ग्रेट ब्रिटेन के राजनीतिक दल
राजनीतिक दल लोकतंत्र की आधारशिला हैं। इन्हें ‘प्रजातंत्र का प्राण’ (life blood of democracy) तथा ‘सरकार का चतुर्थ अंक’ (forth organ of government) कहा जाता है। लोकतंत्र के विकास के साथ-साथ दलों का भी विकास हुआ है। आज ब्रिटेन में लोकतंत्र के सफल संचालन के श्रेय वहां की दिल्ली व्यवस्था को ही है। वर्तमान समय में ब्रिटेन में बिजली पद्धति को अपनाया गया है। ब्रिटेन मैं सदैव से ही दो दलों का अस्तित्व रहा है। वर्तमान समय में श्रमिक दल तथा अनुदार दल नामक दो दलों का ब्रिटिश राजनीति पर आधिपत्य है। समय अंतराल में इन दोनों दलों की सरकारें बनती तथा बिगड़ती रहती हैं।
ग्रेट ब्रिटेन के राजनीतिक दलों की विशेषताएं
(1) केंद्रीकरण की स्थिति
ब्रिटेन के दल ऊपर से नीचे तक एक सूत्र में बंधे हुए होते हैं। दल के नेताओं का दल पर पूर्ण नियंत्रण होता है। दलों का ऊपर से नीचे तक का संगठन सदैव अच्छा बना रहता है। केंद्रीय संगठन राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय समस्याओं पर विचार करता है तथा दल के लिए नीति का निर्धारण करता है। दल पूर्णता हो केंद्रीय कृत होता है। ब्रिटेन का कम क्षेत्रफल जनसंख्या की एकरूपता और राष्ट्रीय हितों में सामंजस्य के कारण यह एकरूपता संभव हो पाती है।
(2) द्विदलीय पद्धति
ब्रिटेन में सदैव से ही दो प्रमुख दल रहे हैं। जब कभी तीसरे दल का उदय हुआ तभी मतदाताओं ने एक दल को निष्क्रिय कर दिया। हिग तथा टूरी से जो द्विदलीय प्रथा प्रारंभ हुई थी वह आज अनुदार तथा श्रमिक दल के रूप में विद्यमान हैं। अंग्रेजों की मनोवृति व्यावहारिकता मूलभूत राष्ट्रीय एकता इस निर्दलीय पद्धति के आधार हैं। गिलबर्ट का मत यह है — “यह विधि का कैसा विधान है कि इस देश में जो भी छोटा बालक या बालिका उत्पन्न होती है और जीवित रहती है वह या तो उधार दलीय या अनुदार दलील के लिए बालक या बालिका होती है।”
(3) नेता का महत्व
ब्रिटेन में दल के नेता का महत्वपूर्ण स्थान होता है। वह दल का प्रतीक होता है। समस्त चुनाव चक्र उसी के चारों ओर घूमता है नेता दर के संपूर्ण शक्ति का प्रतीक होता है। उसका व्यक्तित्व समस्त दल पर छाया रहता है। जनता उसी को लक्ष्य मानकर प्रदान करती है। ग्लैडस्टोन और डिजरैली की प्रतिद्वंदिता से ही हम उदार तथा अनुदार दलों की नीतियों को समझ सकते हैं। जनता भावी प्रधानमंत्री को दल के माध्यम से चुनती है। अनुदार दल का प्रभावी होने का कारण चर्चित का व्यक्तित्व था। संसद सदस्य भी अपने नेता को पूर्ण समर्थन देते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि वह उनकी विजय का आधार है।
(4) कठोर दलीय अनुशासन
ब्रिटेन के दल अनुशासित हैं। सदस्य अपने दल के नेताओं की आज्ञा का पालन करते हैं। संसद के अंदर और बाहर गली अनुशासन का पालन किया जाता है यहां तक कि विधायकों पर मतदान सदस्यों का बोलना तथा बोलने का क्रम वह समय आदि भी दल के सचेतक निश्चित करते हैं। सदस्य दल के निर्देशों के अनुसार मत देते हैं और इस प्रकार वे एक मशीन के पुर्जे बन गए हैं। अमेरिका और फ्रांस में ऐसी दलिए अनुशासन देखने को नहीं मिलती है।
