चार्ल्स पंचम के जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बिंदु पर चर्चा करेंगे जैसे —
चार्ल्स पंचम का जीवन परिचय
charles pancham; चार्ल्स पंचम का स्पेन की राजसिंहासन पर आरोहण 1516 ई० में हुआ, और इसके साथ प्रारंभ हुआ है हैप्सबर्ग राजवंश का शासन। ज्ञातव्य है कि फर्डिनेंड एवं इसाबेल ने स्पेन के तीव्र गति के उत्कर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। किंतु चार्ज पंचम के सिहासन रोहन से स्पेन में हैप्सबर्ग राजवंश के कीर्ति पताका ने लहराना प्रारंभ कर दिया। स्पेन के इतिहास में चार्ल्स पंचम का राज्य रोहन एक अत्यंत महत्वपूर्ण एवं युगांत कार्य घटना मानी जाती है।
चार्ल्स पंचम की समस्याएं
जॉर्ज पंचम को शासन भार ग्रहण करने के पश्चात अनेक समस्याओं और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जिनको हम दो भागों में बांट सकते हैं —
1. साम्राज्य की आंतरिक समस्याएं
2. वैदेशिक राजनीति से संबंधित समस्याएं
(1) आंतरिक समस्याएं
1. साम्राज्य की बड़ी विशालता
देव योग से चार्ल्स को उत्तराधिकारी में एक विशाल साम्राज्य मिला। फर्डीनेण्ड के उत्तराधिकार में स्पेन का संपूर्ण राज्य, मैक्सिमिलियन का ऑस्ट्रियन साम्राज्य, ऊपर से पवित्र रोमन सम्राट की जिम्मेवारी, यह विशाल साम्राज्य स्वयं में ही अल्प आयु शासक के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी।
2. साम्राज्य की विविधताएं
इतने बड़े साम्राज्य के अंतर्गत विभिन्न प्रांतों की परस्पर विरोधी और अलग-अलग विशेषताएं एवं विविधता एवं उनमें समन्वय एवं सामंजस्य का कार्य एक बहुत बड़ी चुनौती थी।
3. धर्म सुधार आंदोलन
धर्म सुधार आंदोलन चार्ल्स पंचम के लिए एक समस्या बनकर प्रकट हुआ था। उस समय जर्मनी में धर्म सुधार आंदोलन का प्रचार और प्रसार बड़ी तीव्र गति से हो रहा था जिसका दमन करने के लिए सम्राट को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी।
(2) वैदेशिक राजनीति से संबंधित समस्याएं
1. फ्रांस से पारस्परिक शत्रुता
चार्ल्स पंचम को फ्रांस से स्पेन की परंपरागत शत्रुता विरासत में मिली थी। साथ ही पवित्र रोमन सम्राट के रूप में उसका चयन हो जाने से इस शत्रुता को और भी अधिक बढ़ा दिया था। सन 1520 में जब पवित्र रोमन सम्राट के चयन का प्रश्न उत्पन्न हुआ तो उस समय फ्रांस का सम्राट फ्रांसिस प्रथम भी इस पद का दावेदार था। चार्ल्स पंचम के इस पद पर नियुक्त हो जाने से फ्रांसिस प्रथम उससे व्यक्तिगत शत्रुता मानने लगा। स्वाभाविक है कि इसे फ्रांसिस से अनेक बार युद्ध करने पड़े।
2. तुर्को की बढ़ती हुई शक्ति
चार्ल्स पंचम के शासनकाल में तुर्कों ने डेन्यूब नदी की और अपनी शक्ति का प्रसार करना प्रारंभ कर दिया था। तेरे को ने भूमध्य सागर में भी अपनी नाविक शक्ति में पर्याप्त वृद्धि कर ली थी। तुर्को की यह बढ़ती हुई शक्ति उसकी चिंता का कारण थी।
3. पोप तथा सम्राट हेनरी अष्टम छलीय नीति
रोम का पॉप और इंग्लैंड के सम्राट हेनरी अष्टम की विद्वेषपूर्ण विदेश नीति ने भी चार्ल्स की समस्याओं को बढ़ाया। उसे यह विश्वास और आशा थी कि रोम का पूर्व एवं इंग्लैंड का सम्राट प्रोटेस्टेंट आंदोलन का दमन करेंगे और फ्रांस के विरुद्ध उसकी सहायता करेंगे किंतु इन दोनों की विद्वेषपूर्ण विदेश नीति के कारण उसे उनसे वांछित सहयोग प्राप्त नहीं हुआ।
चार्ल्स पंचम की उपलब्धियां
(1) स्पेन की प्रशासनिक व्यवस्था
ज्ञातव्य है कि चार्ल्स पंचम नीदरलैंड्स में जन्मा था। अतः जब वह स्पेन का सम्राट नियुक्त होकर स्पेन पहुंचा तो स्पेन वालों ने उसे विदेशी समझा और उसे अपना समर्थन नहीं दिया। स्पेन के सामंतों और नगर प्रतिनिधियों ने विद्रोह भी किए। किंतु शीघ्र ही चार्ल्स ने विद्रोह को कुचल दिया और स्पेन के शासक पर मौजूद पकड़ स्थापित कर ली। 1522 ई० तक यह कार्य संपन्न कर उसने स्पेन का लोकप्रिय शासक बनने के लिए अनेक कार्य किए। प्रशासन के महत्वपूर्ण एवं सम्मानित पदों पर योग्यता अनुसार स्पेन वासियों को नियुक्त किया। उसने अपनी राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु पुर्तगाल की राजकुमारी इसाबेल से विवाह किया।
