हिटलर और नाजीवाद के उत्कर्ष (उदय) के कारण

हिटलर या नाजीवाद के उत्कर्ष के कारण 

(1) हिटलर का प्रभावशाली व्यक्तित्व 

हिटलर के उदय के कारण ; नाजी दल की सफलता का एक प्रमुख कारण हिटलर का प्रभावशाली व्यक्तित्व था। हार्डी के अनुसार — “उसने वास्तविक प्रतिभा थी चाहे वह दिव्य ना होकर दानवी थी।” और बेन्स के अनुसार— “हिटलर कुशल मनोवैज्ञानिक एक चतुर जन नेता और एक श्रेष्ठ अभिनेता था। वह एक साधन संपन्न आंदोलनकारी एक ओजपूर्ण कार्यकर्ता तथा एक योग्य संगठन करता था।” हिटलर के प्रभावशाली तेजस्वी भाषणों को सुनकर जर्मन जनता उसकी भक्त बन गई और बहुत बड़ी संख्या में नाजी दल की सदस्यता ग्रहण करने लगी। 

हिटलर और नाजीवाद के उत्कर्ष (उदय) के कारण

(2) वर्साय संधि में हुआ अपमान 

हिटलर का उदय ; नाजीवाद का उदय अथवा हिटलर की अभ्युदय का प्रथम महत्वपूर्ण कारण वर्साय की अपमानजनक संधि थी। वर्साय संधि की अपमानजनक शर्तें को जर्मनी ने अपनी राष्ट्रीय भावना पर कुठाराघात समझा जिसके परिणाम स्वरूप मित्र राष्ट्रों के प्रति उनका प्रतिशोध आत्मक (गुस्सा) दृष्टिकोण अधिक कठोर हो गया। जर्मन जनता की भावना का लाभ उठाने के लिए हिटलर ने वर्साय की संधि के अंत तथा जर्मनी के अतीत गौरव की पुनर्स्थापना का नारा लगाया जो जर्मन जनता को बहुत ही अधिक आकर्षक प्रतीत हुआ और वह पूरे जोश के साथ हिटलर और उसके दल के कार्यक्रम का समर्थन करने लगे।

(3) हिटलर का आकर्षण कार्यक्रम 

हिटलर का कार्यक्रम भी बड़ा आकर्षक और जर्मन जनता की इच्छाओं परंपराओं एवं विचारों के अनुकूल सही था। एक प्रकार से उसका कार्यक्रम जर्मन विचारों और विश्वास ऊपर ही आधारित था। जर्मन जनता जिन बातों को एक लंबे समय से अपने मन में रखे हुई थी और जिनकी पूर्ति के लिए बेसब्री से इंतजार कर रही थी; उन्हीं बातों को हिटलर ने स्पष्ट करके उन्हें पूरा करने का वचन दिया। परिणाम स्वरूप उसका कार्यक्रम बड़ी सुगमता और तेजी से जनता में लोकप्रिय हो गया। 

(4) विमर सरकार के संतोषजनक कार्य 

विमल सरकार की संतोषजनक कार्यों — वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर, पूर्ति की अदायगी, जर्मनी का निशस्त्रीकरण, रूस पर फ्रांस का अधिकार, मुद्रा स्फीति आदि के कारण जर्मन जनता विमर गणतंत्र से घृणा करने लगी। जर्मनों कि इस घृणा का हिटलर ने पूरा पूरा लाभ उठाया। 

(5) जर्मन जाति की परंपराएं एवं चरित्र 

हिटलर और नाजी दल के उत्कर्ष का एक अन्य कारण जर्मन जाति की परंपरा और चरित्र था। जर्मन जाति की जन्मजात सैनिक प्रवृत्ति अनुशासन एवं वीर पूजा की भावना ने हिटलर के उत्कर्ष के मार्ग को और अधिक प्रशस्त किया। जर्मन की जनता ने हिटलर के व्यक्तित्व में एक वास्तविक नेता  फ्यूचर (Fuhrer) के रूप का अनुभव किया। 

(6) साम्यवाद का डर (खतरा)

नाजियों की सफलता का एक प्रमुख कारण साम्यवाद का बढ़ता हुआ खतरा भी था। रूस की साम्यवादी क्रांति के प्रभाव से जर्मनी छूटी न रह सका। 1930 ई० के आर्थिक संकट के कारण जर्मनी में साम्यवादी दल को अधिक लोकप्रियता प्राप्त होने लग गई थी। नवंबर 1932 की आम निर्वाचन में साम्वायदियों ने जर्मन संसद के सदन रीशस्टाग 100 स्थान प्राप्त करने में सफलता प्राप्त कर ली थी। इससे जर्मनी का पूंजीवादी वर्ग तथा दक्षिणपंथी दल भयभीत और आतंकित हो गया और हिटलर ने साम्यवाद के डर को दूर करने का आश्वासन देकर इन वर्गों का पूरा समर्थन प्राप्त कर लिया। 

