कुस्तुनतुनिया के पतन के परिणाम - letest education

 कुस्तुनतुनिया

15 वीं शताब्दी तुर्की के साम्राज्य के उत्कर्ष की शताब्दी थी। यूरोप के दक्षिण पूर्व में तुर्की ने एक विशाल साम्राज्य अर्जित कर लिया था तथा 1453 ई० में तुर्की के द्वारा कुस्तुनतुनिया पर अधिकार कर लेने से यूरोप आतंकित हो उठा था। कुस्तुनतुनियां का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व था। यूनानी सभ्यता संस्कृति का वह केंद्र माना जाता था तथा यूरोप के व्यापारियों के लिए कुस्तुनतुनियां से ही एशियाई देशों को मार्ग जाता था। तुर्की द्वारा इस प्रदेश पर अधिकार हो जाने के कारण यूरोप तथा एशिया के मध्य व्यापारिक संबंधों में अवरोध उत्पन्न होने लगा था। इसके अतिरिक्त सुल्तानों के धार्मिक अत्याचारों से क्षुब्ध होकर कुस्तुनतुनियां के निवासियों ने यूरोप के अन्य देशों की ओर प्रस्थान करना प्रारंभ किया। 


कुस्तुनतुनिया पतन के परिणाम

(1) नव युग का आरंभ 

कुस्तुनतुनिया पर विजय प्राप्ति के उपरांत तुर्की के सुल्तान एवं कर्मचारियों ने वहां की सारी प्रजा पर धार्मिक अत्याचार आरंभ कर दिए तथा उन्हें बलपूर्वक मुसलमान बनाने का भी प्रयास किया गया। परिणाम स्वरूप वहां के अधिकांश निवासी वहां से भागकर इटली में शरण ले ली। इटली का नगर रूम उस समय यूरोप की सभ्यता का केंद्र माना जाता था, यूनानी संस्कृति से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका। यूरोप की सभ्यता की जननी यूनानी और रोमन सभ्यताओं के सम्मेलन से यूरोप में एक नए युग को जन्म मिला। मध्ययुगीन निंद्रा त्याग कर यूरोप सजग एवं सचिव होने लगा तथा अपनी मात्र सभ्यता की सुरक्षा के भाव ने यूरोप में आधुनिक युग को जन्म दिया। 

(2) शक्तिशाली राजतंत्रों का अभ्युदय 

कुस्तुनतुनिया पर तुर्कों की बिजाई के परिणाम स्वरूप यूरोप का वह वैभवशाली नगर नष्ट हो गया। परंतु इसके स्थान पर अन्य नए-नए विशाल एवं वैभवशाली नगरों का जन्म हुआ तथा समुंदरों के तट पर अनेक नवीन बंदरगाहों का भी निर्माण किया गया। नवीन नगरों के विकास के कारण ग्रामीणों तथा सामंतों का महत्व कम होने लगा। बारूद के अवष्कार सम्राटों ने शक्ति हस्तगत कर ली तथा सामंतों के अधिकारों का विनाश करने का प्रयास किया। इस प्रकार निरंकुश एवं स्वेच्छाचारी राजतंत्र का विकास इस युग की विशेषता है, जिसका उत्तरदायित्व अप्रत्यक्ष रूप से कुस्तुनतुनिया विजय को दिया जा सकता है।

(3) व्यवसायिक क्रांति 

तुर्कों की खुश तुम दुनिया विजय ने पूर्वी देशों से यूरोप के व्यापार को बहुत धक्का पहुंचाया। इस वजह से पूर्व यूरोप वासी भूमध्य सागर से होकर कुस्तुनतुनिया होते हुए पूर्वी देशों में जाया करते थे। किंतु इस मार्ग के अवरुद् हो जाने के कारण नवीन मार्ग की खोज की आवश्यकता होने लगी। इसी समय कुतुबनुमा की आविष्कार से दिशा का सही ज्ञान प्राप्त करना संभव हो सका। इटली स्पेन तथा पुर्तगाल के साहसी नाविकों ने समुद्र पार कर के नए-नए देशों की खोज प्रारंभ की जिसमें उन्हें अपूर्व सफलता प्राप्त हुई तथा संचार के विभिन्न भागों से यूरोप परिचित हुआ। इन देशों के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित किए गए तथा अधिकांश भागों को शुरू वासियों ने उपनिवेशन के रूप में परिणत कर लिया। 

(4) धार्मिक आंदोलनों का उदय

नवीन साहित्य के प्रसार ने यूरोप वासियों के अंधविश्वासों पर कुठाराघात किया। विज्ञान के नवीन आविष्कारों ने मनुष्यों की धर्मांधता को दूर करने में सहायता पहुंचाई। ईश्वर का सांस्कृतिक जागरण के फल स्वरुप जो कुस्तुनतुनिया के पतन का परिणाम था, यूरोप में धर्म सुधार की एक लहर फैल गई। चर्च की दोषपूर्ण व्यवस्था की ओर शिक्षित वर्ग ने दृष्टिपात किया तथा जनता को उसका विरोध करने के लिए उत्साहित किया। इससे पूर्व शिक्षा का भार पादरी वर्ग पर ही था। किंतु सांस्कृतिक जागरण के उपरांत जनसाधारण में शिक्षा का प्रसार हुआ तथा शिक्षा ने अंधविश्वास की युग का अंत कर धर्म में सुधार करने के लिए नव युग को जन्म दिया ।

