प्लासी का युद्ध- कारण, घटनाएं, परिणाम एवं महत्व

 प्लासी के युद्ध से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को स्पष्ट करेंगे जैसे-

1) प्लासी के युद्ध के कारण (परिस्थितियां) 

2) प्लासी के युद्ध की घटनाएं (23 जून, 1757) 

3) प्लासी के युद्ध के परिणाम 

4) प्लासी के युद्ध का महत्व

5) प्लासी युद्ध के कारणों का वर्णन करें


प्लासी का युद्ध

प्लासी का युद्ध (plasi ka yuddh); प्लासी का युद्ध सन 1707 ई० मैं मुगल सम्राट औरंगजेब का देहांत हो जाने पर बंगाल के सूबेदार अलीवर्दी खां ने अपने आपको सन 1740 में स्वतंत्र शासक घोषित कर दिया था। अली वर्दी खां एक अत्यंत योग्य तथा शक्ति संपन्न शासक था। यही कारण था कि उसके काल में बंगाल में निवास करने वाली विभिन्न यूरोपीय जातियों में से कोई भी उपद्रव करने का साहस न कर सकता। 1756 में अली वर्दी खां का देहांत हो जाने पर उसकी लड़की का पुत्र सिराजुद्दौला उसका उत्तराधिकारी बना। परंतु अनेक परिस्थितियों के कारण उसकी तथा अंग्रेजों के मध्य संबंध कटुता पूर्ण हो गए। जिस कारण उनके मध्य भीषण युद्ध प्रारंभ हो गया। 

प्लासी के युद्ध के कारण (परिस्थितियां) 

(1) सिराजुद्दौला के विरोधियों को अंग्रेजी सहायता 

प्लासी का युद्ध के कारण, अंग्रेजों का अली वर्दी खां की मृत्यु के उपरांत भी घर सिटी बेगम की दीवान राजबल्लभ के साथ पत्र व्यवहार चल रहा था। परिणाम स्वरूप सिराजुद्दौला की हिंदी में अंग्रेजों के विरुद्ध संकायें (सक) उत्पन्न होने लगी। 

(2) सिराजुद्दौला का अनिश्चित उत्तराधिकारी बनना 

अली वर्दी खां के केवल 3 पुत्रियां थी तथा उसकी कोई पुत्र नहीं था। सिराजुद्दौला अली वर्दी खां की सबसे छोटी पुत्री का पुत्र था। अथवा अन्य पुत्रियां व उसके पुत्र हमसे नाराज हो गए थे। अली वर्दी खान की मृत्यु के बाद उसकी एक पुत्री घसीटे बेगम तथा दोहता शौकत जंग अपने-अपने दावे प्रस्तुत करने लगे बंगाल के कुछ दरबारियों ने उनका समर्थन करना आरंभ कर दिया। परिणाम स्वरूप सिराजुद्दौला की स्थिति अत्यंत अनिश्चितता शिथिल हो गई थी। 

(3) सिराजुद्दौला का कोलकाता पर अधिकार तथा ब्लैक होल की घटना

अंग्रेजों से अत्यंत रुष्ठ होने के कारण सिराजुद्दौला ने 4 जून 1756 को कासिम बाजार पर अपना अधिकार कर लिया तथा 15 जून को कोलकाता पहुंच गया और कोलकाता पर अपना अधिकार कर लिया। उसे किसी प्रकार के विरोध का सामना नहीं करना पड़ा तथा उसने 20 जून, 1756 के दिन कोलकाता पर भी अपना अधिकार कर लिया। सिराजुद्दौला ने ग्रीष्म ऋतु के 1 दिन 10 फुट लंबे तथा 14 इंच चौड़े एक संग कमरे में 146 अंग्रेजों को बंद कर दिया दम घुटने के कारण लगभग 1 सूत्री से अंग्रेज मारे गए थे। इन 40 व्यक्तियों में हार्डवेल भी एक था। आधुनिक इतिहासकारों के विचार में यह ब्लैक होल कांड पूर्ण रूप से मन करत कहानी है जिसके द्वारा अंग्रेज नवाब को बदनाम कर तथा उस पर आरोप लगाकर अपना राजनीतिक उद्देश्य प्राप्त करना चाहते थे। 

