1857 के विद्रोह से संबंधित कुछ बिंदुओं को स्पष्ट करेंगे जैसे —
1857 के विद्रोह की असफलता के कारण
यद्यपि विद्रोही बड़ी वीरता और साहस अंग्रेजों से लड़ाई लगी, लेकिन अंग्रेजों ने बड़ी नृशंसता से उनका दमन कर दिया, और विद्रोह हो असफल हो गया।
(1) विद्रोह का सीमित क्षेत्र होना
यह विद्रोह संपूर्ण भारत तक नहीं फैल पाया था। मेरठ दिल्ली आगरा अवध विहार मध्य भारत तथा बुंदेलखंड और राजस्थान के कुछ क्षेत्रों तक ही समित रह गया था। दक्षिण भारत गुजरात पंजाब के अधिकांश भाग और सिंध में विद्रोह नहीं हुआ। बैरकपुर से चालू होने वाला विद्रोह समूचे बंगाल में ही नहीं खेल पाया पर यदि विद्रोह अधिक व्यापक हो पाया तो भारत की भौगोलिक विशालता तथा यातायात की दुर्गमता इसके लिए उत्तरदाई थे।
(2) जनता के सहयोग का अभाव
जनता के समस्त वर्गों ने इस विद्रोह में सक्रिय रूप से भाग नहीं लिया था। कुछ ही प्रदेशों में कृषक व्यवसाई को और जमीदारों शासकों ने इसमें भाग लिया था। अधिकांश जनता विद्रोह के प्रति उपेक्षित रही और अंग्रेजी शिक्षा के प्रचार के देश को एक नया शिक्षित वर्ग पैदा हुआ था उसका विश्वास था कि अंग्रेजी शासन भारतीय समाज में सुधार करेगा। इसलिए लोगों का भी क्रांतिकारियों को सहयोग नहीं मिला।
(3) भारतीय राजाओं का अंग्रेजों को सहयोग
जो राजा और नवाब अंग्रेजों के सामने बात का शिकार हुए, उन्होंने विद्रोहियों का साथ नहीं दिया। अनीस नवाब और शासक अंग्रेजों के प्रति वफादार रहे और उन्होंने अंग्रेजों की धन और सेना से सहायता की। कश्मीर नागा कपूरथला पटियाला और जिंद के नरेश यू ग्वालियर के सिंधिया भोपाल के नवाब और हैदराबाद के निजाम ने अंग्रेजों का साथ दिया। गोरखा और शिवसैनिकों ने भी अंग्रेजों के पक्ष में युद्ध कर विरोधियों का अंत कर दिया।
(4) व्यापारियों द्वारा अंग्रेजों को समर्थन
बंगाल की जिम्मेदार अंग्रेजों के प्रति स्वामी भक्त रहे। मुंबई कोलकाता और दिल्ली के बड़े संपन्न व्यापारियों ने खाद्यान्न और धन की विद्रोहियों की सहायता करने की अपेक्षा अंग्रेजों का समर्थन किया क्योंकि अपने मुख्य मुनाफे विदेशी सहायता, व्यापार और विदेशी व्यापारियों के साथ आर्थिक संबंधों के परिणाम स्वरूप प्राप्त होते थे।
1857 के विद्रोह की असफलता के लिए विद्रोहियों का उत्तरदायित्व
(1) विद्रोहियों में योग्य नेता का अभाव
विद्रोहियों में ऐसा कोई लड़की और कर्मठ नेता नहीं था जो समस्त देश के लिए सर्वमान्य होता। विद्रोही वीर और साहसी थे और उनमें त्याग और बलिदान की अटूट भावना भी थी, पर उनमें कूटनीतिज्ञ ओर प्रखर सैनिक नेतृत्व नहीं थी।
(2) संसाधनों की कमी
विद्रोहियों के पास विभिन्न साधनों और धन का अभाव था जिससे नियमित वेतन और युद्ध सामग्री की व्यवस्था न हो सकी। ब्रिजव्यू के हथियार प्राचीन थे। अंग्रेजों के हथियार नए ढंग के थे उनके सारे नशे में थे उनका यातायात के साधनों पर पूर्ण नियंत्रण था।
(3) विद्रोह का सामंतवादी रूप
विद्रोह के नेता अब दस्त नरेश जमीदार तालुकेदार आदि थे। वह मुख्यतः सामंती व्यवस्था के प्रतिनिधि थे। यह विद्रोह का प्रतिक्रियावादी स्वरूप था। इससे विद्रोह को श्रमिकों ग्रामीणों और बुद्धिजीवियों का समर्थन प्राप्त नहीं हो सका। विद्रोह से लूटपाट अव्यवस्था रास्ता और अशांति फैली जिससे जनता ऊब गई और फिर उन्होंने विद्रोहियों का साथ नहीं दिया। वैसे क्रांति के स्वरूप के बारे में कोई निश्चिचतता नहीं है।
(4) संचार व्यवस्था को भंग ना करना
क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों की संचार व्यवस्था को बना करके अपनी अदूरदर्शिता का परिचय दिया यदि वह ऐसा कर देते तो निसंदेह अंग्रेजों के लिए स्थिति संभालना कठिन हो जाता।
(5) केंद्रीय संगठन का अभाव
