महमूद गजनवी के भारत पर 17 आक्रमण तथा उसके प्रभाव - letest education

 महमूद गजनवी आक्रमण

महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण 

(1) सीमावर्ती प्रदशों में आक्रमण

1000 ई० नए महमूद ने भारत के सीमावर्ती प्रदेशों पर आक्रमण किया। उसने इन प्रदेशों के शासकों को पराजित कर वहां बहुत अधिक धन लूटा तथा इन शासकों को अपने अधीन कर लिया।

(2) जय पाल पर आक्रमण 

नवंबर 1001 ईस्वी में महमूद गजनबी ने पंजाब और पेशावर के राजा जयपाल पर आक्रमण किया। राजा जयपाल ने पेशावर के युद्ध में बड़ी विजेता एवं साहस किसान महमूद गजनबी का सामना किया, किंतु दुर्भाग्यवश उसकी हार हो गई और उसने निराशा के कारण आत्महत्या कर ली।

(3) भीरा पर आक्रमण (1004-1005 ई०) 

झेलम नदी के किनारे स्थित भीरा राज्य का शासक राजा विजय राज था। विजय राज महमूद गजनबी की सेना के साथ 4 दिन तक युद्ध करता रहा, लेकिन अंत में वह पराजित हो गया और उसने बेज्जती के कारण आत्महत्या कर ली।

महमूद गजनवी के भारत पर 17 आक्रमण तथा उसके प्रभाव - letest education

(4) मुल्तान पर आक्रमण 

महमूद गजनवी ने 1006 ईस्वी में अपना चौथा आक्रमण मुल्तान पर किया था। इस समय करमत संप्रदाय का अनुयाई फतेह दाऊद यहां का शासक था। महमूद गजनबी ने एक विशाल सेना के साथ मुल्तान पर आक्रमण करके उस पर अधिकार कर लिया और वहां की जनता से 20000 दिरहम दंड स्वरूप वसूल किया।

(5) सेवक पाल पर आक्रमण 

महमूद गजनबी का पांचवा आक्रमण सेवकपाल (नवाशासक) पर हुआ। 1000 सही में पराजित होने पर सेवकपाल ने इस्लाम धर्म अंगीकार कर लिया था परंतु 1007 इस बिल में सेवकपाल पुनः स्वतंत्र राजा बन गया था। अतः महमूद गजनबी ने पुनः सेवकपाल पर आक्रमण किया। इस युद्ध में शिवपाल पराजित हुआ और महमूद गजनवी ने उससे 400000 दिरहम दंड के रूप में प्राप्त किए।

(6) आनंदपाल पर आक्रमण (1008 ई०) 

महमूद गजनव का छठा आक्रमण लाहौर के राजा आनंदपाल पर 1008 ई० में हुआ था। आनंदपाल के इस आक्रमण के विरुद्ध दिल्ली उज्जैन ग्वालियर और कन्नौज आदि के राजाओं ने एक संघ निर्मित कर महमूद गजनव का सामना किया। प्रारंभ में ऐसा प्रतीत होता था कि मुसलमान युद्ध में पराजित हो जाएंगी किंतु दुर्भाग्यवश से आनंदपाल का हाथी युद्ध भूमि में अनियंत्रित हो गया और वह युद्ध क्षेत्र से भागने लग गया। ऐसी स्थिति का लाभ उठाकर महमूद गजनबी ने हजारों व्यक्तियों की हत्या कर दी इस स्थिति में हिंदुओं की दुर्भाग्यपूर्ण पराजय हुई। महमूद गजनबी को लूट में विशाल संपत्ति प्राप्त हुई जिसमें 200 युद्ध की हाथी भी शामिल थे।

(7) नगरकोट पर आक्रमण (1005-1009 ई०) 

आनंदपाल को नतमस्तक करने के बाद महमूद गजनबी ने कांगड़ा के दुर्ग पर आक्रमण किया। यह दुर्ग पर्वत के शिखर पर बना था और यहां की मूर्तियों पर भेंट की गई अपार संपत्ति एकत्र थी। इस दुर्गा पर विजय प्राप्त करके महमूद गजनबी ने 700000 स्वर्ण दिनारें, सात मन स्वर्ण एवं चांदी के बर्तन और कई मूर्तियां मुद्राएं हीरे मोती आदि प्राप्त किए।

(8) मुल्तान पर पुनः आक्रमण 

महमूद गजनवी का आठवां आक्रमण मुल्तान पर ही हुआ। यद्यपि मुल्तान पर महमूद ने पहली भी आक्रमण किया था किंतु उसकी यह विजई स्थाई न रह सकी और 1010 ईस्वी में महमूद गजनबी ने सुल्तान के शासक फतेह दाऊद को पराजित कर वहां पुनः अपनी सत्ता स्थापित कर ली।

(9) थानेश्वर पर आक्रमण 

महमूद गजनवी का नवां आक्रमण 1014 ईसवी में थानेश्वर के मंदिरों पर हुआ। यहां का शासक नगर छोड़कर भाग गया किंतु हिंदुओं ने वीरता से इस आक्रमण का सामना किया। महमूद ने विजय प्राप्त करने के उपरांत इस नगर को लूटा और यहां पर स्त्रियों के साथ दुर्व्यवहार भी किया।

(10) लाहौर पर आक्रमण 

महमूद गजनी ने दसवां आक्रमण पुनः लाहौर पर किया था। इस समय यहां आनंदपाल का पुत्र त्रिलोचन पाल शासन कर रहा था। इस बार त्रिलोचन पाल के पुत्र धर्मपाल ने वीरता से महमूद गजनबी का सामना किया। परंतु वह युद्ध में पराजित होकर कश्मीर की ओर भाग गया और महमूद गजनबी ने पंजाब को गजनी साम्राज्य में मिला दिया।

