बक्सर का युद्ध से संबंधित कुछ मुख्य बिंदुओं को स्पष्ट करेंगे जैसे-
1) बक्सर युद्ध के कारण
2) बक्सर के युद्ध की घटनाएं
3) बक्सर युद्ध के परिणाम (प्रभाव)
4) इलाहाबाद की संधि’ संधि के प्रमुख शर्तें
5) बक्सर के युद्ध का महत्व
बक्सर का युद्ध (Battle of Buxar)
बक्सर का युद्ध; 24 अक्टूबर, 1764 को लड़े गए इस युद्ध में एक ओर अंग्रेजी सेनाएं थीं तथा दूसरी ओर बंगाल के नवाब मीर कासिम अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा मुगल सम्राट शाह आलम की संगठित सेनाएं थी। बक्सर का युद्ध ईस्ट इंडिया कंपनी के मुनरो और मुगलों तथा नवाबों की सेनाओं के मध्य लड़ा गया।
बक्सर का युद्ध, बक्सर के युद्ध का भारतीय इतिहास में अत्यधिक महत्व है। इसने प्लासी के युद्ध के अधूरे कार्य को पूरा कर दिया।
बक्सर युद्ध के कारण (baksar ka yuddh ke karan)
1. मीर कासिम, शुजाउद्दौला तथा शाह आलम में गठजोड़
मुगल साम्राज्य शाह आलम उस समय अवध आया हुआ था। वह भी अंग्रेजों से बहुत क्रुद्ध था। इसका कारण यह था कि बंगाल और बिहार पर मुगल सम्राट के प्रभाव स्थापित करने के इन प्रयासों को अंग्रेजों ने असफल कर दिया था। अब वह भी अंग्रेजों के विरुद्ध इस संगठन में सम्मिलित हो गया। इस प्रकार अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध की जोर शोर से तैयारी आरंभ होने लगी।
2. मीर कासिम का बंगाल के नवाब के पद से बर्खास्त करना
सन 1760 में मीर कासिम अंग्रेजों की सहायता से बंगाल का नवाब बना। उसने अंग्रेजों को विशाल धनराशि उपहार स्वरूप दी तथा बर्दवान मिदनापुर एवं छठ गांव आदि के जिले दिए परंतु योग्य शासक होने के नाते अंग्रेजों के इशारे पर नाचना उसके लिए संभव नहीं था। अतः अंग्रेजों ने उसे नवाब पद से हटा दिया। इस अन्याय के कारण मीर कासिम अंग्रेजों का कट्टर शत्रु बन गया और उसने युद्ध करने का दृढ़ निश्चय कर लिया।
3. अवध के नवाब शुजाउद्दौला की स्वार्थ पूर्ति के लिए मीर कासिम की सहायता लेना
बंगाल से भागकर मीर कासिम पटना पहुंचा तथा पटना से वह अवध के नवाब शुजाउद्दौला की शरण में चला गया। शुजाउद्दौला तथा उसके पूर्वज दीर्घकाल से बंगाल पल गिद्ध की भांति दृष्टि लगाए हुए थे इसी कारण बंगाल पर अपने प्रभाव की वृद्धि करने की विचार से शुजाउद्दौला मीर कासिम की सहायता को तत्पर हो गया। इस प्रकार शुजाउद्दौला के सहमत हो जाने से अंग्रेजों के साथ उसका युद्ध अनिवार्य हो गया।
4. मीर कासिम द्वारा अंग्रेजी बंन्दियो की हत्या करना
अंग्रेज सेनापति मेजर ऐडम्स ने मीर कासिम की सेनाओं को कटवा गिरिया मुर्शिदाबाद तथा मुंगेर आदि स्थानों पर पराजित किया। मीर कासिम अपने प्राणों की रक्षा के लिए पटना की ओर भाग गया। क्रोध से पागल मीर कासिम ने अंग्रेज समर्थक सैकड़ों व्यक्तियों की हत्या कर दी। बाद में उसने समरू नामक एक जर्मन की सहायता से लगभग 200 अंग्रेज बनियों की हत्या कर दी। इस हत्याकांड ने अंग्रेजों को और अधिक उत्तेजित कर दिया।
बक्सर के युद्ध की घटनाएं
मीर कासिम, शुजाउद्दौला तथा मुगल सम्राट शाह आलम की सम्मिलित सेनाओं ने बिहार की ओर अग्रसर होना आरंभ किया। मुझे कुछ फ्रांसीसीयो ने भी सहायता दी। 1774 ईस्वी के पूर्वार्ध मैं बिहार और अवध की सीमाओं के निकटवर्ती क्षेत्रों में ही अनेक मुठभेड़ हुए परंतु कोई निर्णय ना निकल सका। इसी बीच एक अत्यंत योग्य सेनापति मेजर मुनरो को अंग्रेजी सेना के नेतृत्व का भार सौंपा गया। 28 अक्टूबर, 1764 को गंगा नदी के तट पर स्थित बक्सर नामक स्थान पर दोनों सेनाओं के मध्य भीषण युद्ध हुआ। दोनों ओर से काफी संख्या में सैनिक मारे गए।
