अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली (indirect election)
अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली; यह निर्वाचन कि वह प्रणाली है, जिसमें प्रत्यक्षी का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से ना होकर अप्रत्यक्ष रूप में होता है। जिसमें आम जनता भाग नहीं ले पाती है। इसमें आम जनता का कोई मतदान नहीं होता है। यह पद्धति निर्वाचन प्रणाली के अंतर्गत सबसे पुरानी पद्धति है। इसमें प्रत्याशी का चुनाव सीमित व्यक्तियों के अंतर्गत होता है। इसमें जनता मतदान नहीं कर पाती है। अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली में प्रत्याशियों का चुनाव एक आयोग द्वारा होता है।
अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली के गुण
(1) व्यापक निर्वाचन क्षेत्र के लिए उपयुक्त
अप्रत्यक्ष मतदान प्रणाली के गुण ; निर्वाचन क्षेत्र जब काफी विस्तृत हो और मतदाताओं की संख्या काफी बड़ी हो तो अप्रत्यक्ष निर्वाचन ही सही विकल्प रह जाता है। क्योंकि अधिक जनता में प्रत्यक्ष निर्वाचन बहुत अत्यधिक महंगा पड़ता है और अराजकता भी फैलने की संभावना रहती है जिस कारण व्यापक क्षेत्र में अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली ही उपयुक्त मानी जाती है।
(2) अशिक्षित जनता की होने पर उपयोगी
जिस देश की अधिकांश जनता अशिक्षित हो वहां अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली ही सर्वशष्ठ होती है। अशिक्षित जनता सही निर्णय लेने में असमर्थ होती है जबकि चुने हुए शिक्षित मतदाता सही निर्णय लेने में सक्षम होते हैं। इसमें सीमित लोगों द्वारा प्रत्याशी का चुनाव किया जाता है और जो सीमित लोग होते हैं वह शिक्षित व सुलझे हुए होते हैं। जिस कारण प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली का यह भी एक महत्वपूर्ण गुण है।
(3) कम व्यय
यह प्रणाली खर्चीली भी कम है। इसके अंतर्गत मतदाताओं की संख्या सीमित रहती है, जिसके कारण मतदान का आयोजन सीमित दायरे में होता है। इसलिए प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली की अपेक्षा इस प्रणाली में भी व्यय कम होता है। प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली में मतदान करने में धन का बहुत व्यय होता है। और इस निर्वाचन प्रणाली में धन का कम व्यय होता है। कम व्यय से यह भी लाभ है क्योंकि आने वाले समय के लिए राष्ट्र के पास काफी धन एकत्र हो जाएगा।
(4) सस्ती भावुकता का भाव
अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली में मतदाता भावनाओं और सस्ते नारों के प्रभाव में नहीं आते हैं। सामान्य जनता की भांति हुए प्रत्याशियों की झूठी वादों एवं प्रलोभन से प्रभावित होकर मतदान नहीं करते हैं। इसमें जो लोग प्रत्याशी का चुनाव करते हैं वह कुशल एवं शिक्षित होते हैं जिस कारण वह अच्छे प्रत्याशी का चुनाव करते हैं।
(5) अच्छे प्रत्याशियों का चुनाव
अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली में क्योंकि मतदाताओं की संख्या सीमित होती है और मतदाता तुलनात्मक रूप से शिक्षित होते हैं और भी अच्छे प्रत्याशियों का चुनाव करने में भी समर्थ होते हैं। अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली में पहले एक आयोग का गठन होता है, जिसमें कुछ सीमित लोग होते हैं जो शिक्षित और कुशल होते हैं। और यही आयोग द्वारा प्रत्याशियों सुना होता है। जिससे यह हो पता चलता है कि इस निर्वाचन प्रणाली से अच्छे प्रत्याशियों का चुनाव होगा।
(6) पेशेवर राजनीतिज्ञों का अभाव
सीमित संख्या में मतदाता एवं उनके शिक्षित और समझदार होने के कारण पेशेवर राजनीतिज्ञ उन पर प्रभाव नहीं डाल पाते हैं। यही कारण है कि जहां अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली की व्यवस्था है वहां पेशेवर राजनीतिज्ञों की संख्या कम रहती है।
अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली के दोष
