आसियान का तात्पर्य, कार्यप्रणाली तथा उद्देश्य - ASEAN (1967)

आसियान (ASEAN)-1967

आसियान (ASEAN)-1967 से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालेंगे — 

आसियान का तात्पर्य- दक्षिण–पूर्वी एशियाई देशों की समस्याएं विभिन्न प्रकार की हैं। इन राज्यों में आज भी राजनीतिक वातावरण अस्थिर रहता है। यहां अनेक कबीले भी हैं जो संघर्ष की राजनीति को बढ़ाते रहते हैं। चीन इस क्षेत्र में सर्वाधिक सक्रिय है। इससे सभी देश आतंकित रहते थे।

आसियान से आशय तथा उसकी कार्यप्रणाली 

सामान्यतया दक्षिण पूर्वी एशिया के सभी राष्ट्र स्वयं को असुरक्षित अव्यवस्था में अनुभव करते थे, अतः इसकी सुरक्षा कैसे की जाए—यह प्रश्न सभी महा शक्तियों के समक्ष था। ऐसी स्थिति में ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री ने सुझाव दिया कि इस क्षेत्र की सुरक्षा करना सभी बड़े देशों का परम कर्तव्य है। सबको मिलजुल कर इस महत्वपूर्ण क्षेत्र की सुरक्षा करनी चाहिए। क्योंकि चीन जैसी शक्ति इस क्षेत्र को हड़पने के विषय में दिन-रात सोचती रहती है। अतः सर्वाधिक सुरक्षित और विश्वसनीय उपाय यही है कि एशियाई देशों को अपनी शक्ति में वृद्धि करनी चाहिए तथा एशियाई देशों को एक संगठन बनाना चाहिए। इस प्रकार 1967 ई० में इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड तथा फिलीपींस के द्वारा दक्षिण पूर्व एशिया राज्य संगठन (ASEAN) का गठन किया गया।

   सन 1984 में ब्रूनेई, 1995 में वियतनाम तथा जुलाई 1997 में लाहौर में मार भी इसके सदस्य बन गए। 1999 में कंबोडिया को पूर्ण सदस्यता देने के लिए पहल की गई। इसके पश्चात वर्तमान समय में आसियान की सदस्य संख्या 10 हो गई है। 10 सदस्यों में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रूनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार एवं कंबोडिया की गणना की जाती है। आसियान देशों ने भारत को अपना सहयोग राष्ट्र मान लिया है। इस प्रकार भारत, रूस आसियान के पूर्ण संवाद सहयोगी देश है।

   आसियान का केंद्रीय सचिवालय इंडोनेशिया के जकार्ता नगर में है। वर्तमान समय इसके 25 सम्मेलन हो चुके हैं। 25 वॉ सम्मेलन 12 -13 नंबर, 2014 को ने पी ताँ (म्यांमार) में संपन्न हुआ।

आसियान के उद्देश्य

आसियान राष्ट्र के उद्देश्य निम्नलिखित हैं—

 (1) दक्षिण- पूर्वी एशिया के देशों के मध्य एक साझा -बाजार की स्थापना करना तथा सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग की वृद्धि करना।

 (2) दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों में शांति तथा सौहार्द का वातावरण पैदा करना।

 (3) 15 वर्षों के अंदर दक्षिण -पूर्व एशिया में एक मुक्त व्यापार क्षेत्र का विकास करना। आसियान देशों 15 उत्पादों की एक सूची बनाई है जिन्हें मुक्त व्यापार क्षेत्र के अंतर्गत समान तट‌‌ कर योजना के अंतर्गत प्रतिस्थापित किया जाएगा।

आसियान का संघात्मक ढांचा

आसियान का निम्नलिखित संघात्मक ढांचा है—

(1) विदेश मंत्रियों का सम्मेलन

आसियान के विदेशी मंत्रियों का सम्मेलन 1 वर्ष में एक बार अवश्य आयोजित होता है जिसमें पारस्परिक समस्याओं के विषय में विचार विमर्श किया जाता है। इसके साथ -साथ ही इसके शिखर सम्मेलन को आयोजित करने का निर्णय भी इसकी बैठक में ही लिया जाता है।

