मोहम्मद गोरी | मोहम्मद गोरी के आक्रमण, उद्देश्य - letest education

 मुहम्मद गोरी 

मोहम्मद गोरी एक महत्वकांक्षी एवं कट्टर मुस्लिम शासक था। वह गजनी और हिरात के बीच स्थित गोर प्रदेश का निवासी था। उसका वास्तविक नाम मुईनुद्दीन मुहम्मद गोरी (शहाबुद्दीन गोरी ) था। महमूद की मृत्यु के बाद गोरी के भाई गयासुद्दीन ने 1174 मैं गजनी पर अधिकार कर लिया और गजनी के शासन प्रबंध का उत्तरदायित्व मोहम्मद गौरी को सौंप दिया, मोहम्मद गौरी जीवन प्रयत्न अपने भाई गयासुद्दीन के प्रति निष्ठावान रहा। 

मोहम्मद गौरी के आक्रमण के कारण या उद्देश्य 

मोहम्मद गोरी अत्यंत महत्व कांशी और धर्मान्ध शासक था। भारत और उसकी आक्रमण करने के कारण और उद्देश्य - 

(1) अपने साम्राज्य की सीमा बढ़ाना।

(2) मुल्तान पर अपना प्रभुत्व स्थापित करना।

(3) भारत से अतुल धनराशि प्राप्त करना।

(4) भारत में इस्लाम धर्म का प्रसार करना एवं मूर्ति पूजा का विनाश करना।

(5) मध्य एशिया में अपने शत्रु ख्वारिज्म के शासक का अंत करने के लिए सुदृढ़ भारतीय साम्राज्य की स्थापना करना।

(6) महमूद गजनबी के अंतिम उत्तराधिकारी मलिक खुसरो को समाप्त करना। 

मुहम्मद गोरी | मोहम्मद गोरी के आक्रमण, उद्देश्य - letest education

मोहम्मद गौरी के भारत पर आक्रमण 

मोहम्मद गोरी ने 1175 ईसवी से 1205 ईसवी तक भारत पर अनेक आक्रमण किए— 

(1) मुल्तान एवं कच्छ पर विजय 

 मोहम्मद गोरी ने 1175 ईस्वी में मुल्तान पर आक्रमण किया उसने भाग्य के बल पर बड़ी सरलता से मुल्तान पर अधिकार कर लिया। इसके पश्चात 1176 ईस्वी में उसने कच्छ के दुर्ग पर आक्रमण किया, कहा जाता है कि उसने कच्छ के भट्टी राजा की रानी के पास यह संदेश भिजवाया कि यदि तुम दुर्ग के द्वार खुलवा दोगी तो मैं तुम्हें अपनी पटरानी बना लूंगा। वहां की रानी ने अपने पति के साथ विश्वासघात किया और मोहम्मद गौरी का साथ दिया किंतु मोहम्मद गोरी ने उसे धोखा देकर वहां के शासक की हत्या करवा दी और कच्छ के दुर्ग पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। बाद में मोहम्मद गोरी ने धोखेबाजी रानी को बंदी बनाकर उसकी पुत्री से विवाह कर लिया।

(2) गुजरात की आबू पर्वत एवं अन्हिलवाड़ा पर आक्रमण

 कच्छ की विजय के बाद मोहम्मद गोरी ने 1178 ईस्वी में गुजरात पर आक्रमण किया गुजरात के राजा मूलराज ने आबू पर्वत के समीप गोरी को बुरी तरह पराजित किया। मूलराज से प्राप्त हुआ गोरी ने अन्हिलवाड़ा पर आक्रमण किया। अन्हिलवाड़ा का शासक भीमदेव बड़ा वीर और साहसी था उसने मोहम्मद गौरी का वीरता पूर्वक सामना किया और उसे पराजित कर दिया, उसने गोरी को अपने देश से बाहर भगा दिया और उसके अनेक सैनिकों को बंदी बना लिया।

