भूमि का स्थाई बंदोबस्त
(bhumi ka sthai bandobast)
sthai bandobast ; ब्रिटिश काल में भू राजस्व व्यवस्था के अंतर्गत अनेक परिवर्तन किए गए। इनमें भूमि का स्थाई बंदोबस्त रैयतवाड़ी तथा महालवाड़ी प्रथा का उल्लेखनीय स्थान है। हमारे देश में भूमि के स्थाई बंदोबस्त प्रणाली को लॉर्ड कार्नवालिस ने सर्वप्रथम 1793 में लागू किया ।और 1947-48 तक स्थाई बंदोबस्त की प्रणाली संपूर्ण देश की 24% भूमि पर लागू कर दी गई।
सन 1947 से पूर्व हमारे देश में स्थाई बंदोबस्त में जमीदारों को ही मालगुजारी की वसूली का एकाधिकार प्राप्त था क्योंकि इस संबंध में सरकार का यह विचार था कि यदि स्थाई बंदोबस्त प्रणाली को लागू कर दिया जाता है तू जमीदारों से सरकार को एक निर्धारित राजस्व मिलता रहेगा और किसान द्वारा लगा देते रहने तक उसी के पास भूमि का स्वामित्व रहेगा परिणाम स्वरूप कृषक अपनी खेती का विस्तार करेगा।
भूमि का स्थाई बंदोबस्त का मतलब(permanent settlement of land )
स्थाई बंदोबस्त के अनुसार मालगुजारी वसूल करने का कार्य स्थाई रूप से जमीदारों को दे दिया गया और तत्कालीन मालगुजारी का प्रतिशत भाग राज्य का स्थाई अंत निर्धारित कर दिया गया। इस तरह मालगुजारी की रकम स्थाई रूप से जमीदारों को दे दी गई, उस में कभी कोई कमी एवं वृद्धि नहीं हो सकती थी। इसी व्यवस्था को स्थाई बंदोबस्त कहते हैं।
स्थाई बंदोबस्त की विशेषताएं (sthai bandobast ki visheshtaen)
(1) ब्रिटिश सरकार को लाभ
(2) कृषको को लाभ
भूमिका लगान देने तक, भूमि पर कृषक का ही स्वामित्व रहता है। स्थाई बंदोबस्त से कृषकों को यह लाभ हुआ जिसमें कृषक अपनी खेती को विभिन्न तरीकों से बेहतर बनाने के लिए विभिन्न सूत्रों और तकनीक का प्रयोग करते हैं। इसका मुख्य लक्ष्य सबसे अच्छे उत्पादन और प्रदूषण को सुनिश्चित करना होता है, जिसे कृषि के क्षेत्र में और अधिक लाभ बढ़ता है।
(3) किसानों की आय में वृद्धि
लगान देने के उपरांत जो धन बसता था वह कृषकों का ही होता था अतः कृषक भी अपनी भूमि की आय में वृद्धि करने हेतु स्वतंत्र रूप से प्रयास करता रहता था।
(4) अनाज में वृद्धि
कृषि की उन्नति हुई , परिणाम स्वरूप व्यापारिक क्षेत्र में आशातीत उन्नति हुई। स्थाई बंदोबस्त एक व्यवस्थित योजना थी, जिसका उद्देश्य अनाज की उत्पादन में वृद्धि को प्रोत्साहन करना था। और इसका मुख्य उद्देश्य खेती के क्षेत्र में सुधार करके किसानों की आय और उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाना होता था। स्थाई बंदोबस्त में उचित बी और उर्वरकों की सही माता और गुणवत्ता की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती थी। यह उत्पादकता में वृद्धि की सुनिश्चित करने में मदद करता था।
(5) जमीदार वर्ग को लाभ
भूमि के इस स्थाई बंदोबस्त का लाभ जमीदार वर्ग को हो ही रहा। उन्हें भूमिका स्वामित्व प्राप्त हो गया। समय के साथ-साथ भूमि से अधिक उत्पादन होने लगा जिससे जमीदार समृद्धि साली और अमीर होते गए।
