स्विट्जरलैंड के संविधान की विशेषताएं
(1) संघात्मक शासन प्रणाली
स्विट्जरलैंड की विशेषताएं, स्विट्जरलैंड के संविधान के अनुसार स्विट्जरलैंड में संघात्मक शासन प्रणाली को स्थान प्राप्त है। इस संघ का निर्माण स्विजरलैंड के वाइस कैप्टन द्वारा किया जाता है। किंतु स्विट्जरलैंड की संघीय व्यवस्था की एक विलक्षणता यह है कि इस संघ में सम्मिलित होने वाले वाइस कैप्टन ओं को स्वेच्छा से संघ छोड़ने का अधिकार प्रदान किया गया है। स्विट्जरलैंड की शासन व्यवस्था में न्यायपालिका को न्यायिक पुनरावलोकन का अधिकार नहीं दिया गया है, इस संघ की एक प्रमुख विशेषता यह भी है कि इसमें अवशिष्ट शक्तियां केंद्र को न सॉप कर कैप्टनो को सौंप दी गई है।
(2) गणतंत्र की स्थापना
स्विट्जरलैंड का संविधान स्विट्जरलैंड में एक गणतंत्र शासन की स्थापना भी करता है। स्विट्जरलैंड के गणतंत्र में भी एक निर्वाचित राष्ट्रपति की व्यवस्था की गई है किंतु वहां के राष्ट्रपति को भारत अमेरिका के राष्ट्रपति की भारतीय अधिक अधिकार प्राप्त नहीं होते हैं। वास्तव में स्विट्जरलैंड में जनता का शासन है।
(3) कठोर संविधान
स्विट्जरलैंड का संविधान अत्यंत ही कठोर है। इसको आसानी से बदला नहीं जा सकता है। संविधान में संशोधन लाने के प्रस्ताव को संदेश सेवा के दोनों सदनों द्वारा पारित होना अनिवार्य है उसके उपरांत उसका समर्थन कैप्टरों के मतदाताओं द्वारा भी किया जाना चाहिए।
(4) प्राचीन संविधान
स्विट्जरलैंड का संविधान वहां के प्राचीनतम गणतंत्र सिद्धांतों पर आधारित है। स्विट्जरलैंड ही यूरोप का एक ऐसा देश है जहां पर प्राचीन काल से ही गणतंत्र शासन प्रणाली पाई जाती है।
(5) प्रत्यक्ष लोकतंत्र
वर्तमान गणतंत्र राज्य में स्विट्जरलैंड ही एक ऐसा राष्ट्र है जहां पर प्रत्यक्ष लोकतंत्र की स्थापना की गई है। इस संबंध में एक विद्वान ब्रुक्स का मत है “स्विट्जरलैंड ने परीक्षण की प्रयोगशाला है और उसकी सफलता सभी गणराज्य को शिक्षा तथा ज्ञान प्राप्त कर आती है।”
(6) तटस्थता पर आधारित संविधान
स्विट्जरलैंड के संविधान में तटस्था की नीति का आश्रय लिया गया है। संविधान के अनुसार स्विट्जरलैंड सभी देशों के साथ अपने संबंधों को अच्छा बनाए रखने में विश्वास करता है।
(7) अनूठी व्यवस्थापिका
विश्व की सभी शासन प्रणाली में स्विट्जरलैंड में ही एक अनूठी व्यवस्थापिका है। एक सदन को राज्य परिषद और दूसरी सदन को राष्ट्रपति परिषद के नाम से भी पुकारा जाता है। इस द्विसदनात्मक व्यवस्थापिका के प्रमुख विशेषता यह भी है कि दोनों ही सदनों को समान अधिकार पदान किए गए हैं। स्विट्जरलैंड की द्विसदनात्मक व्यवस्थापिका के अनूठेपन के संबंध में स्ट्रांग का यह कहना है “संसार में स्विस व्यवस्थापिका ही एक ऐसी व्यवस्थापिका है जिसके दोनों सदनों के कार्यों में कोई भी मतभेद नहीं है।”
(8) बहुल कार्यपालिका
स्विट्जरलैंड में बहुल कार्यपालिका की व्यवस्था है। इस कार्यपालिका के साथ सदस्य होते हैं जिनका निर्वाचन 4 वर्षों के लिए संघिय विधानसभा द्वारा किया जाता है। सभी सदस्यों की स्थिति समान होती है। प्रत्येक सदस्य बारी-बारी से 1 वर्ष के लिए कार्यपालिका का अध्यक्ष होता है। यह प्रधान या अध्यक्ष ही स्विजरलैंड का राष्ट्रपति कहलाता है। यह बहुल कार्यपालिका ही राष्ट्र की सर्वोच्च सत्ताधारी परिषद है।
(9) वयस्क मताधिकार
स्विट्जरलैंड में मताधिकार का प्रयोग मतदाताओं की इच्छा पर ही नहीं छोड़ दिया जाता है बल्कि कुछ कैप्टन में उसे अनिवार्य बना दिया गया है। यदि कोई मतदाता अपने मत का प्रयोग नहीं करता तो उसे जुर्माना देना भी होता है। स्विट्जरलैंड में महिलाओं को मत देने का अधिकार 1971 ईस्वी से प्राप्त हो गया है।
