कृषि या हरित क्रांति का अर्थ लाभ तथा हानियां

 कृषि या हरित क्रांति (1960) 

कृषि और हरित क्रांति का तात्पर्य ; कृषि क्रांति शब्द जिसका मतलब होता है कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन या उन्नति। यह एक विशेष समयावधि में किसानों की जीवनशैली, कृषि तकनीक और उत्पादन प्रक्रिया में व्यापारिक और तांत्रिक बदलाव के साथ एक नये युग की शुरुआत को सूचित करता है। यह किसानों की जीवन शैली में और खेती की तकनीक में महत्वपूर्ण बदलाव लाने का प्रयास होता है, जिससे उनकी उत्पादकता और आय में वृद्धि हो सके। यह उत्पादकता में वृद्धि, खेती की तकनीकों में नवाचार, उपज में वृद्धि, बीजों की सुधार, पशुपालन में विकास और बाजार तक पहुँच के प्रसार के माध्यम से होता है।

कृषि या हरित क्रांति के लाभ

कृषि क्रांति ने यूरोप के राजनैतिक आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्र में काफी लाभदायक परिवर्तन किए। कृषि का आर्थिक लाभ की दृष्टिकोण से व्यवसायीकरण इसके बाद ही हुआ।

(1) सामाजिक क्षेत्र में लाभ

कृषि क्रांति ने यूरोप के सामाजिक क्षेत्र में काफी परिवर्तन किए। यूरोप में कृषि दास अब बीते जमाने की बात हो गए। कृषि दारू का स्थान अब किराया या ठेके पर कृषि कार्य करने वाले किसानों ने ले लिया। इस प्रकाश सामंत अब आधुनिक जमीदार या व्यवसायी की स्थिति में आ गए। इससे दासत्व जैसी कुप्रथा का अंत हो गया। कृषि क्रांति के चलते सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से कई महत्वपूर्ण लाभ होते हैं, जिनसे समाज में सुधार होता है और लोगों की जीवनशैली में बेहतरी आती है। 

(2) आर्थिक लाभ

कृषि क्रांति से आर्थिक लाभ भी महत्वपूर्ण हुए। वैज्ञानिक कृषि होने से आय या उपज में वृद्धि हुई। अनार्थिक जोतें समाप्त हो गई। कृषि के पूरक उद्योग जैसे— पशुपालन और वस्त्र-उद्योग आदि का भी विकास संभव हो सका। कृषि क्रांति के आर्थिक लाभ काफी महत्वपूर्ण होते हैं और ये एक देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

(3) किसानों के सम्मान में बढ़ावा

इंग्लैंड में सर्वप्रथम इसके प्रस्फुटित होने के कारण भू-स्वामी होना प्रतिष्ठा का सूचक माना जाने लगा। यह प्रवृत्ति बाद में कृषि क्रांति ने विस्तार के साथ पूरे यूरोप में फैल गई। इंग्लैंड में सांसद सदस्य हेतु भी, भू-स्वामी होना अनिवार्य निश्चित किया गया। जिसने कृषि क्रांति के आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक महत्व को स्पष्ट किया। 

(4) कृषि की तकनीक में सुधार

कृषि के तकनीक प्रधान होने के कारण अब श्रम अतिरेक उत्पन्न हो गया। यह अतिरेक खनिज खनन या अन्य श्रम बाहुल्य और कारखानों व उद्योग में प्रयुक्त होने लगा जिससे राजा और समाज की आर्थिक उन्नति संभव हो सकी। कृषि क्रांति ने उन्नत जैविक खेती की ओर महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। इसमें कीटनाशकों का कम प्रयोग, जैविक खाद्य सामग्री का प्रयोग और पूर्ण खेती तंत्र का उपयोग शामिल है।

(5) खान-पान में सुधार

इससे लोगों के खान-पान में सुरुचिता का विस्तार हुआ। अब मांस और गेहूं की उपलब्धता रहने लगी जो पहले दुर्लभ हुआ करता था। यह लाभ उत्पादन में वृद्धि, प्रौद्योगिकी उन्नतियाँ और खेती-बाड़ी में नए तरीकों के प्रयोग से प्राप्त होते हैं। कृषि क्रांति के बाद, उत्पादकता में वृद्धि होती है, जिससे खेती से प्राप्त उत्पाद की मात्रा में वृद्धि होती है। यह खाद्य सामग्री की अधिक मात्रा में उपलब्धता को सुनिश्चित करता है। 

