रेग्यूलेटिंग एक्ट क्या है? धाराएं तथा गुण एवं दोष

 रेग्यूलेटिंग एक्ट (Regulating Act of 1773) से संबंधित कुछ मुख्य बिंदुओं को स्पष्ट करेंगे जैसे- 

(1) रेग्यूलेटिंग एक्ट के बारे में

(2) रेग्यूलेटिंग एक्ट की धाराएं क्या थी? 

(3) रेग्यूलेटिंग एक्ट के गुण एवं दोष 


रेग्यूलेटिंग एक्ट 
(Regulating Act of 1773)

रेग्यूलेटिंग एक्ट; 1773 ई० में आंग्ल संसद में दो एक्ट किए। एक के आधार पर कंपनी को 14 लाख पाउंड 4% ब्याज पर देना निर्धारित किया गया था। दूसरा एक्ट का नाम रेग्यूलेटिंग एक्ट था। इससे भारतीय शासन की रूपरेखा को निर्धारित करने का निश्चय किया गया। इस दिशा में आंग्ल संसद का यह एक प्रथम कार्य था।

रेग्यूलेटिंग एक्ट क्या है?  धाराएं तथा गुण एवं दोष

रेग्यूलेटिंग एक्ट की धाराएं — 

(1) संचालकों के कार्य की अवधि 4 वर्ष कर दी गई। इसमें 1/4 सदस्यों को प्रतिवर्ष अपना स्थान रिक्त करने की व्यवस्था भी थी। यह संचालक कम से कम 1 वर्ष तक अपना पद ग्रहण नहीं कर सकते थे। 

(2) गवर्नर जनरल को उसके कार्यों में सहायता प्रदान करने के लिए एक समिति का निर्माण किया गया। इसमें 4 सदस्य होते थे — कर्नल, मान्सन, फिलिप, फ्रांसिस, बारवेल तथा जनरल क्वेवरिंग इनके नाम थे। इनके स्थानों की पूर्ति स्वयं बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स कर सकता था। इनकी कार्य अवधि 5 वर्ष थी। 

(3) बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया। मुंबई और मद्रास के गवर्नर उसके नियंत्रण में आ गए। गवर्नर जनरल के परामर्श के बिना देशी राजाओं के साथ उन्हें संध्या युद्ध करने का अधिकार नहीं था। 

(4) गवर्नर जनरल का वार्षिक वेतन 25000 पौंड तथा समिति के सदस्यों का वार्षिक वेतन 10000 पौंड निर्धारित किया गया था। 

(5) कोलकाता में उच्चतम न्यायालय स्थापित किया गया। इसमें एक मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त तीन अन्य न्यायाधीश थे। सर एलिजाह इम्पे पर उस समय मुख्य न्यायधीश थे। यह न्याया- व्यवस्था गवर्नर जनरल तथा समिति के सदस्यों के प्रभाव से मुक्त थी। इसके विरुद्ध अपील इंग्लैंड की प्रिवी कौंसिल में ही हो सकती थी। मुख्य न्यायाधीश का वेतन 800 पौंड मासिक था। 

(6) कंपनी के किसी कर्मचारी को लाइसेंस प्राप्त किए बिना व्यापार करने का अधिकार नहीं था। उनमें से कोई भी कर्मचारी भेंट अथवा उपहार भी नहीं ले सकता था।

(7) कंपनी के डायरेक्टर को कंपनी के सैनिक तथा राजनैतिक कार्यों की सूचना सेक्रेटरी ऑफ स्टेट को देने रहना अनिवार्य था।

(8) गवर्नर जनरल की कौंसिल बहुमत के आधार पर निर्णय करती थी। गवर्नर जनरल को कास्टिंग मत देने का अधिकार प्राप्त था। 


रेग्यूलेटिंग एक्ट के गुण  

रेगुलेटिंग एक्ट के अनेक गुण थे। इसके द्वारा शासन व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने का प्रयास किया गया था। समान नीति के अनुसरण किए जाने की ओर भी इसमें पर्याप्त संकेत था। तीनों प्रेसीडेंसी के गवर्नर स्वतंत्र होने के कारण संचालकों से सीधे पत्र व्यवहार कर सकते थे। किंतु इस एक्ट द्वारा अब बंबई और मद्रास के गवर्नर भी गवर्नर जनरल के अधीन कर दिए गए। कंपनी के कर्मचारियों की व्यक्तिगत व्यापार को यथेष्ट सीमित कर दिया गया। वह किसी से भेंट उपहार नहीं ले सकते थे। इससे इंग्लैंड की सरकार ने कंपनी के शासन को अपने पूर्ण नियंत्रण में कर लिया। 

रेग्यूलेटिंग एक्ट के दोष 

(1) कौसिल द्वारा गवर्नर जनरल पर नियंत्रण की स्थापना 

गवर्नर जनरल ब्रिटिश इंडिया का सर्वोच्च पदाधिकारी अवश्य ही था किंतु समस्त कार्य कौसिल की बहुमत से ही निर्धारित किए जाते थे। आगामी काल में इसमें अनेक दोष गए थे। गवर्नर जनरल किसी भी कार्य को शीघ्रता से संपन्न नहीं कर सकता था। कौंसिल में पेश किए गए विषय पर वाद-विवाद किया जाता था। इसमें समय काफी लग जाता था और समय की बर्बादी होती थी। गवर्नर जनरल तथा कौंसिल के पारस्परिक संबंध अच्छे नहीं थे। समिति प्रयोग गवर्नर जनरल की विपरीत निर्णय देती थी। इससे स्थिति का विवरण जाना निश्चित ही था। 

