संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की भूमिका
(India's role in the United Nations)
भारत संयुक्त राष्ट्र की स्थापना करने वाला एक संस्थापक सदस्य है। भारत संयुक्त राष्ट्र को विश्व शांति स्थापित करने में सहायक मानता है। भारत में संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंगों तथा विशेष अधिकरण में सक्रिय रूप से भाग लेकर महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। भारत ने आज तक संयुक्त राष्ट्र संघ के आदर्शों का पूर्णतः पालन किया है। कोरिया तथा हिंद चीन में शांति स्थापित करने के लिए भारत में सयुक्त राष्ट्र संघ की सहायता की। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के आवाहन पर कांगो में शांति स्थापना हेतु अपनी सेनाएं भेजी जिन्होंने उसे देश की एकता को सुरक्षित रखा।
संयुक्त राष्ट्र संघ को भारत ने जो सहयोग दिया उसी के कारण 1991 ईस्वी में वह पांचवीं बार सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य चुना गया। 1986 में अंकटाड का द्वितीय सम्मेलन बुलाकर भारत ने संयुक्त राष्ट्र के प्रति अपनी निष्ठा प्रतिष्ठित की। डॉक्टर नरेंद्र सिंह वहां न्यायधीश था बाद में मुख्य न्यायाधीश के पद पर कार्यरत रहे। उनकी मृत्यु के पश्चात रघुनंदन स्वरूप पाठक को वहां का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। डॉक्टर राधाकृष्ण यूनेस्को के सर्वोच्च पद पर रहे थे। भारतीय प्रतिनिधि श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित महासभा के अध्यक्ष रही थी।
भारत के संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ संबंध
अब हम इस संदर्भ में भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ को समर्थन का अध्ययन निम्नलिखित रूपों से व्यक्त कर रहे हैं—
1. भारतीय सेनाओं का योगदान
सर्वप्रथम बात करते हैं हम संयुक्त राष्ट्र ने भारतीय सेनन के कार्यों की प्रशंसा की है। इसी हेतु उसने कांगो में शांति स्थापना के लिए अपनी सीनाएं भेजी। उन्होंने निष्पक्षता के साथ वहां शांति तथा सुरक्षा की स्थापना करके देश की एकता को बचाया। इसके अतिरिक्त भारत ने सोमालिया में भी शांति स्थापना अपनी सेनाएं द्वारा की। भारतीय सेनाएं युगोस्लाविया, कंबोडिया, लाइबेरिया, अंगोला तथा मोजांबिक में संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति स्थापना कार्यवाही में सफलतापूर्वक भाग लेकर सम्मान सहित स्वदेश लौटे हैं। भारत में एक टुकड़ी संयुक्त राष्ट्र अंगोला वेरिफिकेशन मिशन (U.N. Angola Verification Mission) पर जुलाई 1995 में भेजी।
नवंबर 1998 में दक्षिणी लेबनान में भारतीय इनफैक्ट्री बटालियन के सम्मिलित हो जाने से भारत संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में दूसरा सबसे बड़ा सैनिक सहायता देने वाला देश बन गया है।
2. राष्ट्रो के संघर्षों की समाप्ति में योगदान
भारत ने क्रोशिया तथा बोस्निया-हर्जेगोविना मैं हुए संघर्षों को समाप्त करने के उद्देश्य से सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को पूरा समर्थन दिया। संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा दल के प्रयासों से लेफ्टिनेंट जनरल सतीश नाम्बियर की कमान में यूगोस्लाविया में संयुक्त राष्ट्र ऑपरेशन के लिए भेजी गई सेवा की विश्व भर में प्रशंसा हुई। भारत ने सोमालिया को मानवीय सहायता तत्काल भेजने में संयुक्त राष्ट्र की कार्यवाही का समर्थन किया तथा उसके कार्यों में सहयोग दिया।
3. लोकतंत्र के सिद्धांत पर बल
