बौद्ध धर्म की भारतीय संस्कृति को देन | baudh Dharm ka yogdan

 बौद्ध धर्म की भारतीय संस्कृति को देन

बौद्ध धर्म की देन

बौद्ध धर्म मूलतः हिंदू धर्म का ही एक सुधारवादी दृष्टिकोण था। बौद्ध धर्म ने जिन सिद्धांतों को अपनाया, वे वास्तव में नए नहीं थे बल्कि सारे ही उपनिषदों ने उन का प्रतिपादन किया था। कालांतर में दोनों धर्मों का पारस्परिक मतभेद बढ़ता ही गया। किंतु भारतीय संस्कृति और सभ्यता पर बौद्ध धर्म ने अपनी विलक्षण एवं अमित छाप छोड़ी है। भारत के धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक, दार्शनिक का संबंधी आदि सभी क्षेत्र बौद्ध धर्म से बहुत प्रभावित हुए हैं। वास्तुत: बौद्ध धर्म ने भारतीय संस्कृति की श्री संपन्नता में अपूर्व वृद्धि की। 

बौद्ध धर्म की भारतीय संस्कृति को देन | baudh Dharm ka yogdan

(1) उच्च नैतिकता की स्थापना

बौद्ध धर्म में सत्य, सदाचार, काम, क्रोधादि 6 विकारों का त्याग, अपरिग्रह, जनसेवा आदि उच्च नैतिक नियमों के पालन ने जनमानस की नैतिकता का स्तर भी ऊपर उठाया। इससे पूर्व यह सारे सिद्धांत मात्र थे किंतु बुद्ध एवं उनके भिक्षुओं ने इन समस्त गुणों को अपनी जीवन पद्धति में व्यवहारिक रूप में प्रयोग करके भी दिखा दिया। बौद्ध धर्म की महायान मतावलंबियों ने बोधिसत्व के रूप में प्राणी मात्र के सेवा का आदर्श समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया। ‘जो जैसा करेगा वैसा ही भरेगा’ आत्मा की पवित्रता शुद्ध कर्म से ही संभव है; अतः अष्टांगिक मार्ग पर चलकर ही दुख से निवृत्ति संभव है— बुद्ध की इन उपदेशों ने व्यक्तिगत जीवन निर्वाह का मार्ग भी उत्कृष्ट किया, जिससे समाज में उच्च नैतिकता स्थापित हुई। 

(2) हिंदू धर्म पर प्रभाव

बौद्ध धर्म के विचारों एवं नैतिकता की भावना ने हिंदू धर्म के स्वरूप को बहुत प्रभावित किया। बौद्धो ने अहिंसा के सिद्धांत को क्रियात्मक रूप से सफल कर दिखाया था। इस अहिंसा ने हिंदू धर्म में भी पशु -बलि को बहुत अधिक प्रभावित किया। यज्ञ में पहले के समान हिंसा नहीं रही। वास्तव में परवर्ती भागवत (वैष्णव) धर्म का जन्म ही बौद्ध धर्म के अप्रत्यक्ष प्रभाव से हुआ। भागवत धर्म का अहिंसा परमो धर्म; बौद्ध धर्म की ही देन है। 

(3) लोकप्रिय एवं सरल धर्म 

बौद्ध धर्म ने अपने पूर्वर्ती जटिल हिंदू धर्म की अपेक्षा अत्यंत सरल एवं कर्मकांड रहित था। हिंदू धर्म में प्राकृतिक शक्तियों के प्रतीक रूप देवताओं की याज्ञिक उपासना का प्रस्ताव था अथवा निर्गुण ब्राह्म का अध्यात्मवाद था — यह सारा धर्म सामान्य बुद्धि वाले व्यक्तियों के लिए समझ पाना सरल नहीं था। बौद्ध धर्म में स्कर्ट नेता को दूर कर दिया। बौद्ध धर्म में ही सर्वप्रथम व्यक्तियों को भी प्रधानता दी गई।

(4) वर्ग एवं वर्ण भेद का अभाव

बुध से पूर्व भारतीय समाज में जाति प्रथा के कारण ऊंच-नीच का बहुत भेदभाव था। ब्राह्मण पूज्य दम थे और शुद्र अस्पर्श एवं अध्यतम। बौद्ध धर्म में सब मनुष्यों में समानता का सिद्धांत प्रसारित किया। समाज में ना तो जातियों का और ना ही स्त्री पुरुषों का भेदभाव है, अपितु सभी समान और स्वतंत्र हैं। सभी को आध्यात्मिक प्रगति करने और निर्माण प्राप्ति के अधिकार हैं। समानता से दया भाव एवं दया से सहिष्णुता का भाव स्वत: ही उत्पन्न होता है। बौद्ध धर्म में अनेक राजाओं को प्रेम शांति सहनशीलता दया तथा प्रजा  श्रद्धा का पाठ पढ़ाया जिससे प्रजा बहुत सुखी हुई। अशोक, कनिष्क, हर्षवर्धन आदि ऐसे ही प्रसिद्ध राजा हुए।

