शाहजहाँ का शासनकाल : मुगलकाल का स्वर्ण-युग

 शाहजहाँ का शासनकाल 

 मुगलकाल का स्वर्ण-युग; शाहजहां के काल में देश की राजनीतक आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में अत्यधिक उन्नति हुई थी। इसलिए इतिहासकार उसके काल को मुगल काल का स्वर्ण - काल या युग कहते हैं। शाहजहां का काल मुगल साम्राज्य का स्वर्ण युग था, इस कथन से जो विद्वान सहमत हैं उनके तर्कों पर आधारित शाहजहां कालीन परिस्थितियों का विवरण  — 

शाहजहाँ का शासनकाल : मुगलकाल का स्वर्ण-युग

कारण या उपलब्धियां

(1) विस्तृत या बड़ा साम्राज्य 

शाहजहां के शासन के समय उसके साम्राज्य का विस्तार अपनी चरम सीमा तक पहुंच गया था। उसके साम्राज्य में 22 प्रांतों थे। उत्तर भारत में राजपूत राज्यों पर शाहजहां का आधिपत्य स्थापित हो गया था। दक्षिण भारत में अहमदनगर बीजापुर तथा गोलकुंडा के शासक भी उसको वार्षिक कर देने लगे थे। इसलिए बहुत से इतिहासकारों ने उसके काल को स्वर्ण युग कहा था।

(2) उच्च कोटि का शासन प्रबंध

शाहजहां एक कुशल शासन प्रबंधक था। उसने ऐसी शासन व्यवस्था अपनाई थी कि उसके राज्य की प्रजा सुख और शांति का अनुभव करने लगी थी। वह स्वयं शासन से संबंधित कार्यों को करता और देखता रहता था, जैसा कि मनूची ने भी लिखा है,— “सम्राट प्रशासनिक कार्यों में रुचि लेता था। वह राजकीय पदों पर योग्य व्यक्तियों की नियुक्ति करता था और अपराधी सिद्ध होने पर कर्मचारियों को भी कठोर दंड देने में हिचकिचाता नहीं था।” मुर्शिद कुली खां भी उसकी प्रांतीय व्यवस्था हेतु नियुक्त एक कुशल शासन प्रबंधक था।

(3) आंतरिक शांति व्यवस्था का युग 

शाहजहां के युग में उल्लेखनीय शांति रही है। कुछ छूट-मुट विद्रोह एवं संघर्ष अवश्य हुए हैं लेकिन उनका बड़ी सरलता से दमन कर दिया गया था। आम जनता पर किसी प्रकार का कष्ट या विपत्ति नहीं आई तथा राजपूतों एवं सिक्खों या मराठों से कोई भयंकर युद्ध नहीं हुआ।

(4) व्यापार की उन्नति का युग

शाहजहां के काल में विदेशी व्यापार और आंतरिक व्यापार में अत्यधिक उन्नति हुई थी। पश्चिमी एशिया के देशों को भारत से अधिक वस्तुएं निर्यात किए जाने से व्यापारी वर्ग को पर्याप्त राई होने लगी थी और देश की आर्थिक स्थिति काफी सुदृढ़ हो गई थी। इस आर्थिक उन्नति और समृद्धि के फल स्वरुप मध्यम वर्ग के व्यक्ति भी बहुत वैभवशाली जीवन व्यतीत करने लगे थे। 

(5) सम्राट की उदारता 

शाहजहां अपनी प्रजा से अपार मात्रा में स्नेह रखता था। और उसके साथ सन्तानतुल्य व्यवहार करता था। प्रजा को अपनी संतान समझ कर ही वह उस पर शासन करता था।

(6) कर्तव्य परायण या न्याय का युग 

शाहजहां एक न्याय प्रिय शासक था। वह सबके साथ निष्पक्ष न्याय किया करता था। शाहजहां इस प्रकार शासन नहीं करता था जैसे एक राजा अपनी प्रजा पर करता है। उसका शासन ऐसा होता था, जैसे पिता का अपने परिवार तथा पुत्र पर होता है। इस प्रकार उसने अपने राज्य में न्याय की समुचित व्यवस्था की थी। न्याय अधिकारीयों के ठीक प्रकार से न्याय न करने पर उन्हें कठोर दंड भी देता था।

