अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली से संबंधित कुछ मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डालेंगे -
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली (presidential system of government )
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली (अध्यक्षात्मक का अर्थ)
अध्यक्षात्मक शासन का अर्थ - अध्यक्षात्मक शासन पद्धति में कार्यपालिका वैधानिक रूप से व्यवस्थापिका से पृथक होती है। अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली वह शासन प्रणाली है जिसमें मुख्य कार्यपालिका अपने कार्यकाल तथा नीति और कार्यों के विषय में विधायिका से स्वतंत्र होती है।
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली की परिभाषाएं
गार्नर के अनुसार - “अध्यक्षात्मक शासन वह शासन होता है जिसमें कार्यपालिका अर्थात राज्य का अध्यक्ष तथा उसके मंत्री संवैधानिक रूप से अपनी अवधि के विषय में विधानमंडल से स्वतंत्र होते हैं, और अपनी राजनीतिक नीतियों के बारे में भी उसके प्रति उत्तरदाई नहीं होते हैं।”
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में कार्यपालिका व्यवस्थापिका के हस्तक्षेप तथा नियंत्रण से पूर्णतया मुक्त होती है। कार्यपालिका निर्माण स्वतंत्र रूप से किया जाता है तथा उसका कार्यकाल पूर्ण रूप से निश्चित होता है। अमेरिका में यह शासन पूर्ण रूप से अस्तित्व में है जबकि फ्रांस, श्रीलंका, स्वीटजरलैंड आदि अनेक राज्यों में ही हो संसदात्मक प्रणाली के साथ मिश्रित रूप से पाई जाती है।
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली की विशेषताएं
(1) अध्यक्षात्मक शासन में मुख्य कार्यपालिका की नियुक्ति एक निश्चित अवधि के लिए की जाती है।
(2) अध्यक्षात्मक शासन में मुख्य कार्यपालिका निर्वाचन एक अनिश्चित काल के लिए होने के कारण सरकार में स्थायित्व पाया जाता है।
(3) अध्यक्षात्मक शासन में राज्य की सर्वोच्च सत्ता मुख्य कार्यपालिका के हाथों में निहित होती है।
(4) अध्यक्षात्मक शासन में मंत्रिमंडल व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदाई नहीं होता है मंत्रिमंडल का कोई भी सदस्य व्यवस्थापिका के किसी भी सदन का सदस्य नहीं होता है और ना वह उसकी बैठकों में भाग लेता है।
(5) मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों की नियुक्ति मुख्य कार्यपालिका के द्वारा की जाती है और राष्ट्रपति ही उनको पदयुक्त कर सकता है।
(6) मंत्री परिषद की सदस्य विधायिका की सदस्य नहीं होते हैं और वह मुख्य कार्यपालिका के प्रति उत्तरदाई होते हैं।
(7) शासन विभाग व्यवस्थापन विभाग से अलग होता है इसलिए अध्यक्ष चमक शासन में शक्ति पृथक्करण सिद्धांत का पालन किया जाता है।
(8) अध्यक्षात्मक शासन ने संसदात्मक शासन के समान नाम मात्र की एवं वास्तविक कार्यपालिका अलग-अलग नहीं होती है।
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के गुण
(1) सरकार का स्थायित्व
अध्यक्षात्मक शासन में राष्ट्रपति की नियुक्ति एक निश्चित काल के लिए होती है। महाभियोग के अतिरिक्त उसे अन्य किसी प्रकार से प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है अतः इस शासन प्रणाली में सरकार अपनी नीतियों को पूर्ण करने में सफल होती है। सरकार की नीति में दृढ़ता तथा स्थायित्व पाया जाता है। एमसी छागल के अनुसार अध्यक्ष पद्धति व्यवस्थापिका के नियंत्रण से स्वतंत्र स्थाई कार्यपालिका की व्यवस्था कर स्थायित्व प्रदान करती है।
(2) दलीय बुराइयों से मुक्त
अध्यक्षात्मक शासन में राष्ट्रपति अपने राजनीतिक दल के व्यक्तियों को ही मंत्री परिषद का सदस्य नियुक्त करता है इसलिए इस शासन में अन्य राजनीतिक दलों का कोई प्रभाव नहीं होता है इस दृष्टि से धमक शासन दलीय दोषों से मुक्त रहता है।
(3) प्रशासकीय कुशलता
अध्यक्षात्मक शासन में मंत्रियों की नियुक्ति मुख्य कार्यपालिका द्वारा की जाती हैं। मंत्री वर्ग की व्यवस्थापिका को प्रसन्न करने के लिए कोई भी प्रयास नहीं करना पड़ता है। मंत्रिपरिषद के सभी सदस्य अपने अपने कार्यों को भलीभांति करते रहते हैं इसलिए आध्यात्मिक शासन प्रणाली में प्रशासकीय कुशलता पाई जाती है।
(4) निश्चित योजना में सफलता
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में मुख्य कार्यपालिका का चुनाव एक निर्धारित एवं निश्चित अवधि के लिए किया जाता है। मंत्रिमंडल की नियुक्ति भी मुख्य कार्यपालिका द्वारा अपनी इच्छा से की जाती है। यह दोनों मिलकर अपनी योजनाओं को पूरा करने में सफलता प्राप्त करते हैं। इसलिए कहा जाता है कि आध्यात्मिक शासन में पूर्व निर्धारित योजनाओं को पूरा करने में सहायता मिलती है।