अंत में इस युद्ध में अंग्रेजों को ही विजय प्राप्त हुई। मुगल सम्राट शाह आलम ने अंग्रेजों ने समझौता कर लिया। तथा मीर कासिम युद्ध क्षेत्र से भाग जा और अवध के नवाब शुजाउद्दौला मैं अवश्य कुछ समय और युद्ध जारी रखा परंतु अंत में उसने भी कोटा नामक स्थान पर आत्म समर्पण कर दिया था। इस प्रकार बक्सर का युद्ध समाप्त हुआ। किसी विद्वान ने यह कहा है- “इस प्रकार बक्सर की उस युद्ध, जिस पर भारत का भाग्य निर्भर था तथा उतनी ही वीरता से लड़ा गया जितने कि उसके परिणाम महत्वपूर्ण हैं, युद्ध का अंत हुआ।”
बक्सर युद्ध के परिणाम (प्रभाव)
बक्सर के युद्ध के परिणाम - मीर कासिम युद्ध क्षेत्र से भाग गया था। इस समय क्लाइव भारत का दूसरी बार गवर्नर जनरल बन कर आ गया था। उसने मुगल सम्राट शाह आलम तथा अवध के नवाब शुजाउद्दौला से संधि (1765 ई०) कर ली इतिहास में यह संधि ‘इलाहाबाद की संधि’ के नाम से प्रसिद्ध है।
‘इलाहाबाद की संधि’ संधि के प्रमुख शर्तें-
(1) शुजाउद्दौला ने युद्ध की क्षतिपूर्ति के लिए अंग्रेजों को धनराशि देने का स्वीकार किया।
(2) शुजाउद्दौला कुमावत का प्रदेश सुनाओ सौंप दिया गया, परंतु उसके इलाहाबाद के 2 जिले उससे छिन गए।
(3) कंपनी को अवध के प्रदेश में बिना किसी प्रकार की कोई कर दिए व्यापार करने की अनुमति प्रदान हुई।
(4) अवध के नवाब के लिए गए कड़ा तथा इलाहाबाद के जिले मुगल सम्राट को दे दिया गया।
(5) मुगल सम्राट शाह आलम ने प्रसन्न होकर बंगाल बिहार से उड़ीसा की दीवानी अंग्रेजों को सौंप दी अर्थात अब इन तीनों के कर एकत्रित करने का अधिकार अंग्रेजों को प्राप्त हो गया था।
(6) अंग्रेजों ने अवध के नवाब को सैनिक सहायता देना स्वीकार किया परंतु इन सेनाओं का वैसे ही करना था।
(7) मुगल सम्राट सहारन को 26 लाख वार्षिक पेंशन नियत कर दी गई।
बक्सर के युद्ध का महत्व (Significance of the Battle of Buxar)
बक्सर का युद्ध का महत्व किसी भी प्रकार से प्राची की विधि से कम नहीं आंका जा सकता है। इस युद्ध ने न केवल प्लासी की अपूर्ण कार्य को ही पूर्ण किया, बल्कि उसने ब्रिटिश कंपनी को एक पूर्ण प्रभुसत्ता संपन्न शक्ति बना दिया। किसी विद्वान ने कहा था- “बक्सर के युद्ध में ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में एक प्रभुसत्ता संपन्न शक्ति बना दिया।” इसमें कोई संदेह नहीं था कि प्लासी के युद्ध का विशेष महत्व था, अंग्रेजी से युद्ध के कारण बंगाल में अपने आप को स्थापित कर सकने में सक्षम हुए थे। बंगाल से प्राप्त होने वाले धन से ही अंग्रेज फ्रांसीसी तथा अन्य भारतीयों के प्रदेशों पर विजय प्राप्त कर सके। विद्वानों का कथन है कि यदि अंग्रेजों ने प्लासी के युद्ध में विजय प्राप्त की होती तो संभवत वह बक्सर के युद्ध में भी विजय प्राप्त नहीं कर पाते। परंतु फिर भी दोनों युद्ध की घटनाओं तथा परिणामों की तुलनात्मक व्याख्या करते हुए अनेक इतिहासकारों ने बक्सर के युद्ध को ही अधिक महत्व प्रदान दिया है। इस युद्ध को अधिक महत्वपूर्ण मारने के संबंध में अनेक तर्क दिए गए हैं।
★ प्लासी का युद्ध एक साधारण मुठभेड़ थी जबकि बक्सर का युद्ध एक भीषण युद्ध था। जिसमें 3 गुट शामिल थे। प्लासी के युद्ध में अंग्रेजो ने केवल 65 तथा भारतीयों के 500 सैनिक मारे गए थे। बक्सर के युद्ध में इससे कहीं अधिक क्षति हुई थी। इस युद्ध में अंग्रेजो के 847 तथा भारतीयों के 2,000 से अधिक सैनिक मारे गए थे।
