सत्ता का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, प्रकृति| सत्ता के आधार अथवा स्रोत | Power

 सत्ता का अर्थ परिभाषा विशेषताएं प्रकृति एवं स्रोत

सत्ता का अर्थ एवं परिभाषा (satta kya hai)

सत्ता बुद्धिवादी युग की प्रमुख आवश्यकता समझी जाती है। बुद्धिवाद में प्रत्येक वस्तु को तर्क की दृष्टि से देखा जाता है यह तर्क एकरूपता के कारण सामाजिक व्यवस्था को बंद कर देता है और अराजकता का मार्ग प्रशस्त करता है सत्ता के समक्ष शक्ति को सदैव झुकने के लिए तैयार रहना पड़ता है। सत्ता के संबंध में विचारक एकमत नहीं है कुछ विद्वानों ने उसे व्यवहार का एक विशेष समूचे माना है जबकि कुछ अन्य विद्वानों के अनुसार वह परिस्थितियां विशेष हैं जिनमें वह व्यवहार प्रकट करता है। यह संभव है कि कोई व्यक्ति अथवा व्यक्ति समूह औपचारिकता के अभाव में भी किसी विशिष्ट परिस्थितियों में सत्ता का अधीनस्थों अथवा जनता के द्वारा स्वीकृत किया जाना अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।

परिभाषाएं- सत्ता की परिभाषा अनेक विद्वानों ने दी है जिनमें कुछ मुख्य है— 

बीच के अनुसार “दूसरों के कार्य को प्रभावित हैं निर्देशित करने के औचित्य पूर्ण अधिकार को सत्ता कहा जाता है।”

रोवे के अनुसार “सत्ता व्यक्तियों और व्यक्ति- समूहो का हमारे राजनीतिक निर्णय व व्यवहार को प्रभावित करने का अधिकार है।”

मैकाइवर के अनुसार “सत्ता को प्राय हो सकती के रूप में परिभाषित किया जाता है यह आदेशों का पालन करवाने की शक्ति है।”

रॉबर्ट ए०डहल के अनुसार “औचित्य पूर्ण शक्ति या प्रभाव को प्रायः सत्ता कहा जाता हैं।”

सत्ता का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, प्रकृति| सत्ता के आधार अथवा स्रोत - letest education

सत्ता की विशेषताएं (satta ki visheshtaen)

(1) संगठन(organisation)- 

सत्ता के पीछे संगठन की औचित्य पूर्ण शक्ति होती है, इसी कारण उसे स्वीकार किया जाता है। सत्ता वषक रूप से सत्ताधारी की व्यक्तिगत श्रेष्ठता नहीं बताती। यह आवश्यक नहीं है कि जो आदेश देता है वह दूसरों से अधिक बुद्धिमान वह योग्य भी हो सत्ताधारी तो संगठन में अंतर्निहित शक्ति का प्रतीक होता है। उच्च पद पर आसीन होने के नाते वह आदेश देता है तथा अधिनियम द्वारा उसके आदेशों का पालन किया जाता है।

(2) औचित्य पूर्णता (legitimacy)- 

सत्ता की सफलता और चित्र पूर्णता पर निर्भर करती है और चित्र पूर्णता विश्वास पर आधारित होती है जब लोकसत्ता की संरचना कार्यों नीतियों और निर्णयों के प्रति व्यापक विश्वास रखें और उसे पूर्ण समर्थन दें तो उसे और चित्र पूर्णता कहते हैं। और चित्र पूर्णता के अभाव में सत्ता का प्रभाव कम हो जाता है। और उसे बल प्रयोग का सहारा लेना पड़ता है।

(3) उत्तरदायित्व (accountability)- 

उत्तरदायित्व सत्ता का एक अनिवार्य तत्व है। यह लोकतंत्र में विशेष रुप से लागू होता है जिन व्यक्तियों के पास सत्ता होती है वह उसके प्रयोग के लिए जनता के प्रति उत्तरदाई होते हैं उन्हें अपने कार्यों के लिए जनता को उत्तर देना पड़ता है।

