पीटर महान
पीटर महान का जीवन परिचय; पीटर महान ने 1682 ई० में रूस का शासन भार संभाला था। कुछ समय तक तो वह अपने भाई इवान के साथ सम्राट बना रहा; किंतु यह दोनों भाई अल्प व्यस्त थे, अतः इनकी बहन सोफिया इन की संरक्षिका नियुक्ति हुई। 1689 ई० में पीटर ने 70 वर्ष की अवस्था में अपनी बहन से शासन सत्ता छीन कर उसको आश्रम में भेज दिया और निरंकुश रूप से राज्य करना प्रारंभ कर दिया। जिस दिन पीटर गद्दी पर बैठा, रूस चारों ओर से घिरा हुआ देश था। उसके पास पश्चिम की ओर जाने के लिए कोई समुद्री तट नहीं था। बाल्टिक समुद्र पर स्वीडन का अधिकार था तथा काले सागर पर टर्की का अधिकार था। उत्तर की ओर श्वेत समुद्र वर्ष के अधिकांश समय बर्फ से ढका रहता था। अतः रूस का समुद्री मार्गों से यूरोप की ओर जाना असंभव प्रतीत होता था। इस प्रकार रूस लगभग पश्चिमी देशों से बिल्कुल अलग था और रूसियों का जीवन तथा आचार विचार बिल्कुल एशिया वालों के समान थे।पीटर महान की विदेश नीति
पीटर की विदेश नीति का एकमात्र लक्ष्य पड़ोसियों के राज्य पर अधिकार जमा कर रूस की सीमाओं को समुद्र तट ले जाना था, ताकि रूस शेष यूरोप के संपर्क में आकर यूरोप की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर सके। इस दृष्टि से पीटर ने निम्नलिखित कार्य किए थे—
(1) स्वीडन से संघर्ष (conflict with sweden)
सर्वप्रथम पीटर ने अपनी नीति को क्रियान्वित करने के लिए काले सागर तट पर स्थित एजोव के बंदरगाह को टर्की से छीन लिया, किंतु इससे उसकी समस्या का समाधान नहीं हो सका, क्योंकि भूमध्य सागर तक पहुंचने के लिए डार्डेनल्स जल संयोजक को पार करना पड़ता था, जिस पर टर्की का अधिकार था। अतः पीटर ने सोचा कि पहले बाल्टिक समुंद्र पर अधिकार करना आवश्यक है और वह स्वीडन से युद्ध करने के लिए आवश्यक ढूंढने लगा।
★ 1607 ई० में उसे यहां अवसर प्राप्त हो गया। इस समय स्वीडन किसी आसन पर 15 वर्षीय चार्ल्स द्वादश (Charles XII) आसीन था। उसकी अनुभवहीन बाल्यावस्था से लाभ उठाने के उद्देश्य से पोलैंड रूस व डेनमार्क ने एक संघ का निर्माण किया जिसका उद्देश्य स्वीडन से अपने खोए हुए प्रदेशों को प्राप्त करना था। इस प्रकार स्वीडन से युद्ध छिड़ गया। किंतु चार्ल्स द्वादश जन्मजात सैनिक था। इस संघ का समाचार सुनते ही वह सेना लेकर कोपेनहेगन पहुंचा और डेनमार्क को संधि के लिए विवश कर दिया। तत्पश्चात चार्ल्स द्वादश ने पिटर को नार्वा (Narva) के स्थान पर बुरी तरह पराजित किया और उसके बाद पोलैंड पर भी उसने विजय प्राप्त कर ली। उसकी इन विजयों से संपूर्ण यूरोप को आश्चर्यचकित कर दिया था।
★ किंतु चार्ल्स द्वादश कि कुछ भूलों ने पिटर को अवसर प्रदान कर दिया। जब चार्ल्स द्वादश पोलैंड से युद्ध करने में संलग्न था, उसी समय पीटर ने अपनी सेना को संगठित किया तथा स्वीडन के बाल्टिक सागर मैं स्थित अनेक प्रदेशों को जीत लिया। चार्ल्स ने उस पर देशों को छीनने के स्थान पर रूस पर आक्रमण कर दिया और मॉस्को की ओर बढ़ने लगा। रूसी सेना पीछे हटती रहिए और बढ़ती हुई स्वीडन की सेना पर समय-समय पर छापे मारने लगी। यद्यपि चार्ल्स द्वादश ने एक बार दोषी लोगों को बुरी तरह पराजित किया था, किंतु यह उसका अंतिम विजय अभियान था। उसकी अंतिम विजय थी। रोज की जलवायु ने स्वीडन के सैनिकों को हतोत्साहित कर दिया। (रूस की इस जलवायु ने ही नेपोलियन की सेनाओं का विध्वंस किया था) 1610 ई० पीटर में पलटावा के युद्ध में पीटर ने स्वीडन सेनाओं को बुरी तरह पराजित किया। चार्ल्स द्वादश जीवन बचाने के लिए बचे हुए गिने-चुने सैनिकों के साथ टर्की की ओर भाग गया। पीटर ने बाल्टिक सागर पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया।
