एकात्मक शासन प्रणाली
एकात्मक शासन का अर्थ—शक्तियों के वितरण के आधार पर भी राज्यों का वर्गीकरण किया गया है—(1) एकात्मक शासन प्रणाली तथा (2) संघात्मक शासन प्रणाली।
एकात्मक सरकार बहुत शासन प्रणाली है जिसके अंतर्गत शासन की संपूर्ण सत्ता अथवा शक्ति संविधान के अनुसार केंद्र में ही निहित होती हैं और शासन की अन्य इकाइयां (प्रांत आदि स्थानीय सरकारें) अपने अधिकार और शक्तियां केंद्र से ही प्राप्त करती हैं। इन इकाइयों का अपना स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता है और उन्हें संविधान द्वारा कोई मौलिक और स्वतंत्र शक्ति प्राप्त नहीं होती है। इस प्रकार सर्वोच्च पाचन शक्ति केंद्र को प्राप्त होती है। संक्षेप में, एकात्मक व्यवस्था के अंतर्गत स्थानीय सहकारी केंद्रीय सरकार की अंग मात्र होती हैं और वे शासन का जो कुछ कार्य करती हैं वह केंद्रीय सरकार के अभिकर्ताओं (एजेंटों) के रूप में ही करती हैं। ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, बांग्लादेश, नेपाल आदि अनेक राज्यों में एकात्मक सरकारी पाई जाती है।
एकात्मक शासन की परिभाषा—
एकात्मक शासन की सर्वश्रेष्ठ परिभाषा गार्नन ने दी है। उनके मतानुसार—"जहां सरकार की संपूर्ण शक्ति संविधान द्वारा केंद्रीय शासन के एक अंग अथवा एक से अधिक अंगों को दी जाती है, जिससे स्थानीय सरकारें अपनी शक्तियां, स्वायत्त अधिकार और सही अर्थों में अपना अस्तित्व प्राप्त करती है, एकात्मक शासन पद्धति कहीं जाती है।"
अप्पदोराय के मतानुसार:"एकात्मक शासन प्रणाली किस सर्व प्रमुख विशेषता यह है कि राज्य में प्रशासकीय इकाइयों का निर्माण, उनकी शक्तियों की व्याख्या तथा उसकी व्यवस्था के ढंग आदि का निर्धारण केंद्रीय सरकार द्वारा किया जाता है।"
डायसी के अनुसार:"एक केंद्रीय शक्ति के द्वारा सर्वोच्च शक्ति का प्रयोग किया जाना ही एकात्मक शासन है।"
डॉक्टर फाइनर के अनुसार:"एकात्मक शासन वह है जिसमें शासन सत्ता एवं शक्ति एक केंद्र में निहित रहती है और जिसकी इच्छा एवं जिसके अधिकार समस्त क्षेत्र पर कानून सर्वशक्तिमान होते हैं।"
एकात्मक शासन के गुण
एकात्मक शासन के गुणों की विवेचना प्रकार की जा सकती है—
(1) अतंर्राष्ट्रीय मामलों में सफलता—
एकात्मक शासन प्रणाली में केंद्र की शक्ति असीमित होती है।सभी प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय मामलों को केंद्रीय सरकार अपने विवेक से सुलझा लेती हैं। उसको अधीनस्थ सरकारों से इस संबंध में कुछ भी परामर्श करने की आवश्यकता नहीं है अतएव एकात्मक शासन प्रणाली में अंतर्राष्ट्रीय मामलों का निपटारा निपटारा बड़ी सरलता से हो जाता है। विलोबी के अनुसार,"सुरक्षा तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के संबंध में एकात्मक राज्य की शक्ति विशेषता स्पष्ट हो जाती है।"
(2) प्रशासकीय कुशलता—
एकात्मक शासन प्रणाली में प्रशासक वर्ग 1 की केंद्रीय सरकार के अधीन रहकर कार्य करता है तथा उसी के आदेशों का पालन करता है। अतः प्रशासन के कार्य में कुशलता बनी रहती है ।
(3) मितव्ययिता—
एकात्मक शासन प्रणाली का सबसे बड़ा गुण यह है कि शासन संबंधी नीतियां केवल एक ही स्थान पर निर्मित होती है। प्रशासन का संपूर्ण केंद्र केंद्रीय सरकार मैं ही नहीं होने के कारण व्यय कम होता है। अतएव मितव्ययिता एकात्मक शासन प्रणाली का प्रमुख गुण हैं।
(4) अधिकारों की स्पष्टता—
एकात्मक शासन प्रणाली में केंद्रीय सरकार शक्ति संपन्न होती है। इस शासन प्रणाली में संघात्मक शासन की भाटी अधिकारों का विभाजन नहीं होता है, समस्त अधिकार केंद्र में निहित होते हैं।इकाइयों की सरकारों को सभी क्षेत्र में स्पष्ट रूप से विद्युत रहता है कि उनको केंद्रीय सरकार के आदेशों का पालन करना है। इस प्रकार एकात्मक शासन प्रणाली अधिकारों की दृष्टि से एक स्पष्ट शासन प्रणाली है या स्पष्टता एकात्मक शासन प्रणाली का एक गुण है।