(10) निर्बल न्यायपालिका
स्विट्जरलैंड की न्यायपालिका अमेरिका तथा भारत की न्यायपालिका की समान शक्तिशाली तो नहीं है। स्विजरलैंड का सर्वोच्च न्यायालय किसी भी कानून को अवैध घोषित नहीं कर सकता है चाहे वह संविधान की धाराओं का ही उल्लंघन करता हो। संज्ञा कानूनों की व्याख्या करने का अधिकार केवल संघीय सभा को ही है। इस प्रकार सूजन आने का सर्वोच्च न्यायालय एक प्रकार से निर्बल न्यायालय है।
(11) मौलिक अधिकारों की व्यवस्था
स्विट्जरलैंड के संविधान में मौलिक अधिकारों की किसी एक स्थान पर व्याख्या नहीं की गई है। अधिकार संविधान में इधर-उधर बिखरे पड़े हैं। संविधान की धारा 4, 27, 49 और 55 मौलिक अधिकारों की व्याख्या करती है। इन धाराओं के आधार पर नागरिकों को अधिकारों की सुरक्षा प्रदान की गई है सभी कैप्टन ओं के नागरिकों को धर्मनिरपेक्षता के साथ शिक्षा प्राप्त करने तथा धार्मिक पूजा-पाठ करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
(12) प्रत्यक्ष प्रजातंत्र
स्विट्जरलैंड में प्रत्यक्ष बाजार अनुशासन पुरानी को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इस प्रणाली को सफल बनाने के लिए स्विट्जरलैंड में निम्न प्रकार व्यवस्था की गई है-
(1) स्विट्जरलैंड की जनता कानून का निर्माण करने में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेती है।
(2) स्विट्जरलैंड की जनता अपने द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों को वापस बुला सकती है।
(3) स्विट्जरलैंड की जनता व्यवस्थापिका द्वारा निर्मित किसी भी कानून को रद्द करने की शक्ति भी रखती है।
(4) संविधान में संशोधन करने के कार्य में भी जनता प्रत्यक्ष रूप से मत प्रदान करने की अधिकारी है।
(5) स्थानीय कम्युनो ने जनता अपने अधिकारियों का निर्वाचन करके प्रत्यक्ष लोकतंत्र को सफल बनाती है।
(13) निर्मित एवं लिखित संविधान
स्विट्जरलैंड का संविधान निर्मित एवं लिखित है। संविधान का निर्माण 1848 ईस्वी में हुआ था और फिर 1848 में इसमें संशोधन हुए। यह संविधान में समय-समय पर संशोधन की व्यवस्था है किंतु संविधान का अधिकांश भाग लिखित है इस प्रकार स्विट्जरलैंड के संविधान को निर्मित एवं लिखित संविधान कहते हैं।
(14) अनूठी कार्यपालिका
स्विस संविधान : स्विट्जरलैंड में संसदात्मक तथा अध्यक्षात्मक दोनों के दोनों ही प्रकार की प्रणालियों का समीकरण पाया जाता है। स्विट्जरलैंड की कार्यपालिका वहां की संसद के प्रति उत्तरदाई है। इस दृष्टि से वहां पर संसदीय शासन प्रणाली है। किंतु कार्यपालिका संसद द्वारा अविश्वास का प्रस्ताव पारित होने पर अपना पद त्याग नहीं करती है इस दृष्टि से स्विट्जरलैंड में अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली है। यह भी स्मरण रहे कि स्विट्जरलैंड की संघीय व्यवस्था में शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत को लागू नहीं किया गया है। इन सब बातों से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि स्विट्जरलैंड की व्यवस्थापिका में संसदीय शासन प्रणाली तथा अध्यक्ष तक शासन प्रणाली दोनों के गुण पाए जाते हैं इसलिए यह एक अनूठी व्यवस्थापिका कहीं जा सकती है।
(15) अनोखी कार्यपालिका
स्विस संविधान : स्विट्जरलैंड की कार्यपालिका एक अनोखी कार्यपालिका कही जाती है जिसमें संसदीय तथा अध्यक्षात्मक दोनों ही प्रकार की कार्यपालिका का सम्मिश्रण पाया जाता है।
एक टिप्पणी भेजें