प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध (1839-42)
प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध लार्ड ऑकलैंड के कार्यकाल में सन 1839 ई० में प्रारंभ होकर उसके उत्तराधिकारी लॉर्ड एलेनबेरी के कार्यकाल के प्रारंभ में सन 1842 ई० में समाप्त हुआ।
प्रथम अफगान युद्ध के कारण
1. बन्जर्स से मिशन की असफलता
सन् 1827 ई० में ईरान किस शासक मोहम्मद मिर्जा ने रूस के इशारे पर हिरात की घेराबंदी कर दी थी। इसी के साथ अफगानिस्तान के अमीर मोहम्मद से मित्रता स्थापित करने के विचार से रूस का एक प्रतिनिधि काबुल पहुंच गया। रूस की सरकार का विचार था। कि हिरात पर दबाव पड़ने के परिणाम स्वरूप अफगानिस्तान का अमीर दोस्त मोहम्मद रूस के साथ संधि कर लेगा। रूस की इस चाल का पता लगने पर लार्ड ऑकलैंड आग बबूला हो उठा। अब उसने अफगानिस्तान के अमीर से मित्रता स्थापित करने का प्रयास किया इसी उद्देश्य से उसने एक प्रतिनिधिमंडल अफगानिस्तान भेजा। इस प्रतिनिधि मंडल का अध्यक्ष एलैक्जेडर बनर्स था। अंग्रेजों तथा दोस्त मोहम्मद के मध्य संधि वार्ता के प्रारंभ होने पर दोस्त मोहम्मद ने इस बात पर विशेष बल दिया कि अंग्रेजों से महाराजा रणजीत सिंह से पेशावर वापस दिला दें तथा रूस एवं ईरान के आक्रमण के विरुद्ध दोस्त मोहम्मद की रक्षा करें। लॉर्ड ऑकलैंड इस प्रकार का कोई आश्वासन नहीं देना चाहता था।
2. मित्र मोहम्मद की मित्रता को ठुकरा देना
अंग्रेजों की 19वीं शताब्दी के आरंभ से ही भारत पर उसक आक्रमण की आशंका थी। इस कारण से ही अंग्रेजों ने अफगानिस्तान की ओर विशेष ध्यान दिया था। जिस समय सन 1836 में लॉर्ड ऑकलैंड भारत का गवर्नर जनरल बना, उस समय दोस्त मोहम्मद अफगानिस्तान का अमीर था। इसमें दोस्त मोहम्मद अनेक बाह्य तथा आंतरिक संकट में फंसा हुआ था। पश्चिम में ईरान की सरकार ने उसके लिए संकट उत्पन्न कर दिया था। इसी प्रकार उत्तर तथा दक्षिण के अनेक विद्रोह के कारण भी वह बहुत दुखी था। इन्हीं सब कारणों से दोस्त मोहम्मद अंग्रेजों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करना चाहता था। और इसी उद्देश्य से प्रेरित होकर उसने लॉर्ड ऑकलैंड को गवर्नर जनरल के पद का उत्तरदायित्व संभालते समय बधाई दी थी तथा महाराजा रणजीत सिंह से पेशावर वापस दिलाने की प्रार्थना की थी। लॉर्ड ऑकलैंड ने उसकी प्रार्थना की अवहेलना कर दी और कहा कि अंग्रेजों की नीति मित्र देशों के मामलों में हस्तक्षेप करने की नहीं है।
3. मित्र मोहम्मद का रूसी प्रभाव में आ जाना
मित्र मोहम्मद को पूर्ण विश्वास हो गया था कि उसे अंग्रेजों से किसी प्रकार की सहायता प्राप्त नहीं हो सकती है। फल स्वरूप उसने रूस से सहायता प्राप्त करने का प्रयास किया। रूसी राजदूत दिसंबर, 1837 मैं काबुल पहुंच गया और इस अवसर पर उसका भव्य स्वागत किया गया था। इसका परिणाम ही होगा दोस्त मोहम्मद के रुस तथा ईरान के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित हो गए। जब अंग्रेज दोस्त मोहम्मद को किसी प्रकार की सहायता देने का कोई आश्वासन देने को तैयार नहीं थे, उसका जूस की ओर आकर्षित होना स्वाभाविक था।
4. त्रिदलीय संधि (28 जून, 1838)
जिस समय लॉर्ड ऑकलैंड कोई और समाचार प्राप्त हुआ कि दोस्त मोहम्मद और रूस के मध्य संधि हो गई है, तथा दोस्त मोहम्मद ने रूस के राजदूत का भव्य स्वागत है तो उसके आश्चर्य और चिंता की कोई सीमा नहीं थी। वह का निशान में फिर से अंग्रेजी प्रभाव को स्थापित करने के लिए चिंतित हो रहा था। इसी उद्देश्य से उसने अपने प्रमुख परामर्शदाता मैकनाटन को महाराजा रणजीत सिंह के पास लाहौर भेज दिया। उसकी इच्छा थी कि अंग्रेजी तथा रणजीतसिंह मिलकर संगठित रूप से दोस्त मोहम्मद के विरुद्ध कार्यवाही करें। मैकनाटन को अपनी प्रयासों में सफलता मिली तथा 26 जून 1838 को अंग्रेजों, महाराजा रणजीत सिंह तथा अफगानिस्तान के भूतपूर्व अमीर शाहशुजा के मध्य एक त्रिपक्षीय समझौता हो गया।
त्रिदलीय संधि (28 जून, 1838) के शर्ते
(1) दोस्त मोहम्मद के स्थान पर शाहशुजा को अफगानिस्तान को अमीर बनाया जाएगा।
(2) शाहशुजा ने काबुल में एक अंग्रेज रेजीमेंट भी रखना स्वीकार किया।
(3) शाहशुजा नीरज जी सिंह द्वारा विजिट अफगानिस्तान के प्रदेशों को रणजीत सिंह के पास ही रहने देने का स्वीकार किया।
(4) शिकारपुर की क्षति के बदले में महाराजा रणजीत सिंह को 50 लाख रुपया क्षति के रूप में मिलेगा।
प्रथम अफगान युद्ध की घटनाएं
1. अफगानिस्तान की आरंभिक विजय