(2) स्थाई समिति

इसकी गतिविधियों आयोजित करने के लिए इसकी संस्था के रूप में स्थाई समिति निर्मित की गई जो क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने के लिए प्राप्त सुझाव देती है। यह इसको व्यापक बनाने का प्रयास करती है।

(3) सचिवालय

इसका सचिवालय इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में खोला गया। इसका एक महासचिव नियुक्त किया जाता है। सदस्य राष्ट्र में से ही इसका महासचिव वर्णमाला के क्रम में चुना जाता है। इसके महासचिव का कार्यकाल 2 वर्ष होता है। यह प्रशासनिक सहयोग के कार्यों को संपन्न करता है। 

आसियान की भूमिका का मूल्यांकन

अंतरराष्ट्रीय राजनीतिज्ञों के मतानुसार आसियान का कार्य तथा भूमिका बहुत अप्रभावी रही है। यह संगठन अपने सदस्य राष्ट्रों की आर्थिक स्थिति तथा अन्य सहयोगी कार्यों में सुधार नहीं कर पाया है। इसी कारण सदस्य राष्ट्रों में पूंजी तथा क्रय शक्ति की न्यूनता है। सदस्य राष्ट्रों के बीच मनमुटाव के कारण अंतर्राष्ट्रीय विवाद भी उठ खड़े होते हैं। यह भी कहा जाता है कि आसियान राजू का आकर्षण पश्चिमी देशों के प्रति अधिक है। यदि इंडोनेशिया को छोड़ दिया जाए तो आसियान के सदस्य राष्ट्र जैसे मलेशिया, सिंगापुर, फिलीपींस तथा थाईलैंड पश्चिमी शक्तियों के साथ सुरक्षात्मक दृष्टि से संबद्ध है। उन्होंने अनेक मुद्दों पर पश्चिमी शक्तियों के गुण पाए हैं।

आसियान शैली

यूरोपीय संघ की तरह आसियान ने स्वयं को अधिराष्ट्रीय संगठन बनाने या उसके समान अन्य व्यवस्थाओं को अपनाने का लक्ष्य नहीं रखा। अनौपचारिक टकराव रहित और सहयोगात्मक मेल मिलाप का नया उदाहरण प्रस्तुत करके आशिया ने काफी यश कमाया है
 और इसी को ‘आसियान शैली’ भी कहा जाता है। 

महत्वपूर्ण जानकारी 

आसियान किसका संगठन है?

आसियान दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का संगठन है।

आसियान का तात्पर्य क्या है?

दक्षिण–पूर्वी एशियाई देशों की समस्याएं विभिन्न प्रकार की हैं। इन राज्यों में आज भी राजनीतिक वातावरण अस्थिर रहता है। यहां अनेक कबीले भी हैं जो संघर्ष की राजनीति को बढ़ाते रहते हैं।

आसियान का झंडा कैसा है?

आसियान के झंडे में ‘आसियान’ के प्रतीक चिन्ह में धान की 10 बालियां, दक्षिण पूर्व के 10 देशों की प्रतीक है। झंडे पर बना वृत्त आसियान की एकता का प्रतीक है।

आसियान का पूरा नाम क्या है?

आसियान का पूरा नाम- एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियंस नेशंस है।

आसियान से आप क्या समझते हैं?

आसियान दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों की एक संस्था है। अगस्त 1967 में इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया, थाईलैंड तथा सिंगापुर में इसकी स्थापना की।

आसियान का उद्देश्य क्या है?

आसियान राष्ट्र के उद्देश्य - (1) दक्षिण- पूर्वी एशिया के देशों के मध्य एक साझा -बाजार की स्थापना करना तथा सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग की वृद्धि करना। (2) दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों में शांति तथा सौहार्द का वातावरण पैदा करना।

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