कृषि या हरित क्रांति की हानियां

जिस प्रकार प्रत्येक घटना एक एक अंधकार पक्षी होता है उसी प्रकार इस कृषि क्रांति के भी कुछ दुष्परिणाम हुए। इसके लाभ प्रदाता होने के बावजूद इसकी हानियां परिलक्षित हुई।

(1) लोगों का नैतिक पतन

कृषि क्रांति का सर्वप्रथम सर्वाधिक महत्वपूर्ण दुष्परिणाम नैतिक पतन के रूप में परिलक्षित हुआ। आय की वृद्धि के कारण लोग बुरे कर्मों में लिप्त होने लगे। दूसरी तरफ छोटे किसानों वह जमीदारों ने भूमि और कृषि के महत्व वृद्धि को समझ कर अपनी भूमि को बेचने लगे। इसने उनके भविष्य को सीमित किया। अनाज में मिलावट और जमाखोरी जैसी बुराइयां भी समाज और व्यापारी वर्ग में उत्पन्न हुई। आर्थिक लाभ के लिए यह नैतिक पतन इसकी लाभदायक पक्ष को कलंकित कर गया।

(2) छोटे किसानों की दयनीय स्थिति

बाढ़ बंदी और चकबंदी अधिनियम के लागू होने से गरीब किसान की स्थिति और खराब होती गई। छोटे किसान को बाड-बंदी करने के लिए पर्याप्त आर्थिक सहायता नहीं मिलती थी, दूसरी तरफ उसी सदैव वह भूमि ही मिल पाती थी जो बड़े किसानों से बच जाती थी। इतिहासकार वेस्ट के अनुसार, “चकबंदी धनिको द्वारा धनिको के लिए बनाए जाते थे। यद्यपि उससे कृषि तथा खाद्य सामग्री की आपूर्ति बेहतर हो जाती थी, परंतु गरीबों की स्वतंत्रता भी नष्ट हो जाती थी।”

(3) अनार्थिक सिद्ध होना

इसका सबसे दुखद पहलू अमीर व गरीबों के मध्य वर्गान्रत को बढ़ाना था। कृषि में धन के आर्थिक निवेश को देखते हुए गरीब किसान इसका लाभ नहीं उठा सके। इसका परिणाम यह हुआ कि गरीब किसान और गरीब होता गया जबकि धनी किसान और धनी होता गया। इस प्रकार यह पूरी तरह से अनार्थिक सिद्ध हुई। 

(4) किसानों की दुःख में वृद्धि 

प्रसिद्ध इतिहासकार हाल और एल्वियन के अनुसार, “कृषि संबंधी क्रांति इस प्रकार की थी कि गांव में रहने वाले प्रशन्न लोगों की संख्या बहुत कम हो गई, परंतु उतनी थोड़ी संख्या के लोगों में भी कुल, टाउन शैण्ड और बैकवेल आदि के बताए हुए दंगों पर चलते हुए गांव की धरती को इतना अधिक उपजाऊ बना दिया जितना कि वह पहले कभी नहीं बना पाए थे।” 


महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर 

कृषि या हरित क्रांति क्या है?

कृषि क्रांति शब्द जिसका मतलब होता है कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन या उन्नति। यह एक विशेष समयावधि में किसानों की जीवनशैली, कृषि तकनीक और उत्पादन प्रक्रिया में व्यापारिक और तांत्रिक बदलाव के साथ एक नये युग की शुरुआत को सूचित करता है।

हरित क्रांति की शुरुआत कब हुई?

भारत में हरित अथवा कृषि क्रांति की शुरुआत 1966-67 ई० में हुई थी।

हरित क्रांति की शुरुआत किस देश से हुई?

हरित क्रांति की शुरुआत अमेरिका से हुई।

हरित क्रांति के लाभ लिखिए?

हरित क्रांति के लाभ - (1) सामाजिक क्षेत्र में लाभ (2) आर्थिक लाभ (3) किसानों के सम्मान में बढ़ावआ (4) कृषि की तकनीक में सुधार (5) खान-पान में सुधार

हरित क्रांति की हानियां?

हरित क्रांति की हानियां - (1) लोगों का नैतिक पतन (2) छोटे किसानों की दयनीय स्थिति (3) अनार्थिक सिद्ध होना (4) किसानों की दुःख में वृद्धि

हरित क्रांति का श्रेय किस वैज्ञानिक को जाता है?

हरित क्रांति का श्रेय अमेरिका के नॉर्मन बोरलॉग वैज्ञानिक को जाता है।

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