तन किए। इसी प्रकार राजनीति भी आर्थिक व्यवस्था पर प्रभाव डालती है। सरकार की कर पद्धति, आपात स्थिति, नीति, विनिमय की दर, बैंक पद्धति, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, सीमा शुल्क आदि अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है।
(9) व्यापार और विदेशी नीतियां
आर्थशास्त्र में व्यापार, विदेशी नीतियाँ और विदेशी निवेश का महत्वपूर्ण स्थान होता है। यह नीतियाँ देश की आर्थिक स्थिति और गरीबी की दिशा में प्रभाव डाल सकती हैं, जिन्हें राजनीति विज्ञान द्वारा अध्ययन किया जाता है।
निष्कर्ष conclusion
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र एक दूसरे के पूरक हैं आधुनिक युग के जिन अर्थशास्त्रियों ने राजनीति विज्ञान पर गहरा प्रभाव डाला है, उनमें केनेथ, ऐरो, ऐंथोनी डाउन्स, डन्कन ब्लैक और जी० टूलोक के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। अब राजनीति विज्ञान के विद्वान अर्थशास्त्र की विधियों का खुलकर उपयोग करने लगे हैं।
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