(4) अंग्रेजों द्वारा आज्ञा की अवहेलना

अलीवर्दी खां के समय में अंग्रेजों के साथ रांची शिव ने जो किलेबंदी करने आरंभ की थी उसे अलवर दिखाने बंद करवा दिया था परंतु उसकी मृत्यु किसी के उपरांत ही उन्होंने उच्च अधिकारी संबंधित संघर्ष का लाभ उठाकर अपनी अपनी बस्तियों की किलेबंदी फिर से आरंभ कर दी। सिराजुद्दौला में ₹26 जातियों को अपनी-अपनी किलेबंदी गिरा देने के लिए आदेश दिया फ्रांसीसी ने तो उसके आदेशों का पालन किया, परंतु अंग्रेजों ने सिराजुद्दौला के आदेशों की अवहेलना कर दी जिसके कारण अंग्रेजों और सिराजुद्दोला के बीच विरोध और भी अधिक पड़ गया।

(5) अंग्रेजों द्वारा कोलकाता पर पुनः अधिकार करना

जब चेन्नई काउंसिल के सदस्यों तथा अन्य अंग्रेज अधिकारियों को कासिम बाजार तथा कोलकाता की अपनी पराजय का समाचार मिला तो इन अधिकारियों ने क्लाइव की सेनापति में स्थल सेना की एक टुकड़ी तथा एडमिरल वाटसन की अध्यक्षता में नौसेना की एक टुकड़ी बंगाल की ओर भेज दी। यह समस्या द्वारा अपने विरोधी शौकत जंग के विरुद्ध कार्यवाही कर रहा था। उसने अपनी एक सेनापति मानिक चंद को कोलकाता का उत्तरदायित्व सौंप रखा। मानिकचंद अंग्रेजों के हाथों में बिक गया तथा वह थोड़ी सी युद्ध का ढोंग करके कोलकाता से भाग गया। इस प्रकार अंग्रेजों ने 2 जनवरी 1757 को कोलकाता पर अपना अधिकार पुनः स्थापित कर लिया।

(6) चंद्र नगर पर अंग्रेजों का अधिकार

अंग्रेजों को आशंका थी की कहीं से आज वाला चंद्र नगर के फ्रांसीसी हुसैन मिल जाए इसी कारण उन्होंने आवेदन के साथ शीघ्रता से संधि कर ली जिसे अलीनगर की संधि के नाम से जाना जाता है।

नवाब से संधि के तुरंत पश्चात ही क्लाइव ने चंद्रनगर पर आक्रमण करके उस पर भी अधिकार कर लिया। इस परिस्थिति में सिराजुद्दौला को फ्रांसीसी की सहायता करनी चाहिए थी। तथा किसी भी स्थिति में अंग्रेजों को चंद्र नगर का अधिकार नहीं करने देना चाहिए था। इतिहासकार दत्ता का कथन है कि — “इस प्रकार कूटनीतिक युद्ध में नवाब अंग्रेजों से पराजित हुआ।”

(7) नवाब के विरुद्ध षड्यंत्र 

क्लाइव ने नवाब की शक्ति समाप्त करने के लिए कूटनीति अपना ही तथा उसके दरबार में षड्यंत्र रचने का कार्य शुरू कर दिया तथा श्री राधे द्वारा की मुख्य सेनापति मीर जाफर तथा एक अन्य महत्वपूर्ण सेनानायक राय दुर्लभ को अपने जाल में फांस लिया। मीर जाफर को नवाब बनाने का आश्वासन दिया गया और इस कारण वह विश्वासघात के लिए तैयार हो गया। बंगाल की अमित चंद नामक एक समृद्धि व्यापारी के माध्यम से अंग्रेजी तथा मीर जाफर की 20 जून 1757 में एक गुप्त संधि हो गई।