संयुक्त राष्ट्र संघ में विचार विमर्श की अवधि में भारत ने संयुक्त राष्ट्र के लोकतांत्रिक स्वरूप और सुरक्षा परिषद तथा संयुक्त राष्ट्र के अन्य अंगों को बड़ी हुई सदस्य संख्या के अनुरूप अधिक प्रतिनिधि बनने का दृढ़ता के साथ समर्थन किया। भारत ने अपने प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत ही लोकतंत्र के सिद्धांत को लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया तथा 1994 में महासभा के उन 50 में छात्र में सामान्य बहस के समय सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए अपना दावा भी किया। महासभा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के नेता ने यह कहा कि जनसंख्या, अर्थव्यवस्था का आकार, अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा की स्थापना में भारत को सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य होना अनिवार्य समझ जाना चाहिए।
4. भारत द्वारा आर्थिक सहयोग पर महत्वपूर्ण कार्य
भारत ने संयुक्त राष्ट्र से संबंधित देशों के आहान पर आर्थिक सहयोग पर अधिक से अधिक बल दिया है तथा यथायोग्य सहायता भी प्रदान की है। विभिन्न देशों के साथ आर्थिक सहयोग के लिए संयुक्त राष्ट्र के लिए स्थापित संयुक्त कमीशन तथा तकनीकी कार्यक्रमों के विकास में पूर्ण सहयोग दिया है। एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका की विकासशील देशों के लिए तथा प्रादेशिक अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर आर्थिक सहयोग का समर्थन किया है। इससे यह बात स्पष्ट होती है कि भारत ने आर्थिक विकास के लिए विश्व में अपनी अच्छी-खासी साख बनाई है। विभिन्न गुटनिरपेक्ष सम्मेलन में भारत ने प्रस्तावों में, अंकटाड की बैठकों में, संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक समस्याओं पर होने वाले विशेष विचार विमर्श विशेषकर कच्चे माल और विकास के विषय में, संयुक्त राष्ट्र महासभा में पर्याप्त बल दिया गया है।
निष्कर्ष (conclusion)
इन सभी विवेचना उसे हम ही हो स्पष्ट रूप से समझ सकते हैं कि भारत और संयुक्त राष्ट्रीय संघ के संबंध संयुक्त राष्ट्र की स्थापना से ही महत्वपूर्ण तथा सहयोगी रहे हैं। भारत में आर्थिक, सामाजिक, संस्कृति तथा सैनिक क्षेत्रों में सराहनीय कार्य किया है। विशेष रूप में संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट एजेंसियों के तत्वाधान में एशिया, अफ्रीका तथा लैटिन अमेरिका के बिछड़े हुए देशों को दी गई सहायता तथा मानवीय अधिकारों की घोषणा में भारत ने पूर्ण सहयोग दिया है। आर्थिक दृष्टि से अभावग्रस्त जातियों, समुदायों के सामाजिक स्तर को ऊंचा उठाने में भारत का योगदान प्रसंसनीय तथा अविश्वसनीय रहा है।
short-questions and answers
भारत संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य 1990 में बना था?
भारत संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य 1945 में बना था।
भारत संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य कब बना?
भारत संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य 30 अक्टूबर, 1945 में बना।
भारत WHO का सदस्य कब बना?
भारत WHO का सदस्य 12 जनवरी 1948 में बना। जिसका भारत में कार्यालय नई दिल्ली में हैं।
भारत के संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ संबंध?
भारत के संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ संबंध - 1. भारतीय सेनाओं का योगदान 2. राष्ट्रो के संघर्षों की समाप्ति में योगदान 3. लोकतंत्र के सिद्धांत पर बल 4. भारत द्वारा आर्थिक सहयोग पर महत्वपूर्ण कार्य।
संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की भूमिका?
भारत संयुक्त राष्ट्र की स्थापना करने वाला एक संस्थापक सदस्य है। भारत संयुक्त राष्ट्र को विश्व शांति स्थापित करने में सहायक मानता है। भारत में संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंगों तथा विशेष अधिकरण में सक्रिय रूप से भाग लेकर महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। भारत ने आज तक संयुक्त राष्ट्र संघ के आदर्शों का पूर्णतः पालन किया है।
भारत में संयुक्त राष्ट्र संघ के कितने संगठन है?
भारत में संयुक्त राष्ट्र संघ के लगभग 26 संगठन है।
एक टिप्पणी भेजें