भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के कारण एवं उद्देश्य | स्थापना से संबंधित विवादों की विवेचना

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना

bhartiya rashtriya congress ki sthapna; 1876 ई० के बाद लॉर्ड लिटन के अविवेकपूर्ण काजू तथा उसके बाद लार्ड रिपन के शासनकाल में इल्बर्ट बिल विधेयक संबंधी विवाद ने अखिल भारतीय लक्षण के राजनीतिक संगठन की आवश्यकता स्पष्ट की। इन परिस्थितियों में सर्वप्रथम संभाव्यता एक अवकाश प्राप्त अंग्रेज अधिकारी एलेनऑक्टेवियन ह्युम के मस्तिष्क में कांग्रेस की स्थापना के विचार का उदय हुआ। अतः ए०ओ० ह्यूम इस संस्था का जन्मदाता समझा जाता है। ह्यूम की योजना संभाव्यता एक ऐसे संगठन का निर्माण करने की थी, जो प्रमुख रूप से सामाजिक तथा आर्थिक क्षेत्र में कार्य करते हुए भारत की स्थिति में सुधार लाता है। ह्यूम ने जब यह योजना ने गवर्नर जनरल डफरिन के सामने रखी तो लॉर्ड डफरिन ने प्रस्तावित संगठन के कार्य क्षेत्र को बढ़ाने का सुझाव देते हुए तह कहा कि “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस संगठन के द्वारा राजनीतिक क्षेत्र में कार्य किया जाना चाहिए।”


भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के कारण

(1) भारतीयों में बढ़ता हुआ असंतोष

ब्रिटिश शासकों द्वारा किए जाने वाले दमनात्मक कार्यों के कारण भारतीयों में असंतोष बढ़ता जा रहा था। लार्ड लिटन की दमनात्मक नीति, उद्योग धंधे को चौपट कर देना, अंग्रेजी शिक्षा का प्रसार और अंग्रेजों द्वारा भारतीयों को उच्च पदों से अलग रखने की नीति ने भारतीय शिक्षित वर्ग में असंतोष को बढ़ाया।

(2) इल्बर्ट विधेयक पर प्रतिक्रिया

अल्बर्ट बिल विवाद ने भारतीयों को संगठन की शक्ति के महत्व से अवगत कराया।

(3) ए०ओ० ह्यूम का योगदान

ए०ओ० ह्यूम को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जनक कहा जाता है। उन्हें यह विश्वास हो गया था कि भारतीयों में बढ़ता असंतोष कभी भी विद्रोह का रूप ले सकता है। यदि इसे एक मंच प्रदान कर दिया जाए, तो यह असंतोष वही निकलकर समाप्त हो जाएगा। इसलिए ह्यूम ने प्रयास कर 1885 ई० में राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की।

(4) भारत में राष्ट्रवाद का उदय 

19 वीं सदी में भारत में राष्ट्रवाद का उदय हुआ। राष्ट्रीय आंदोलन को बढ़ाने के लिए एक संस्था एक मंच की आवश्यकता हुई। शिक्षित युवा एवं मध्यम वर्ग ने इस हेतु प्रयास प्रारंभ किए।

(5) प्रांतीय राजनीतिक संस्थाएं

कांग्रेस की स्थापना से पूर्व भारत के विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग राजनीतिक संस्थाएं कार्य कर रही थी, जिनके उद्देश्य तथा क्षेत्र समिति थे। भारतीयों ने इनसे प्रेरणा लेकर एक अखिल मंच की स्थापना का कार्य किया। 

(5) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्देश्य

(1) कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन के सभापति श्री व्योमेश चंद्र बनर्जी कांग्रेश की गुरुता की ओर प्रतिनिधियों का ध्यान आकर्षित करते हुए इसके उद्देश्य इस प्रकार बताए थे।

(2) साम्राज्य (देश) के विभिन्न भागों में देश हित के लिए लगन से कार्य करने वाले व्यक्तियों के बीच घनिष्ठता तथा मित्रता के संबंध स्थापित करना। यह एक महत्वपूर्ण उद्देश्य था। 

(3) समस्त देशवासियों में वंश, धर्म तथा प्रांत संबंधी दूषित संस्कारों को मिटाकर राष्ट्रीय एकता भावनाओं का पोषण तथा परिवर्धन (जीवन चक्र में आने वाले बदलाव) स्थापित करना।

(4) महत्वपूर्ण तथा आवश्यक सामाजिक प्रश्न पर भारत के शिक्षित लोगों में अच्छी तरह चर्चा होने के बाद प्राप्त परिपक्व समितियों का संग्रह करना।

(5) उन तरीकों तथा दिशाओं का निर्णय (देश हित हो)  करना, जिनके द्वारा भारत के राजनीतिज्ञ देश हित के कार्य करें।  राजनीतिक क्षेत्र में उन्नति हेतु।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना से संबंधित विवादों की विवेचना अथवा स्थापना में आने वाले रुकावट 

