प्रथम अफीम युद्ध से संबंधित कुछ बिंदुओं को स्पष्ट करेंगे जैसे —
1. प्रथम अफीम युद्ध के कारण या प्रथम आंग्ल- चीन युद्ध के कारण
2. युद्ध की घटनाएं
3. प्रथम अफीम युद्ध के परिणाम
प्रथम अफीम युद्ध
प्रथम अफीम युद्ध: इंग्लैंड की साम्राज्यवादी नीति के फल स्वरुप चीन की भूमि पर अफीम की व्यापार के एकाधिकार के प्रश्न पर 1839 ईसवी में प्रथम युद्ध प्रारंभ हुआ। इसे और चीन युद्ध भी कहा जाता है 29 अगस्त, 1842 ईसवी में युद्ध में चीन को पराजित होकर इंग्लैंड से नामकिंग की संधि करनी पड़ी।
प्रथम अफीम युद्ध के कारण
प्रथम अफीम युद्ध के अनेक महत्वपूर्ण कारण थे मात्रा अफीम का व्यापार ही इस युद्ध का प्रधान कारण ही था इसके निम्नलिखित कारण थे —
(1) अंग्रेजों की सर्वोच्चता प्राप्त करने की इच्छा
अंग्रेज व्यापारी बड़े महत्वकांक्षी थे। वे न केवल अपने व्यापार का ही विस्तार करना चाहते थे बल्कि वे अन्य यूरोपीय व्यापारियों पर भी अपना सर्वोच्चता स्थापित करने मैं भी लगे हुए थे। इसके साथ ही अंग्रेज व्यापारी चाहते थे कि चीन का सम्राट उनके प्रतिनिधियों के साथ समानता का व्यवहार करें लेकिन चीनी प्रशासक विदेशियों को बर्बर जाति का समझते थे और इस कारण उनके साथ अपमानजनक व्यवहार करते थे। इसके साथ-साथ चीनी प्रशासन का यह भी दृढ़ विश्वास था कि समस्त मानव जाति उनके साम्राज्य के अंतर्गत होनी चाहिए।
(2) चीन में आर्थिक संकट
चीनी लोग अफीम के आदी नहीं बनना चाहते थे और इसी कारण हुए अपने देश में अफीम के व्यापार को सहन करने के लिए तैयार नहीं थे। चीन के सम्राट नहीं हो तो कर लिया था कि अफीम के व्यापार से देश की आर्थिक दर्शन यंत्र बिगड़ती जा रही है और देश का बहुत सा धन विदेशों की ओर जा रहा है इसलिए अफीम की व्यापार को रोकने के लिए 1839 ईसवी में लिन-त्से-हसू कैण्टन का कमिश्नर नियुक्त किया गया। लिंग एक कठोर और ईमानदार अधिकारी था। उसने कैण्टन पहुंचते ही सभी विदेशी व्यापारियों को अवैध अफीम को सौंप देने का आदेश दिया लेकिन विदेशी व्यापारियों ने इसका विरोध किया। इसका यह परिणाम हुआ लिन ने सभी व्यापारिक संस्थाओं पर कड़ा पहरा लगवा दिया और उन्हें अफीम सौंपने के लिए बाध्य किया। इसके साथ ही इसलिए विदेशी व्यापारियों को यह भी सूचित कर दिया कि वे तभी कैंण्टन से बाहर जा सकेंगे जब वह अपने अफीम भंडार को सरकार को सौंप देंगे। अथवा अंग्रेज व्यापारियों को विवश होकर की इच्छा अनुसार कार्य करना पड़ा लेकिन इस कार्यवाही से अंग्रेजों और चीनियों के मध्य युद्ध की संभावनाएं और बढ़ने लगी।
(3) उपनिवेश स्थापित करना
चीन सरकार का कहना था कि कैण्टन में निवास करने वाले विदेशी व्यापारी चीन के नियमों तथा कानूनों के अंतर्गत निवास करते हैं और चीनी अधिकारी इसी सिद्धांत के अनुसार कार्य करते थे। लेकिन विदेशी व्यापारी चीन के नियमों और कानूनों को मानने के लिए तैयार न थे। और यह तथ्य भी युद्ध के लिए बड़ा सहायक सिद्ध हुआ।
(4) युद्ध के तात्कालिक कारण
अफीम के अवैध व्यापार को समाप्त करने के उद्देश्य से कमिश्नर लिन की कठोर कार्यवाही यों से असंतुष्ट होकर अंग्रेज व्यापारी वर्ग अपनी सरकार पर चीन से शक्ति प्रदर्शन और युद्ध के लिए दबाव डाल रहा था। दुर्भाग्य से इसी समय 7 जुलाई, 1840 ई० चीनी और अंग्रेजी नागरिकों में संघर्ष हो गया जिसमें एक चीनी नाविक की मृत्यु हो गई। कैंटन के कमिश्नर लेने चीनी नियमों के अंतर्गत ब्रिटिश व्यापारिक प्रबंधन इलियट से मांग की कि वह तत्काल ही अपराधी को चीन सरकार के हवाले कर दें। लेकिन इलियट ने उसके आदेश को स्वीकार करते हुए कहा कि इस प्रकार के सामूहिक संघर्ष में वास्तविक अपराधी का पता नहीं लगाया जा सकता है। इस पर दोनों पक्षों में इस प्रश्न को लेकर विवाद काफी बढ़ गया। लिन-त्से-हसु अंग्रेजों की कोई भी बात सुनने के लिए तैयार नहीं था और उसने अंग्रेज व्यापारिक संस्थाओं पर भी अधिक कठोर प्रतिबंध लगा दिया।
