औद्योगिक क्रांति का अर्थ
औद्योगिक क्रांति से आशय उद्योगों की प्राचीन, परंपरागत और धीमी गति को छोड़कर; नए वैज्ञानिक तथा तीव्र गति से उत्पादन करने वाली यंत्रों व मशीनों का प्रयोग किया जाना है। यह क्रांति उन महान परिवर्तनों की द्योतक तक है जो औद्योगिक प्रणाली के अंतर्गत हुए। इस प्रकार “उत्पादन के साधनों में आमूलचूल परिवर्तन हो जाना ही औद्योगिक क्रांतिहै। ” में उद्योग क्रांति से आशय उस क्रांति से लगाया जाता है जिसने 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में उत्पादन की तकनीक और संगठन में आश्चर्यजनक परिवर्तन कर दिए यह परिवर्तन इतने प्रभावी और द्रुत गति से हुए कि इसे ‘क्रांति’ कहा गया औद्योगिक क्रांति ने बड़े पैमाने के उद्योगों का सूत्रपात किया इस क्रांति का श्रीगणेश इंग्लैंड से ही हुआ।
औद्योगिक क्रांति के लाभ(गुण)
औद्योगिक क्रांति मानव के लिए एक वरदान सिद्ध हुई थी और इससे मानव जाति को अत्यंत लाभ हुए। वुडवर्ड ने इस क्रांति के लाभों को व्यक्त करते हुए लिखा है —“इस क्रांति से मनुष्य जाति को चमत्कारिक लाभ हुए जिन कार्यों को करने में असीमित श्रम और पर्याप्त समय लगता था अब वे अल्पकाल में मामूली श्रम से ही पूरे हो जाते थे ।”
(1) उत्पादन क्षमता में वृद्धि-
नवीन खोजों के परिणाम स्वरूप उत्पादन की नवीन तकनीकों का विकास भी होता रहता था, जिससे उत्पादन समता में निरंतर वृद्धि होती रहती थी अतः औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप वस्तुओं की उत्पादन क्षमता कई गुना बढ़ गई।
(2)यातायात के साधनों का विकास-
औद्योगिक क्रांति से यातायात के साधनों का तेजी से विकास हुआ ऐसी नवीन यातायात के साधनों का निर्माण और खोज होने लगी थी जो तीव्र गति से कार्य करते हों। इस प्रकार क्रांति के फलस्वरूप यातायात अधिक शुभम और विकसित हो गया।
(3)विज्ञान की प्रगति-
औद्योगिक साधनों के विकास के लिए विज्ञान के क्षेत्र में निरंतर खोजे चलती रही हैं वैज्ञानिक ने नई प्रौद्योगिकी की खोज में प्रयत्नशील रहते थे इन खोजों और प्रयासों के परिणाम स्वरूप विभिन्न विज्ञान निरंतर प्रगति की ओर बढ़ने लगे।
(4)कृषि में सुधार-
औद्योगिक क्रांति के परिणाम स्वरूप कषि कार्यों के लिए नवीन यंत्रों का प्रयोग किया जाने लगा अभी तक कृषि अत्यधिक श्रम शादी थी तथा इससे उत्पादन बहुत कम होता था यंत्रीकरण से कृषि कार्य सरल हो गया और खाद्यान्नों की उत्पादन क्षमता में कई गुना वृद्धि हो गई अब कृषि धीरे-धीरे व्यवसाय का रूप लेने लगी।।
(5)अंतरराष्ट्रीय व्यापार तथा सांस्कृतिक संपर्क में वृद्धि-
औद्योगिक क्रांति से अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी वृद्धि हुई व्यापारिक वर्ग के लोग विश्व के सभी देशों में आने-जाने लगे इससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान हुआ और मानव परंपरागत रूढ़ियों से मुक्त हो।
(6)दैनिक जीवन के लिए उपयोगी साधनों में वृद्धि-
बालों के दैनिक जीवन में भौतिक साधनों के सुलभ हो जाने से विशेष सुख सुविधा का वातावरण बना मानव को दैनिक जीवन के कार्यों की पूर्ति हेतु विशेष सुविधाएं प्राप्त हुई जिन्होंने नागरिकों के जीवन स्तर को परिष्कृत रूप प्रदान किया ।अब उनका जीवन सुख- सुविधाओं से परिपूर्ण होता चला गया।
औद्योगिक क्रांति की हानियां(दोष)
(1) गंदी बस्तियों में वृद्धि-
औद्योगिक क्रांति के फल जरूर श्रमिकों ने अपने अपने कारखानों के पास अवस्थित बस्तियों का निर्माण कर लिया । यहां पर नियोजित ढंग से मकान बने जिनमें गंदे पानी के निकास के साधन तक नहीं थे श्रमिकों की यह बस्तियां बीमारी और गंदगी का केंद्र बन गई थी कालांतर में इसका यह परिणाम हुआ । कि श्रमिकों ने अपनी सुव्यवस्थित आवास की मांगों की पूर्ति के लिए आंदोलन भी चलाएं।