(7) देश में समृद्धि और शांति

शाहजहां की संगठित शासन व्यवस्था के कारण देश में बहुत उन्नति की। शाहजहां का शासनकाल कृषकों के लिए शांति का युग था। राजस्व ठीक प्रकार से वसूल किया जाता था तथा अपराधियों को उचित दंड दिया जाता था। सम्राट के इन कार्यों से उसकी आय बढ़ गई थी। जिस पर अग्नेसेे अकबर के शासनकाल में तीन लाख की आय होती थी उससे अब ₹1000000 वसूल किया जाता था।

(8) वैभव का युग 

शाहजहां शान- शौकत ऐश्वर्य और वैभव प्रेमी सम्राट था। उसने अपनी शान शौकत का प्रतीक तख्तेताउस (मयूर सिंहासन) बनवाया था। यह आश्वासन हीरे मोती माणिक एवं रत्नों से जड़ित था, और इसके बनने में 1 करोड़ से अधिक रुपए तथा 7 वर्ष का समय लग गया था। 

(9) कलाओं की उन्नति का युग 

शाहजहां के काल में ललित कलाओं के साथ-साथ अन्य कराओ की भी अभूतपूर्व उन्नति हुई थी। 

1. साहित्य

शाहजहां के काल में साहित्य का कोश अत्यंत समृद्ध हुआ। उसी के काल में बिहारी, सेनापति, सुंदरदास, केशव, मोतीराम जैसे कवि हुए जिन्होंने अपनी कविताओं और दोनों से साहित्य की उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसी काल में उर्दू तथा फारसी के साथ- साथ हिंदी तथा संस्कृत साहित्य की भी रचना हुई। अथवा साहित्य की दृष्टि से भी शाहजहां का काल स्वर्ण युग का काल कहा जाता है।

2. चित्रकला एवं संगीत 

शाहजहां चित्रकला और संगीत का भी गहरा अनुरागी था। वह चित्रकारों एवं संगीतज्ञ को अपने राज्य में आश्रय प्रदान करता था। उस के दरबार में पंडित जगन्नाथ, जनार्दन, लाल खां आदि संगीतज्ञों को आश्रम मिला हुआ था।

3. स्थापत्य कला 

शाहजहां के समय में भवन निर्माण कला के अभूतपूर्व उन्नति हुई थी। उसके काल में निर्मित ताजमहल, मोती मस्जिद, दिल्ली का लाल किला, जामा मस्जिद आदि भवन स्थापत्य कला के उत्कृष्ट नमूने हैं। शाहजहां द्वारा निर्मित ताजमहल की गिनती तो संसार के आश्चर्यों में की जाती है। सत्य तो यह है कि शाहजहां के काल की एक एक इमारत कला के क्षेत्र में मुगल काल का स्वर्ण युग सिद्ध करती है।

समस्त उपलब्धियों के आधार पर यह कथन सत्य प्रतीत होता है, “शाहजहां का काल मुगल साम्राज्य का स्वर्ण - युग था।” शाहजहां की उपलब्धियां निसंदेह अभूतपूर्व थी। वह एक ऐसा वैभव संपन्न तथा प्रतापी शासक था जिसे प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त हुई।


impo-Short questions and answers 

शाहजहाँ का जन्म कब हुआ था?

शाहजहाँ का जन्म 5 जनवरी, 1592 में हुआ था।

शाहजहां का जन्म कहां हुआ था?

शाहजहां का जन्म ‘लाहौर पाकिस्तान’ में हुआ था।

मुगल काल का स्वर्ण युग किसके शासन में हुआ?

मुगल काल का स्वर्ण युग शाहजहां के शासन काल में हुआ।

शाहजहाँ के काल को स्वर्ण काल क्यो कहा जाता है?

शाहजहाँ के काल को स्वर्ण काल - (1) विस्तृत या बड़ा साम्राज्य (2) उच्च कोटि का शासन प्रबंध (3) आंतरिक शांति व्यवस्था का युग (4) व्यापार की उन्नति का युग (5) सम्राट की उदारता (6) कर्तव्य परायण या न्याय का युग (7) देश में समृद्धि और शांति

शाहजहां स्थापत्य कला के बारे में बताइए?

शाहजहां के समय में भवन निर्माण कला के अभूतपूर्व उन्नति हुई थी। उसके काल में निर्मित ताजमहल, मोती मस्जिद, दिल्ली का लाल किला, जामा मस्जिद आदि भवन स्थापत्य कला के उत्कृष्ट नमूने हैं।

शाहजहां की मृत्यु कब हुई?

शाहजहां की मृत्यु 22 जनवरी, 1666 में हुई।

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