कंप्यूटर मैमोरी(Computer memory)Lesson4
मेमोरी कंप्यूटर का वह भाग है, जिसमें सभी डेटा व प्रोग्राम स्टोर किए जाते हैं। मेमोरी मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं-
(1) मुख्य मेमोरी (Main Memory or Primary Memory )
(2) द्वितीयक मेमोरी ((Secondary Memory or Auxiliary Memory)
(1) मुख्य मेमोरी Main Memory)
मुख्य मेमोरी को आंतरिक मेमोरी भी कहा जाता है । क्योंकि यह कंप्यूटर के सीपीयू का ही भाग होता है। प्राइमरी मेमोरी में उस समय चल रही प्रोग्राम तथा प्रोग्राम के इनपुट डाटा और आउटपुट डाटा कुछ समय के लिए दूर होते हैं। जैसे कि उनकी आवश्यकता समाप्त हो जाती है उन्हें हटाकर दूसरे डाटा या प्रोग्राम रखे जा सकते हैं इस मेमोरी का आकार सीमित होता है परंतु इसकी गति बहुत तेज होती है। ताकि जब भी किसी डाटा की जरूरत होने पर डाटा, इसमें से तुरंत लिया जा सके प्राइमरी मेमोरी को दो भागों में बांटा जा सकता है—
(1) रेंडम एक्सेस मेमोरी (Random Access Memory)-
यह मेमोरी एक चिप की तरह होती है जो मैटल ऑक्साइड सेमीकंडक्टर (MOS) से बनी होती है इसे संक्षेप में रैम (RAM) कहते हैं। रैम में उपस्थिति सभी सूचनाएं अस्थाई होती हैं। और जैसे ही कंप्यूटर की विद्युत सप्लाई बंद कर दी जाती है वैसे ही समस्त सूचनाएं नष्ट हो जाती है अर्थात रैम एक वांलेंटाइन मेमोरी है रंग का उपयोग डाटा रिस्टोर करने तथा उसमें उपस्थित डाटा को पढ़ने के लिए किया जाता है।
रैम के भी दो प्रकार होते हैं-
1. डायनामिक रैम(Dynamic RAM) -
2. डी डी आर एस डी रैम (DDR SDRAM- Double data rate Synchronous Dynamic RAM)
2. स्टैटिक रैम (Static RAM) -
इसे एस रैम भी कहते हैं। इसमें डाटा तब तक संचित रहता है जब तक विद्युत सप्लाई ऑन रहती है स्टडीग्राम में स्टोरेज सेल परिपत्रों में एक से अधिक ट्रांजिस्टर लगे होते हैं। जैसे - (1) नॉन वोलेटाइल एस रैम (non- volatile SRam)
(2) स्पेशल एस रैम (Spacial SRAM)
(3) सिक्रोनस एस रैम (Synchronous SRAM)
(2)रीड ओनली मेमोरी-
इसे सरल भाषा में रोम कहा जाता है। इस मेमोरी में उपस्थित डाटा तथा निर्देश स्थाई होते हैं। जिस कारण इन्हें केवल पढ़ा जा सकता है परंतु इन्हें डाटा और निर्देशों में परिवर्तित करना असंभव है। डाटा और निर्देशों के स्थाई होने के कारण कंप्यूटर के विद्युत सप्लाई बंद होने पर भी इस चिप में बड़ी सूचना संरक्षित रहती है। रोम नॉन वोलेटाइल मेमोरी है।
(2) द्वितीयक मेमोरी (Secondary Memory)
द्वितीयक मेमोरी को(External) या सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory) भी कहा जाता है। कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी बहुत महंगी होने तथा बिजली बंद कर देने पर उसमें रखे अधिकतर सूचनाएं नष्ट हो जाने के कारण ना तो हम उसे इच्छा अनुसार बढ़ा सकते हैं और ना हम उसमें कोई सूचना स्थाई रूप से स्टोर कर सकते हैं इसलिए हमें सहायक मेमोरी का उपयोग करना पड़ता है।