(2)सामाजिक जीवन में परिवर्तन-
औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप सामाजिक जीवन में अनेक परिवर्तन हुए। समाज में पूंजीपति और श्रमिक नामक दो नए वर्गों का उदय हुआ। इन दोनों वर्गों में परस्पर संघर्ष चलता रहता था सामाजिक जीवन में एक उल्लेखनीय परिवर्तन यह भी हुआ कि श्रमिकों ने अपने परिवार से पृथक चले जाने के कारण पारिवारिक विघटन प्रारंभ हो गया इसके अतिरिक्त सामाजिक जीवन का मापदंड भौतिक साधनों की संपन्नता हो गया।
(3) उद्योगपतियों का विलासी जीवन-
विशाल उद्योगों से उद्योगपतियों को निरंतर आर्थिक लाभ प्राप्त हो रहा था। इससे उनका जीवन विलासिता पूर्ण होता जा रहा था उनके भौतिक सुख साधन बढ़ने लगे और विधान के बल पर विलासिता पूर्ण जीवन व्यतीत करने लगे।
(4) आर्थिक जीवन पर प्रभाव-
औद्योगिक क्रांति ने मानव के आर्थिक जीवन का रुप ही बदल दिया जिससे राज्य की आय भी बढ़ी। उद्योगों के स्वामियों के पास धन की निरंतर अभिवृद्धि हो रही थी आर्थिक जीवन मैं छोटे वासियों का महत्व घट गया और उनके पास धन का अभाव होने लगा किसी भी देश के आर्थिक स्तर का मापदंड उसके विशाल उद्योगों को ही स्वीकार किया जाने लगा।
(5) कुटीर उद्योग धंधों का विनाश-
औद्योगिक क्रांति का छोटे-छोटे कुटीर धंधे पर सर्वाधिक दुष्प्रभाव पड़ा बड़े पैमाने के उद्योगों की स्थापना की होड़ में कुटीर उद्योग धंधों का विनाश हो गया।
(6)जनसंख्या में वृद्धि-
उद्योग क्रांति ने आर्थिक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता उत्पन्न कर दी अब नागरिक सुख एवं वैभव पूर्ण जीवन यापन करने लगे परिणाम तो हो जनसंख्या अबाध गति से बढ़ने लगी विशेषता नगरों में श्रमिकों का जमा भी हो जाने के कारण जनसंख्या अधिक बढ़ने लगी।
(7) धार्मिक प्रभाव-
औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप समाज की धार्मिक मूल्यों विश्वासों और धार्मिक मान्यताओं में अनेक परिवर्तन हुए। उत्पादन के विभिन्न साधन सुलभ हो जाने से लोगों की इच्छाएं असीमित होती चली गई और वह भौतिकवादी होते चले गए धन के आधार पर ही व्यक्ति का मूल्यांकन किया जाने लगा और नैतिकता सदाचरण चरित्र आदि को विस्मृत किया जाने लगा धना गम में लिप्त व्यक्ति आत्मा परमात्मा माया मोह आदि के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने लगे यहां तक कि धर्म को भी अपने स्वार्थ की पूर्ति का साधन बनाया जाने लगा इसके फलस्वरूप धर्म का महत्व कम होने लगा।
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मुख्य बिंदु -
औद्योगिक क्रांति?
औद्योगिक क्रांति से आशय उद्योगों की प्राचीन, परंपरागत और धीमी गति को छोड़कर; नए वैज्ञानिक तथा तीव्र गति से उत्पादन करने वाली यंत्रों व मशीनों का प्रयोग किया जाना है। यह क्रांति उन महान परिवर्तनों की द्योतक तक है जो औद्योगिक प्रणाली के अंतर्गत हुए। इस प्रकार “उत्पादन के साधनों में आमूलचूल परिवर्तन हो जाना ही औद्योगिक क्रांतिहै। ”
औद्योगिक क्रांति से क्या हानि है?
औद्योगिक क्रांति से होने वाली हानियां निम्न प्रकार हैं जैसे- सामाजिक जीवन में परिवर्तन उद्योग पतियों का विलासी जीवन ,धार्मिक प्रभाव, जनसंख्या में वृद्धि।
औद्योगिक क्रांति से होने वाले लाभ क्या है?
हां जी के नाम से होने वाले लाभ मुख्य यह हैं- उत्पादन क्षमता में वृद्धि यातायात के साधनों का विकास कृषि में सुधार विज्ञान की प्रगति दैनिक जीवन की उपयोगी साधनों में वृद्धि।
औद्योगिक क्रांति की शुरुआत कहां से हुई?
औद्योगिक क्रांति की शुरुआत सर्वप्रथम इंग्लैंड से हुई।
औद्योगिक क्रांति शुरू होने के कारण क्या थे?
आदि गांधी के शुरू होने के मुख्य कारण- ओके विश्व की स्थापना पुनर्जागरण आदि थे।
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