ईस्ट इंडिया कंपनी, तथा उसका इतिहास (East India Company)

 ईस्ट इंडिया कंपनी (East India company)

ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना- ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम के सहयोग से 31 दिसंबर 1600 ई० को ‘The governor and company of merchants of London in to the east Indies' के नाम से हुई। प्रारंभ में इस कंपनी में 217 साझीदार थे। महारानी एलिजाबेथ ने शाही आज्ञा पत्र में टॉमस स्माइथ को कंपनी का गवर्नर तथा 24 अन्य व्यक्तियों को डायरेक्टर नियुक्त किया। इस चार्टर के अनुसार ईस्ट इंडिया  कंपनी को 15 वर्ष तक भारत के साथ व्यापार करने का अधिकार प्राप्त हुआ।

ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रारंभिक इतिहास 

ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रारंभिक सामुद्रिक यात्राएं व्यक्तिगत साहस एवं उत्साही नागरिकों द्वारा संपन्न की गई। इन लोगों ने पूर्वी द्वीप समूह के व्यापार से काफी लाभ उठाया इन व्यक्तियों में सर्वप्रथम 1601 ई० में जेम्स लकास्टर ने पहली समुंद्र यात्रा की। जेम्स सुमात्रा के अचिक नामक स्थान पर उतरा और वहां के राजा को महारानी एलिजाबेथ का पत्र दिया। जेम्स ने बेन्टम नामक स्थान पर एक कारखाने की स्थापना की। दूसरी समुद्री यात्रा मिडल्टन (1604-1606 ई०) के नेतृत्व में संपन्न हुई। मिडल्टन बेन्टम, गरम मसालों के द्वीप, अंबोएना, टरनेट और टिडोर पहुंचा। परंतु इन द्वीपों पर पुर्तगालियों और विशेष रूप से डचों ने मसालों के व्यापार पर अपना अधिकार स्थापित कर रखा था। फल स्वरूप अंग्रेजों को उनके प्रबल विरोध का सामना करना पड़ा। इसी कारण अंग्रेज इन दिनों से हटकर भारत की ओर अधिक आकर्षित होने लगे।


ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रारंभिक इतिहास के मुख्य बिंदु - 


(1) विलियम हॉकिंस का मिशन।

(2) सर टॉमस रो का शिष्टमंडल।

(3) अंग्रेजों का भारत आगमन।

(4) कंपनी की व्यापारिक नीति में परिवर्तन।

(5) पूर्वी समुद्र तट पर कारखानों की स्थापना ।

(6) बंगाल में कंपनी की शक्ति का विस्तार।

(7) मराठों के साथ कंपनी के संबंध ।

(8) मुगलों से हुए युद्ध।

(9) ईस्ट इंडिया कंपनी को आने वाली कठिनाइयां।

(1) विलियम हॉकिंस कमीशन

सन 1609 ई० में विलियम हॉकिंस मुगल सम्राट जहांगीर के दरबार में उपस्थित हुआ। सम्राट में उसी सूरत में बसने की अनुमति प्रदान कर दी, परंतु पुर्तगालियों के विरोध के कारण हॉकिंस अपने मिशन में सफल ना हो सका और 1611ई० में वह स्वदेश लौट गया।

(2) सर टॉमस रो का शिष्टमंडल

इंग्लैंड के शासक जेम्स प्रथम 1615 ईस्वी में सर टॉमस रो को मुगल सम्राट जहांगीर के दरबार में दूध बनाकर भेजा। सरसों का व्यक्तित्व अत्यंत आकर्षक था और उसने मुगल दरबार में शीघ्र ही अपना स्थान बना लिया उसने नूरजहां के भाई आसिफ खान जैसे प्रभावशाली तलवारों के मित्रता कर ली और इस मित्रता के बल पर ही उसने शहजाद  खुर्रम से एक आदेश जारी करा कर अंग्रेजों को सूरत के अतिरिक्त आगरा, भडौ़च तथा अहमदाबाद में कारखाने स्थापित करने की अनुमति प्रदान कर ली 1619 ई० मैं वह इंग्लैंड वापस लौट गया।

(3) अंग्रेजों का भारत आगमन

भारत में आने वाला प्रथम अंग्रेज टॉमस स्टीफेंस था। वसंत 1539 ई० में भारत आया और लगभग 40 वर्ष तक गोवा में रहा। वह ऑक्सफोर्ड का जेसू हट पादरी था। उसने कोंकणी भाषा की महान सेवाएं की। उसने अनेक ग्रंथों का अनुवाद करके तथा एक व्याकरण ग्रंथ की रचना करके व्यापक प्रसिद्धि प्राप्त की। उसके बाद 'न्यूबरी' नामक व्यापारी के नेतृत्व में अंग्रेजों का एक दल भारत में आया। इस दल के सदस्यों में विलियम लीडस, जेम्स स्टोरी तथा रोल्फ रिच प्रमुख थे।