(7) यहूदियों के प्रति घृणा की भावना 

जर्मनी में यहूदी अल्प संख्या में भी होकर बड़े संपन्न और शक्तिशाली थे। इनके पास अपार धन था परंतु जर्मन जनता उन्हें घृणा की दृष्टि से देखती थी क्योंकि एक और यहूदी, लोगों को प्याज पर ध्यान देकर उनका शोषण करते थे और दूसरी और प्रथम विश्व युद्ध में उन्होंने जर्मन राष्ट्र के प्रति विश्वासघात भी किया था। हिटलर ने यहूदियों के प्रति घृणा की भावना प्रदर्शित करके जर्मन जनता की सहानुभूति प्राप्त कर ली।

(8) महा आर्थिक संकट 

1930 के आर्थिक संकट ने हिटलर के उत्थान में सर्वाधिक योगदान दिया। हार्डी ने यह लिखा है— “हिटलर के सफलता का प्रधान कारण वर्साय का अपमान नहीं बल्कि हीटर का राजनीतिक नेतृत्व का गुण तथा आर्थिक संकट के कारण छाई निराशा थी।” विश्वव्यापी आर्थिक संकट ने अन्य देशों की अपेक्षा जर्मनी को अधिक हानि पहुंचाई थी इस आर्थिक संकट ने जर्मन जनता के जीवन को नष्ट कर दिया था मध्यम एवं निम्न वर्ग के दशक बड़ी अत्यधिक सोचनीय और दारूण हो गई थी। विमर सरकार जनता के आर्थिक संकट को दूर करने में सर्वथा विफल रही। बेकारी भुखमरी और महामारी के कारण जर्मन जनता में भयंकर असंतोष व्याप्त हो गया। इस स्थिति का हिटलर ने भरपूर लाभ उठाया और जर्मन की जनता का समर्थन प्राप्त किया।

(9) नाजी दल के सिद्धांतों का प्रचार 

हिटलर प्रचार के महत्व को भलीभांति से समझता था। उसने जर्मन जनता को अपने पक्ष में करने के लिए नार दल के सिद्धांतों में कार्यक्रमों का अत्यधिक प्रचार किया। इस कार्य में उसके प्रचार मंत्री गूगल स्नेह बड़ा प्रशासनिक कार्य किया। 

(10) पापेन षड्यंत्र 

नारी दल की शक्ति चरम सीमा पर पहुंचने लगी थी। परंतु हीटर को राजसत्ता अपनी लोकप्रियता के कारण मिलकर एक राजनीतिक षड्यंत्र के द्वारा ही प्राप्त हो सकी। 1932 ईस्वी में जब आर्थिक संकट में कुछ सुधार होने लगा तो उसके साथ ही हिटलर के प्रभाव में भी कमी आने लगी। नवंबर 1932 ईस्वी के निर्वाचन में नाजी दल को केवल 166 स्थान ही मिल सके, जो जुलाई 1932 ईस्वी के निर्वाचन से 34 कम थे। इसी प्रकार इस निर्वाचन में नदियों को पहले के निर्वाचन की तुलना में लगभग 2000000 मत कम प्राप्त हुए थे। इस समय अधिकांश राजनीति की यही समझते थे कि हिटलर को सत्ता मिलने असंभव है। 

(11) सेना रख नौकरशाही का समर्थन 

नारी दल को जर्मन सीना और नौकरशाही का सहयोग और समर्थन भी प्राप्त हुआ। हिटलर के उग्र राष्ट्रवादी कार्यक्रम और उसकी पूर्ण हो सशक्तिकरण की मांग का भूतपूर्व जर्मन सैनिकों ने खुलकर स्वागत किया और उसका साम्यवाद विरोध भी उन्हें बहुत पसंद आया। जर्मन नौकरशाही बीमार गणतंत्र से असंतुष्ट होकर हीटर के अनुशासन और देश प्रेम का समर्थन करने लगे। इनके समर्थन से नाजी दल की शक्ति निरंतर बढ़ती गई।


impo-Short questions and answers 

हिटलर का जन्म कब हुआ?

हिटलर का जन्म 20 अप्रैल, 1889 ई० में हुआ।

नाजीवाद का उदय किस देश में हुआ?

नाजीवाद का उदय जर्मनी देश में हुआ।

हिटलर का मृत्यु कब हुआ?

हिटलर का मृत्यु 30 अप्रैल, 1945 ई० में हुआ।

हिटलर और नाजीवाद के उत्कर्ष के कारण?

हिटलर और नाजीवाद के उत्कर्ष के कारण - (1) हिटलर का प्रभावशाली व्यक्तित्व (2) वर्साय संधि में हुआ अपमान (3) हिटलर का आकर्षण कार्यक्रम (4) विमर सरकार के संतोषजनक कार्य (5) जर्मन जाति की परंपराएं एवं चरित्र (6) साम्यवाद का डर (खतरा) (7) यहूदियों के प्रति घृणा की भावना (8) महा आर्थिक संकट (9) नाजी दल के सिद्धांतों का प्रचार (10) पापेन षड्यंत्र।

हिटलर और नाजीवाद का उदय कब हुआ?

हिटलर और नाजीवाद का उदय अप्रैल, 1889 से अप्रैल, 1945 तक हुई।

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