औरंगजेब की धार्मिक नीति
(1) औरंगजेब की धार्मिक नीति के सिद्धांत
औरंगजेब एक कट्टर सुन्नी मुसलमान था उसक धार्मिक नीति निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित होती थी —
(1) औरंगजेब स्वयं को पैगंबर का प्रतिनिधि मानता था उसका विचार था, - “मुझे पैगंबर ने इस संसार में इस्लाम का प्रचार प्रसार करने के लिए ही भेजा है।”
(2) औरंगजेब धर्म को राजनीति से ऊंचा मानता था।
(3) मुस्लिम प्रजा को इस्लाम के नियमों के अनुसार आचरण करने का प्रोत्साहन देता रहता था।
(4) वह राजनीति में धार्मिक सिद्धांतों को लागू करने के पक्ष में था।
(5) कट्टर सुन्नी मुसलमान होने के कारण वह शिया मुसलमानों और हिंदुओं का प्रबल विरोधी था।
(2) मुसलमानों के प्रति औरंगजेब की धार्मिक नीति
औरंगजेब ने मुसलमानों के प्रति भी कठोर धार्मिक नीति अपनाई उसके धार्मिक नीति के प्रमुख बातें जो थी वे इस प्रकार थी —
(1) औरंगजेब ने मुसलमानों द्वारा मनाए जा रहे इस्लाम विरोधी समस्त रीति-रिवाजों को बंद करवा दिया।
(2) औरंगजेब ने तुलादान और झरोखा दर्शन की प्रथा भी बंद करवा दी।
(3) औरंगजेब ने पीरों तथा फकीरों की मजारों पर दीप जलाना हुआ फूल चढ़ाना रुकवा दिया।
(4) औरंगजेब ने सिक्कों पर कलमा खुद वाना बंद कर दिया।
(5) औरंगजेब ने बड़े-बड़े नगरों में मुहतसिबों (धर्माधिकारी) की नियुक्ति की जिनका कार्य मुस्लिम जनता के धार्मिक आचरण की निगरानी करना था।
(6) औरंगजेब ने मुहर्रम मनाना निषिद्ध कर दिया।
(7) औरंगजेब ने वेश्यावृत्ति पर रोक लगा दी।
(8) औरंगजेब ने सन् 1688 ई० में संगीत एवं चित्रकारी पर प्रतिबंध लगा दिया और शाही चित्रकारों तथा संगीतकारों को दरबार से निकाल दिया।
(3) हिंदुओं के प्रति औरंगजेब की धार्मिक नीति
औरंगजेब ने अपनी कट्टर धर्मा नेता के काले हिंदुओं पर नाना प्रकार के अत्याचार किए और करवाएं, जिनकी फल स्वरुप मुगल साम्राज्य को गहरी क्षति उठानी पड़ी थी। औरंगजेब की धार्मिक नीति हिंदुओं के प्रति निम्न प्रकार थी —
(1) हिंदुओं पर करों का बोझ डालना
सन 1665 ई० में औरंगजेब ने यह आदेश जारी किया की हिंदुओं से अधिक कर वसूल किया जाए और उनको केवल पेट भर अनाज मिले, जिससे हुए सेवा करने के लिए जीवित रह सके । जदूनाथ सरकार ने यह लिखा है — “यह कर संबंधी पग ना तो राजनीतिक दृष्टि से ही उचित था और ना ही इससे राज्य की आय में वृद्धि हुई। हिंदू व्यापारी मुसलमानों के गठजोड़ से अपना माल मुसलमानों का माल कहकर चुंगी कर से मुक्त करवा लेते थे जिसके परिणाम स्वरूप राज्य को भारी आर्थिक हानि उठानी पड़ी।”
(2) हिंदुओं पर प्रतिबंध
(1) औरंगजेब ने नगरों में होली दशहरा दीपावली आदि हिंदुओं के त्योहारों पर प्रतिबंध लगा दिया।
(2) हिंदू नदियों के तट पर ना तो दाह संस्कार कर सकते थे और मुसलमानों के समान वस्त्र धारण कर सकते थे।
(3) मराठों और राजपूतों को छोड़कर शेष हिंदुओं के लिए घोड़े पर सवारी करना भी बंद करवा दिया गया।
(4) औरंगजेब ने हिंदुओं को सरकारी नौकरी से वंचित कर दिया।
(5) औरंगजेब ने हिंदुओं को बलात मुसलमान बनाने का आदेश दिया।
(6) औरंगजेब ने 1679 ईस्वी में हिंदुओं पर पुनः जजिया कर लगा दिया।
(3) हिंदुओं के मंदिरों का विध्वंस (नष्ट)
सन 1659 ई० में औरंगजेब ने देश भर में हिंदुओं मंदिरों को गिरा देने का आदेश दिया। बनारस का विश्वनाथ मंदिर मथुरा का केशवराय मंदिर और काठियावाड़ आ का सोमनाथ मंदिर तोड़कर नष्ट कर दिए गए थे। जयपुर तथा मेवाड़ की सैकड़ों मंदिरों को धूल में मिला दिया गया। और हरिद्वार तथा अयोध्या के मंदिर भी तोड़ दिए गए। हिंदुओं को पूजा ग्रहों में उपासना करने से रोक दिया गया। और उनके देवी-देवताओं की मूर्तियों को नष्ट कर दिया गया। मथुरा का नाम बदलकर इस्लामाबाद रखा दिया गया।
औरंगजेब की धार्मिक नीति के परिणाम
(1) औरंगजेब ने अपनी धर्म आने था कि कारण राजपूतों के प्रतीक बड़ा कठोर व्यवहार किया, इसका परिणाम मुगल साम्राज्य के लिए घातक सिद्ध हुए।
(2) औरंगजेब की धार्मिक नीति विनाशकारी सिद्ध हुई। उसने हिंदुओं और मुसलमानों के मतभेद को अत्यधिक बढ़ावा दिया।
(3) औरंगजेब की धार्मिक कट्टरता के कारण ही जाट सतना में सिख मराठी आदि मुगल साम्राज्य के घोर शत्रु हो गए।
(4) औरंगजेब की धर्मांधता ने देश में भीषण विद्रोह को जन्म दिया। सम्राट पूरे जीवन भर इन विद्रोह को दबाने में व्यस्त रहा परंतु अंत में उसे असफलता ही प्राप्त हुई जिस कारण मुगल साम्राज्य का पतन भी हुआ।
(5) औरंगजेब की धार्मिक नीति ने देश में राष्ट्रीय राज्य का अंत कर दिया। इस विषय में केएम के अनुसार — “1679 ईस्वी में हिंदुओं पर पुनः जजिया कर लगाते हैं राष्ट्रीय राज्य का अंत हो गया क्योंकि यह कर हिंदू-मुस्लिम धर्मों के मतभेदों पर आधारित था।”
(6) मुगल साम्राज्य का पतन लाने में औरंगजेब की धार्मिक नीति बड़ी सहायक सिद्ध हुई।
इससे संबंधित लेख जरुर पढ़े - मुगल साम्राज्य के पतन के कारण
एक टिप्पणी भेजें