(1) अलोकतांत्रिक प्रणाली
अप्रत्यक्ष मतदान प्रणाली के दोष ; यह लोकतांत्रिक या कम लोकतांत्रिक वाली प्रणाली है। क्योंकि इसमें समस्त जनता को प्रतिनिधियों के चयन में भाग लेने का अधिकार या अवसर नहीं मिलता है। इसमें जनता को अंधेरे में रखकर प्रत्याशी का चुनाव होता है। जिस कारण यह कम लोकतांत्रिक प्रणाली के अंतर्गत आता है।
(2) भ्रष्टाचार
अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली में निर्वाचक ओं की संख्या सीमित रहती है अतः प्रत्याशी उन्हें प्रलोभन आधे से प्रभावित कर सकते हैं। भ्रष्टाचार का होना इसमें स्वाभाविक हो जाता है क्योंकि इसमें कम लोग होते हैं और प्रत्याशियों द्वारा इन्हें प्रलोभन देने में भी कोई कठिनाइयां नहीं आती हैं। जिस कारण आजकल भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। क्योंकि जो व्यक्ति पद पर हैं वह भ्रष्टाचार करके ही कहीं ना कहीं पद तक पहुंचे हैं।
(3) जनता और प्रतिनिधियों से संपर्क का अभाव
अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली में जनता और प्रतिनिधियों के बीच सीधे संपर्क नहीं हो पाते हैं। प्रतिनिधियों का चुनाव जनता द्वारा चुने हुए निर्वाचको द्वारा होता है। जनता और प्रतिनिधियों में संपर्क का अभाव इसलिए भी रहता है क्योंकि इसमें जनता अपना प्रतिनिधि नहीं चुन पाती है। जिस कारण जनता के मन में बहुत से उलझन हुए होते हैं।
(4) राजनीतिक परीक्षण का अभाव
अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली में समस्त जनता चुनाव में भाग नहीं लेती है, इसलिए उसे राजनीतिक समस्याओं एवं विभिन्न दलों के कार्यक्रमों और नीतियों की जानकारी नहीं हो पाती है। पता उन्हें किसी प्रकार की राजनीतिक शिक्षा नहीं मिल पाती है।
(5) उत्तरदायित्व का अभाव
अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली में प्रतिनिधि सीधे जनता के प्रति उत्तरदाई नहीं होते हैं, जिससे जनता के हितों की अवहेलना होते रहने की संभावना रहती है, इससे जनता का उनके ऊपर किसी प्रकार का नियंत्रण भी नहीं रहता है। इसलिए कभी-कभी प्रतिनिधियों में स्वेच्छाचारी था की भावना जागृत हो जाती है।
(6) जनता में सहयोग की भावना का अभाव
अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली में जनता को शासकों और प्रतिनिधियों के चुनाव में प्रत्यक्ष रूप से आवश्यक न मिलने के कारण प्राय हो उनके अंतर राजनीतिक मामलों के प्रति उदासीनता की भावना विकसित हो जाती है और उसमें शासन व्यवस्था के प्रति सहयोग की भावना का भाव पाया जाता है।
(7) व्यवहार में प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रत्यक्ष हो जाता है
अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली में व्यवहार में प्रत्यक्ष हो जाने की प्रवृत्ति रहती है। राजनीतिक दल बंदी के कारण लोग और प्रत्यक्ष निर्वाचन में भी इतनी सक्रियता से भाग लेते हैं कि वह निर्वाचन एक प्रकार से अप्रत्यक्ष ही हो जाता है। उदाहरण के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए अप्रत्यक्ष निर्वाचन की व्यवस्था की गई है किंतु व्यवहार में वह निर्वाचन प्रत्यक्ष ही हो जाता है। इस चुनाव में संपूर्ण अमेरिका सक्रिय।
निष्कर्ष — प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों पद्धतियों के अपने-अपने गुण एवं दोष हैं। लोकप्रिय सदन का चुनाव प्रत्यक्ष होने की प्रॉपर्टी है। और द्वितीय सदन के चुनाव में प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली अपनाई जाने का प्रचलन है। यह व्यवस्था में अपनी अपनी जगह ठीक ही है। अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली छोटे क्षेत्रीय कम जनसंख्या वाले राज्य के लिए उपयुक्त मानी जाती है। क्योंकि अधिक जनसंख्या वाले राज्य में मतदान की व्यवस्था में राष्ट्रीय आय में बहुत अधिक हद तक प्रभाव पड़ता है।
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