वेस्टफेलिया की संधि (1648)
वेस्टफेलिया की संधि ने जर्मनी की धार्मिक समस्या को सुलझा दिया था तथा जर्मनी में नया राजनीतिक विभाजन करने में वह सफल भी रही। इसके अतिरिक्त विजय हुए देशों फ्रांस तथा स्वीडन को इस संधि के द्वारा अनेक प्रदेश भी प्राप्त हुए।
वेस्टफेलिया की संधि की धाराएं
(1) धार्मिक प्रश्न के विषय में यह निश्चित हुआ कि उत्तरी एवं पश्चिमी जर्मनी के राज्य प्रोटेस्टेंट रहेंगे तथा दक्षिणी जर्मनी के कैथोलिक रहेंगे। चर्च की जागीर के संबंध में यह निर्णय लिया गया कि 1524 ईसवी के प्रथम दिवस तक जितनी भूमि कैथोलिक के पास थी वह कैथोलिकों की मानी जाएगी और शेष भूमि प्रोटेस्टेंट की मानी जाएगी। काल्विन के धर्म को मान्यता प्रदान करती गई।
(2) वेस्टफेलिया की संधि के द्वारा फ्रांस को मेज, तौल और वरदून की 3 डचियां मिली तथा स्ट्रॉसबर्ग के अतिरिक्त संपूर्ण एलसाज का प्रांत फ्रांस में मिला दिया गया था। इन प्रदेशों से स्थान से किस साम्राज्य का विशेष विस्तार हुआ। इरशाद मिलने के कारण राइन नदी तक फ्रांस का राज्य और भी विस्तृत हो गया तथा वह अब जर्मनी में हस्तक्षेप भी कर सकता था। फ्रांस आगे चलकर शीघ्र ही यूरोप की एक महान शक्ति बन गया, इसी के फल स्वरुप फ्रांस तथा जर्मनी की राइन नदी की प्रतिद्वंदिता प्रारंभ भी होती है।
(3) स्वीडन को पोमेरेनिया का पश्चिमी भाग तथा ब्रेमन की डचियां मिली। इन प्रदेशों ने जर्मनी को तीन नदियों (लीडर एल्बा और ब्रेजर) के मुहावरों पर स्वीडन का अधिकार स्थापित कर दिया। जर्मन सभा का सदस्य स्वीडन को भी बना दिया गया। स्वीडन के इतिहास में इस संधि का विशेष महत्व है क्योंकि इसके द्वारा स्वीडन की शक्ति बाल्टिक सागर में सर्वोपरि हो गई।
वेस्टफेलिया की संधि के महत्व
वेस्टफेलिया की संधि यूरोप के इतिहास में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इस संधि ने इतिहास की एक अध्याय को समाप्त कर नया अध्याय को प्रारंभ किया था। यह दो युगों का संधि- काल माना जाता है।
(क) अंतर्राष्ट्रीय विधि का विकास
वेस्टफेलिया की संधि के महत्व अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व रहा है। युद्ध ने पोप का धार्मिक नेतृत्व तथा पवित्र रोमन सम्राट का राजनीतिक महत्व समाप्त कर दिया था। उस समय यूरोप में रूम के पूर्व के अधिकार समाप्त होने पर यह प्रतीत होने लगा कि अब यूरोप की विभिन्न समस्याओं का समाधान राजनीतिक राजदूतों अथवा अंतरराष्ट्रीय सभाओं द्वारा किया जाने लगेगा। 30 वर्षीय युद्ध के विशन अत्याचारों एवं कर्मकांड ने विद्वानों का ध्यान अंतरराष्ट्रीय नियम तथा युद्ध के ढंग को परिवर्तित करने की ओर भी आकर्षित किया। तथास्तु देशों एवं व्यक्तियों पर कोई अत्याचार न किया जा सके इसके लिए भी कुछ नियम बनाने की आवश्यकता अनुभव की गई थी तथा इस संबंध में अनेक साहित्यिक कृतियों का वर्णन भी किया गया जिनमें ‘On the Law of war and Peace ’नामक पुस्तक विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इस प्रकार 1639 ईस्वी में वेस्टफेलिया की संधि के द्वारा यूरोप का एक नवीन अध्याय प्रारंभ भी होता है।