(4) कंपनी की व्यापारिक नीति में परिवर्तन

अंग्रेजों को सन 1619 ई०  में निर्मित सर टॉमस रो की शांति प्रिय ढंग से व्यापार करने की नीति का अनेक कारणों से परित्याग करना पड़ा। मराठों द्वारा लूटे जाने तथा मुगलों और मराठों के पारस्परिक संघर्ष से अंग्रेज यह समझ गए थे कि अब मुगलों द्वारा प्रदान सुरक्षा पर पूर्ण रूप से निर्भर नहीं रह सकते। अतः कंपनी के विभिन्न अधिकारियों ने अब कंपनी के डायरेक्टरों को लिखना प्रारंभ किया कि, “अब समय आ गया है कि जब आपको तलवार हाथ में लेकर अपना व्यापार संभालना चाहिए।” धीरे-धीरे संचालकों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया तथा उसका समर्थन किया।

(5) पूर्वी समुद्र तट पर कारखानों की स्थापना

 सर टॉमस रो के मिशन के उपरांत 17 वी शताब्दी के पूर्वार तक अंग्रेजों ने भारत में धीरे-धीरे अपने पैर जमाने आरंभ कर दिए। सन 1611 ईसवी में उन्होंने गोलकुंडा राज्य में स्थित मसूली पट्टनम (Massauli Pattam) के स्थान पर तथा सन 1926 ई० में इस स्थान से थोड़ा दक्षिण में स्थित अमरगांव (Amargaon) नामक स्थान पर कारखाने स्थापित कर दिए। 1633 ईसवी में अंग्रेज उड़ीसा में विस्थापित हो गए और उन्होंने वहां पर हरिहरपुर (Hariharpur) तथा बालासोर (Balasore) नामक स्थान पर अपने कारखाने स्थापित कर दिया। सन 1640 ई० में ने अंग्रेजों ने राजा चंद्र गिरी से वर्तमान चेन्नई नगर को जमीन खरीद कर एक केले बंद कारखाने की स्थापना की वर्तमान में यही कारखाने फोर्ट सेंट जॉर्ज के नाम से प्रसिद्ध हुआ। अंग्रेजों ने हुगली के स्थान पर 1650-51 ई० में एक और कारखाना स्थापित करके कासिम बाजार और पटना में उसकी सफाई स्थापित की।

(6) बंगाल में कंपनी की शक्ति का विस्तार

दोनों कंपनियों के एकीकरण के उपरांत अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी ने अत्यंत तीव्र गति से प्रगति करना प्रारंभ किया। औरंगजेब की सलून 1707 ईस्वी में मृत्यु के उपरांत देश में फैलने वाली अशांति और अराजकता पूर्ण राजनीतिक स्थिति का लाभ उठाकर अंग्रेजों ने अपनी शक्ति और साधनों की खूब वृद्धि की। उनकी तीनों मुख्य केंद्र मुंबई चेन्नई तथा कोलकाता व्यापार के प्रमुख केंद्र बन गए। साथ ही इंग्लैंड में भी कंपनी के समर्थकों की संख्या में वृद्धि होने लगी। सन 1711ई० में इंग्लैंड की संसद ने कंपनी के व्यवहार की अवधि 1760 ई० तक और बाद में सन 1799 ई० तक बढ़ा दी।

(7) मराठों के साथ कंपनी के संबंध

पश्चिमी तट पर मराठों और पुर्तगालियों के बीज आरंभ होने वाला प्रारंभिक संघर्ष के कारण  कंपनी की व्यापार को कुछ हानियां उसी पहुंची परंतु पुर्तगालियों के कमजोर पड़ जाने के कारण अंग्रेज को एक अन्य विरोधी जाति से छुटकारा मिल गया मराठों ने सन 1739 ई० तक पुर्तगालियों के साल शर्ट थाना और भसीन आदि बंदरगाहों पर अधिकार कर लिया था। और इसी वर्ष अंग्रेजों ने मराठों से एक संधि करके दोनों ने समुद्री लुटेरों के विरुद्ध संयुक्त रूप से काम करने का निश्चय किया। मराठों ने अंग्रेजी कंपनी को अपने इलाकों में स्वतंत्र रूप से व्यापार करने की अनुमति दे दी। इस प्रकार ईस्ट इंडिया कंपनी को अपने विस्तार में राठौर का भी सहयोग मिला।