(4) वेवेकपूर्णता (rationality)- 

सत्ता विवेक युक्त होती है। जिस व्यक्ति के पास सत्ता होती है वह युक्ति पूर्ण ढंग से उसका प्रयोग करता है वह जो कुछ भी करता है या करने का आदेश देता है उसके लिए तर्क देता है यदि किसी व्यक्ति के आदेश तर्क की कोशिश कसौटी पर खरे नहीं उतरते तो उसके पास सत्ता अधिक समय तक नहीं रह सकती है।

(5) स्वीकृति (acceptance)- 

सत्ता का दूसरा नाम स्वीकृति है। सत्ता का पालन इसलिए किया जाता है क्योंकि सत्ताधारी को अधीनस्थ व्यक्तियों की स्वीकृति मिल जाती है।

(6) आदेश देने की क्षमता (capacity of command)- 

सत्ता आदेश देने की क्षमता है। आदेश वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अधिनस्थ व्यक्तियों को दिए जाते हैं। सत्ता के आदेशों को बाध्यकारी निर्णयों के रूप में स्वीकार किया जाता है। उदाहरण- जब कोई मंत्री अपने विभाग के सचिव को किसी सरकारी नीति को क्रियान्वित करने का आदेश देता है तो वह सत्ता का प्रयोग करता है इसी प्रकार जब जिला न्यायाधीश पुलिस को हिंसक भीड़ में गोली चलाने का अधिकार या आदेश देता है तो वह सत्ता की स्थिति में होता है।

सत्ता की प्रकृति (satta ki prakriti)

1. औपचारिक सिद्धांत- 

इस दांत के अनुसार सत्ता को आदेश देने का अधिकारी माना जाता है अर्थात इसमें आदेश का एक पद सोपान होता है। सत्ता का प्रभाव ऊपर से नीचे की ओर चलता है। किसी भी संगठन में आदेश का यह अधिकार उच्च अधिकारियों को दिया जाता है यह सिद्धांत सत्ता को मानता है क्योंकि शक्ति संगठन में होती है किसी व्यक्ति में नहीं।

2. स्वीकृति सिद्धांत- 

सिद्धांत में सत्ता का वास्तविक आधार स्वीकृति या सहमति को माना जाता है। व्यवहारवादी विचारा किस्मत का समर्थन करते हैं उनका कहना है कि जिस सत्ता का आधार दंड सकती है वह स्थाई नहीं होती है। सहमति या स्वीकृति सत्ता को स्थाई बनाती है।

इस सिद्धांत के बारे में 4 शब्दों का होना आवश्यक बताया है

1. अधीनस्थ अधिकारी सूचना को समझ सकता हो।

2. दिया गया आदेश संगठन उद्देश्य से संबंधित होना चाहिए।

3. अधीनस्थ अधिकारी शारीरिक और मानसिक रूप से उस आदेश को अनुपालन करने की क्षमता रखता हो।

4. अधिनस्थ यह भी सोच सके कि आदेश उसकी व्यक्तिगत हितों के अनुकूल है।

सत्ता के प्रकार (Satta ke prakar)

1. परंपरागत सत्ता- 

इस प्रकार की सत्ता का विवरण सत्ता से है जिसका पालन अत्यंत प्राचीन काल से किया जाता रहा है। इसमें आज्ञा पालन परंपरा का प्रतीक बन जाती है। परंपरा सत्ता में कोई भी अधीनस्थ अधिकारी अपने वरिष्ठ अधिकारी के आदेशों का पालन इस आधार पर करता है कि अत्यंत प्राचीन समय से ही ऐसा किया जाता रहा है। ऐसा किया जाना परंपरागत रूप से आवश्यक है।

2. करिश्मात्मक सत्ता- 

जब सत्ता का आधार अधिकारी का व्यक्तिगत प्रभाव होता है अर्थात उसकी व्यक्तित्व से प्रभावित होकर अधिनस्थ उसकी आज्ञा यो काजल पालन करते हैं। तो उसे करिश्मात्मक सत्ता कहते हैं।