प्लासी के युद्ध की घटनाएं (23 जून, 1757) 

षड्यंत्र के पूर्ण रूप से पक्का हो जाने पर क्लाइव सिराजुद्दौला से युद्ध आरंभ करने के लिए किसी ना किसी बहाने की प्रतीक्षा करने तथा उसने शीघ्र ही से आवेला पर आरोप लगाया कि वह 9 फरवरी 1757 की अलीनगर की संधि का पालन नहीं कर रहा है तथा फ्रांसीसी तथा डचों के साथ सहयोग करके षड्यंत्र कर रहा है। राजबाला के द्वारा आरोप का खंडन करने पर भी क्लाइव ने उस पर आक्रमण कर दिया। 22 जून 1757 को नवाब की तथा अंग्रेजी सेना ने प्लासी नामक गांव के पास एक दूसरे के सामने आ खड़ी हुई। युद्ध 23,जून 1757 तारीख को अगले दिन आरंभ हुआ सिराजुद्दौला की सेना की संख्या लगभग 50,000 के आसपास थी जबकि अंग्रेजी यों की सेना की संख्या केवल चार हजार के आसपास थी। क्लाइव ने साहस बटोर कर दो ऊपर के समय नवाब की सेना पर आक्रमण कर दिया।  मोहनलाल तथा अमीर मदान के सेनापति तू में नवाब की थोड़ी सेना तथा कुछ फ्रांसीसीयों ने अंग्रेजी ना पर वीरता पूर्वक सामना किया। मीर जाफर सराय दुर्लभ के सेनापति से सेना की एक विशाल भाग ने इस युद्ध में कोई भाग नहीं लिया और सिराजुद्दौला के साथ विश्वासघात किया गया। जब नवाब को यह पता चला कि उसके बड़े-बड़े सेनानायक उससे विश्वासघात कर रहे हैं तो वह घबरा गया और अपने जीवन की रक्षा के लिए युद्ध क्षेत्र से भागकर मुर्शिदाबाद पहुंच गया और उसे वह अपनी पत्नी के पास पटना की ओर भाग गया परंतु उसे शीघ्र ही बंदी बना लिया गया तथा कुछ समय उपरांत मीर जाफर के पुत्र मीस ने उसकी हत्या कर दी। इस प्रकार अंग्रेजो ने धोखे से विजय प्राप्त की।

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प्लासी के युद्ध के परिणाम 

(1) सिराजुद्दोला की हत्या के उपरांत गुप्त संधि के अनुसार मीर जाफर को बंगाल का नवाब बना दिया गया।

(2) मीर जाफर को इस नवाबी के बदले में पौने दो करोड़ पर की विशाल धनराशि देनी पड़ी। अकेले क्लाइव को ही ₹30 लाख भेंट स्वरूप दिया गया।

(3) कंपनी को 24 परगने  की जमीदारी प्राप्त हो गई। उस समय इस प्रदेश की वार्षिक आय लगभग डेढ़ लाख पौंड थी।

(4) अमीचंद को नकली संधि दिखाकर एक पाई भी नहीं दिया गया इस प्रकार देशद्रोही को उसके विश्वासघात का मूल्य मिल गया।

(5) कंपनी को कोलकाता में अपनी मुद्रा चलाने का अधिकार प्राप्त हो गया।

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प्लासी के युद्ध का महत्व 

प्लासी के युद्ध का महत्व; प्लासी के युद्ध का एक विशेष राजनीतिक महत्व है। इस युद्ध ना केवल अंग्रेजों की बल्कि संपूर्ण भारत के भाग्य पर प्रभाव पड़ा। प्लासी का युद्ध एक छोटे से संघर्ष से अधिक कुछ नहीं था, परंतु इसके परिणाम विश्व के महान युद्ध के परिणामों से भी अधिक महत्वपूर्ण थे।