(5) मूर्ति पूजा प्रारंभ 

बौद्ध धर्म से पूरे भारत में मूर्ति पूजा नहीं थी। समस्त धार्मिक अनुष्ठान यज्ञ में ही संपन्न होते थे। मूर्ति पूजा का प्रारंभ में बौद्ध धर्म के द्वारा किया गया। बौद्ध धर्म की महायान शाखा ने बुध और बोधिसत्व सुंदर अलंकृत प्रतिमाएं बनाई, उस पर मंदिरों का निर्माण किया गया तथा उनकी विविध प्रकार की पूजन विधि विकसित की। इसका प्रभाव अन्य धर्मों पर भी पड़ा जिनमें भारत का ब्राह्मण धर्म भी था। इस प्रकार भारत में मूर्ति पूजा प्रारंभ करने का श्रेय बौद्ध धर्म को है।

(6) संघ व्यवस्था

बौद्ध धर्म के उदय से पूर्व भारतीय संस्कृति में तपस्वी ऋषि-मुनियों, परिवरा्जको, सन्यासियों आदि का तो उल्लेख है, किंतु सुव्यवस्थित संगठन बनाकर अपना धर्म प्रचार करने की प्रथा का कोई संकेत नहीं है। बौद्ध धर्म की संघ व्यवस्था भारतीय संस्कृति को एक नई देन है। यह बौद्ध संघ प्रजातांत्रिक प्रणाली पर सुसंगठित अनुशासन सील समुदाय थे, जो अपने धर्म के प्रचार में तत्पर रहते थे। इन बौद्ध संघों से सामान्य जनता को धार्मिक संगठन का महत्व ज्ञात हुआ। 

(7) बौद्धिक स्वातंत्र्य

ब्राह्मण धर्म में वेद ईश्वरीय ज्ञान तथा शब्द प्रमाण रूप थे। इसके फलस्वरूप बौद्धिक क्षेत्र में पुरोहितों का एकाधिकार हो गया था। इस एकाधिकार ने स्वतंत्र एवं व्यक्तिगत चिंतन के विकास को लगभग प्रतिबंधित कर दिया। किंतु बुद्ध ने अपने शिष्यों को संपूर्ण बौद्धिक स्वतंत्रता दी और धर्म में व्यक्तित्व को प्रधानता दी।

(8) भारतीय संस्कृति का प्रसार 

बौद्ध धर्म की सर्वाधिक महत्वपूर्ण देनी हो है कि धर्म ने अन्य अनेक देशों के साथ भारत का घनिष्ठ संबंध स्थापित कर दिया। भारत के बौद्ध धर्म प्रचारकों ने मध्य एशिया चीन मंगोलिया मंचूरिया जापान कोरिया जावा सुमात्रा श्याम मलाया ब्रह्मा लंका आदि देशों की धर्म का प्रचार किया। जिसे इन देशों में भी भारतीय संस्कृति का प्रसार हुआ। इसके फलस्वरूप विश्व में भारतवर्ष एक तीर्थ स्थल के समान पवित्र माना जाने लगा। कालांतर में इन सभी देशों और भारत वर्ष के बीच मैत्रीपूर्ण घनिष्ठ संबंध स्थापित हो गए और परस्पर व्यापारिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान होने लगा।

(9) दर्शन की नई विचारधाराएं

भारतीय दार्शनिक चिंतन को बौद्ध धर्म में एक नवीन दिशा प्रदान की। बहुत ही दार्शनिकों और विचारकों ने तत्वज्ञान की विभिन्न जटिल समस्याओं पर स्वतंत्रता पूर्वक जो कुछ मनन चिंतन किया; उसके फल स्वरुप नवीन दार्शनिक मान्यताएं स्थापित हुई। बौद्ध धर्म के अंतर्गत अनेक दार्शनिक संप्रदायों का विकास हुआ, जिनमें सौतांत्रिक, वैभाषिक, विज्ञान वादी तथा शून्यवादी दार्शनिक विचारधारा ही प्रसिद्ध है। बौद्ध दर्शन की महनीयता का अनुमान इसी से किया जा सकता है कि नागार्जुन, वसुबंधु, अश्वघोष, असंग, धर्मकिर्ति आदि पौधे दार्शनिकों के विचारों का समय अध्ययन किए बिना कोई भी भारतीय दर्शन का आचार्य नहीं कहा जा सकता है। 

(10) भारतीय इतिहास पर अमिट प्रभाव 

भारतीय संस्कृति पर बौद्ध धर्म का एक दुखद प्रभाव पड़ा है। इस धर्म ने अहिंसा और जीव दया पर सर्वाधिक बल दिया था। बौद्ध धर्म के प्रभाव में आकर अशोक ने पुन हो कभी युद्ध न करने की प्रतिज्ञा की और अपनी समस्त शासन नीति ही परिवर्तित कर डाली। युद्ध न करने की स्थिति में सेना आलसी शिथिल और निष्क्रिय हो गई और सामान्य जनता की प्रवृत्ति भी रक्तपात आदि से विमुख हो गई। शस्त्रास्त्रो का परीक्षण और अभ्यास बहुत कम रह गया। इसी कारण जब भारत में विदेशी आक्रांता में बर्बर आक्रमण किए तो भारत को पुनः पराजय का मुंह देखना पड़ा। केंद्रीय राज्य सत्ता के हिंसक हो जाने पर व्यवस्था छिन्न-भिन्न हुई और देश छोटी-छोटी अनेक इकाइयों में बढ़ गया। अहिंसा का सिद्धांत बुद्ध मूल हो जाने पर भारत से दिए थे काल के लिए सैन्य भावना का ही लोप हो गया। भारतीय इतिहास में बौद्ध धर्म के प्रभाव का यह दु:खद पहलू है। 


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