विद्रोहियों में उद्देश्य की एकता, सामान्य हितों पर एकमत, निर्दिष्ट योजना, केंद्रीय संगठन, विद्रोहियों में परस्पर तालमेल, सुयोग्य अनुभवी नेतृत्व और दृढ़ सुनियोजित युद्ध नीति का अभाव था। संपूर्ण आंदोलन के पास कोई ऐसा एक एकीकृत और प्रगतिशील कार्यक्रम नहीं था जिसे सत्ता प्राप्त करने के बाद कार्यान्वित किया जा सके। विद्रोह का संचालन दिल्ली में बहादुर शाह, कानपुर में नाना साहब लखनऊ में बेगम राजरत्न झांसी में रानी लक्ष्मीबाई तथा अन्य स्थानों पर तात्या टोपे और बिहार में कुंवर सिंह ने किया। विद्रोहियों के अधिकतर नेताओं के अपने स्वार्थ थे। उनकी स्पष्ट देशहित की नीति नहीं थी।
(6) विद्रोह का समय से पूर्व प्रारंभ हो जाना
विद्रोह की निश्चित तिथि 31 मार्च 1857 थी। पर कुछ उत्साही वह साहसी सैनिकों ने समय से पूर्व बेकार अवस्था में ही विद्रोह प्रारंभ कर दिया। इससे सभी स्थानों पर योजनाबद्ध ढंग से एक साथ विद्रोह प्रारंभ नहीं हुआ।
विद्रोह की असफलता में अंग्रेजों का योगदान
1. अंग्रेजों के पास पर्याप्त साधन
अंग्रेजी के पास आधुनिक अस्त्र-शस्त्र सुसज्जित तरीके से थे, और साधनों से प्रयुक्त प्रशिक्षित सेना भी थी। उनके पास श्रेष्ठ तोपखाना भी था। उनके पास संदेशों के आदान-प्रदान के लिए तथा सेना की आवागमन के लिए तार, डॉक, रेल आदि के साधन भी थे।
2. समुद्री मार्गों पर नियंत्रण
ब्रिटिश सरकार का समुद्री मार्गो पर पूर्ण रूप से नियंत्रण था। वहीं मार्गो से सेना को पर्याप्त सामग्री भेज सकने में समर्थ है।
4. कुशल सेनापति
अंग्रेजों की सेना में नील हैवलॉक लॉरेंस शरीर के सुयोग्य दक्ष अनुभवी और कर्मठ सेनापति थे।
5. अंग्रेजी की संतोषजनक अंतरराष्ट्रीय स्थिति
इसमें अंग्रेजों के सामने कोई अन्य आंतरिक और अंतरराष्ट्रीय संकट नहीं था। क्रीमिया और पारस का युद्ध समाप्त हो चुका था इसलिए अंग्रेज समस्त साधनों का उपयोग करके समुद्री मार्ग से सेना को प्राप्त करके अपनी समस्त शक्ति को लगाकर मित्रों को कठोरता से कुचल सकें।
अंग्रेजी में अत्यंत की क्रूर पास विकता निवेशन संता और प्रतिरोध की भावना से विद्रोह का दमन किया। अनेकानेक विद्रोह सैनिकों को तोपों और गोलियों से उड़ा दिया अनेकों को खुलेआम फांसी दे दी गई जिन जिन मार्गों ग्राम और नगरों में से अंग्रेजी सेनाएं गुजरी वहां उन्होंने बर्बादी से लूटपाट और हत्याएं की असंख्या निर्दोषों को मौत के घाट उतार दिया गया। अन्य स्थानों पर जले हुए मकानों और पढ़ती हुई लाशों के अतिरिक्त कुछ भी नहीं दिखता था इसलिए यह कहना सही प्रतीत नहीं होता कि दयालु कैनिंग ने विद्रोह को दबाने में दूरदर्शिता विनम्रता और धैर्य का काम किया।
Important Short question answer
1857 का विद्रोह किस-किस के मध्य हुआ?
1857 का विद्रोह ईष्ट इंडिया कंपनी के शासक और भारतीयों के मध्य हुआ था।
1857 विद्रोह की असफलता के क्या कारण थे?
1857 के विद्रोह की असफलता के कारण - (1) विद्रोह का सीमित क्षेत्र होना (2) जनता के सहयोग का अभाव (3) भारतीय राजाओं का अंग्रेजों को सहयोग (4) व्यापारियों द्वारा अंग्रेजों को समर्थन (5) विद्रोहियों में योग्य नेता का अभाव (6) संसाधनों की कमी (7) विद्रोह का सामंतवादी रूप (8) अंग्रेजों के पास पर्याप्त साधन ।
1857 के विद्रोह का मुख्य कारण क्या था?
1857 के विद्रोह का मुख्य कारण ‘चर्बी वाले कारतूस’ थे।
1857 विद्रोह के प्रभाव क्या है?
1857 का विद्रोह का मुख्य प्रभाव यह रहा 18 57 के विद्रोह में एक युग का अंत कर दिया और एक नवीन युग के बीज बोए। प्रादेशिक विस्तार के स्थान पर आर्थिक शोषण का युग का आरंभ हुआ।
1857 का विद्रोह कब समाप्त हुआ?
1857 का विद्रोह 1858 के मध्य तक समाप्त हुआ।
एक टिप्पणी भेजें