यूरोप के आधुनिक युग की विशेषताएं - europe mein aadhunik yug

 आधुनिक युग की प्रमुख विशेषताएं 

सामान्य रूप मैं किसी भी देश के इतिहास को तीन कालों में बांटा जाता है। इसी प्रकार यूरोप के इतिहास में भी तीनों कालों की अपनी स्वतंत्र एवं मौलिक विशेषताएं हैं जो एक दूसरे से अत्यधिक भिन्न है, किंतु फिर भी यूरोप के इतिहास मैं काल-विभाजन करने में कुछ कठिनाइयां होती हैं, क्योंकि यूरोपीय इतिहास में मध्य और आधुनिक काल के बीच इतनी धीमी एवं आसमान गति से परिवर्तन हुए कि उन्हें अलग करने वाली विभाजन रेखा खींचना कठिन है।

 यूरोप में आधुनिक युग का सूत्रपात 1453 ई० में हुआ। 
यूरोप के आधुनिक युग की विशेषताएं - europe mein aadhunik yug

यूरोप के आधुनिक युग की विशेषताएं 

यूरोप में आधुनिक युग की विशेषताएं : आधुनिक युग के आगमन से यूरोप में अनेक प्रमुख परिवर्तन हुए। यूरोप के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक जीवन ने अपना मध्यकालीन स्वरूप त्याग कर सर्वथा नवीन स्वरूप धारण किया। आधुनिक युग की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं— 

(1) व्यक्तित्वाद का विकास

आधुनिक युग से पहले समाज मैं व्यक्ति का कोई महत्व न था। जनता की स्थिति चिंतनीय तथा कष्टदायक थी। आधुनिक युग का आगमन होते ही व्यक्ति का महत्व बढ़ा। व्यक्ति का हित प्रत्येक दृष्टि से सर्व परी हो गया तथा उसके राजनीतिक, धार्मिक एवं सामाजिक क्षेत्र में वृद्धि हुई। व्यक्तित्व के विकास के परिणामस्वरूप सामंतवाद का अंत हुआ। 

(2) छापेखाने का आविष्कार

छापेखाने का आविष्कार सर्वप्रथम जर्मनी में गुटनबर्ग ने किया था। इंग्लैंड में कैक्सटन नामक अंग्रेज ने छापेखाने का प्रचलन 1476ई० में किया। छापेखाने का आविष्कार अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ क्योंकि इसने शिक्षा के प्रसार में अत्यधिक सहयोग प्रदान किया। इसका आविष्कार से पूर्व पुस्तकें हाथ से लिखी जाती थी। जिनकी संख्या कम होती थी तथा उनका मूल्य बहुत अधिक होता था। छापेखाने का आविष्कार से पुस्तकों की संख्या में वृद्धि हुई तथा मूल्य में कमी आई जिससे जनता का बौद्धिक विकास संभव हुआ। 

(3) राष्ट्रभाषा व राष्ट्रीय साहित्य का विकास

 आधुनिक युग के आगमन के साथ जब पोप का प्रभाव पड़ने लगा तो राष्ट्रीय साहित्य व राष्ट्र भाषाओं को विकसित होने का अवसर प्राप्त हुआ। साहित्यकारों, सुधारकों तथा लेखकों ने अपने विचारों को अपनी राष्ट्रभाषा में व्यक्त किया। मार्टिन लूथर ने बाइबिल का जर्मन भाषा में अनुसार किया। शेक्सपियर अंग्रेजी में असाधारण कृतियों की रचना की। फ्रांस के साहित्यकारों ने अपनी भावनाओं को फ्रांसीसी भाषा में लिपिबद्ध किया। इस प्रकार अपनी ही भाषा में रचित साहित्य ने जनता के बौद्धिक विकास में सहायता पहुंचाई। 