3. युक्त पूर्ण कानून-

 मैक्सवेबर युक्त पूर्ण कानून को सत्ता का सर्व प्रमुख आधार स्वीकार करता है। इसमें सत्ता को कानून का रूप प्रदान किया जाता है तथा यह सत्ता संवैधानिक नियमों के आधार पर प्रदान किए गए पद से प्राप्त होती है। उदाहरण के तौर पर- भारत में लोकसभा के बहुमत दल के नेता को चुनकर उसे प्रधानमंत्री पद पर आसीन किया जाता है। उसके आदेशों का पालन अनिवार्य हो जाता है उसकी सत्ता कानून है।

सत्ता के आधार या स्रोत 

विश्वास- 

सत्ता के पालन का एक  आधार विश्वास है। अधिनस्थ सत्ताधारी के प्रति विश्वास के कारण उसके आदेशों का पालन करते हैं अतः सत्ताधारी के प्रति अपने स्तनों का विश्वास जितना गहरा होता है सत्ताधारी के आदेशों का पालन उपाय सरल और स्वाभाविक हो जाता है।

औचित्यपूर्ण- 

सत्ता का मूलाधार तो और चित्र पूर्णता है क्योंकि सत्ता के आदेशों का पालन सत्ताधारी और अगले स्तर के बीच मूल्यों की समानता के आधार पर किया जाता है।

वैधानिकता- 

प्रत्येक संगठन में एक पदसपान एक व्यवस्था होती है और इस पद सोपान में सत्ताधारी को उच्च स्थिति प्राप्त होने के कारण सत्ता और सत्ताधारी के आदेशों को वैधता प्राप्त हो जाती है और जब शक कभी सत्ता के प्रसंग में वैधानिकता का संकट खड़ा हो जाता है तब सत्ता के पालन को गहरा आघात पहुंचता है।

पर्यावरण का दबाव-

 पर्यावरण का दबाव भी सत्ता के आधार के रूप में कार्य करते हैं इसके दो रूप हते हैं, आंतरिक और बाहरी। राज व्यवस्थाओं में आंतरिक दबाव आंतरिक राजनीतिक संरचनाओं जैसे संविधान प्रशासनिक संगठन विभिन्न पदों तथा पदाधिकारियों के अधिकार तथा शक्तियों के रूप में होते हैं।

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सत्ता की परिभाषा?

“दूसरों के कार्य को प्रभावित हैं निर्देशित करने के औचित्य पूर्ण अधिकार को सत्ता कहा जाता है।”

सत्ता क्या है?

सत्ता बुद्धिवादी युग की प्रमुख आवश्यकता समझी जाती है। बुद्धिवाद में प्रत्येक वस्तु को तर्क की दृष्टि से देखा जाता है यह तर्क एकरूपता के कारण सामाजिक व्यवस्था को बंद कर देता है और अराजकता का मार्ग प्रशस्त करता है सत्ता के समक्ष शक्ति को सदैव झुकने के लिए तैयार रहना पड़ता है।

सत्ता की विशेषता क्या है?

सत्ता के पीछे संगठन की औचित्य पूर्ण शक्ति होती है, इसी कारण उसे स्वीकार किया जाता है। सत्ता वषक रूप से सत्ताधारी की व्यक्तिगत श्रेष्ठता नहीं बताती। यह आवश्यक नहीं है कि जो आदेश देता है वह दूसरों से अधिक बुद्धिमान वह योग्य भी हो सत्ताधारी तो संगठन में अंतर्निहित शक्ति का प्रतीक होता है। उच्च पद पर आसीन होने के नाते वह आदेश देता है तथा अधिनियम द्वारा उसके आदेशों का पालन किया जाता है।

सत्ता की प्रवृत्ति?

सिद्धांत में सत्ता का वास्तविक आधार स्वीकृति या सहमति को माना जाता है। व्यवहारवादी विचारा किस्मत का समर्थन करते हैं उनका कहना है कि जिस सत्ता का आधार दंड सकती है वह स्थाई नहीं होती है। सहमति या स्वीकृति सत्ता को स्थाई बनाती है।

सत्ता के आधार का स्रोत क्या है?

सत्ता के आधार तथा स्रोत - विश्वास , औचित्य पूर्ण, पर्यावरण का दबाव, वैधानिकता है।

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