(5) प्रशासन में मतभेद का अंत—
एकात्मक शासन प्रणाली में सभी प्रशासकीय अधिकारी केंद्र से ही आदेश प्राप्त करते हैं अतएव प्रशासन संबंधी अधिकारों के संबंध में कोई भी मतभेद उत्पन्न नहीं होता है। प्रशासकीय मतभेदों की समाप्ति तथा प्रशासन की एकरूपता, एकात्मक शासन प्रणाली के प्रमुख लक्षण माने जाते हैं।
(6) योजनाओं की सफलता—
एकात्मक शासन प्रणाली में सरकारी योजनाओं के निर्माण का कार्य केंद्रीय सरकार द्वारा किया जाता है। साथ- ही- साथ केंद्रीय सरकार उन योजनाओं को भी क्रियान्वित करती है। योजनाओं का निर्माण करना और उनको पूरा करना केंद्र के हाथों में निहित हो जाने से सभी योजनाओं को सफलता मिलती है और इसीलिए आर्थिक विकास की दृष्टि से एकात्मक सरकार एक सफल सरकार मानी जाती है।
(7) राष्ट्रीय एकता—
एकात्मक शासन प्रणाली में संपूर्ण प्रजा पर समान कानून लागू होता है तथा शासन को न्याय में एकरूपता पाई जाती हैं। जनता समान शासन में रहने तथा समान राजनीतिक आदर्शों के प्रति भक्ति दिखाने के कारण राष्ट्रीय एकता के सूत्र में बंध जाती है। इसीलिए एकात्मक शासन प्रणाली वाले देशों की राष्ट्रीय भावनाओं को पूछना किसी भी विदेशी राष्ट्र के लिए कठिन होता है।
एकात्मक शासन के दोष
एकात्मक शासन के दोष —
(1) केंद्र का अधिक उत्तरदायित्व—
एकात्मक शासन प्रणाली में सभी कार्य केंद्रीय सरकार द्वारा ही संपादित किए जाते हैं। केंद्र पर कार्यों का इतना बाहर हो जाता है कि केन्द्रीय सरकार के अधिकारी अपने कर्तव्यों पालन करने या अपना उत्तरदायित्व पूर्ण करने में सफल नहीं हो पाते हैं।इसीलिए एकात्मक शासन प्रणाली में किसी भी प्रकार के उत्तर दायित्व की पूर्ति सुगमता वह सरलता से नहीं हो पाती है।
(2) नागरिकों की क्षमता का विनाश—
नागरिकों के अधिकारों का विकास एकात्मक शासन प्रणाली में नहीं हो पाता है। इन अधिकारों का इस प्रणाली में विकास इसलिए नहीं हो पाता है क्योंकि केंद्रीय शासन में ही सभी अधिकार नहीं होते हैं।केंद्रीय सरकार स्थानीय संस्थान को विकास के कम अवसर प्रदान करती है।
(3) कुलीन वर्ग का अनुचित प्रभाव—
एकात्मक शासन प्रणाली में कुछ कुलीन वर्ग के लोगों के हाथों में शासन की सत्ता जाती है। यह कुलीन वर्ग अपने हितों की पूर्ति करने लगता है और लोकहितों की उपेक्षा करने लगता है।
(4) स्थानीय आवश्यकताओं की उपेक्षा—
एकात्मक शासन प्रणाली में सभी शक्तियां केंद्र में निहित रहती हैं अतएवइस शासन प्रणाली में स्थानीय हितों की उपेक्षा की जाती है तथा स्थानीय संस्थाओं का विकास रुक जाता है।
(5) राजनीतिक शिक्षा का अभाव—
एकात्मक शासन प्रणाली में सभी शक्तियां केंद्र में निहित होती है।इन शक्तियों का राज्यों (प्रांतों) की सरकार में वितरण नहीं होता है। सर्वसाधारण वर्ग को प्रशासकीय कार्यों में भाग लेने की कोई सुविधा नहीं दी जाती है। सार्वजनिक हितों का चिंतन भी नहीं किया जाता है इसीलिए सर्वसाधारण में राजनीतिक शिक्षा का अभाव पाया जाता है। जनता को यह ज्ञान नहीं होता है कि प्रशासन का कार्य किस प्रकार चलता है और जनता के कौन-कौन से अधिकार है।
(6) केंद्रीय सरकार की निरंकुशता—
एकात्मक शासन प्रणाली में केंद्रीय सरकार का सभी क्षेत्रों पर नियंत्रण रहता है तथा सभी शक्तियां उसके हाथों में निहित होती है। अतएवकेंद्रीय सरकार एकात्मक शासन में मनमानी करने लगती है और उसकी निरंकुशता का भय बना रहता है।
(7) सार्वजनिक हितों की उपेक्षा—
एकात्मक शासन प्रणाली में नौकरशाही का विशेष महत्व होता है। लोक कल्याण की योजनाएं प्रशासन के अधिकारियों के स्वार्थ में बह जाती है। बाल कल्याण, स्त्री कल्याण, श्रमिक कल्याण, समाज कल्याण तथा सामाजिक सुरक्षा आदि से संबंधित सभी योजनाओं का इस शासन प्रणाली का अभाव पाया जाता है।
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