(ख) जर्मनी पर वेस्टफेलिया की संधि का प्रभाव
जर्मनी में भी कुछ प्रादेशिक निर्णय लिए गए। पवित्र रोमन सम्राट का यह अधिकार छीन लिया गया और अब जर्मनी 300 से भी अधिक राज्यों का एक समूह था जहां के शासकों को लगभग पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त थी। जर्मनी की एकता अथवा संगठन को नष्ट कर डाला गया। वेस्टफेलिया की संधि के पश्चात पवित्र रोमन सम्राट ऑस्ट्रेलिया का ही वास्तविक सम्राट रह गया और पवित्र रोमन सम्राट का पद यद्यपि अभी वह धारण करता था किंतु वह पद के केवल नाम मात्र का ही था जर्मनी के विभिन्न राज्यों में राष्ट्रीय तत्व संगठन की भावना न होने के कारण कई शताब्दियों तक जर्मनी एक विश्रृंखलित राज्य ही बना रह गया।
(ग) आधुनिक राजनीतिक प्रणाली का जन्म
इस संधि में आने का अंतरराष्ट्रीय समस्याओं का समाधान भी किया तथा इस दृष्टिकोण से यह कहा जाता है कि इस संधि ने यूरोप की आधुनिक राजनीतिक प्रणाली को भी जन्म दिया। इसके द्वारा निर्मित यूरोप का राजनीतिक मानचित्र लगभग फ्रांस की क्रांति तक जैसा था वैसा ही बना रहा। इसके अतिरिक्त इस संधि ने प्राचीन महत्वपूर्ण राज्यों का गौरव विलुप्त भी कर दिया। स्पेन तथा पवित्र रोमन सम्राट के प्रधान बता का युग समाप्त होकर फ्रांस की प्रधानता का युग प्रारंभ हुआ।
(घ) स्पेन पर वेस्टफेलिया की संधि का प्रभाव
30 वर्षीय युद्ध का दुष्प्रभाव केवल जर्मनी पर ही नहीं पड़ा बल्कि इस युद्ध में स्पेन की शक्ति का भी विनाश कर दिया। यह युद्ध स्पेन की भूमि पर नहीं हुआ जिसके कारण स्पेन के नगर जर्मनी के नगरों के समान नष्ट नहीं हुए थे परंतु स्पेन के सैनिकों पर इस युद्ध का अधिकांश भाग रहा जो निरंतर जर्मनी नीदरलैंड तथा उत्तरी इटली में युद्ध करते रहे, इसके परिणाम स्वरूप स्पेनको अपार धन और जन की क्षति सहन करनी भी पड़ी तथा स्पेन जो यूरोप का सबसे अधिक धन संपन्न देश था, 1648 अभी तक सबसे निर्धन एवं असहाय हो गया था।
पिरेनेज की संधि,वेस्टफेलिया की संधि की पूरक संधि मानी जाती है जिसके द्वारा 30 वर्षीय युद्ध का पूर्ण देहांत हो गया था तथा प्रांत का एक नवोदित शक्ति के रूप में उद्भव हुआ। 30 वर्षीय युद्ध ने ऐप्स वर्ग वंश की प्रतिष्ठा को गहरा आघात पहुंचाया तथा अब फ्रांस का बूरबो वंश यूरोप का सबसे प्रतिष्ठित राजवंशी स्वीकार कर लिया गया था। वेस्टफेलिया और पिरेनेज की संध्या के पश्चात मूवी चतुर्थी अपनी समाजवादी नीति का सफलतापूर्वक अनुसरण करने के लिए अग्रसर हो सका। इस कारण 1648 ईसवी का वर्ष यूरोप के इतिहास में एक युग परिवर्तनकारी वर्ष माना जाता है क्योंकि इसी वर्ष स्पेन एवं ऑस्ट्रिया के स्थान पर फ्रांस का प्रभुत्व स्थापित होता है जो यूरोप में लगभग 150 वर्षों तक निरंतर स्थापित रहा।
निष्कर्ष
इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि यूरोप के इतिहास में का वेस्टफेलिया की संधि महत्वपूर्ण स्थान है
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