इसकी कीमत तुलनात्मक दृष्टि से बहुत कम और डाटा स्टोर करने की क्षमता बहुत अधिक होती है इसमें ऐसी सूचनाएं भंडारित की जाती हैं जिन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखना हो तथा जिन की आवश्यकता लगातार नहीं पड़ती हो।
यह मेमोरी कुछ चुंबकीय उपकरण के रूप में होती है जैसे मैग्नेटिक डिस्क ऑप्टिकल डिस्क और सॉलि़ड स्टेट डिस्क इस मेमोरी का उपयोग बैकअप के लिए किया जाता है।
द्वितीयक मेमोरी के उदाहरण -
कंपैक्ट डिस्क (Compact Disk-CD) -
यो एक विशेष प्रकार की डिस्क होती है जिन पर डाटा प्रायो एक बार ही लिखा जाता है। और फिर उसे कितने भी बार पढ़ सकते हैं इन पर डाटा लिखने पढ़ने के लिए लेजर तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इसलिए इन्हें ऑप्टिकल डिस्क भी कहा जाता है। यह प्लास्टिक की बनी हुई डिस्को होती है जिस पर दोनों और एलुमिनियम की पतली परत लगी होती है। कंपैक्ट डिस्क मुख्य दो तीन भागों में बांटा जाता है-
(1)CD-ROM ( रीड ओनली मेमोरी)
(2) CD-R(रिकॉर्डेबल)
(3) CD-RAW( री- राइटटेबल)
हार्ड डिस्क(Hard Disk) -
इन्हें फिक्स्ड डिस्क भी कहा जाता है। यह कई आकारों और क्षमताओं में उपलब्ध होती है। आधुनिक हार्ड डिस्को की क्षमता 200 गीगाबाइट तक होती है। पर्सनल कंप्यूटरों के लिए विशेष प्रकार के हार्डडिस्क भी उपलब्ध है जिन्हें विंचेस्टर डिस्टर्ब कहा जाता है इनकी क्षमता 20 गीगाबाइट 86 गीगाबाइट तक होती है। हार्ड डिस्क की सूचनाओं को स्थाई रूप से संग्रहित करने का बहुत विश्वसनीय माध्यम है और इसका प्रयोग करने की क्षमता या गति भी प्राप्त होती है। जिसके कारण इनको एक डिब्बे में स्थाई रूप से बंद रखा जाता है और सिस्टम यूनिट के भीतर लगा दिया जाता है।
डी०वी०डी० (Digital Video Disc- DVD)-
आजकल सीडी का एक अन्य रूप भी प्रयोग में लाया जाता है जिसे डीवीडी कहा जाता है इन की भंडारण क्षमता 2 गीगाबाइट या अधिक भी हो सकती है इस पर डाटा लिखने या उससे पढ़ने के लिए एक विशेष ड्राइव होती है जिसे डीवीडी ड्राइव कहा जाता है इसे डिजिटल वर्सेटाइल डिस्क या डिजिटल वीडियो डिस्क के रूप में जाना जाता है डीवीडी का आकार कंपैक्ट डिस्क के समान ही होता है लेकिन यह 6 गुना अधिक तक डाटा भंडारण करते हैं।
फ्लॉपी डिस्कFloppy Disk) -
फ्लॉपी डिस्क एक वृत्ताकार डिस्क होती है जिसके दोनों और एक चुंबकीय पदार्थ का लेप चढ़ा होता है यह एक प्लास्टिक के चौकोर कवर में संरक्षित रहती है यह तीन आकारों में उपलब्ध हो जाती हैं। फ्लॉपी पर डाटा कुछ सन केंद्रीय वित्ताकार पदों पर स्टोर किया जाता है। जिसे ट्रैक्स कहते हैं हर ट्रैक कई भागों में बटा होता है जिन्हें सेक्टर कहते हैं डिस्क को ट्रकों और सेक्टरों में विभाजित करने की प्रक्रिया फॉर्मेटिंग कहलाती है एक सेक्टर में 512 बाइटें होती हैं।
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