ब्रिटिश संविधान की 10 प्रमुख विशेषताएं - British constitution

 ब्रिटिश संविधान 

ब्रिटिश का संविधान : ब्रिटिश संविधान संसार का प्राचीनतम संविधान है। यह संविधान अधिकतर अलिखित है, जिसमें सदियों में पारित किए गए अनेक अधिनियम और लेख हैं तथा सरकार की व्यवस्था को बदलते हुए समय के अनुकूल बनाने के लिए समय-समय पर अपनाए गए रिती रिवाज और परंपराएं शामिल है।

ब्रिटिश संविधान की प्रमुख विशेषताएं - 

1. ब्रिटेन का संविधान अधिकांश रूप में अलिखित है 

ब्रिटेन का संविधान अधिकांशतः लिखित है और इसका विकास अभिसमयों, परंपराओं और रीति-रिवाजों के आधार पर हुआ है। यह किसी एक अधिनियम या लेखक में नहीं मिलता है। यह जनता के अनुभव पर आधारित है। अनुभव के आधार पर ब्रिटिश जनता ने आवश्यकता और परिस्थिति के अनुसार इस में परिवर्तन किया है इसे अवसर और बुद्धि की संतान (the child of wisdom and chance)  कहा जाता है।

2. सुपरिवर्तनशीलता

 अन्य देशों के संविधान ओं की तुलना में ब्रिटिश संविधान में परिवर्तन शीलता और लचीलापन अधिक है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है और वह साधारण कानूनों की तरह संविधान में संशोधन कर देती है। इसी प्रकार के संविधान में साधारण विधि बनाने के नियम तथा संविधान का परिवर्तन करने के नियम एक समान होते हैं। साधारणतः समस्त अलिखित संविधान सुपरिवर्तन शील होते हैं। किंतु ब्रिटिश संविधान अन्य संविधानों की अपेक्षा अधिक सुपरिवर्तनशील है जिसके कारण ही हो अपने आपको आवश्यकता तथा परिस्थिति के अनुकूल बना लेती है संविधान में परिवर्तन करने के लिए किसी दुरु अवस्था या पद्धति का अनुकरण नहीं किया जाता। 

3. ब्रिटिश संविधान का विकसित होना

 ब्रिटिश संविधान कई शताब्दियों में हुए क्रमिक विकास का फल है। यह किसी निश्चित समय पर संविधान सभा द्वारा निर्मित नहीं हुआ तथा अंग्रेजी जाति ने आवश्यकता अनुसार व परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर उसमें परिवर्तन किए। इसी कारणवश ब्रिटिश संविधान के बारे में यह कहा जाता है कि “ब्रिटिश संविधान स्वयं एक विकसित संविधान है निर्मित संविधान नहीं है।” इसे संविधान का विकास क्रम कभी भी नहीं टूटा है। कुछ अंशों का निर्माण समय-समय पर संसद ने किया है इसी कारण इसका विकास हुआ।

4. ब्रिटिश संविधान का एकात्मक रूप

ब्रिटिश संविधान एकात्मक संविधान का अति उत्तम उदाहरण कहा जाता है। संपूर्ण ब्रिटेन का शासन एक ही केंद्र सरकार द्वारा संचालित होता है। समस्त राज्य क्षेत्र के लिए कानूनों का निर्माण संसद ही करती है। क्षेत्रीय प्रशासन तथा स्थानीय शासन के लिए राज्य विभिन्न प्रादेशिक इकाइयों में बटा हुआ होता है किंतु उन्हें प्राप्त शक्तियों और अधिकारों के स्रोत संसद द्वारा निर्मित कानून होता है। इंग्लैंड का संविधान ऐसा ही संविधान है जहां शासन के समस्त सत्ता पर केंद्रीय शासन का अधिकार होता है। वहां कार्य की सुविधा के लिए प्रांतीय तथा स्थानीय संस्थाओं को कुछ अधिकार प्रदान किए जाते हैं।

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5. विधि का शासन

 विधि के शासन का सिद्धांत ब्रिटेन की सभ्य संसार को प्रमुख देन है। उनके अनुसार ब्रिटेन में शासन कानूनों का है अर्थात वहां कानून को सर्वोच्चता दी गई है। यह कानून जनता के लिए चुने हुए प्रतिनिधियों अर्थात संसद के द्वारा बनाए जाते हैं।

6. संसदात्मक कार्यपालिका

 इस प्रकार की कार्यपालिका अथवा शासन पद्धति की उत्पत्ति तथा विकास है ब्रिटेन में हुआ है और अन्य देशों ने उनका अनुकरण किया है। इस प्रकार की कार्यपालिका में शासन का भार मंत्रिमंडल पर होता है और मंत्रिमंडल के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदाई होता है और मंत्रिमंडल के सदस्य बहुमत प्राप्त दल से चुने जाते हैं इसके प्रमुख सदस्यों का निकाय कैबिनेट वास्तव में ब्रिटिश संवैधानिक पद्धति का अंतर भाग है।