स्थायी बंदोबस्त के गुण (merits of permanent settlement)
(1) स्थाई बंदोबस्त प्रणाली से सरकार को भूमि के बार-बार प्रबंध करने के प्रयास से मुक्ति प्राप्त हो गई और कंपनी की आई भ नियत हो गई।
(2) स्थाई बंदोबस्त प्रणाली लोकहित की दृष्टि से भी लाभदायक सिद्ध हुई क्योंकि भावी जीवन में भूमि पर किसी भी प्रकार की लगान में वृद्धि नहीं की जा सकती थी। इस संदर्भ में श्री आर०सी० दत्त ने लिखा है कि — “भारत में अंग्रेजों के 150 वर्षों के शासन काल में यही एकमात्र ऐसा कार्य हुआ है जिससे अत्यंत प्रभावशाली तरीके से व्यक्तियों के हितों की रक्षा की है।”
(3) स्थाई बंदोबस्त प्रणाली के अनुसार जमीदार स्थाई रूप से भूमि के स्वामी बन गये। कंपनी को लगान देने के उपरांत उनके पास जो कुछ बचा था वह जिम्मेदारों की संपत्ति माना जाने लगा।
(4) निश्चित लगान देने से जमीदारों का आतंक कृषको पर से कम होने लगा।
(5) जमीदारों की समाज में प्रतिष्ठा बढ़ गई। जमीदार विभिन्न प्रकार के जुर्माना से मुक्त हो गए।
(6) कंपनी की आय निश्चित हो गई थी।
(7) स्थाई बंदोबस्त प्रणाली से लाभ होगा की ब्रिटिश कंपनियों को मुनाफा अधिक हो गया, साथ ही कंपनी के आय निश्चित हो गई।
(8) जमीदार लोग कंपनी के स्वामी भक्त बन गए और जब भी कंपनी के खिलाफ को आंदोलन होता था उसमें यह लोग कंपनी की सहायता करते थे।
(9) स्थाई बंदोबस्त की विशेषताओं में यह भी महत्वपूर्ण है कि सरकार को अपना अधिकांश समय भू राजस्व को एकत्रित करने में तथा उससे संबंधित समस्याओं की ओर लगाना पड़ता था। परंतु स्थाई व्यवस्था के परिणाम स्वरुप सरकार को राजस्व संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिल गई। अब सरकार अन्य प्रशासनिक कार्यों की ओर ध्यान दे सकती थी।
(10) स्थाई बन्दोबस्त के कारण बंगाल में अंग्रेजी सरकार का आधार सुदृढ़ हो गया। अंग्रेजों ने जमीदारों को भूमिका स्वामी बना दिया था। इसी कारण वे सरकार के प्रबल समर्थक बन गए और सन 1857 की क्रांति के समय भी अंग्रेजों के ही भक्त बने रहे।
(11) सरकार को अपना अधिकांश समय भू-राजस्व को एकत्रित करने तथा उससे संबंधित समस्याओं की ओर लगाना पड़ता था। परंतु स्थाई व्यवस्था के परिणाम स्वरुप सरकार को राजस्व संबंधित समस्याओं से मुक्ति मिल गई। अब सरकार अन्य प्रशासनिक कार्यों की ओर ध्यान दे सकती थी।
स्थायी बंदोबस्त के दोष (defects of permanent settlement )
(1) कृषको की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होने लगी। इसका कारण यह था कि जमीदार कृषकों से कितना लगा ले इस संबंध में कोई नियम नहीं था।
(2) जमीदारों ने उस भूमि को ठेकों पर देना प्रारंभ कर दिया तथा वे कृषि को के प्रति उदासीन हो गए।
(3) इस व्यवस्था से जमीदार वर्ग अंग्रेजों का स्वामी भक्त बन गया।
(4) अधिकांश जमीदार विलासमय जीवन व्यतीत करने लगे।
(5) स्थाई बंदोबस्त प्रणाली वाली व्यवस्था में जमीदार वर्ग विलासिता का जीवन व्यतीत करने लगे।