(11) कश्मीर पर आक्रमण 

1015 में महमूद गजनी का 11वां आक्रमण कश्मीर पर हुआ। इस आक्रमण का मुख्य उद्देश्य भीमपाल को बंदी बनाना था। उसने ईसी उद्देश्य से लोअर कोर्ट के दुर्ग को घेर लिया किंतु मौसम की खराबी के कारण महमूद गजनबी को निराश होकर वापस लौटना पड़ा।

(12) भारत के भीतरी प्रदेशों पर आक्रमण 

महमूद गजनी का बारवां आक्रमण भारत के भीतरी प्रांतों पर हुआ। सिंध तथा प्रमुख नदियों को पार करता हुआ महमूद बुलंदशहर पहुंचा। वहां पर नियुक्त हरिदत्त नामक गवर्नर अपने किले को छोड़कर भी भाग गया। यहां से महमूद गजनबी को अतुल धनराशि और हाथी प्राप्त हुए।

(13) कालिंजर पर आक्रमण

महमूद गजनव का 13 वां आक्रमण 1019 ईस्वी मैं कालिंजर पर हुआ। इस समय यहां पर राजा गण्ड का शासन था। उसके पास एक संगठित सेना थी। इस सेना के सामने महमूद को युद्ध करने में कुछ संकोच हुआ किंतु दुर्भाग्य से गण्ड स्वयं भयभीत होकर भाग गया। कालिंजर विजय से भी महमूद गजनी में को बहुत धन प्राप्त हुआ।

(14) पंजाब पर आक्रमण

महमूद गजनवी का 14 वां आक्रमण 1020 ई० मैं पंजाब पर हुआ। उसने पंजाब के निवासियों को मुसलमान बनने के लिए बाध्य किया। तत्पश्चात उसने पंजाब पर अपना शासन स्थापित किया और यहां प्रांत पतियों को नियुक्त करके गजनी वापस लौट गया।

(15) ग्वालियर तथा कालिंजर पर पुनः आक्रमण 

1022 ईस्वी में महमूद गजनबी ने ग्वालियर तथा कालिंजर प्रांतों पर पुनः आक्रमण किया यहां के शासकों ने उसकी अधीनता को स्वीकार कर लिया। यहां से बहुत सा धन प्राप्त करने के पश्चात वह वापस गजनी लौट गया।

(16) सोमनाथ पर आक्रमण (1025-1026 ई०) 

महमूद गजनबी का सोलहवां तथा सबसे प्रसिद्ध आक्रमण सोमनाथ के मंदिर पर हुआ। यह मंदिर काठियावाड़ गुजरात की पश्चिमी समुद्र तट पर बना हुआ था तथा अपनी कला एवं अतुल्य धनसंपदा के लिए यह मंदिर प्रसिद्ध था। 1025 ईस्वी में महमूद गजनबी ने एक विशाल सेना के साथ गजनी से प्रस्थान 11 जनवरी 1026 ईस्वी में वह सोमनाथ के मंदिर के द्वार पर पहुंच गया। इस मंदिर की रक्षा के लिए राजपूतों में महमूद गजनबी का वीरता पूर्व सामना किया किंतु बेस महमूद गजनबी को रोकने में असमर्थ हुए। महमूद गजनवी ने मंदिर की शिव मूर्ति के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और मंदिर के स्थान पर एक मस्जिद की नींव डाली। मंदिर की लूट से उसे अपार धन और सोने की प्राप्ति हुई।

(17) मुल्तान के जाटों पर आक्रमण 

महमूद खान 370 वां आक्रमण 1027 ईसवी में मुल्तान के जाटों पर हुआ। इन जाटों ने महमूद की सेना को अत्यधिक परेशान किया था इसलिए दंड देने के उद्देश्य से उसने जाटों पर आक्रमण कर दिया। अनेक जाटों को उसने नदी में डुबो दिया और उनके बच्चों को पकड़ लिया यह महमूद का अंतिम आक्रमण था। इस आक्रमण के 3 वर्ष बाद 1030 ईस्वी में महमूद गजनी की मृत्यु हो गई।


महमूद के आक्रमणों का प्रभाव 

(1) महमूद गजनवी के आक्रमण से राजपूतों की सैनिक दुर्बलता स्पष्ट हो गई।

(2) भारत की विपुल संपदा लूट जाने के कारण भारत आर्थिक दृष्टि से बहुत दुर्बल हो गया था।

(3) भारतीय साहित्य में कला की अपार क्षति हुई क्योंकि महमूद गजनबी ने लूट के साथ-साथ मंदिरों मूर्तियों आदि को नष्ट कर दिया था।

(4) पंजाब को गजनी राज्य में मिला दिया गया जिससे बोसी के लिए मुसलमानों के आक्रमणकारियों का भारत में आने तथा अपना साम्राज्य स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त हो गया। 

निष्कर्ष (सार)

इस प्रकार महमूद गजनबी के आक्रमणों के फल स्वरुप भारत को आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत अधिक हानि उठानी पड़ी थी। इसी संबंध में अलबरूनी ने लिखा है, “महमूद ने देश की समृद्धि को पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया और आश्चर्यजनक कार्यों का संपादन किया किसी से हिंदुओं को बालू के कणों के भांति बिखरा दिया गया। उनके बिखरे अवशेष वास्तव में मुसलमान से घोर घृणा करने लगे थे।” 

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