विद्वानों का कथन यह भी है कि बक्सर के युद्ध में अंग्रेजो ने अपनी सैन्य शक्ति का महान प्रदर्शन किया तथा भारतीय शक्तियां पहले की अपेक्षा उनका अधिक लोहा मानने लगी। इस संबंध में डॉ० आर० सी० मजूमदार का कहना है-प्लासी के युद्ध का निर्णय अंग्रेजों को जन्मजात युद्ध कला के श्रेष्ठता की अपेक्षा संयंत्र तथा धोखेबाजी से अधिक हुआ था। यदि बंगाल में उनके अधिकार केवल इसी युद्ध पर निर्भर रहते तो उनकी बंगाल विजय का श्रेय किसी उचित युद्ध को ना होकर राजनीतिक षड्यंत्रों को ही होता। परंतु मीर कासिम तथा उनके सहयोगियों की पराजय को किसी अचानक आशा रहित धोखेबाजी जैसे कि सिराजुउद्दौला के साथ हुई थी का परिणाम नहीं माना जा सकता। यो सत्ता प्राप्ति के लिए दो परस्पर विरोधी दावेदारों जो कि इसकी संभावनाओं से पूर्ण परिचित थे तथा उन्हें इसके परिणामों का आभास था, के बीच संघर्ष था।”
बक्सर के युद्ध के परिणाम प्लासी के युद्ध के परिणामों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। इस संबंध में सरकार और दत्ता का कथन है — बक्सर का युद्ध परिणामों की दृष्टि से प्लासी के युद्ध से अधिक निर्णायक था। प्लासी के युद्ध के परिणाम स्वरूप कपनी बंगाल के सिंहासन पर अपना एक कठपुतली नवाब बैठा सकी तथा निसंदेह है उसके सम्मान में भी आश्चर्यजनक वृद्धि हुई। परंतु इससे भी कुछ अधिक किया। बंगाल पर अपने नियंत्रण को और अधिक सुदृढ़ करने के साथ-साथ उन्हें इस युद्ध के फल स्वरुप सुबे के उत्तरी पश्चिमी भाग (उत्तर प्रदेश) पर अपना नियंत्रण स्थापित करने का अवसर मिला। यदि प्लासी के युद्ध से बंगाल के नवाब की पराजय हुई तो बक्सर ने उसे से भी महान शक्ति अवध के नवाब और यहां तक कि मुगल सम्राट के पराजय की घोषणा कर दी ।
Important Short question answer
बक्सर का युद्ध कब हुआ?
24 अक्टूबर, 1764 को हुआ था।
बक्सर के युद्ध का क्या महत्व है?
बक्सर के युद्ध में ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में एक प्रभुसत्ता संपन्न शक्ति बना दिया।इसमें कोई संदेह नहीं था कि प्लासी के युद्ध का विशेष महत्व था, अंग्रेजी से युद्ध के कारण बंगाल में अपने आप को स्थापित कर सकने में सक्षम हुए थे।
बक्सर युद्ध के क्या परिणाम हुए?
मीर कासिम युद्ध क्षेत्र से भाग गया था। इस समय क्लाइव भारत का दूसरी बार गवर्नर जनरल बन कर आ गया था। उसने मुगल सम्राट शाह आलम तथा अवध के नवाब शुजाउद्दौला से संधि (1765 ई०) कर ली इतिहास में यह संधि ‘इलाहाबाद की संधि’ के नाम से प्रसिद्ध है।
बक्सर का युद्ध किसके बीच हुआ?
बक्सर का युद्ध ईस्ट इंडिया कंपनी के मुनरो और मुगलों तथा नवाबों की सेनाओं के मध्य लड़ा गया।
बक्सर युद्ध के कारण?
बक्सर युद्ध के मुख्य कारण-
1. मीर कासिम, शुजाउद्दौला तथा शाह आलम में गठजोड़
2. मीर कासिम का बंगाल के नवाब के पद से बर्खास्त करना
3. अवध के नवाब शुजाउद्दौला की स्वार्थ पूर्ति के लिए मीर कासिम की सहायता लेना
4. मीर कासिम द्वारा अंग्रेजी बंन्दियो की हत्या करना
बक्सर का युद्ध?
बक्सर का युद्ध; 24 अक्टूबर, 1764 को लड़े गए इस युद्ध में एक ओर अंग्रेजी सेनाएं थीं तथा दूसरी ओर बंगाल के नवाब मीर कासिम अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा मुगल सम्राट शाह आलम की संगठित सेनाएं थी।
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