(5) दलीय साहचर्य
ब्रिटेन में दल के सदस्यों में सर्जरी की भावना होती है। प्रत्येक दल की अपनी-अपनी नीतियां कार्यक्रम तथा विचार धाराएं होती हैं। प्रत्येक दल का अपना लंबा इतिहास होता है, वह अपने नेता और प्रतीक हैं, अपने शहीद और बहादुर हैं और अपने स्वर्णिम दिन है। इस पृष्ठभूमि में आचार्य की प्रबल भावना जन्म लेती है सदस्य एक दूसरे की बहो निकट होते हैं। तथा विशिष्ट नियमों का पालन करते हैं। दल का अपना संविधान होता है सभी सदस्य प्रेम और साहचर्य के साथ बधे रहते हैं।
(6) संसद सदस्यों पर नियंत्रण
संसद सदस्यों पर दल का कड़ा नियंत्रण होता है। सदस्य अपने दाल के अनुशासन में रहते हैं। दल के आधार पर ही मतदान होता है तथा दल ही अपनी सदस्यों को बोलने आदि की आज्ञा देता है। अमेरिका की तरह यहां व्यक्तिगत स्वतंत्रता का महत्व नहीं है। दल के नेता द्वारा निर्मित नीतियां तथा कार्यक्रम ही महत्वपूर्ण होते हैं। क्योंकि सभी सदस्य अपने दल को पूर्ण समर्थन देते हैं तथा उसकी अनुशासन में ही रहते हैं।
(7) वर्ग प्रकृति
ब्रिटेन में दोनों दल और उदार तथा श्रमिक दल भिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हैं। श्रमिक दल मजदूरों समाज के कमजोर वर्गों तथा मध्यम वर्ग से शक्तियां ग्रहण करते हैं। अनुदार दल धनिक वर्ग व्यावसायिक तथा जमीदारों का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए ब्रिटेन में यह कहा जाता है कि “मुझे किसी व्यक्ति की आय बतलाओ, मैं उसका दल बतला दूंगा।” साम्यवादी दल के अध्यक्ष अन्य दल चाहे किसी देश के क्यों ना हो वर्ग प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
(8) निरंतर क्रियाशीलता
ब्रिटेन के दल हमेशा निरंतर क्रियाशील रहते हैं। ये चुनाव के बाद निष्क्रिय नहीं होते हैं। शोध कार्य करना साहित्य तैयार करना सफाई करना प्रचार करना निरंतर चलता ही रहता है। उपचुनाव स्थानीय चुनाव मंत्रियों से संपर्क आदि से यह अपनी जागृति अभिव्यक्त करते रहते हैं।
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ग्रेट ब्रिटेन में राजनीतिक दल क्या हैं?
ब्रिटेन मैं सदैव से ही दो दलों का अस्तित्व रहा है। वर्तमान समय में श्रमिक दल तथा अनुदार दल नामक दो दलों का ब्रिटिश राजनीति पर आधिपत्य है।
ब्रिटेन में कितने दलों की सरकार है?
ब्रिटेन में दो दलों की सरकार है।
ग्रेट ब्रिटेन के राजनीतिक दलों की विशेषताएं बताइए?
ब्रिटिश दलीय व्यवस्था की विशेषताएं - (1) केंद्रीकरण की स्थिति (2) द्विदलीय पद्धति (3) नेता का महत्व (4) कठोर दलीय अनुशासन (5) दलीय साहचर्य (6) संसद सदस्यों पर नियंत्रण (7) निरंतर क्रियाशीलता
राजनीतिक दलों की विशेषता क्या है?
राजनीतिक दल लोकतंत्र की आधारशिला हैं। इन्हें ‘प्रजातंत्र का प्राण’ (life blood of democracy) तथा ‘सरकार का चतुर्थ अंक’ (forth organ of government) कहा जाता है।
ब्रिटेन के दो प्रमुख राजनीतिक दलों के नाम बताइए?
श्रमिक दल तथा अनुदार दल।
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