जलियांवाला बाग हत्याकांड (13 अप्रैल, 1919)
जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) अंग्रेजी सरकार के रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए भारतीय जनता द्वारा एक सेवा का गठन किया गया था, इसमें भारतीय जनता रॉलेट एक्ट का विरोध का प्रदर्शन कर रही थी। समस्त नगर सेना के अधिकार ऐसे व्यक्ति को गया जिसका सर्वे सर्वा जनरल डायर था।अमृतसर की जनता ने सरकार की इस नीति का विरोध करने के उद्देश्य से 11 अप्रैल को हड़ताल की तथा एक जुलूस निकाला। सैनिक पदाधिकारियों की ओर से इसके विरोध में 21 अप्रैल को सार्वजनिक सभा करने पर प्रतिबंध लगाया गया, किंतु इस प्रतिबंध का पूर्णतया ऐलान समस्त नगर में नहीं किया गया था। इस कारण बहुत से लोगों को उसका ज्ञान भी नहीं था। कांग्रेसियों की ओर से 13 अप्रैल के दिवस एक सार्वजनिक सभा का आयोजन अमृतसर के जलियांवाला बाग में किया गया। हजारों की संख्या में व्यक्ति इस बाग एकत्रित हो गए। सैनिकों ने उनको रोकने का तनिक भी प्रयत्न नहीं किया, किंतु जब वहां बहुत अधिक संख्या में अभिव्यक्ति एकत्रित हो गए तो जनरल डायर 100 भारतीय तथा ब्रिटिश सशस्त्र सैनिकों को लेकर वहां पहुंच गया।उसने घटना स्थल पर पहुंचते ही सभा के भंग करने के आदेश दिए बिना ही सैनिकों को गोली चलाने का आदेश दिया। जहां पर भीड़ सबसे अधिक थी, गोलियों को उसी दिशा में चलाया गया। कुल 1650 फायर किए गए और सैनिकों ने गोली चलाना उस समय बंद किया जब उनके कारतूस समाप्त हो गए। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 379 व्यक्ति मरे और कम से कम 1200 घायल हुए।सैनिकों की ओर से लगातार 10 मिनट तक गोलियों की बौछार मनुष्यों के उस आतंकित झुंड पर जारी रखी गई। डायर हंटर कमेटी के सामने यह खाता की "मैं तो एक फौजी गाड़ी ले गया था, लेकिन वहां जाकर देखा कि वह बाघ के भीतर घुस ही नहीं सकती थी। इसीलिए मैंने उसे वही बाहर छोड़ दिया था।"जलियांवाला बाग हत्याकांड
- रविंद्र नाथ टैगोर, वॉइस राय को लिखे एक पत्र में ऐसी सरकार सम्मान की हकदार नहीं है जो अपने अधीन लोगों की स्वतंत्रता को बेहद सस्ता समझती है।
एम.के .गांधी, जलियांवाला बाग जनसंहार के पश्चात यंग इंडिया में,
पंजाब के अधिकारी वर्ग का इतने से भी संतोष नहीं हुआ और इस अन्याय पूर्ण तथा अमानुषिक कार्य के केवल दो दिन उपरांत ही पंजाब के 5 जिलों में सैनिक शासन घोषित कर दिया और उसको बड़ी कठोरता तथा नीशंसता से कार्यान्वित किया जनरल डायर के राज्य में कुछ ऐसे सजाएं देखने को मिली जिनका स्वप्न मैं भी ख्याल नहीं हो सकता था। अमृतसर के नलों में पानी बंद कर दिया गया और बिजली काट दी गई थी। जिस गली में मिस शेखुड पर आक्रमण हुआ था, उस गली में लोगों को पेट के बल रंग घर जाने की आज्ञा थी। सबके सामने बेंत लगाना आमतौर पर चालू था। रेलवे स्टेशनों पर तीसरे दर्जे का टिकट भेजने की मनाई कर दी गई थी। स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए यह आज्ञा थी कि वे चार बार फौजी अफसरों के सामने विभिन्न स्थलों पर हाजिरी दिया करें। कई स्थानों पर भीड़ पर गोली चलाई गई और हवाई जहाजों से मशीनगन चलाई गई। यह आदेश जारी कर दिया गया था कि जब कोई हिंदुस्तानी अंग्रेज अफसर से मिले तो उसको सलाम करें, अगर सवारी में जा रहा, या घोड़े पर सवार हो तो उतर जाए, अगर छाता लगाए हुए हो तो नीचे झुका दे। यह आदेश इसीलिए दे गए थे ताकि लोगों को मालूम हो जाए कि उनके नए मालिक आए हैं, यदि स्कूल और कॉलेज के लड़के साहब को सलाम नहीं करते, तो उनके कोमल बदन पर नशंसतापूर्ण बैतो की मार पड़ती थी।
हंटर समिति( Hunter Committee)