  •  ए० ओ० ह्यूम तथा उसके सहयोगियों के कांग्रेस को संगठित करने के वास्तविक उद्देश्य क्या रहे, इस विषय पर विद्वान एकमत नहीं हो सके हैं। प्रथम विचारधारा के रूप में कांग्रेस की स्थापना व्याप्त व्याप्त असंतोष के लिए ‘अभयदीप’ के रूप में की गई अर्थात कांग्रेस का जन्म ब्रिटिश साम्राज्य की रक्षा के लिए हुआ था। 
  • ★भारतीय जनता की दयनीय दशा तथा शिक्षित नव युवकों का घोर असंतोष क्रांति का एक रूप ग्रहण करने वाला था। ह्यूम को अपने सूत्रों द्वारा यह ज्ञात हुआ कि राजनीतिक अशांति अंदर ही फैल रही है। दक्षिण के किसानों तथा बंगाल के ऊपरी क्रांतिकारियों की गतिविधियों में दूरदर्शी ह्यूम को भावी खतरे को पूर्व सूचना दी। ह्यूम को इस जन आंदोलन की गहरी चिंता थी। अतः उन्होंने जनता के  असंतोष को क्रांति का रूप ग्रहण करने से रोकने के लिए ‘अभयदीप’ को जन्म दिया, जो कांग्रेस थी।

   अतः स्पष्ट है कि कांग्रेस ने मिस्टर ह्यूम तथा ब्रिटिश अधिकारियों की आशाओं, जिन्होंने कांग्रेस की स्थापना में योगदान दिया था, जो पूर्ण किया। वह शिक्षित भारतीयों की असंतोष का आकर्षण केंद्र बन गई। कांग्रेस के मंच से इस बेचैनी तथा असंतोष को वैज्ञानिक रूप में व्यक्त किया जाने लगा और इस तरह कांग्रेस राष्ट्रीय असंतोष को प्रकट करने का शांतिपूर्ण साधन बन गई।

भारतीय संस्था के रूप में स्थापना 

कांग्रेस की स्थापना के संबंध में एक अन्य धारणा यह भी प्रस्तुत की गई कि कांग्रेस की स्थापना भारतवासियों के हित एक राष्ट्रीय संस्था के रूप में की गई। यदि कांग्रेस की स्थापना के संबंध में प्रतिपादित ‘अभय दीप की धारणा’ को स्वीकार किया जाए, तो यह न केवल ह्यूम पर, बल्कि अन्य भारतीयों पर आघात होगा, जिन्होंने कांग्रेस की स्थापना में सहयोग दिया था। कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्य के संबंध में जो उपरोक्त दृष्टिकोण प्रकट किए गए, वे दोनों आंशिक रूप से सत्य हैं। कांग्रेस की स्थापना की सही व्याख्या इस रूप में की जा सकती है कि कांग्रेस की स्थापना में ब्रिटिश साम्राज्य की भावना विद्यमान थी। परंतु इसके साथ कांग्रेस की स्थापना की मूल में भारतीयों के हित का विचार तथा भारी भारतीयता की भावना विद्यमान थी। भारतीय राजनीति में उस समय दो धाराएं थी। 

एक राष्ट्रीय संगठन के रूप में कांग्रेस की स्थापना

1885 ई० नहीं स्थापित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अखिल भारतीय स्वरूप का संगठन था। इसका उद्देश्य जाति, धर्म व वर्ण के किसी भेदभाव के बिना सभी भारतवासियों का प्रतिनिधित्व करना था। कांग्रेस के अधिकांश सदस्य और पदाधिकारी हिंदू थे। इसका एक कारण भारत की अधिकांश जनता का हिंदू होना है। कांग्रेस में आनुपातिक रूप में मुसलमानों की संख्या कम होने के कारण सर सैयद अहमद जैसे प्रभावशाली मुसलमान व्यक्तियों को कमरे से बाहर रखना था, परंतु कांग्रेस ने सदैव मुसलमानों सहित सभी वर्गों के हितों की रक्षा का पूरा पूरा प्रयत्न किया तथा इस प्रकार अपने राष्ट्रीय स्वरूप को बनाए रखा। यह सत्य है कि कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश शासन के सहयोग से की गई थी। कांग्रेस के प्रति शासन का दृष्टिकोण तब सहयोग तथा सहानुभूति से पूर्ण रहा जब कांग्रेस की शक्ति में तीव्र गति से वृद्धि होने लगी, कांग्रेस उच्च वर्ग के साथ-साथ सामान्य जनता से जुड़ने लगी तथा कांग्रेस के द्वारा सामाजिक, आर्थिक एवं प्रशासनिक सुधारों की मांग की जाने लगी तथा ब्रिटिश सरकार के रूप में परिवर्तन होने लगे।

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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई?

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसंबर, 1885 को मुम्बई में हुई।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किसने की?

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना ए०ओ० ह्यूम ने की।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के कारण बताइए?

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के कारण - (1) भारतीयों में बढ़ता हुआ असंतोष (2) इल्बर्ट विधेयक पर प्रतिक्रिया (3) ए०ओ० ह्यूम का योगदान (4) भारत में राष्ट्रवाद का उदय (5) प्रांतीय राजनीतिक संस्थाएं

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्देश्य?

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्देश्य - साम्राज्य (देश) के विभिन्न भागों में देश हित के लिए लगन से कार्य करने वाले व्यक्तियों के बीच घनिष्ठता तथा मित्रता के संबंध स्थापित करना। यह एक महत्वपूर्ण उद्देश्य था।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना से संबंधित विवादों की विवेचना कीजिए?

ए० ओ० ह्यूम तथा उसके सहयोगियों के कांग्रेस को संगठित करने के वास्तविक उद्देश्य क्या रहे, इस विषय पर विद्वान एकमत नहीं हो सके हैं। प्रथम विचारधारा के रूप में कांग्रेस की स्थापना व्याप्त व्याप्त असंतोष के लिए ‘अभयदीप’ के रूप में की गई अर्थात कांग्रेस का जन्म ब्रिटिश साम्राज्य की रक्षा के लिए हुआ था।

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