(6) स्थाई बंदोबस्त प्रणाली से किसान वर्ग को बहुत बड़ी हानि हुई क्योंकि इस व्यवस्था में उनको जमीदारों पर आश्रित होना पड़ा। जिस कारण जमीदार वर्ग उन पर अत्याचार करने लगे।
(7) स्थाई बंदोबस्त प्रणाली से किसानों को ही नहीं बल्कि सरकार को भी हानी हुई, क्योंकि जमीदार लोग अपने हिस्से में ज्यादा रखने लगे।
(8) इस स्थाई बंदोबस्त में कृषकों के अधिकारों तथा हितों का तनिक भी ध्यान नहीं रखा गया तथा उन्हें पूर्ण रूप से जमीदारी की दया पर छोड़ ही दिया गया। जमीदार उन पर अनेक प्रकार के मानवी अत्याचार करते थे और उन्होंने किसानों से अत्यधिक धन बटोरना प्रारंभ कर दिया।
(9) स्थाई व्यवस्था के द्वारा राज्य की भावी हितों की अपेक्षा की गई। समय के साथ-साथ भूमि से प्राप्त होने वाली आय में वृद्धि होने लगी, परंतु राजकीय भाग निश्चित था, इस कारण बड़ी हुई आय से सरकार को एक पैसा भी नहीं मिल सका।
(10) समय के साथ-साथ सरकार के विवाह में वृद्धि हो रही थी, परंतु बहुत जमीदारों से एक पाई भी अधिक लेने में असमर्थ थे। इस कारण जमीदारों से होने वाले घाटे को सरकार अन्य व्यक्तियों पर भारी कर लगाकर पूरा करती थी। इस प्रकार जमीदारों के लाभ के लिए अन्य लोग करो के बाहर से दब गए जो पूर्णतया अन्य था।
impo-Short questions and answers
भूमि का स्थाई बंदोबस्त प्रणाली क्या है?
ब्रिटिश काल में भू राजस्व व्यवस्था के अंतर्गत अनेक परिवर्तन किए गए। इनमें भूमि का स्थाई बंदोबस्त रैयतवाड़ी तथा महालवाड़ी प्रथा का उल्लेखनीय स्थान है। हमारे देश में भूमि के स्थाई बंदोबस्त प्रणाली को लॉर्ड कार्नवालिस ने सर्वप्रथम 1793 में लागू किया ।और 1947-48 तक स्थाई बंदोबस्त की प्रणाली संपूर्ण देश की 24% भूमि पर लागू कर दी गई।
भूमि बंदोबस्त कब लागू हुआ?
स्थाई बंदोबस्त प्रणाली को लॉर्ड कार्नवालिस ने सर्वप्रथम 1793 में लागू किया ।
स्थाई बंदोबस्त का दूसरा नाम क्या है?
स्थाई बंदोबस्त का दूसरा नाम जमीदार व्यवस्था (प्रणाली ) है।
स्थाई बंदोबस्त की विशेषता क्या है?
(1) ब्रिटिश सरकार को लाभ - स्थाई बंदोबस्त प्रणाली से सरकार को हमेशा एक नियत आय प्राप्त होती रहती है। (2) कृषको को लाभ - भूमिका लगान देने तक, भूमि पर कृषक का ही स्वामित्व रहता है। (3) किसानों की आय में वृद्धि- लगान देने के उपरांत जो धन बसता था वह कृषकों का ही होता था अतः कृषक भी अपनी भूमि की आय में वृद्धि करने हेतु स्वतंत्र रूप से प्रयास करता रहता था।
स्थाई बंदोबस्त के गुण?
स्थाई बंदोबस्त प्रणाली से सरकार को भूमि के बार-बार प्रबंध करने के प्रयास से मुक्ति प्राप्त हो गई और कंपनी की आई भ नियत हो गई।
स्थाई बंदोबस्त प्रणाली के दोष क्या है?
किसको की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होने लगी। इसका कारण यह था कि जमीदार कृषकों से कितना लगा ले इस संबंध में कोई नियम नहीं था।
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