(2) उच्चतम न्यायालय की अधीनता में गवर्नर जनरल 

गवर्नर जनरल की समिति उच्चतम न्यायालय के अधीन थी। इसके द्वारा पारित किए गए नियम को उच्चतम न्यायालय ही अवैध घोषित कर सकता था।

(3) गवर्नर तथा गवर्नर जनरल 

मद्रास तथा मुंबई के गवर्नर को गवर्नर जनरल के अधीन कर दिया गया था। इसकी राय की बिना ही वे किसी देशी राजा से संधि या युद्ध नहीं कर सकते थे। इससे उनकी स्वतंत्र सप्ताह समाप्त हो गई। परामर्श ग्रहण करने में देरी लगने के कारण प्रयोग कार्य उचित रीति से संपन्न नहीं हो पाते थे। 

(4) कंपनी के कर्मचारियों के आर्थिक लाभ का प्रयास न करना 

इस अधिनियम से कंपनी के कर्मचारियों की व्यक्तिगत व्यापार कोहनी पहुंचाई गई। उस पर प्रतिबंध लगाए गए। उनकी आय को बढ़ाने के लिए कोई ध्यान नहीं दिया गया। इस कारण कंपनी के कर्मचारियों ने अपनी आई के अन्य साधन ढूंढ निकाले। आई किन साधनों ने घूस पूरी तरह भ्रष्टाचार का रूप ले लिया तथा इस प्रकार रेगुलेटिंग एक्ट में यह एक महत्वपूर्ण दोस्त था।

(5) उच्चतम न्यायालय के अनिश्चित अधिकार

इस एक्ट में उच्चतम न्यायालय के अधिकारों का कोई स्पष्टीकरण नहीं किया गया था। इस रेगुलेटिंग एक्ट द्वारा यह अंग्रेजी प्रथा के मुकदमों का निर्णय कर सकता था। अंग्रेजों की प्रजा में अंग्रेज तथा भारतीय दोनों का समावेश था। आगामी समय में इससे अनेक दोषों की उत्पत्ति हुई। इस बात का भी स्पष्टीकरण नहीं था कि अंग्रेजी अथवा भारतीय कानूनों के आधार पर निर्णय किया जाएगा। इस एक्ट में कंपनी द्वारा स्थापित नहीं आ रही हूं तथा उच्चतम न्यायालय के मध्य पारस्परिक संबंध का भी स्पष्टीकरण ही था।

(6) संसद द्वारा संपन्न किए गए नियुक्ति संबंधी कुछ कार्य 

संसद द्वारा की गई कई नियुक्तियां अनुसूचित थी। संसद द्वारा चार परामर्श दाताओं की नियुक्तियां की गई। उसमें से कुछ को तो भारत की वास्तविक स्थिति का ज्ञान भी नहीं था। इनमें फ्रांसीसी और क्वेवरिंग का नामों का उल्लेख किया जा सकता है। उनके मन में यह पूर्ण धारणा बनी रहती थी कि भारत का शासन दोषपूर्ण है। 


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रेग्यूलेटिंग एक्ट कब पारित हुआ था?

रेग्यूलेटिंग एक्ट 1773 पारित हुआ था।

रेग्यूलेटिंग एक्ट क्या है?

रेग्यूलेटिंग एक्ट; 1773 ई० में आंग्ल संसद में दो एक्ट किए। एक के आधार पर कंपनी को 14 लाख पाउंड 4% ब्याज पर देना निर्धारित किया गया था। दूसरा एक्ट का नाम रेग्यूलेटिंग एक्ट था।

रेग्यूलेटिंग एक्ट की धाराएं क्या थी?

रेग्यूलेटिंग एक्ट की धाराएं - संचालकों के कार्य की अवधि 4 वर्ष कर दी गई। इसमें 1/4 सदस्यों को प्रतिवर्ष अपना स्थान रिक्त करने की व्यवस्था भी थी। यह संचालक कम से कम 1 वर्ष तक अपना पद ग्रहण नहीं कर सकते थे।

रेग्यूलेटिंग एक्ट के गुण बताइए?

रेग्यूलेटिंग एक्ट के गुण - रेगुलेटिंग एक्ट के अनेक गुण थे। इसके द्वारा शासन व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने का प्रयास किया गया था। समान नीति के अनुसरण किए जाने की ओर भी इसमें पर्याप्त संकेत था। तीनों प्रेसीडेंसी के गवर्नर स्वतंत्र होने के कारण संचालकों से सीधे पत्र व्यवहार कर सकते थे।

रेग्यूलेटिंग एक्ट के दोष क्या है?

रेग्यूलेटिंग एक्ट के दोष क्या है- (1) कौसिल द्वारा गवर्नर जनरल पर नियंत्रण की स्थापना (2) उच्चतम न्यायालय की अधीनता में गवर्नर जनरल (3) गवर्नर तथा गवर्नर जनरल (4) कंपनी के कर्मचारियों के आर्थिक लाभ का प्रयास न करना (5) उच्चतम न्यायालय के अनिश्चित अधिकार (6) संसद द्वारा संपन्न किए गए नियुक्ति संबंधी कुछ कार्य

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