(3) पेशावर तथा पंजाब पर विजय

 गुजरात में पराजित होने के बाद 1180 ईस्वी में मोहम्मद गोरी ने पेशावर पर आक्रमण किया जहां उसे सफलता मिली और पेशावर पर अपना अधिकार कर लिया। 1185 ईस्वी में मोहम्मद गोरी ने लाहौर पर आक्रमण कर लाहौर के शासक मलिक खुसरो को छल पूर्वक बंदी बना लिया था। इस प्रकार उसने पंजाब पर भी अपना पूर्ण अधिपति स्थापित कर लिया और अपना साम्राज्य और भी बढ़ा दिया।

(4) तराइन का प्रथम युद्ध (1191 ईस्वी)

 पंजाब पर पुणे तो हुआ अधिकार करने के पश्चात मोहम्मद गोरी ने दिल्ली अजमेर राज्य पर आक्रमण करने का विचार किया, जिस समय मोहम्मद गोरी ने दिल्ली अजमेर राज्य पर आक्रमण किया उस समय चौहान वंश का प्रतापी राजा पृथ्वीराज चौहान वहां का शासक था। उसने मोहम्मद गौरी का सामना करने के लिए राजपूत शासकों का एक संघ बनाया। 1191 ईस्वी में थानेश्वर से 14 मील दूर तराइन नामक स्थान पर मोहम्मद गोरी और राजपूती सेनाओं में घमासान युद्ध हुआ। राजपूतों की वीरता देखकर गोरी के सैनिकों के होश उड़ गए और मोहम्मद गौरी को पराजय का सामना करना पड़ा।

(5) तराइन का द्वितीय युद्ध (1192 ईस्वी)

मोहम्मद गोरी दूसरी बार 1192 ई० में एक लाख से अधिक योद्धाओं के साथ पुनः तराइन के मैदान में पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध करने के लिए उतरा। इस बार भी तेरा इनमें राजपूतों और मोहम्मद गौरी के मध्य भीषण युद्ध हुआ। तराइन के इस द्वितीय  युद्ध मैं मोहम्मद गौरी की विजय हुई। कुछ विद्वानों के अनुसार पृथ्वीराज को सुरसूती नामक स्थान पर बंदी बना लिया। और बाद में अजमेर में उसका वध कर दिया गया। इस युद्ध के परिणामों में भारत के भाग्य को बदल दिया था और भारत में एक नवीन विदेशी मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना हुई। इस निर्णायक युद्ध के संदर्भ में कुछ विद्वान लिखते हैं- “1142 बीके तराइन के युद्ध को निर्णायक युद्ध कहा जा सकता है क्योंकि इससे हिंदुस्तान में मुसलमानों की अंतिम विजय सुनिश्चित हो गई। इसके बाद मुसलमानों को जो अनेक विजय प्राप्त हुई वह तो हिंदुओं के संगठित मोर्चे की उस बड़ी पराजय का परिणाम मात्र थी जो उन्हें दिल्ली के उत्तर में स्थित रण क्षेत्र में भुगतनी पड़ी थी।”

(6) अन्य आक्रमण 

 1193 ईस्वी में मोहम्मद गोरी ने मेरठ के लिए कथा अलीगढ़ पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। सना 1194 गोरी ने अपने मित्र कन्नौज के राजा जयचंद पर भी आक्रमण कर दिया और चंद्रावल के युद्ध में जयचंद को मृत्यु के घाट उतार कर कन्नौज पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया इसके पश्चात मोहम्मद गोरी अपने गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक भारतीय साम्राज्य का वायसराय बनाकर गोर प्रदेश लौट गया।

मोहम्मद गौरी की मृत्यु- 

15 मार्च 1206 मई क मोहम्मद गोरी स्वदेश जाते समय मार्ग में कुछ सिया विद्रोहियों और खोखरो द्वारा मारा गया। 

सभी विवरण से स्पष्ट है कि महमूद गजनवी के आक्रमण का प्रमुख उद्देश्य भारत से धन लूटना था जबकि मोहम्मद गोरी ने भारत में अपना राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करने के उद्देश्य से आक्रमण किया था। अतः महमूद के आक्रमण के परिणाम स्वरूप भारत की आर्थिक दशा बहुत सोच नहीं हो गई तथा मोहम्मद गोरी के आक्रमणों के पलसर भारत में मुसलमानों ने अपनी सत्ता स्थापित कर ली मोहम्मद गौरी के दास कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 ईस्वी में भारत में गुलाम वंश की स्थापना की।


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