त्रिपक्षीय संधि के अनुसार सिक्खों तथा अंग्रेजों ने शाहशुजा को साथ लेकर सन 1839 में अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया। सिक्ख सेनायें खैबर के मार्ग से अफगानिस्तान पहुंची परंतु रणजीत सिंह ने अंग्रेजी सेनाओं को अफगानिस्तान पर आक्रमण करने के लिए पंजाब से होकर जाने की अनुमति नहीं दी, अतः अंग्रेजी सेनाओं को सिंध प्रांत से होकर गुजर कर आक्रमण करना पड़ा। अंग्रेजी सेनाओं ने अफगानिस्तान पर आक्रमण कर कांधार, गजनी तथा काबुल पर अधिकार कर लिया। अफगानिस्तान को अमीर दोस्त मोहम्मद भाग गया और उसके स्थान पर शाहशुजा को अफगानिस्तान का अमीर बनाया गया। शाहशुजा ने अपनी स्वतंत्रता अंग्रेजों के पास गिरवी रख दी थी, अफगानिस्तान की जनता उससे घृणा करती थी।
2. युद्ध का अंत
युद्ध का अंत समाचार को पाकर लॉर्ड ऑकप्रथम आंग्ल अफगान युद्ध के परिणामलैंड चिंतित हो गया, परंतु फिर भी वह अपनी असफलता को छुपाने का प्रयास करता रहा। उसे अपने प्रयासों में सफलता नहीं मिली। सन 1842 ई० में इंग्लैंड वापस बुला लिया गया तथा उसके स्थान पर लोड एलनवरों को भारत का गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया। उसने उपरोक्त दुर्घटना का प्रतिरोध लेने के उद्देश्य से अफगनिस्तान में और सेनायें भेज दी। इन सेनाओं ने गजनी और काबुल पर अधिकार करने के उपरांत का फूल के सबसे बड़े बाजार को तोपो से उड़ा दिया। गजनी में महमूद गजनबी के मकबरे को बिल्कुल ही नष्ट कर दिया गया। उसके दरवाजों को भारत लाया गया। इन दरवाजों को भारत आने का कारण यह बताया गया कि यह सोमनाथ मंदिर के द्वार हैं, जिन्हें गजनबी 11वीं शताब्दी में अपने साथ भारत से ले गया था। इसके उपरांत अंग्रेजी सेनाएं भारत वापस आ गई। शाहशुजा का गाने स्थान की जनता ने पहले ही वध कर दिया था, इस कारण अफगानिस्तान के राज्य सिंहासन पर पुनः दोस्त मोहम्मद को आसीन कर दिया गया।
प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के परिणाम
(1) प्रथम अफगानिस्तान युद्ध अंग्रेजों के लिए अत्यंत विनाशकारी सिद्ध हुआ। इसमें अंग्रेजों को जानता है धमकी बहुत हानि हुई।
(2) प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध में शाहशुजा की हत्या कर दी। गई तथा अफगानिस्तान की राशि आसन पर पुनः उसी व्यक्ति को आसीन किया गया। जिसे आरंभ में अंग्रेज अपना शत्रु समझते थे।
(3) प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध की पराजय के परिणाम स्वरूप अंग्रेजों की प्रतिष्ठा तथा परिवार को बड़ा आल्हा पहुंचा। कभी अजय समझे जाने वाले अंग्रेजी सी युद्ध के कारण प्रतिष्ठा खो बैठे।
(4) अपनी प्रतिष्ठा स्थापित करने के उद्देश्य से अंग्रेजों ने अफगानिस्तान छोड़ने के पूर्व गानों के साथ जो मानवीय व्यवहार किया था उससे अंग्रेजों और अब गानों के बीच कटुता में और वृद्धि हो गई।
महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर
प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध कब हुआ?
प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध सन् 1839 ई० में हुआ था।
प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध किसके बीच हुआ था?
प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध लार्ड ऑकलैंड तथा अफगानिस्तानियों के बीच लड़ा गया था।
प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारण?
प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारण- 1. बन्जर्स से मिशन की असफलता 2. मित्र मोहम्मद की मित्रता को ठुकरा देना 3. मित्र मोहम्मद का रूसी प्रभाव में आ जाना 4. त्रिदलीय संधि (28 जून, 1838)
प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के परिणाम क्या थे?
प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के परिणाम- प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध में शाहशुजा की हत्या कर दी। गई तथा अफगानिस्तान की राशि आसन पर पुनः उसी व्यक्ति को आसीन किया गया। जिसे आरंभ में अंग्रेज अपना शत्रु समझते थे।
प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध की घटनाएं बताइए?
त्रिपक्षीय संधि के अनुसार सिक्खों तथा अंग्रेजों ने शाहशुजा को साथ लेकर सन 1839 में अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया। सिक्ख सेनायें खैबर के मार्ग से अफगानिस्तान पहुंची परंतु रणजीत सिंह ने अंग्रेजी सेनाओं को अफगानिस्तान पर आक्रमण करने के लिए पंजाब से होकर जाने की अनुमति नहीं दी, अतः अंग्रेजी सेनाओं को सिंध प्रांत से होकर गुजर कर आक्रमण करना पड़ा।
प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध किसने जीता था?
प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध अफगानिस्तानियों ने जीता था।
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