7. संसद की सर्वोच्चता

ब्रिटेन में संसद कानूनी रूप से सर्वोच्च है अर्थात संसद किसी भी प्रकार का कानून बना सकती हैं। इसकी शक्तियों पर व्यवहारिकता के अतिरिक्त और कोई सीमा नहीं है। यह ऐसा भी कोई काम कर सकती है तथा परिणाम प्राप्त कर सकती है जिसे मनुष्य निर्मित कानूनों के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

8. मिश्रित शासन प्रणाली

ब्रिटेन में शासन के तीनों प्रमुख सिद्धांत राजतंत्र कुलीन तंत्र और प्रजातंत्र का मिश्रण है। प्रजातंत्र होते हुए भी वहां राजपद है और लोड सभा की रचना के लिए वंशानुगत सिद्धांत अपनाया गया है देखने में यह मिश्रित व्यवस्था सत्य प्रतीत होती है लेकिन अब वास्तविकता यह है कि ब्रिटेन में सच्चे प्रजातंत्र की स्थापना हो चुकी है। राजा का पद  ध्वज मात्र या नाम मात्र का है। मजदूर दल लेबर पार्टी के विकास और समाजवाद के प्रभाव के परिणाम स्वरूप ब्रिटेन में राजतंत्र व कुलीन तंत्र का प्रायः अंत हो गया है। 

9. संविधान के सिद्धांत और व्यवहारों में अंतर

ब्रिटेन के संविधान में सिद्धांत तथा आचरण में विभिन्नता विद्यमान है इस बात को स्पष्ट करते हुए मुनरो कहा है “कोई बात जैसी दिखाई देती है वैसी नहीं है और जैसी है वैसी दिखाई नहीं देती।” जो भाषा ब्रिटिश संसद के अधिनियम में प्रयोग की जाती है इससे स्पष्ट होता है कि वहां निरंकुश राजतंत्र है। वहां के अधिनियम में लिखा रहता है कि उनका निर्माण राजा ने लॉट्स तथा लोकसभा के प्रतिनिधियों की सहमति तथा मंत्रणा से की है। सरकार के समस्त अधिकारियों की नियुक्ति राजा के नाम से होती है वहां राजा की सरकार राजा का वफादार विरोधी दल आदि का प्रयोग किया जाता है। समस्त सिन्हा पर राजा का पूर्ण अधिकार तथा नियंत्रण रहता है। इस प्रकार स्पष्ट नहीं है कि वहां पर प्रजातंत्र सरकार है अथवा नहीं है। सैद्धांतिक दृष्टि से इंग्लैंड की संसद पूर्ण प्रभुत्व संपन्न है। मंत्रिमंडल उसके प्रति ही उत्तरदाई है तथा उसको विधायकों तथा वित्तीय अधिकार पूर्ण रूप से प्राप्त हैं। 

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10. सीमित शक्ति विभाजन का सिद्धांत

 शक्ति विभाजन सिद्धांत के प्रतिपादक माउंट एसक्यू के अनुसार तो ब्रिटिश शासन पद्धति का यह विशेष गुण था। यह सच है कि ब्रिटेन में शासन के तीनों अंगों के शक्तियां अलग-अलग हैं किंतु यथार्थ में कार्यपालिका और विधायी शक्तियां मंत्रिमंडल में केंद्रीकृत हैं। मंत्रिमंडल वास्तविक कार्यपालिका होने के साथ-साथ विजय निर्माण में प्रमुख रूप से भाग लेती है। संयुक्त राज्य अमेरिका की भांति ब्रिटेन में शक्ति विभाजन सिद्धांत लागू नहीं है।

ब्रिटिश संविधान की प्रमुख विशेषताएं - British constitution

     इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि ब्रिटिश संविधान की विशेषता गुणों का भंडार है और इसी कारण ब्रिटेन में सफल प्रजातंत्र रह सका है। संसार का महत्वपूर्ण देश बनकर भूमंडल पर चमका। किसी संविधान का अनुसरण अन्य देशों के संविधान में हुआ। ब्रिटिश संसद को सांसदों की जननी के रूप में संबोधित किया जाता है। ब्रिटिश संविधान के आधार पर ही संसार में दूसरे दिन पद्धति को अपनाया गया है इंग्लैंड में भी निरंकुश राजतंत्र के स्थान पर संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना की गई तथा संसदीय मंत्रिमंडलीय प्रणाली को विकसित किया गया।

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