(2) औपनिवेशिक विस्तार
चार्ल्स पंचम की औपनिवेशिक नीति सफल हुई। उस के शासनकाल में अमेरिका के मेक्सिको, वेनेजुएला, न्यू ग्रेनाडा, मध्य अमेरिका, पेरू, बोलीविया, चिली आदि। में स्पेनी उपनिवेश स्थापित हो चुके थे। अनेक ने स्थलों पर भी उपनिवेश स्थापित करने के लिए प्रयास किया गया।
(3) नीदरलैंड्स का प्रशासन
चार्ल्स पंचम मात्र 6 वर्ष की आयु में ही नीदरलैंड का शासक बन गया था। बाद में जाकर नीदरलैंड के प्रशासन में भी उसने सुधार किए। उसने नीदरलैंड्स के 17 प्रदेशों को मिलाकर एक संग स्थापित किया और उसके प्रशासन के लिए ‘स्टेटस जनरल’ के नाम से एक संगीत परिषद का गठन भी किया। उसने नीदरलैंड्स के औद्योगिक व आर्थिक विकास के प्रति उदार नीति को अपनाया।
(4) क्रेम्बे की संधि (1529 ई०)
‘रोम की लूट’ की घटना से नाराज होकर इंग्लैंड के सम्राट हेनरी अष्टम ने फ्रांसिस की सहायता के लिए ब्रिटिश सेना को भेजा, किंतु युद्ध में फ्रांसिस की सेना पुनः पराजित हुई और उसे सन 1529 ईसवी में क्रेमबे की संधि करने को विवश होना पड़ा। इस संधि के अनुसार नेपल्स, मिलान और नीदरलैंड्स के प्रदेशों से फ्रांसिस प्रथम के अधिकार का दावा समाप्त हो गया और दूसरी ओर चार्ल्स पंचम की प्रतिष्ठा व शक्ति चरम सीमा पर पहुंच गई। सन् 1530 ई० में स्वयं पोप ने चार्ज पंचम का राज्याभिषेक करके उसे पवित्र रोमन सम्राट का राज मुकुट पहनाया।
(5) कैटियो-कम्ब्रेसिस की संधि
फ्रांसिस प्रथम ने शीघ्र ही कम्ब्रेसिस की संधि की शर्तों को ठुकराते हुए सन् 1536 में पुनः युद्ध की घोषणा कर दी। वह इटली के प्रदेशों पर अधिकार करना चाहता था। यह युद्ध सन 1559 में समाप्त हुआ जब दोनों देशों (स्पेन तथा फ्रांस) के बीच कैटियो-कम्ब्रेसिस की संधि संपन्न हुई। इस संधि के फल स्वरुप इटली के राज्यों पर चार्ल्स पंचम के अधिकार को मान्यता दी गई। यह संधि हैप्सबर्ग राजवंश की महान उपलब्धि है।
(6) इंग्लैंड के प्रति चार्ल्स पंचम की नीति
ज्ञातव्य है कि स्पेन के शासक फर्डिनेंड ने अपनी तीन पुत्रियों में सबसे छोटी पुत्री का विवाह इंग्लैंड के युवराज आर्थर के साथ किया था। किंतु कुछ समय पश्चात 8 साल की मृत्यु हो जाने की वजह इंग्लैंड की सम्राट और आठ सर के भाई हेंडस्टैंड कैथरीन की शादी विवाह कर लिया। कैथरीन चार्ल्स पंचम की मौसी थी, इस प्रकार स्पेन तथा इंग्लैंड के मध्य सौहार्दपूर्ण संबंध थे।
(6) चार्ल्स पंचम के अंतिम दिन और मृत्यु (21 सितंबर, 1558)
सन् 1545-46 ई० में चार्ल्स पंचम अपने राजनीतिक जीवन के चरमोत्कर्ष पर था। किंतु सन 1547 ई० से उसके राजनीतिक जीवन का पतन होना प्रारंभ हो गया। धर्म सुधार आंदोलन, तुर्कों के आक्रमण, फ्रांस के सम्राट हेनरी द्वितीय द्वारा चार्ल्स का विरोध आदि अनेक समस्याओं ने चार्ल्स को तोड़ कर रख दिया था। अतः सन 1555-56 ई० मैं उसने अपने संपूर्ण राज्य को दो भागों में (एक भाग पुत्र को और दूसरा भाग छोटे भाई को) बात कर राजनीति से संयास ले लिया और 21 सितंबर, 1558 को उसकी मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु के साथ ही विश्व के इतिहास में एक महत्वपूर्ण योग और महान व्यक्तित्व का अंत हो गया। उसके कार्यों की सराहना करते हुए एक विद्वान ने यह लिखा है—
यद्यपि उसकी उपलब्धियां आकर्षक नहीं थी, यद्यपि उसके रक्षात्मक कार्यों की सत्यता और सक्षमता को अपर्याप्त कहने की अपेक्षा प्रशंसनीय ही कहा जा सकता है।
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