अब पंजाबी घटनाओं का समाचार भारत के अन्य प्रदेशों में ज्ञात हुआ तो पंजाब की सरकार के कार्यों की घोर निंदा चारों और होने लगी तथा रविंद्र नाथ ठाकुर ने सरकार के बर्बरता पूर्ण तथा निजी संस्था पूर्ण नीति तथा व्यवहार की घोर निंदा करते हुए सर की उपाधि का परित्याग कर दिया। देश के कोने कोने से पंजाब की घटनाओं की जांच पड़ताल करने की मांग की गई पर्याप्त समय तक तो सरकार ने इस बात की ओर ध्यान नहीं दिया किंतु जब मांगों का ताजा बन गया तो सरकार की ओर से लॉर्ड हंटर की अध्यक्षता में एक समिति का आयोजन किया गया जिसमें लॉर्ड हंटर के अतिरिक्त दो भारतीय सदस्य सर चिमनलाल सीतलवाड़ और पंडित जगत नारायण और तीन अंग्रेज सदस्य थे।
हंटर कमेटी की रिपोर्ट(report of the hunter committee)
हंटर कमेटी की जो रेपो सरकार द्वारा प्रकाशित की गई उसमें पंजाब के अधिकारियों के कार्यों पर पर्दा डालने का प्रयत्न किया गया था किंतु हंटर कमेटी में इतना अवश्य स्वीकार किया की जनरल डायर का कार्य उचित था किंतु उसने जिन साधनों का प्रयोग किया हुए अनुचित थे। जो केवल उसके निर्णय की एक भूल थी जो परिस्थिति को ठीक प्रकार से ना समझे समझने के कारण उससे हो गई तथा समिति के अकाट्य तथा स्पष्ट दवाइयों द्वारा यह प्रमाणित किया कि सरकारी कर्मचारियों की ने जनता पर पाशविक अत्याचार नहीं किए।
कांग्रेस द्वारा जांच (enquiry of Congress)
कांग्रेस की ओर से भी इनकी जांच पड़ताल करने के अभिप्राय से एक समिति का आयोजन महात्मा गांधी के सभापति में किया गया। इस समिति के सदस्य चितरंजन दास, मोतीलाल नेहरू, अब्बास तैयब जी और डॉक्टर जयकर थे। कमेटी के सदस्यों ने लगभग 2 माह तक वास्तविक अध्ययन करने का प्रयत्न किया । और भारतीय सदस्यों ने लगभग 2 महीने में रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें पंजाब के अधिकारियों के कार्यों की घोर निंदा की गई।
परिणाम (results)
उक्त जांच के आधार पर भारत सरकार ने जनरल डायर को नौकरी से अलग कर दिया किंतु पंजाब का गवर्नर सर माइकल ओ डायर अपने पद पर पूर्वक ही बना रहा। भारत मंत्री मोंटेग्यू ने जनरल डायर के कार्यों की निंदा अवश्य की किंतु उसने पंजाब के गवर्नर भारत के वायसराय के कार्यों की बड़ी सराहना की। लॉर्ड लॉर्ड सभा में जनरल डायर के बाद माफ कर देने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया। उस प्रस्ताव पर जो बहस सभा में हुई उसने तो भारतीयों को बड़ा आघात पहुंचाया। और भी इस परिणाम पर पहुंचे कि अंग्रेजों ने उचित व्यवहार तथा न्याय की आशा करना बिल्कुल व्यर्थ है। इन सब बातों का प्रभाव महात्मा गांधी पर विशेष रूप से पड़ा और उनके मस्तिष्क में यह भावना जागृत हुई कि जो सरकार इतनी भयंकर भूल कर सकती थी वह किसी भी दिशा तथा समय में अच्छी नहीं हो सकती।
कांग्रेस का दृष्टिकोण(Congress Approach)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपनी एक गैर सरकारी समिति गठित की जिसमें मोतीलाल नेहरू सीआर दास अब्बास तेजाजी एमआर जट्ट और गांधीजी को शामिल किया गया कांग्रेस ने इस घटना को लेकर अपना मत रखा इसने डायर के अमानवीय कृत्य की निंदा की और कहा कि पंजाब में सैनिक शासन मार्शल लो लाना किसी भी प्रकार न्याय संगत नहीं था।
short-questions and answers
जलियांवाला बाग हत्याकांड कब हुआ था?
जलियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 में हुआ।
जलियांवाला बाग हत्याकांड कहां हुआ था?
जलियांवाला बाग हत्याकांड पंजाब के अमृतसर जिले में हुआ।
जलियांवाला बाग हत्याकांड में गोली चलाने का आदेश कौन दिया था?
जनरल डायर जलियांवाला हत्याकांड में गोली मारने का आदेश दिया।
जलियावाला बाग हत्याकांड को किस नाम से जाना जाता है?
जलियावाला बाग हथियाकांड को इतिहास में काला दिवस के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि जिस दिन जनरल डायर ने 23 हजार निहत्थे भारतीय पर गोली चलाने का अधिकार दिया तथा उनको मोत के घाट उतारा।
जलियांवाला बाग हत्याकांड में कितने लोग मारे गए थे?
जलियांवाला बाग हत्याकांड में 279 लोग मारे गए थे। और अनुमानित 2000 थे।
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