(5) राष्ट्रीयता की भावना का जन्म

नवोदित राज्यों के उत्कर्ष के साथ ही साथ राष्ट्रीयता की भावना भी जागृत हुई। मध्यकाल में सार्वभौम वाद की भावना प्रधान थी। यूरोप ही उनका विश्व था और पोप को वह भगवान मानते थे। प्रत्येक देश में जनता विभिन्न वर्गों में विभाजित थी। वर्ग हतों को ही प्रमुखता दी जाती थी। वर्ग हित के अलावा स्थानीय हित है। सामंत शाही का अंत हो जाने पर जहां एक और शक्तिशाली राज्य सत्ता का उदय हुआ, वहीं दूसरी ओर जनता का महत्व बड़ गया। इस परिवर्तन या अलग-अलग वर्गों और स्थानीय हितों की स्थान पर जनसाधारण के हितों का विकास होने में सहायता प्रदान किया। 

(6) मध्यम वर्ग का उदय 

आधुनिक युग की एक विशेषता यह थी कि इस काल में मध्यम वर्ग का उदय हुआ और धीरे-धीरे मध्यम वर्ग की शक्ति में वृद्धि होने लगी। पांचवी शताब्दी में बर्बर आक्रमणों के कारण यूरोप का व्यापार नष्ट हो गया था, लेकिन धीरे-धीरे व्यापार का पुनरुत्थान हुआ। नए नए मार्गों की खोज हुई तथा बड़े-बड़े नगर स्थापित होने लगे। नगरों तथा व्यापार का विकास होने से एक नई सामाजिक शक्ति का उदय हुआ। यह शक्ति थी — नया मध्यमवर्ग। यह मध्यमवर्ग धीरे-धीरे इतना शक्तिशाली हो गया कि वह आगे चलकर उन शक्तियों में से एक हो गया जिन्होंने आधुनिक इतिहास की प्रगति की दिशा को ही बदल दिया। 

(7) जीवन के प्रति नया दृष्टिकोण 

नवीन युग की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि इस युग में लोगों का जीवन के प्रति दृष्टिकोण बदल गया था। विश्व की सबसे महत्वपूर्ण घटना बौद्धिक क्रांति थी। बौद्धिक क्रांति का मुख्य कारण पुनर्जागरण अथवा प्राचीन साहित्य का अध्ययन था। 12 वीं शताब्दी के लगभग शुरू से ही यूनान और रोम की संस्कृति को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। इस समय प्राचीन यूनानी दर्शन और साहित्य के पठन-पाठन का मुख्य केंद्र इटली था। लेकिन धीरे-धीरे यूरोप के अन्य देश भी इसके प्रभाव में आने लगे। महान यूनानी दार्शनिक प्लेटो और अरस्तू का अध्ययन किया जाने लगा। इस युग में व्यक्तिगत स्वतंत्रता का विकास हुआ। इस समय आत्म- निर्वाह के बजाय आत्मिक विकास आत्मविश्वास और मानव जीवन के सुखों को पर जोर दिया जाने लगा था। पुनर्जागरण किसी आंदोलन को मानववाद कहते हैं। 


सारांश — इस प्रकार कुस्तुनतुनिया विजय ने यूरोप में आधुनिक युग को जन्म दिया। 1453 ई० के साथ ही यूरोप में नवयुग का प्रारंभ होता है तथा मध्ययुगीन संस्थाओं एवं विचारधाराओं के स्थान पर नवीन संस्थाओं एवं विचारधाराओं का जन्म होता है। जो कुस्तुनतुनिया के पतन के दूरगामी परिणाम थे। यदि आधुनिक युग को आरंभ करने वाली कोई निश्चित ही थी माननीय तो बहुत थी उस वर्ष को माननी चाहिए जिस वर्ष कुस्तुनतुनिया का पतन हुआ और वह वर्ष 1453 ईसवी है।  


महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर 


कुस्तुनतुनिया का पतन कब हुआ?

कुस्तुनतुनिया का पतन 1453 ई० में हुआ था।

कुस्तुनतुनिया कहाँ स्थित है?

कुस्तुनतुनिया तुर्की में स्थित है।

कुस्तुनतुनिया के पतन के परिणाम क्या है?

कुस्तुनतुनिया के पतन के परिणाम - (1) नव युग का आरंभ (2) शक्तिशाली राजतंत्रों का अभ्युदय (3) व्यवसायिक क्रांति (4) धार्मिक आंदोलनों का उदय (5) राष्ट्रीयता की भावना का जन्म (6) मध्यम वर्ग का उदय (7) जीवन के प्रति नया दृष्टिकोण।

कुस्तुनतुनिया का नया नाम क्या है?

कुस्तुनतुनिया का नया नाम इस्तानबुल है।

कुस्तुनतुनिया नगर की स्थापना किसने की थी?

कुस्तुनतुनिया नगर की स्थापना रोमन सम्राट हुईकांन्स्टेटिंन प्रथम ने 324 में की थी।

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