(1) कंपनी को आर्थिक लाभ 

प्लासी के युद्ध में ईस्ट इंडिया कंपनी की आर्थिक दशा में पर्याप्त सुधार हुआ। बंगाल के नए नवाब मीर जाफर ने एक विशाल धनराशि कंपनी को उपहार स्वरूप भेंट की थी। 24 रजनी की जमीदारी प्राप्त हो जाने से कंपनी की आई में लगभग डेढ़ लाख फोन वार्षिक की वृद्धि हो गई इसके साथ ही कंपनी को बंगाल में कर रहीत व्यापार करने की सुविधा भी प्राप्त हो गई थी। 

(2) बंगाल पर अंग्रेजी नियंत्रण की स्थापना 

प्लासी के युद्ध के उपरांत बंगाल की सत्ता पर अंग्रेजों का वास्तविक अधिपति हो गया। नया-नवाब अंग्रेजों के हाथों में कठपुतली मात्र ही था। “प्लासी का युद्ध ना केवल कंपनी के लिए बल्कि संपूर्ण ब्रिटिश राष्ट्र के लिए असाधारण महत्व का है।”

(3) कंपनी की गौरव की वृद्धि 

प्लासी के युद्ध में कंपनी के मान सम्मान में अत्यंत वृद्धि कर दी थी। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का साधारण व्यापारिक कंपनी से उठकर एक ऐसी प्रभावशाली शक्ति बन गई जो शासकों का निर्माण और विनाश कर सकती थी। इसमें दत्ता ने कहा है— “इस विषय का नैतिक प्रभाव बहुत अधिक था एक विदेशी कंपनी के द्वारा एक प्रांतीय सूबेदार को अपमानित किए जाने से कंपनी की शक्ति दिशा गौरव में असाधारण वृद्धि कर दी।”


महत्वपूर्ण अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर 


प्लासी का युद्ध कब हुआ?

प्लासी का युद्ध 23 जून, 1757 को हुआ था।

प्लासी का युद्ध किसके बीच हुआ?

प्लासी का युद्ध ईष्ट इंडिया कंपनी के क्लाइव और नवाब सिराजुद्दौला के मध्य हुआ था।

प्लासी के युद्ध के कारण क्या थे?

प्लासी के युद्ध के कारण — (1) सिराजुद्दौला के विरोधियों को अंग्रेजी सहायता (2) सिराजुद्दौला का अनिश्चित उत्तराधिकारी बनना (3) सिराजुद्दौला का कोलकाता पर अधिकार तथा ब्लैक होल की घटना (4) अंग्रेजों द्वारा आज्ञा की अवहेलना (5) अंग्रेजों द्वारा कोलकाता पर पुनः अधिकार करना (6) चंद्र नगर पर अंग्रेजों का अधिकार (7) नवाब के विरुद्ध षड्यंत्र

प्लासी युद्ध के मुख्य परिणाम?

प्लासी युद्ध के परिणाम - (1) सिराजुद्दोला की हत्या के उपरांत गुप्त संधि के अनुसार मीर जाफर को बंगाल का नवाब बना दिया गया। (5) कंपनी को कोलकाता में अपनी मुद्रा चलाने का अधिकार प्राप्त हो गया।

प्लासी के युद्ध का महत्व बताइए?

(1) कंपनी को आर्थिक लाभ (2) बंगाल पर अंग्रेजी नियंत्रण की स्थापना (3) कंपनी की गौरव की वृद्धि

प्लासी के युद्ध की घटनाएं?

प्लासी के युद्ध की घटनाएं (23 जून, 1757) , 9 फरवरी 1757 की अलीनगर की संधि का पालन नहीं कर रहा है तथा फ्रांसीसी तथा डचों के साथ सहयोग करके षड्यंत्र कर रहा है।

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