(2) टर्की से युद्ध (war with turkey)
चार्ल्स द्वादश के टर्की पहुंचने पतरकी के सुल्तान ने 1738 ई० में रूस के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया इसमें पीटर बूरी तरह पराजित हुआ तथा एजोव का बंदरगाह उसे टर्की को देना पड़ा। इसके अतिरिक्त उसी टर्की की सीमा पर किलेबंदी तोड़नी पड़ी और पीटर ने यह प्रतिज्ञा की कि वह चार्ल्स द्वादश को सकुशल अपने देश में से स्वीडन जाने का मार्ग दे देगा। इस प्रकार पीटर की टर्की संबंधी नीति सफल ना हो सकी।
★ स्वीडन पहुंचने पर चार्ल्स द्वादश ने देखा कि उसका देश चारों ओर से शत्रुओं से घिरा हुआ है। डेनमार्क पोलैंड और रूस ने उसक भिन्न-भिन्न भागों पर अधिकार कर लिया है। अतः उन को दंड देने के लिए चार्ल्स द्वादश ने फिर युद्ध आरंभ किया जो 7 वर्ष तक निरंतर चलता रहा। इतने वर्षों में स्वीडन की आंतरिक स्थिति अत्यंत सोचनीय हो गई तथा 1721 ई० में रूस से नस्ताद की संधि हुई। जिसके द्वारा रूस को इंरगिया (Ingria) एस्तोनिया (Estonia ), करेलिया (Karelia) तथा लिवोनिया के प्रदेश मिले। वास्तव में फिनलैंड को छोड़कर बाल्टिक सागर के पूर्वी हिस्से जो स्वीडन के पास थे, सब रूस को मिल गए। निस्ताद की संधि द्वारा स्वीडन जो अभी तक उत्तरी राज्यों का नेतृत्व कर रहा था, पतन की ओर अग्रसर होने लगा और बाह्य रूस का नवीन शक्ति के रूप में अभ्युदय हुआ। पीटर महान की नीति पूर्णतया सफल रही और वह बाल्टिक सागर पर विजय प्राप्त करके पश्चिम की ओर एक समुद्री मार्ग प्राप्त करने में भी सफल हो सका। तत्पश्चात 1725 ई० में पीटर महान की मृत्यु हो गई।
पीटर महान - आधुनिक रूस का निर्माता
पीटर महान की उपयुक्त सफलता के कारण उसे आधुनिक रूस का निर्माता कहा जाता है। इसलिए उसका आधुनिक रूस की इतिहास के प्रमुख स्थान है। उसकी महान विजयों के कारण रूस जो पहले (Russia is the last born child of European civilization) कहा जाता था। अब यूरोप की राजनीति में अपना प्रमुख स्थान रखने लगा। और पूर्वी यूरोप का तो वह धीरे-धीरे नेता बनने लगा। पीटर के सिंहासनारुढ होने के समय रूस एक कमजोर और अव्यवस्थित देश था। लेकिन उसकी मृत्यु के समय रूस एक दृढ़ एवं व्यवस्था राज्य था और उत्तर का सर्वश्रेष्ठ देश समझा जाने लगा था। पीटर ने यूरोपीय ढंग से सुसंगठित विशाल सेना का निर्माण किया। और रूस की पहुंच उसने समुंद तक कर दी। उसने रूस को एक संपूर्ण देश बना दिया। इस कारण पीटर महान - आधुनिक रूस का निर्माता कहा जाता है।
impo-Short questions and answers
पीटर महान कौन था?
पीटर महान रूस का एक महान सम्राट था। जिसे आधुनिक रूस का निर्माता कहा जाता है।
पीटर महान का जन्म कब हुआ था?
पीटर महान का जन्म 9 जून, 1672 में हुआ था।
पीटर महान की विदेश नीति की विवेचना कीजिए?
पीटर महान की विदेश नीति - पीटर की विदेश नीति का एकमात्र लक्ष्य पड़ोसियों के राज्य पर अधिकार जमा कर रूस की सीमाओं को समुद्र तट ले जाना था, ताकि रूस शेष यूरोप के संपर्क में आकर यूरोप की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर सके।— (1) स्वीडन से संघर्ष, (2) टर्की से युद्ध
पीटर महान को आधुनिक रूस का निर्माता क्यों कहा जाता है?
पीटर महान की उपयुक्त सफलता के कारण उसे आधुनिक रूस का निर्माता कहा जाता है। इसलिए उसका आधुनिक रूस की इतिहास के प्रमुख स्थान है।
पीटर महान का जीवन परिचय?
पीटर महान ने 1682 ई० में रूस का शासन भार संभाला था। कुछ समय तक तो वह अपने भाई इवान के साथ सम्राट बना रहा; किंतु यह दोनों भाई अल्प व्यस्त थे, अतः इनकी बहन सोफिया इन की संरक्षिका नियुक्ति हुई।
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