(4) राष्ट्रीयता की भावना का विकास 

मध्यकाल में राज्य का स्वरूप यूरोपीय था। संपूर्ण ईसाई जगत राजनीतिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से एक इकाई माना जाता था और सिद्धांतत: उसका शासन पोप और सम्राट दोनों के अधीन था। धार्मिक क्षेत्र में पोप तथा राजनीतिक क्षेत्र में राजा प्रमुख माना जाता था, किंतु कालांतर में पोप राजनीतिक मामलों में भी दखलअंदाजी करने लगे थे। अतः आधुनिक आधुनिक युग के आगमन के साथ ही परिस्थितियों में परिवर्तन हुआ और यूरोप के देशों में राष्ट्रीयता की भावना बलवती होने लगी। सामंतों का पतन हो जाने से राजा व प्रजा के मध्य प्रत्यक्ष संबंध स्थापित हुआ। अतः यूरोप में फ्रांस, इंग्लैंड व स्पेन में शक्तिशाली राजतंत्रो की स्थापना हुई। राजतंत्रो की स्थापना होने के साथ इस युग में राष्ट्रीयता की भावना का भी संचार हुआ। राष्ट्रीयता के विकास के परिणाम स्वरूप यूरोप के राष्ट्रों में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति होने लगी। उदाहरण के लिए, इंग्लैंड के विषय में प्रकाश डालते हुए रैम्जे म्योर ने लिखा है,"इंग्लैंड में टयूडरवंशीय राजाओं के शासनकाल में राज्य शक्ति के विकास का मुख्य कारण राष्ट्रीय भावना का विकास था जिसने राजा के व्यक्तित्व को एक नवीन सम्मान एवं महत्व प्रदान किया।"आधुनिक युग के प्रारंभ में राष्ट्रीयता की भावना के संबंध में उल्लेखनीय है कि जहां वर्तमान समय में राष्ट्रीयता राष्ट्रीय से मानी जाती है, तब राष्ट्र प्रेम शासकों के प्रति होता था। राजाओं को ही राष्ट्रीयता का प्रतीक माना जाता था। राजाओं के उत्थान अथवा पतन पर राष्ट्र का उत्थान एवं पतन निर्भर था। सेना ने राज्य के लिए नहीं वरन् राजा के लिए युद्ध करती थी। 

(5) प्रजातीय भावना का विकास

आधुनिक युग की एक प्रमुख संस्था प्रजातीय भावना का विकास होना था। राष्ट्रीयता की भावना के साथ-साथ अपनी प्रजाति के प्रति आदर सम्मान की भावना में भी वृद्धि होने लगी थी। उन लोगों को इस बात का ज्ञान होने लगा था उच्च जाति के हैं तथा उनका प्रजातीय गौरव भी है। अतः इंग्लैंड के निवासी स्वयं को यूरोप के अन्य राष्ट्र की जनता से समझने लगे, परिणामस्वरूप इंग्लैंड का प्रभाव यूरोप में फैलने लगा। 

(6) सामंतवाद की समाप्ति

आधुनिक युग की सर्वप्रमुख विशेषता सामंतवाद का पतन होना था। सामंतवादी व्यवस्था ने किसानों की स्थिति को चिंतनीय बना दिया था। इसी कारण समय-समय पर कृषक विद्रोह होते रहे। सामंतवादी व्यवस्था में अनेक अन्य दोष भी थे उदाहरण के लिए, इंग्लैंड में'गुलाब के फूलों का युद्ध'के 30 वर्षों तक चलने का प्रमुख कारण सामंतवादी व्यवस्था ही थी। हेनरी सप्तम्(1485-1509) के सिंहासनरुढ़ होने से पूर्व इंग्लैंड के वास्तविक शासक सामन्त ही थे। इसकी शक्ति समिति तथा उन पर किसी प्रकार का अंकुश ना था। राजा तथा प्रजा की मध्य सीधा संपर्क ना था। राजा की कोई निजी सेना नहीं होती थी। राजा को सामंतों की शक्ति एवं सेना पर ही आश्रिम रहना होता था। सामंत ने राजा को शक्ति हीन देखकर अवसर से लाभ उठाया और अपनी शक्ति में वृद्धि कर छोटे-छोटे राज्यों के रूप में राज्य करने लगे‌। रेनर ने लिखा है,"वास्तव में सामंत लोग ही छोटे छोटे राजा थे जो परस्पर युद्ध किया करते थे। यह नहीं,यह राजा से भी युद्ध ठान लेते थे।"हेनरी सप्तम् ने इन सामन्तों के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए इनकी शक्ति ही वह सामंतों की शक्ति को कुचलने, राजा की शक्ति में वृद्धि करने तथा राज्य प्रजा के मंत्र प्रत्यक्ष संपर्क स्थापित करने में सफल हुआ। यूरोप के अन्य देशों में भी इसी प्रकार की घटनाएं हुई सामंतवाद का विरोध हुआ। इस प्रकार आधुनिक युग के आगमन के साथ ही सामंतवाद का पतन हो गया। 

(7) बौद्धिक विकास

मध्य युग अंधविश्वास का युग था। चारों ओर अज्ञानता का अंधकार व्याप्त था। जनता को बौद्धिक विकास के साधन उपलब्ध न थे। शिक्षा की उचित व्यवस्था न थी, अतः जनता में सोचने व तर्क करने की शक्ति न थी। नवीन विचारों के अपनाने पर चर्च द्वारा उन्हें कठोर दंड दिया जाता था। आधुनिक युग में शिक्षा का विचार हुआ जिससे जनसाधारण में व्याप्त अंधविश्वास दूर होने लगा। परिणाम स्वरुप, यूरोप के लोगों की रूचि आध्यात्मिकता एवं नवीन खोजों के प्रति बढ़ने लगी। नवीन अविष्कार किए गए तथा आधुनिक विज्ञान की उत्पत्ति हुई। साहित्यिक क्षेत्र में भी अनेक विद्वानों का जन्म हुआ जिन्होंने, यूरोपीय लोगों में बौद्धिकता एवं तार्किकता के प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 

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