इन सभी परिस्थितियों के बीच सितंबर 1839 में कप्तान स्मिथ के अध्यक्षता में जंगी जहाजों का एक बेड़ा कौन-कौन पहुंचा गया और युद्ध शुरू हो गया। ब्रिटिश व्यापार अधीक्षक इलियट ने तुरंत ही चीन की घटनाओं से अपने देश की सरकार को परिचित कराया इसके परिणाम स्वरूप इंग्लैंड के प्रधानमंत्री पामस्टरन ने अप्रैल 1840 ई० में चीन के विरुद्ध युद्ध की घोषणा के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।
युद्ध की घटनाएं
प्रथम अफीम युद्ध में मुख्य रूप से दो युद्ध लड़े गए। सबसे पहली विद्युत कैंण्नट से प्रारंभ होकर चीन के पूरे समुद्र तट पर फैल गया। ब्रिटिश सेनाओं ने चीनी सेना पर आक्रमण कर दिया और ब्रिटिश जंगी जहाजों ने यांगत्सी नदी के मुहाने पर अधिकार कर लिया। इससे पीकिंग को खतरा पैदा हो गया। अंत में विवश होकर चीन सम्राट को युद्ध बंद करना पड़ा। लिन-त्से-हसू को अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा और संधि के लिए मंजू शासक का प्रतिनिधि ची शान नियुक्त किया गया। किसान ने अंग्रेजों के साथ एक अस्थाई संधि की और ब्रिटिश सेना ने पुनः दक्षिण में चली गई। इस संधि की प्रमुख शर्तें यह थी—
(1) अफीम की क्षति पूर्ति के रूप में चीन ने अंग्रेजों को $700000 देने का स्वीकार किया।
(2) हांगकांग का बंदरगाह अंग्रेजों को स्थाई निवास के लिए दे दिया गया।
(3) अंग्रेजी प्रतिनिधियों के कूटनीतिक संबंधों को समानता के स्तर पर मान्यता प्रदान की गई।
(4) कैण्टन मैं अंग्रेजी व्यापार को शीघ्र खोलने का वचन दिया गया।
इस स्थाई संधि की धाराओं से दोनों पक्ष संतुष्ट नहीं थे। चीन सरकारी हो समझती थी कि ची-शान ने अंग्रेजों को बहुत अधिक सुविधाएं प्रदान की हैं। इधर अंग्रेज लोग चीन की दुर्बलता से भली-भति परिचित हो गए थे। इस कारण ब्रिटिश सरकार का विचार था कि कप्तान इलियट अधिक सुविधाएं प्रदान नहीं कर सका है इसके परिणाम स्वरूप मंचू सम्राट ताओ कुआंग ची-शान को हटाकर एक अन्य अधिकारी को नियुक्त किया दूसरी ओर ब्रिटिश सरकार ने इलियट वापस बुला लिया और उसके स्थान पर सर हेनरी पोटिंगर को अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया।
अतः अगस्त 1840 ई० में पुनः युद्ध शुरू हो गया ब्रिटिश जहाजी बेड़ा बिना विशेष प्रतिरोध के उत्तर की ओर बढ़ने लगा और चीन की राजधानी पीकिंग पर अंग्रेजों ने गोलाबारी करनी शुरू कर दी। ब्रिटिश सेनाओं ने सुगमता से चिन्कियांग को जीत लिया तथा अंग्रेजी तोपे नान किंग पर गरज उठे। चीन सरकार ने कप्तान वोटिंग से संधि वार्ता प्रारंभ की तथा युद्ध समाप्त हो गया।
क्लाइड के अनुसार, “चीन की प्राचीन निर्णायक सिद्ध हुई ब्रिटिश सेना ने मंजू साम्राज्य की प्रतिष्ठा धूल में मिला दी।” इस युद्ध के संबंध में पाल्मर एवं पर्किंस ने लिखा है— “आधुनिक इतिहास में साम्राज्यवादी यों की आक्रामक नीति की ऐसी कोई घटना नहीं हुई, जितनी की प्रथम आंग्ल युद्ध थी।”
प्रथम अफीम युद्ध के परिणाम
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प्रथम अफीम युद्ध कब प्रारंभ हुआ था?
प्रथम अफीम युद्ध 1839 को प्रारंभ हुआ था।
प्रथम अफीम युद्ध में कौन सी संधि हुई थी?
प्रथम अफीम युद्ध में नामकिंग की संधि हुई थी?
प्रथम अफीम युद्ध के क्या कारण थे ?
प्रथम अफीम युद्ध के मुख्य कारण - (1) अंग्रेजों की सर्वोच्चता प्राप्त करने की इच्छा (2) चीन में आर्थिक संकट (3) उपनिवेश स्थापित करना (4) युद्ध के तात्कालिक कारण
प्रथम अफीम युद्ध के परिणाम क्या है ?
इस संधि के परिणाम स्वरूप चीन पर अंग्रेजों का काफी प्रभाव स्थापित हो गया इतना ही नहीं अन्य पश्चिमी देश भी चीन की राजनीति को प्रभावित करने लगे और विवश होकर चीन को अमेरिका, फ्रांस आदि देशों से भी संधिया करनी पड़ी।
प्रथम अफीम युद्ध कब समाप्त हुआ?
प्रथम अफीम युद्ध 29 अगस्त, 1842 को नामकिंग की संधि के साथ समाप्त हुआ।
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