(8) मुगलों से युद्ध 

सन 1686 में अंग्रेजों ने हुगली को लूटने के उपरांत बालासोर पर आक्रमण कर दिया था। सन 1686 ईस्वी में सर जॉन चाइल्ड ने ताप्ती नदी के मुहाने पर अधिकार करके मुगलों के जहाजों को पकड़ लिया था। उसने आगे बढ़कर मक्का की ओर प्रस्थान कर रहे जहाजों को घेर लिया तथा मुगलों ने तुरंत प्रत्युत्तर में कार्यवाही करके अल्पकाल में ही भारत स्थित अंग्रेजों के अनेक कारखानों तथा संपत्ति पर अपना अधिकार कर लिया। अंत मैं सर 1690 एचडी में अंग्रेजों ने मुगल सम्राट से शमा याचना की अंत में मुगल सम्राट ने उन्हें यह समझा कर समा कर दिया कि उनके व्यापार में राज्य को बहुत लाभ है अंग्रेजों ने क्षतिपूर्ति के लिए लाखों रुपया दिया। जॉन चाइल्ड को पद मुक्त कर दिया तब अंग्रेजों को उनके व्यापारिक स्थान वापस कर दिए गए। सन 1698 में ईस्ट इंडिया कंपनी की केवल 1200 रुके के बदले में सुतानुती कोलकाता और गोविंदपुर नामक तीन ग्रामों की जमीदारी खरीदने की अनुमति मिल गई। सूत्नोती के स्थान पर एक 11 कारखाने को निर्माण किया गया और इसका नाम इंग्लैंड के शासक के नाम पर फोर्ट विलियम रखा गया। कुछ समय में इसी किले के चारों तरफ एक नगर की स्थापना हो गई जो कोलकाता कहलाया तथा उस जो सन् 1911 तक भारत में ब्रिटिश राज्य की राजधानी रहा।

(9) ईस्ट इंडिया कंपनी को आने वाली कठिनाइयां

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की निरंतर बढ़ती हुई शक्ति तथा व्यापार से इंग्लैंड के अनेक व्यापारी उसी से ईर्ष्या व घृणा करने लगे। सन 1688 की शानदार क्रांति के उपरांत इंग्लैंड में सत्ता पर व्हिग दल का अधिकार हो गया और उन्होंने हाउस ऑफ कॉमंस से यह प्रस्ताव पारित करा दिया कि ईस्ट इंडिया कंपनी से व्यापार करने का सभी इंग्लैंड वासियों का अधिकार है। इसका परिणाम यह हुआ इंग्लैंड के शासक विलियम तृतीय ने अपनी आर्थिक कठिनाइयों के समाधान के लिए सन 1698 में पूर्व के साथ व्यापार करने के अधिकार को नीलाम कर दिया। एक नई कंपनी उसे 2000000 पौंड देने को सहमत हो गई और इस कारण पुरानी को 3 वर्ष के अंदर अपना कार्य समेट लेने के लिए कहा गया। इन 3 वर्षों में दोनों कंपनियां एक दूसरे के साथ होड़ लगाकर कार्य करती रही। पारसपरीक प्रतिद्वंदता के कारण दोनों कंपनियों को हानि उठानी पड़ी। इसी बीच इंग्लैंड का स्पेन के साथ स्पेन का उत्तराधिकारी संबंधी युद्ध प्रारंभ हो गया। सन 1708-09 ई० में अर्ल ऑफ गुड गोडोल्फीन (Earl of Godolphen)  की रिपोर्ट के आधार पर इंग्लैंड की संसद ने एक एक्ट के द्वारा औपचारिक रूप से दोनों कंपनियों का आपस में विलय कर दिया । सम्मिलित कंपनी का नाम यूनाइटेड स्टेट इंडिया कंपनी रखा गया।


ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कब हुई?

ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम के सहयोग से 31 दिसंबर 1600 ई० को ‘The governor and company of merchants of London in to the east Indies' के नाम से हुई।

ईस्ट इंडिया कंपनी का मुख्य कार्य क्या था?

ईस्ट इंडिया कंपनी का मुख्य कार्य भारत में व्यापार तथा उनकी रक्षा करना है।

ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रारंभिक इतिहास क्या था?

(1) विलियम हॉकिंस का मिशन। (2) सर टॉमस रो का शिष्टमंडल। (3) अंग्रेजों का भारत आगमन। (4) कंपनी की व्यापारिक नीति में परिवर्तन। (5) पूर्वी समुद्र तट पर कारखानों की स्थापना ।

ईस्ट इंडिया कंपनी का पूरा नाम क्या था?

ईस्ट इंडिया कंपनी का पूरा नाम The governor and company of merchants of London in to the east Indies था।

ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना किसने की?

ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना महारानी एलिजाबेथ के सहयोग से हुई।

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