(5) संकट काल के लिए मुख्य शासन
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में राष्ट्रपति को युद्ध वह संधि करने के अधिकार होते हैं। संकटकाल में राष्ट्रपति ही प्रशासन का मुख्य संचालक होता है सरकार की नीति का निर्धारण भी राष्ट्रपति द्वारा ही अपने विवेक से किया जाता है इसलिए संकटकाल में राष्ट्रपति शासन का कर्णधार होता है। इसलिए अध्यापक शासन संकटकाल के लिए एक उपयुक्त शासन प्रणाली है।
(6) कार्यों में शीघ्रता
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में शासन के सभी कार्यों पर अथवा सरकार की नीति पर सभी प्रकार से राष्ट्रपति का ही नियंत्रण होता है। प्रत्येक कार्य राष्ट्रपति की इच्छा पर निर्भर करता है। और राष्ट्रपति के संकेत पर ही नीति निर्धारण का कार्य किया जाता है इसलिए कहा जाता है कि आध्यात्मिक शासन के कार्यों का संपादन करने में शीघ्रता होती है।
(7) प्रशासन का उचित निर्देशन
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में प्रशासन का अध्यक्ष अथवा प्रमुख राष्ट्रपति होता है। राष्ट्रपति के निर्देशन से ही प्रशासन का संपूर्ण कार्य संचालित होता है। वह ही शासन का संचालक है और उस के निर्देशन पर प्रशासन के सभी विभाग कार्य करते हैं। इस शासन प्रणाली में कार्यपालिका तथा व्यवस्थापिका के बीच किसी भी प्रकार का मनमुटाव होने की आशंका नहीं रहती है।
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के दोष
(1) उत्तरदायित्व का अभाव
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में राष्ट्रपति या मंत्रिमंडल व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदाई नहीं होता है ।इसलिए इस शासन प्रणाली में उत्तरदायित्व का आभाव पाया जाता है। जिसके कारण कार्यपालिका की निरंकुशता बढ़ती है।
(2) प्रशासन की शक्तियों का अभाव
अध्यक्षात्मक शासन में नियंत्रण असंतुलन की प्रथा को अपनाया गया है। राष्ट्रपति व्यवस्थापिका पर और व्यवस्थापिका राष्ट्रपति पर नियंत्रण कर के संतुलन करने की क्षमता रखती है। ऐसी दशा में शासन प्रणाली के अंतर्गत यह निश्चय करना संभव हो जाता है। कि सर्वोच्च सत्ता का निश्चित रूप से कौन उपयोग करता है।
(3) अराजकता जैसे दोष उत्पन्न होने का भय
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में राष्ट्रपति के निर्वाचन के समय अनेक राजनीतिक दल निर्वाचन में भाग लेने लगते हैं। इन राजनीतिक दलों में पारस्परिक संघर्ष इस सीमा तक बढ़ जाते हैं कि संपूर्ण राष्ट्र में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो जाने का भय रहता है।
(4) नागरिकों के अधिकारों की अवहेलना
राष्ट्रपति की शक्तियों पर कोई प्रतिबंध कठोर रूप से नहीं लगाया गया है। राष्ट्रपति अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण कर सकता है। उस दशा में नागरिकों के व्यक्तित्व का विकास रुक जाता है। तथा नागरिकों के अधिकारों की अवहेलना होती है।
(5) कार्यपालिका की निरंकुशता
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में कार्यपालिका व्यवस्थापिका के नियंत्रण से मुक्त होती है। कार्यपालिका की संपूर्ण शक्तियां राष्ट्रपति के हाथों में होती हैं। राष्ट्रपति अपने कार्यों को नीतियों के लिए व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदाई नहीं है इसलिए अध्यात्मिक शासन में योग्य एवं विवेकशील राष्ट्रपति के हाथों में कार्यपालिका अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करके निरंकुश बन सकती हैं। एन्जीम के शब्दों में “यह प्रणाली स्वेच्छाचारी उत्तरदाई एवं हानिकारक है।”
(6) जनमत की अवहेलना
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में राष्ट्रपति अन्य अधिकारों का प्रयोग करता है। उसकी शक्तियां सीमित है इसलिए राष्ट्रपति अपनी इच्छा अनुसार जनपद की भी अवहेलना कर सकता है।
(7) समय अनुसार परिवर्तन का अभाव
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में राष्ट्रपति की नियुक्ति अनिश्चितकाल के लिए की जाती है अवधि पूर्ण होने से पूर्व राष्ट्रपति को उसके पद से मुक्त करना कोई सरल कार्य नहीं है इसलिए अध्यक्षात्मक शासन में सरकार को जनता की इच्छा अनुसार परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।
(8) प्रशासन के कार्य संचालन में कठिनाइयां
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में प्रशासन का कार्य चलाने में कठिनाई का अनुभव होता है क्योंकि कार्यपालिका जैसा व्यवस्थापिका के बीच संबंधों की स्वतंत्रता होती है और पारस्परिक सहयोग का अभाव पाया जाता है।
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